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सत्यमेव जयते!

क्यों काली लड़कियों को शादी करने में दिक्कत होती है? क्यों सांवली लड़कियां शादी के लिए होतीं रिजेक्ट, 10 रूढ़िवादी कारण

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भारत, एक विविधता से भरी भूमि है, जहां अनेक धर्म, भाषाएँ, और सांस्कृतिक विचारधाराएँ साथ में अपनाई जाती हैं। हमारा समाज रंग, जाति, और लैंगिकता के कारण विभाजित हो जाता है, और यह विभेद अक्सर लड़कियों पर अधिक प्रभाव डालता है। रंगभेद, जिसे चेहरे के रंग, जाति, और क्षेत्र के आधार पर किया जाता है, भारतीय लड़कियों के लिए एक अभिशाप बन गया है। रंगभेद का परिचय: भारत में रंगभेद एक घातक समस्या है जो समाज के विभिन्न वर्गों को अलग-अलग रूपों में बाँट देती है। चेहरे के रंग, जाति, और सामाजिक पृष्ठभूमि के आधार पर लोगों को अलग करने का कारण बनता है। यह विभाजन लड़कियों को विशेष रूप से प्रभावित करता है और उन्हें समाज में एक भूमिका में बंधने में मुश्किलें पैदा करता है। रंगभेद और लड़कियां: रंगभेद की सबसे बड़ी पीड़ा लड़कियों को होती है, जो इसे सामाजिक संरचना में स्थान बनाए रखता है। सफेद और काले रंग के बीच का विभेद लड़कियों को विद्या, रोजगार, और समाज में समानता की दिशा में बाधित करता है। इसके परिणामस्वरूप, अनेक लड़कियां अच्छी शिक्षा और सर्जनात्मक क्षमताओं का सही समावेश नहीं कर पाती हैं। रंगभेद के कारण लड़की की शाद

FIR कैसे लिखी जाती है? FIR करने में कितना पैसा लगता है? FIR कब लिखी जाती है?

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आप भारतीय समाज में रहते हैं, तो आपने "एफआईआर" के बारे में जरूर सुना होगा। यह शब्द एक महत्वपूर्ण कानूनी प्रक्रिया की प्रतिष्ठिति को दर्शाता है, जिसे भारतीय दंड संहिता में व्यवस्थित किया गया है। एफआईआर का पूरा नाम होता है "प्राथमिकी रिपोर्ट" या "फर्स्ट इनफार्मेशन रिपोर्ट"। यह एक आपराधिक घटना की पहली सूचना होती है, जिसे पुलिस दफ्तर को प्रस्तुत किया जाता है। फ़ाइल आदेश अंग्रेजी में "First Information Report" (FIR) कहलाता है, लेकिन हिंदी में इसे "प्राथमिकी रिपोर्ट" के रूप में जाना जाता है। जब किसी अपराध का दुष्प्रभाव समाज पर पड़ने की संभावना होती है, तो लोग एफआईआर पंजीकरण द्वारा इसकी जानकारी पुलिस अधिकारियों को देते हैं। यह प्रक्रिया अपराध की जानकारी जमा करने और जांच की प्रारंभिक प्रक्रिया को शुरू करने का आधिकार पुलिस को देती है। एफआईआर पंजीकरण अपराधी की पहचान करने, उसकी गिरफ्तारी करने और उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने की शुरुआत होती है। यह एक महत्वपूर्ण दस्तावेज़ होता है जो समाज को सुरक्षित रखने और अपराध के खिलाफ लड़ाई में मदद करता है। ए

क्या एक विवाहित बेटी अपने पिता की संपत्ति में हिस्से का दावा कर सकती है? सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, पैतृक संपत्ति में बेटियों का होगा इतना अधिकार?

