सत्यमेव जयते!

Today's News

क्या आप जानते हैं कि हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम 1956 के अनुसार कौन पैतृक संपत्ति नहीं पा सकता?

अयोग्यता (Disqualification of Hindu) हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम 1956 की धारा 24 से लेकर 29 तक में कुछ आधारों का उल्लेख किया गया है। जिन पर कि एक व्यक्ति पत्रक संपत्ति पाने के अयोग्य है। ये निर्योग्यतायें निम्नलिखित हैं-

  1. पुनर्विवाह से उत्पन्न निर्योग्यता (धारा 24)
  2. हत्या का अपराध (धारा 25)
  3. धर्म परिवर्तन से उत्पन्न निर्योग्यता (धारा 26)

पुनर्विवाह पुनर्विवाह से उत्पन्न निर्योग्यता

धारा 24 के अंतर्गत इस निर्योग्यता के विषय में उल्लेख किया गया है। यह धारा उपबंधित करती है-

"जो कोई दायद पूर्व मृत पुत्र की विधवा पूर्व मृत पुत्र के पुत्र की विधवा या भाई की विधवा के रूप में निर्वसीय से नातेदारी रखती है? यदि उत्तराधिकार के सूत्रपात होने की तिथि में पुन: विवाह कर लेती है। तो वह निर्वसीयत की संपत्ति ऐसी विधवा के रूप में उत्तराधिकार प्राप्त करने की हकदार नहीं होगी।" इस धारा से स्पष्ट है कि किसी व्यक्ति की विधवा पुनर्विवाह (Remarriage) कर लेने के पश्चात उसकी विधवा नहीं रह जाती और उस व्यक्ति की विधवा के रूप में निर्वसीयत से उनका संबंध समाप्त हो जाता है इसलिए वह निर्वसीयत में से दाय प्राप्त करने की अधिकारिणी नहीं रह जाती है।

इस व्यवस्था का आधार यह की पत्नी पति की अर्धांगिनी की हैसियत से संपत्ति की अधिकारिणी होती है। ज्यों ही वह पुनर्विवाह कर लेती है वह पति की अधिकारिणी नहीं रह जाती है। और इस कारण वह अपने पति की संपत्ति को दाय में पान से वंचित रह जाती है।

यह निर्हता पुनर्विवाह से आती है, अस्तित्व से नहीं। इसलिए यदि उपयुक्त दायद पुनर्विवाह नहीं करती। बल्कि केवल अस्तित्व का आचरण करती है तो वह दाय से वंचित नहीं होगी परन्तु यदि वह दाय प्राप्त करने के पश्चात पुनर्विवाह करती है तथा जो संपत्ति उनमें निहित हो चुकी है वह अनिहित नहीं हो सकती।

हत्या का अपराध (Disqualification of a murderer)

धारा 25 हत्यारों को उस व्यक्ति की संपत्ति में दाय प्राप्त करने के निर्योग्य बना देती है जिसकी हत्या की गई है। धारा 25 उपबंध करती है-

"जो व्यक्ति हत्या करता है या हत्या करने में दुष्प्रेरणा करता है, वह मृत व्यक्ति की संपत्ति को जिसके उत्तराधिकार को अग्रसर करने के लिए उसने हत्या की थी या हत्या करने में अभिप्रेरणा किया था, दाय प्राप्त करने के निर्योग्य होगा।" इस प्रकार इस धारा के अंतर्गत दो प्रकार के हत्यारे संपत्ति को उत्तराधिकार में प्राप्त नहीं कर सकते हैं प्रथम यदि किसी उत्तराधिकारी ने स्वयं हत्या की है या हत्या का दुष्प्रेरण किया है या उत्तराधिकार को अग्रसर करने के लिए उसने किसी अन्य व्यक्ति की हत्या की है, हत्या का दुष्प्रेरण किया है। पुरानी हिंदू विधि में भी यही नियम था। किसी व्यक्ति का हत्यारा मृत व्यक्ति से दाय प्राप्त करने का हकदार नहीं होता था। यह नियम लोकनीति पर आधारित है। यह नियम इसलिए उपबंधित किया है कि यदि किसी व्यक्ति का हत्यारा उससे दाय प्राप्त करने में समर्थ रखा जाए तो यह संभावना हो सकती है कि दाय प्राप्त करने की अति उत्सुक व्यक्ति उसकी हत्या कर दे अथवा किसी व्यक्ति को दुष्प्रेरित करके उसकी हत्या करा दे।

यह ध्यान देने योग्य है कि संपत्ति को दाय द्वारा प्राप्त करने के अधिकार से केवल हत्यारा ही या उसका सहायक वंचित होता है अन्य व्यक्ति नहीं। उदाहरण स्वरूप यदि पुत्र ने पिता की हत्या की है तो हत्यारे के पुत्र या पुत्रियों के उत्तराधिकारिक अधिकारों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।

धर्म परिवर्तन (Disqualification of a Convert's descendants)

हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम की धारा 26 के अंतर्गत ऐसे व्यक्तियों के वंशजों की निर्योग्यता के विषय में उल्लेख किया गया है जिसने दूसरा धर्म ग्रहण कर लिया है। यदि कोई हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम के प्रारंभ होने के पूर्व या पश्चात अथवा धर्म परिवर्तन के कारण हिंदू नहीं रह गया है, या नहीं रह जाता है, तो उसके धर्म परिवर्तन के पश्चात हुई उसकी संतान और उस संतान के वंशज अपने हिंदू संबंधियों की संपत्ति को दाय पाने से निरोहित होंगे, जब तक कि यह संताने अथवा उसके वंशज दाय पाने के समय हिंदू न हो।

(धारा 26) इस धारा के अंतर्गत धर्म परिवर्तन व्यक्ति के वंशजों को उत्तराधिकार से वंचित किया गया है। परंतु शर्त यह है कि ऐसे वंशज को दाय पाने के समय हिंदू नहीं होना चाहिए। जिस व्यक्ति ने धर्म परिवर्तन किया है वह स्वयं दाय से वंचित नहीं होता है बल्कि उस की संताने तथा संतानों के वंशज ही दाय प्राप्त करने से वंचित होते हैं। इस स्थिति को समझने के लिए कुछ उदाहरण दिए जा रहे हैं-

1- अ अपने तीन पुत्रों क, ख, ग को छोड़कर मर जाता है। अ की मृत्यु के पूर्व क ईसाई धर्म ग्रहण कर लेता है। उत्तराधिकार खुलने पर अ हिंदू होने पर भी वह अपने भाइयों के साथ उत्तराधिकार में भाग लेना और एक तिहाई संपत्ति पाएगा।

2- अ, एक पुत्र, ख, तथा तीन प्रपौत्र ब, स, द (पूर्व मृत पुत्र क के पुत्र) को छोड़कर 1964 में मर गया। क, अ की मृत्यु के पूर्व 1965 में मुसलमान हो गया था और उसके तीनों पुत्रों का जन्म उसके मुसलमान होने के पश्चात हुआ था। यहां पर समस्त संपत्ति का हकदार ख होगा। मृतक पुत्र क के पुत्र ब, स, द, सपरिवर्तित पुत्र की संतान होने के कारण उत्तराधिकारी नहीं हो सकते है।

निर्योग्यता का प्रभाव

www.judicialguru.in

हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम की धारा 27 में यह व्यवस्था की गई है कि यदि कोई व्यक्ति दाय प्राप्त करने के अयोग्य है तो संपत्ति अन्य  उत्तराधिकारी को इस प्रकार मिलेगी मानो अयोग्य व्यक्ति उस व्यक्ति के पूर्व परलोक बासी हो गया था। कि जिसकी संपत्ति के उत्तराधिकार का प्रश्न है यह नियम दाय को अयोग्य व्यक्ति तक ही सीमित रखता है। दाय के प्रयोजन के लिए निरहीर्त व्यक्ति ने वसीयत के पूर्व मृत माना जाएगा। ऐसा माने जाने के परिणाम स्वरुप है दाय उसके आगे के दायदों को प्राप्त होगी। धारा 27 उप बंधित करती है- "यदि कोई व्यक्ति किसी संपत्ति को दाय में प्राप्त करने से इस अधिनियम के अधीन निर्योग्य कर दिया गया है तो संपत्ति इस प्रकार न्यायगत होगी, जैसे कि ऐसा व्यक्ति निर्वसीयत के पूर्व मर गया।"
 
उत्तराधिकार अधिनियम की धारा 28 में यह स्पष्ट कर दिया कि कोई भी व्यक्ति चाहे वह रोग से पीड़ित हो केवल इस आधार पर उत्तराधिकार से वंचित नहीं किया जाएगा कि वह रोगी है। जब तक कि इस अधिनियम में व्यक्त रूप से ऐसी व्यवस्था ना हो।
पूर्व हिंदु धारा के अंतर्गत वधिर, गूंगा, पागल, जड़, कुष्ठ रोग से पीड़ित तथा जन्मजात अंधा तथा ऐसा व्यक्ति जो किसी असाध्य रोग से पीड़ित था। दाय प्राप्त नहीं कर सकता था। परंतु इस अधिनियम के अंतर्गत निर्योग्यता दाय प्राप्त करने में बाधक नहीं है।

Comments

ख़बरें सिर्फ़ आपके लिए!

तलाक लेने में कितना खर्च आयेगा और यह खर्च कौन देगा? तलाक लेने से पहले यह कानून जान लें!

पति तलाक लेना चाहता और पत्नी नहीं तो क्या किया जाना चाहिए?

अब चेक बाउंस के मामले में जेल जाना तय है! लेकिन बच भी सकते हैं अगर यह क़ानूनी तरीका अपनाया तो!

तलाक़ के बाद बच्चे पर ज्यादा अधिकार किसका होगा माँ का या पिता का?

जानिए, पॉक्सो एक्ट (POCSO) कब लगता है? लड़कियों को परेशान करने पर कौन सी धारा लगती है?

बालिग लड़की का नाबालिग लड़के से शादी करने पर अपराध क्यों नहीं है? और क्या नाबालिग लड़की अपनी मर्ज़ी से शादी कर सकती है?

जमानत क्या है और किसी व्यक्ति की जमानत कैसे ले सकते हैं?

जानिए दाखिल खारिज़ क्यों ज़रूरी है और नहीं होने पर क्या नुकसान हो सकतें हैं?

लीगल खबरें आपके लिए!