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त्वचा से त्वचा छू के किया गया हो तभी पाक्सो के तहत यौन अपराध है? : सुप्रीम कोर्ट
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स्किन टू स्किन संपर्क नहीं तब भी पाक्सो के तहत अपराधी
यौन उत्पीड़न के मामलों में स्किन टू स्किन (शरीर से शरीर) संपर्क नहीं होने पर भी पाक्सो के तहत अपराध माना जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने मुंबई हाईकोर्ट के उस विवादास्पद फैसले को दरकिनार कर दिया, जिसमें पॉक्सो कानून की धारा 8 के तहत यौन उत्पीड़न के अपराध के लिए त्वचा से त्वचा संपर्क जरूरी बताया गया था।
जस्टिस यूयू ललित, जस्टिस एस रविंद्र भट्ट और जस्टिस बेला त्रिवेदी की पीठ ने बृहस्पतिवार को कहा कि यौन उत्पीड़न के अपराध को स्थापित करने के लिए सबसे जरूरी चीज यौन इच्छा (दुर्भावना) से किया गया स्पर्श है, इसके लिए त्वचा का त्वचा से संपर्क होना जरूरी नहीं है। हाईकोर्ट ने इस मामले में आरोपी लिबनुस को बरी कर दिया था। पीठ ने विवादास्पद फैसले के खिलाफ अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल, महाराष्ट्र सरकार और महिला आयोग तथा अन्य की अपीलों को स्वीकार कर लिया।
जस्टिस बेला त्रिवेदी ने अपने और जस्टिस ललित की ओर से लिखे फैसले में कहा है कि पाक्सो की धारा 7 के तहत स्पर्श और शारीरिक संपर्क के अर्थ को त्वचा से त्वचा संपर्क तक सीमित करना न सिर्फ संकीर्ण व पांडित्यपूर्ण व्याख्या होगी, बल्कि प्रावधान की बेतुकी व्याख्या भी होगी। जस्टिस भट्ट ने इस फैसले से सहमति जताते हुए अलग से अपना फैसला लिखा।
कानून के उद्देश्य को नुकसान पहुंचाने वाली व्याख्या स्वीकार्य नहीं
किसी नियम का निर्माण, नियम को मजबूत करने के लिए होना चाहिए, न कि उसे नष्ट करने के लिए प्रावधान की संकीर्ण व्याख्या, जो कानून के उद्देश्य को नुकसान पहुंचाए, स्वीकार नहीं हो सकती। विधायिका का लक्ष्य तब तक प्रभावी रूप से पूर्ण नहीं होगा, जब तक कि कानून की व्यापक व्याख्यान न की जाए।
अपराध तय करने को यौन इच्छा सबसे अहम घटक
सुप्रीम कोर्ट ने कहा अगर प्रावधान की ऐसी व्याख्या की जाती है कि शरीर को टटोलते समय आरोपी ने दस्ताने या कुछ और पहन रखा था इसलिए उसे दोषी नहीं ठहराया जा सकता तो, यह बेतुका तर्क होगा। पाक्सो के तहत अपराध के लिए यौन इच्छा सबसे महत्वपूर्ण घटक है।
क्या था बॉम्बे हाई कोर्ट विवादित फैसला?
यौन उत्पीडन के एक मामलें में बॉम्बे हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि बिना स्क्रीन टू स्कीन संपर्क के बच्चे को छूना आईपीसी की धारा 354 के तहत छेड़छाड़ है लेकिन पाक्सो की धारा 8 के तहत ये यौन हिंसा का गंभीर अपराध नहीं है। अपराधी ने किसी प्रकार का यौन अपराध नहीं किया है।
पाकिस्तान में आदतन दुष्कर्मी को नपुंसक बनाया जाएगा
पाकिस्तानी संसद में देश में कई दुष्कर्म के दोषी यौन अपराधियों को रासायनिक तरीके से नपुंसक बनाए जाने की मंजूरी का नया कानून पास कर दिया है। यह विधेयक देश में महिलाओं बच्चों के साथ दुष्कर्म की घटनाओं में वृद्धि के बाद ऐसे अपराधों पर अंकुश लगाने की बढ़ती मांगों व सार्वजनिक आक्रोश के बाद लाया गया है। अध्यादेश पर राष्ट्रपति आरिफ अल्वी के मोहर लगाने के लगभग एक साल बाद संसद में यह विधेयक पारित हुआ है। कानून में दोषी की सहमति से उसे नपुंसक बनाने और त्वरित सुनवाई के लिए विशेष अदालतों के गठन का प्रावधान है। डान अखबार के मुताबिक आपराधिक कानून संशोधन विधेयक 2021 विधेयक को संसद के साझा सत्र में 33 अन्य विधेयकों के साथ पारित कर दिया गया है। विधेयक के मुताबिक यह कार्य अदालत द्वारा अधिसूचित चिकित्सा बोर्ड के माध्यम से किया जाएगा।
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