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Ancestral Property-पैतृक संपत्ति में बेटियों को कितना अधिकार मिलेगा यह बहुत ही कंट्रोव्र्शियल प्रश्न रहा है। आज पैतृक संपत्ति से जुड़ा सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला सामने आया। सुप्रीम कोर्ट ने बताया कि पैतृक संपत्ति में बेटियों का क्या और कितना अधिकार होगा। पिता की पैतृक संपत्ति में बेटी को कितना हिस्सा मिलता है? शीर्ष अदालत ने महिलाओं के हक में फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पिता की पैतृक संपत्ति में बेटी को भी बेटे के बराबर हक दिया जाना चाहिए। इसमें किसी प्रकार का संशय नहीं होना चाहिए थोड़ा सा भी नहीं। सम्पति में बेटों के सामान बराबर का हिस्सा बेटी को दिया जाना चाहिए। क्या शादी के बाद बेटी का पिता की संपत्ति पर अधिकार समाप्त हो जाता है? देश की सर्वोच्च अदालत कहा कि बेटी जन्म के साथ ही पिता की संपत्ति में बराबर की हिस्सेदार हो जाती है। सर्वोच्च अदालत की तीन जजों की पीठ ने स्पष्ट करते हुए कहा कि भले ही पिता की मृत्यु हिंदू उत्तराधिकार (संशोधन) कानून, 2005 लागू होने से पहले हो गई हो, फिर भी बेटियों को माता-पिता की संपत्ति पर पूर्ण अधिकार मिलेगा। हिंदू उत्तराधिकार (संशोधन) कानून, 2005

जानिए, अपना केस खुद कैसे लड़ें? मुकदमे में जीत के लिए क्या करें? एक सफल मुकदमा कब बनता है?

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किसी भी सिविल अथवा क्रिमिनल केस में आपका केस काफी लंबा चल रहा है या आपका वकील अच्छे से आप के केस की पैरवी नहीं कर रहा है तो आप किस प्रावधान के तहत अपना मुकदमा स्वयं लड़ सकते हैं? अधिवक्ता आशुतोष कुमार से इसी नियम के बारे में बात करेंगे कि कैसे आप बड़ी आसानी से अपने केस को खुद लड़ सकते हैं और तय समय में उसे जीत भी सकते हैं। अपना केस खुद कैसे लड़ें? अगर आप किसी मुकदमें में वकील नहीं करना चाहते हैं और आपके केस की पैरवी खुद करना चाहते हैं तो क़ानूनी प्रावधान और कुछ अन्य जानकारियां आपको पता होना चाहिए। जैसे आप अपना केस कब और कैसे लड़ सकतें हैं? आपको क़ानून की जानकारी कैसे इक्कठा करनी है? कब आप अपना केस लड़ सकते हैं? अगर आप पर कोई क्रिमिनल या सिविल केस चल रहा है तो आप उस मामले में शिकायतकर्ता हैं तो आप बिना किसी अधिवक्ता को हायर किए केस को स्वयं लड़ सकते हैं। लेकिन इससे पहले अधिवक्ता का अर्थ समझ लें। अधिवक्ता का अर्थ होता है, आधिकारिक वक्ता यानी जिस व्यक्ति को यह अधिकार दिया गया है कि वह आपकी तरफ से आपके केस की पैरवी कोर्ट के समक्ष करे। यदि आप खुद यह काम करने में सक्षम है तो आप खुद ही कोरम से स

जानिए, रेरा (RERA) के नियम क्या है? बिल्डर के लिए शिकायत कैसे करें? क्या रेरा ले आउट पर लागू होता है?

