अंतर धार्मिक विवाह करने के लिए किसकी अनुमति ज़रूरी है? क्या कोर्ट मैरिज रजिस्ट्रार विवाह पंजीकरण करने से इनकार कर सकता है? जानिए प्राविधान

पहले यह रकम ₹ 1,50,000 थी। उत्तर प्रदेश सरकार कैबिनेट ने यूपी अधिवक्ता कल्याण अधिनियम में संशोधन को मंजूरी दे दी है।
इस अधिनियम के तहत बीमा न्यायालय न्यायालय
कैबिनेट ने सामाजिक सुरक्षा संहिता नियमावली 2021 को भी हरी झंडी दी है। इसके तहत प्रदेश में कर्मचारी बीमा न्यायालय स्थापित होंगे। बीमा न्यायालय को कर्मचारियों के मामले 6 महीने में निस्तारित करने होंगे। मामला छह माह में नहीं निपटता तो रोजाना सुनवाई करनी होगी। 5 साल की नियमित सेवा पर ग्रेजुएटी मिलेगी, जबकि पत्रकारों के लिए यह सीमा 3 साल ही होगी। असंगठित क्षेत्र के कल्याण बोर्ड की नियमावली बनाई जाएगी। निजी कंपनियों को भी रिक्तियों की जानकारी सेवायोजन विभाग को देनी होगी।
कोविड 19 के संक्रमण की रोकथाम के लिए पूरे देश में लागू किये गये लॉकडाउन से यदि किसी का सर्वाधिक नुकसान हुआ तो वह अधिवक्ता ही हैं। रोज कमाने खाने वाले अधिवक्ताओं को आर्थिक मदद दिलाने के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी। याचिका पर हुई सुनवाई के बाद राज्य सरकार ने ढाई सौ करोड़ रुपए की धनराशि अधिवक्ता कल्याण निधि न्यास को जारी कर दी। साथ ही बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने भी राज्य की बार कौंसिल को तुरंत एक करोड़ की आर्थिक मदद जारी कर दी है।
हाईकोर्ट ने निर्देश दिया कि वह जनपद बार एसोसिएशन के साथ बैठक करके धन के वितरण की रूपरेखा बनाकर 5 मई को अदालत को अवगत कराएं।
हाई कोर्ट प्रयागराज में डॉक्टर पवन कुमार तिवारी ने अधिवक्ता अश्वनी कुमार त्रिपाठी के माध्यम से जनहित याचिका दायर की थी। जिसमें आर्थिक तौर पर कमजोर अधिवक्ताओं की आर्थिक मदद के लिए हाईकोर्ट से गुहार की थी। दायर की गई याचिका के माध्यम से अधिवक्ता डॉ पवन तिवारी ने हाई कोर्ट को अवगत कराया की कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए देश व प्रदेश में lock-down किया गया था। इस कारण अधिकांश अधिवक्ता रोज कमाने खाने वाले थे। ऐसे अधिवक्ताओं के सामने परिवार के भरण-पोषण के लिए संकट उत्पन्न हो गया। ऐसे में आर्थिक तौर पर कमजोर अधिवक्ताओं की आर्थिक मदद करना समय की मांग है।
हाई कोर्ट ने इस जनहित याचिका को गंभीरता से लेते हुए सुनवाई की। हाईकोर्ट में जवाब दाखिल करते हुए प्रदेश सरकार के प्रतिनिधि ने कोर्ट को अवगत कराया कि सरकार ने प्रदेश अधिवक्ता कल्याण निधि न्यास में 250 करोड़ से अधिक रुपए निर्गत कर दिए गए हैं। इसके बाद कोर्ट ने बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश पर न्यास को निर्देश दिए कि वे एक कमेटी बनाकर बैठक करें। जिसमें जनपद बार एसोसिएशन के प्रतिनिधि भी शामिल किए जाएं। बैठक में यह तय किया जाए कि वह इस धन को जरूरतमंद अधिवक्ताओं तक कैसे पहुंचाएं। इसके साथ ही बार काउंसिल ऑफ यूपी ने कोर्ट को अवगत कराया कि अभी उन्हें अधिवक्ताओं की विधवाओं को धन देना है।
इस पर हाईकोर्ट ने सख्त निर्देश दिए कि वह एक माह में अभी तक जितने आवेदन आए हैं उनका भुगतान हर हाल में कर दिया जाए। जरूरतमंद अधिवक्ताओं के लिए जारी हुए धन को किसी अन्य मद में खर्च ना किया जाए। इसके साथ ही राज्य सरकार ने कोर्ट के समक्ष यह भी भरोसा दिलाया कि इसके अलावा यदि कुछ और जरूरत होगी तो राज्य सरकार पूरी मदद करेगी।
कौन होगा पात्र?
प्रदेश के ऐसे सम्मानित अधिवक्ता जिन्होंने 30 साल की प्रैक्टिस पूरी कार ली हो। 30 साल की प्रैक्टिस पूरी करने वाले वकीलों को सरकार अधिवक्ता कल्याण निधि के तौर पर ₹5 लाख देगी।
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