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रेरा (RERA) के नियम क्या है? रियल एस्टेट (रेग्युलेशन एंड डेवेलपमेंट) एक्ट 2016 (Real Estate Regulatory Authority-RERA) एक केन्द्रीय कानून है, जिसे भारतीय संसद ने पास किया था। रेरा (RERA) का मकसद रियल एस्टेट सेक्टर (Real Estate Sector) में ग्राहकों का निवेश बढ़ाना और उनके हितों की रक्षा करना है। 10 मार्च 2016 को राज्यसभा ने रेरा बिल (RERA) को पास किया था। इसके बाद 15 मार्च 2016 को लोकसभा ने इसे पास किया। रेरा रजिस्ट्रेशन क्या होता है? RERA (Real Estate Regulatory Authority) में शिकायत करने से पूर्व रजिस्ट्रेशन किया जाता है। इसके बाद यदि किसी संपत्ति के खरीदार के अधिकारों का उल्लंघन किया जाता है या अधिनियम के किसी भी प्रावधान (Provision) का उल्लंघन किया जाता है तो किसी भी खरीदार द्वारा बिल्डर, डेवलपर या एजेंट आदि के खिलाफ RERA शिकायत दर्ज की जा सकती है। बिल्डर के लिए शिकायत कैसे करें? किसी बिल्डर, प्रॉपर्टी डीलर, एजेंट आदि की शिकायत रेरा (Real Estate Regulatory Authority-RERA) में की जा सकती है। इसके लिए सबसे पहले रेरा की वेबसाइट (RERA) पर रजिस्ट्रेशन कर लॉग-इन करना होगा। इसके बाद आपको

बालिग लड़की का नाबालिग लड़के से शादी करने पर अपराध क्यों नहीं है? और क्या नाबालिग लड़की अपनी मर्ज़ी से शादी कर सकती है?

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बाल विवाह कुप्रथा क्यों है? बाल विवाह से होने वाली हानियां कौन-कौन सी हैं? भारत जैसे देश में लड़कियों के विवाह के लिए लड़कियों की मर्ज़ी और सहमति की परवाह नहीं की जाती है। लगभग 93% लड़कियों का विवाह उनकी मर्ज़ी के बिना ही किये जाते हैं। कई राज्यों में लड़कियों का विवाह बचपन में ही कर दिया जाता है। जल्दी शादी होने से लड़कियों पर बच्चे पैदा करने का दबाव भी दिया जाने लगता है। कम उम्र में माँ बनने पर लड़कियों को कई तरह से शारीरिक कष्ट झेलने पडतें है। इन्हीं कारणों से भारत में बाल विवाह निषेध किया गया है। बाल विवाह में असली दोषी कौन होता है? बाल विवाह करवाने वाले परिजन, पुरुष-महिला, रिश्तेदार, बालिग पति इत्यादि। बाल विवाह निषेध अधिनियम में बालिग अथवा नाबालिग लड़की को दोषी नहीं माना गया है। बालिग लड़का नाबालिग लड़की से शादी करता है तो क्या होगा? यदि बालिग लड़का जिसकी उम्र 18 वर्ष या इससे अधिक हो और नाबालिग लड़की जिसकी उम्र 18 वर्ष से कम हो से शादी करता है तो बाल विवाह अधिनयम के अंतर्गत दंडनीय अपराध है। वास्तव में बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 की धारा 9 में बाल विवाह करने वाले बालिग पुरुष के लिए सजा क

प्रधानमंत्री आवास योजना का मकान अब तक नहीं मिला? तो फिर ये तरीका अपनाएं!

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प्रधानमंत्री आवास योजना को लेकर लोगों के मन में कई सवाल हैं? जैसे-  सरकार आपकी PMAY सबसिडी कब वापस ले सकती है?  प्रधानमंत्री आवास योजना में मिले पैसे से दुकान बना सकतें है?  प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत कितना पैसा मिलेगा?  प्रधानमंत्री आवास योजना कुल कितने घरों का निर्माण किया जायेगा? आदि। आज हम इन्हीं सवालों के विषय में बात करेंगे और बतायेंगे आप अपना नाम लिस्ट में कैसे चेक करें। प्रधानमंत्री आवास योजना क्या है? प्रधानमंत्री आवास योजना के एक आवास देने की योजना है जिसके अन्तर्गत केन्द्र सरकार देश के आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (गरीबों), निम्न आय वर्ग तथा मध्यम आय वर्ग के व्यक्तियों को जिनके पास खुद का घर नही है उनको स्वयं के बना-बनाया घर उपलब्ध करवाती है। प्रधानमंत्री आवास योजना में घर कब तक मिलेगा? प्रधानमंत्री आवास योजना (Pradhan Mantri Awas Yojana) की शुरुआत मोदी सरकार द्वारा दिनांक 22 जून 2015 को की गई थी। प्रधानमंत्री आवास योजना का लक्ष्य वर्ष 2022 तक प्रत्येक गरीब एवं पात्र परिवार को स्वंय का घर उपलब्ध कराना है। इस योजना को PMAY Yojana कहा जाता है। इसके अन्तर्गत सरकार द्वारा शह

बीते माह राशन कार्ड सरेंडर करने वालों से होगी राशन के बराबर धन की वसूली?

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वर्तमान में राशनकार्ड समर्पण/निरस्तीकरण के सम्बन्ध में मीडिया पर विभिन्न प्रकार की भ्रामक व तथ्यों से परे प्रसारित की जा रही खबरों की सचाई क्या है? क्यों किये जा रहे है राशन कार्ड निरस्त? वर्तमान में राशनकार्ड सत्यापन/निरस्तीकरण हेतु की जा रही कार्यवाही के सम्बन्ध में इलेक्ट्रॉनिक एवं प्रिन्ट मीडिया द्वारा तथ्यों से परे एवम् भ्रामक खबरे प्रकाशित/प्रसारित की जा रही हैं, जो कि आधारहीन एवम् सत्य से परे हैं। प्रकरण में सचाई तो यह है कि पात्र गृहस्थी राशनकार्डों की पात्रता/अपात्रता के सम्बन्ध में शासनादेश दिनांक 07 अक्टूबर, 2014 में विस्तृत मानक निर्धारित किए गए हैं। उक्त मानकों का पुनर्निर्धारण वर्तमान में नहीं किया गया है तथा पात्रता/अपात्रता की कोई नवीन शर्त नहीं निर्धारित की गयी है। क्या राशन कार्ड एक्ट में वसूली का प्रावधान है? राशन कार्ड एक्ट के अनुसार सरकारी योजनान्तर्गत आवंटित पक्का मकान, विद्युत कनेक्शन, एक मात्र शस्त्र लाइसेंस धारक, मोटर साइकिल स्वामी, मुर्गी पालन/गौ पालन होने के आधार पर किसी भी कार्डधारक को अपात्र घोषित नहीं किया जा सकता है। इसी प्रकार राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधि

पति-पत्नी के बीच शारीरिक संबंध न होना बन सकता है तलाक की वजह: हाईकोर्ट

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बिलासपुर हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। हाईकोर्ट ने एक युवक की तलाक याचिका स्वीकार करते हुए कहा कि पति-पत्नी के बीच शारीरिक संबंध होना एक स्वस्थ्य वैवाहिक जीवन का अहम हिस्सा है। शारीरिक संबंध नहीं बनाने वाले पति-पत्नियों के व्यवहार को क्रूरता के बराबर कोर्ट ने कहा कि पति-पत्नी में शारीरिक संबंध होना एक स्वस्थ वैवाहिक जीवन का अहम हिस्सा है। इसे नज़रंदाज़ नहीं किया जा सकता। विवाह के बाद पति या पत्नी में किसी के भी द्वारा शारीरिक संबंध से इनकार करना क्रूरता की श्रेणी में आता है। 'पति सुंदर नहीं है, कहकर, मायके चली गई थी पत्नी' हाईकोर्ट ने कहा-पति-पत्नी के मध्य शारीरिक संबंध बनाने से इनकार करना क्रूरता के बराबर जस्टिस पी सैम कोशी और जस्टिस पीपी साहू की बेंच ने कहा कि मामले के अनुसार अगस्त 2010 से पति-पत्नी के रूप में दोनों के बीच कोई संबंध नहीं है, जो निष्कर्ष निकलाने के लिए पर्याप्त है की उनके बीच कोई शारीरिक संबंध नहीं हैं। यदि एक पति या पत्नी दोनों में से कोई भी शारीरिक संबंध बनाने से इनकार करता है तो यह क्रूरता के बराबर है। यह तलाक लेने के लिए पर्याप्त कारण हो सकता है

BS4 वाहनों को एक बार फिर रजिस्ट्रेशन का मौका मिला, सुप्रीम कोर्ट ने दी राहत, और अब व्हाट्सएप से कीजिये ओला-उबर की बुकिंग

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बीएस 4 वाहनों के रजिस्ट्रेशन को मंजूरी सुप्रीम कोर्ट ने बीएस 4 वाहनों के रजिस्ट्रेशन की इजाजत दे दी है। लेकिन ये अनुमति केवल उन BS4 वाहनों को दी गई है जो ई-वाहन पोर्टल पर अपलोड हो चुकी है और 31 मार्च 2020 के 8 तारीख से पहले स्थाई या अस्थाई रजिस्ट्रेशन हो चुका है, उन गाड़ियों को ही यह मंजूरी दी गई है। सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी से कहा है कि वह रिकॉर्ड को सही तरह से स्क्रुटनी करें, जिससे यह सुनिश्चित हो सके की बिक्री 31 मार्च 2020 पहले से हुआ हो और कट ऑफ डेट से पहले वाहन की बिक्री का रजिस्ट्रेशन या टेंपरेरी रजिस्ट्रेशन हुआ हो। अब व्हाट्सएप से भी बुक हो ऊबर अब राजधानी के लोग व्हाट्सएप के जरिए भी ऊबर की गाड़ी बुक कर सकेंगे। उबर और व्हाट्सएप में गुरुवार को यह साझेदारी का ऐलान किया। उबर के आधिकारिक चैट बॉट के जरिए यह सुविधा मिलेगी। ऊबर एशिया पेसिफिक की सीनियर डायरेक्टर बिजनेस डेवलपमेंट नंदनी माहेश्वरी ने कहा कि कंपनी लोगों के लिए उबर यात्रा बेहद आसान बनाना चाहती है इसी के तहत व्हाट्सएप से साझेदारी की गई है। पायलट प्रोजेक्ट के तहत इसकी शुरुआत लखनऊ से की जा रही है। इस सुविधा के तहत

देसी पीओ या अंग्रेजीं अब दाम में इतने का होगा इज़ाफा!

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देशी ठेकों सहित दुकानों के लाइसेंस होंगे रिन्यू राज्य सरकार 2022-23 की नई आबकारी नीति में शराब और बीयर की फुटकर दुकानों को राहत देने जा रही है। आबकारी विभाग ने अगले साल के लिए नई नीति का जो प्लान (क़ानून) तैयार किया है, उसमें अंग्रेजी और देसी शराब के साथ बीयर की दुकानों के लाइसेंस फिर से रिनुअल करने का प्रस्ताव है। कारोबारियों को मिलेगी थोड़ी राहत विभाग नें कारोबारियों का कुछ लाभांश बढ़ाएं जाने पर विचार किया गया है। देसी और अंग्रेजी शराब का कोटा बढ़ाने के साथ ही सरकार ने लाइसेंस रिन्यूअल फीस में वृद्धि कर आबकारी राजस्व बढ़ाने का भी रास्ता निकाला है। जल्दी मसौदे को अंतिम रूप देकर उसे मंजूरी के लिए कैबिनेट में पेश किया जाएगा। बढ़ सकते हैं मार्जिन मनी   पिछले 2 सालों में प्रदेश का आबकारी राजस्व भले ही बढ़ा हो, लेकिन यह 2 साल शराब के कारोबारियों पर भारी पड़े हैं। घाटे से उबरने के लिए शराब कारोबारी लगातार मार्जिन मनी बढ़ाए जाने की मांग करते आ रहे हैं। यूपी लिकर सेलर वेलफेयर एसोसिएशन के कोषाध्यक्ष जायसवाल के मुताबिक अभी यूपी में फुटकर दुकानदारों के लिए देसी शराब पर 15 से 16 फ़ीसदी अंग्रेजी शराब

ट्रिपल तलाक़ अभी ख़तम नहीं हुआ, असली मुसीबत तो अब शुरू हुई!

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हर महीने तीन तलाक के 116 मामले दर्ज हो रहे हैं उत्तर प्रदेश में हर महीने तीन तलाक के करीब 116 मामले दर्ज हो रहे हैं। ज्ञात हो कि 19 सितंबर 2018 को मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण अध्यादेश आने के बाद यूपी में इसके तहत सबसे पहला मुकदमा बिजनौर के कोतवाली देहात में दर्ज हुआ था। डीजीपी मुख्यालय के आंकड़ों के अनुसार 38 महीनों में यूपी में 4433 मुकदमे दर्ज हो चुके हैं। सबसे अधिक मामले मेरठ और बरेली के 78% मामले मेरठ और बरेली जोन में है चौकाने वाली बात यह है कि इन मुकदमों के करीब 78% मामले अकेले वेस्ट यूपी के मेरठ और बरेली जोन में दर्ज करवाए गए हैं। 19 सितंबर 2018 को मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण अध्यादेश लागू होने के बाद दूसरा अध्यादेश 21 फरवरी 2019 को आया। 31 अगस्त 2019 को यह अधिनियम पारित हुआ। ट्रिपल तलाक को लेकर यूपी में सबसे ज्यादा 1566 मुकदमे मेरठ जोन में दर्ज हुए हैं। इसके बाद दूसरे नंबर पर बरेली जोन में 1356 मामले दर्ज हुए। जोन वार दर्ज मामलों की संख्या- लखनऊ जोन में 339, आगरा जोन में 407, कानपुर जोन में 84, प्रयागराज में 132, गोरखपुर में 210 और वाराणसी में 132 मामले दर्ज करवाए

अब 60% नंबर लाने पर ही मिलेगी स्कॉलरशिप आवेदन करने से पहले जान लें नया आदेश!

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अब 60% से कम अंक वालों को छात्रवृत्ति व शुल्क प्रतिपूर्ति नहीं  छात्रवृत्ति और शुल्क प्रतिपूर्ति योजना का लाभ पाने के लिए अब सामान्य वर्ग के विद्यार्थियों को कम से कम 60% अंक लाने होंगे। तमाम स्थितियों को देखते हुए समाज कल्याण विभाग छात्रवृत्ति और शुल्क प्रतिपूर्ति योजना की नियमावली में बदलाव करने जा रहा है। निदेशालय ने अहर्ता का प्रतिशत बढ़ाने समेत अन्य सिफारिशों संबंधी प्रस्ताव शासन को भेज दिया है। जहां से अंतिम फैसला लिया जाएगा। सामान्य वर्ग के विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति और शुल्क प्रतिपूर्ति के लिए कम मिले बजट की वजह से पात्रता कम से कम हो इसलिए यह प्रतिशत बढ़ाया जा रहा है। बीते साल सामान्य वर्ग के विद्यार्थियों के लिए करीब 850 करोड़ रुपए इस पर भी विभाग सामान्य वर्ग के विद्यार्थियों को पात्रता के बावजूद स्कॉलरशिप नहीं दे पाया था। इस बार यह बजट घटकर केवल ₹500 ही रह गया है। ऐसे में जाहिर है कि बीते साल से भी कम संख्या में विद्यार्थियों को स्कॉलरशिप और शुल्क प्रतिपूर्ति दी जा सकेगी। ऐसे में बदलाव लाजमि माना जा रहा है। इससे होगा यह की स्कॉलरशिप और शुल्क प्रतिपूर्ति के लिए अहर्ता का प्

क्या संपत्ति का पावर ऑफ अटॉर्नी सम्पति को मालिक की बिना जानकारी के बेच सकता है?

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संपत्ति के लिए अटॉर्नी की शक्ति क्या है? संपत्ति का पावर ऑफ अटॉर्नी (पीओए) एक कानूनी दस्तावेज है जो वकील या एजेंट या किसी अन्य को कानूनी अधिकार देता है या यूँ कहें कि किसी और व्यक्ति को क़ानूनी अधिकार देने तरीका है जो मुख्य संपत्ति के लिए सौदा करने अवसर साझा करता है जब सम्पत्ति का मालिक स्वयं ऐसा नहीं कर सकता है। संपत्ति कानून अन्य कानूनों के सामान्य समूह में आता है और सामूहिक संपत्ति और व्यक्तिगत संपत्ति के लिए जिम्मेदारी के सभी भागों से संबंधित है। यह आवासीय और वाणिज्यिक संपत्ति से जुड़े लेनदेन से भी संबंधित हो सकता है। संपत्ति का मुख्तारनामा ( अटॉर्नी की शक्ति)  कैसे काम करता है? संपत्ति के अटॉर्नी की शक्ति, एक नियम के रूप में, प्रमुख के पास सभी संसाधन शामिल हैं, उदाहरण के लिए, अचल संपत्ति, वित्तीय खाते और स्टॉक सभी प्रकार की सम्पत्ति। शर्तें जिसमें क्या बनाया जा सकता है और क्या नहीं, का चुनने का अधिकार मालिक के पास होता है जो अनुबंध के समय पर किया जाता है। किसके लिए है लाभदयक? अचल संपत्ति में, संपत्ति के POA का उपयोग उन लोगों द्वारा किया जा सकता है जो घर,ज़मीन या अन्य किसी प्रकार की

वन नेशन वन अकाउंट की शुरुआत, अब देश भर में होगा एक बैंक अकाउंट!

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वन नेशन वन राशन के बाद अब वन अकाउंट की डिमांड देश भर में एक जैसी सेवा प्रदान करने के लिए राजधानी समेत आसपास के जिलों में वन नेशन वन राशन की व्यवस्था के बाद अब वन अकाउंट की बात होना शुरू हो गई है। अनाज बेचने के बाद किसान अपने मनमाफिक अकाउंट में रकम ट्रांसफर करवाना चाहते हैं। इसके लिए किसानों ने धान खरीद से जुड़े अधिकारियों को अपनी समस्याएं बताई और एक अकाउंट रजिस्टर करने की मांग भी उठाई है। राशन क्रय केंद्रों पर धान बिकने के बाद उसकी रकम सीधे किसान के खाते में ट्रांसफर हो रही है। रकम उन्हीं खातों में ट्रांसफर हो रहा है जो हाल ही में आधार कार्ड से लिंक हुआ है। अगर पुराने अकाउंट है पहले से आधार नंबर से लिंक है तो उन्हें ट्रांसफर नहीं हो रही है। लिहाजा किसान जिस अकाउंट में ट्रांसफर करवाना चाह रहें, उनमें ट्रांसफर नहीं हो पा रही है। बाराबंकी के राजकिशोर ने उच्च अधिकारियों को बताया कि हिमाचल में नौकरी करते थे। सेवानिवृत्त होने के बाद वापस आकर खेती कर रहे हैं। इस बार  उन्होंने क्रय केंद्र पर धान बेचा तो उसकी रकम उनके हिमाचल स्थित बैंक अकाउंट में ट्रांसफर हो गई। इसकी वजह से उन्हें पैसे निकालने

प्राइवेट नौकरी में पूरा वेतन देना 'कानून' से नहीं 'मालिक मर्ज़ी' से तय होता है?

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सरकार की बंधक नहीं है कोर्ट सुप्रीम कोर्ट ने प्रवासी मजदूरों के मसले पर सुनवाई करते हुए कहा है कि अदालत (कोर्ट संस्था) सरकार का बंधक नहीं है। कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा है कि क्या प्रवासी मजदूरों को घर भेजने का कोई प्रस्ताव लाइन में है। कोर्ट ने सरकार को 1 हफ्ते का समय दिया है इस वक्त में सरकार को कोर्ट में जवाब दाखिल करना होगा। एक याचिकाकर्ता द्वारा कोर्ट में गुहार लगाई गई है कि अगर प्रवासी मजदूरों का कोरोना टेस्ट नेगेटिव आता है तो उनके घर भेजने का इंतजाम किया जाए। यह व्यवस्था सरकार की ओर से होना चाहिए ताकि प्रवासी मजदूरों को किसी प्रकार की असुविधा ना हो याचिकाकर्ता के वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि सरकार का जो विचार है उस पर आंख मूंद कर भरोसा नहीं किया जाना चाहिए। इससे मजदूरों का मौलिक अधिकार प्रभावित हो रहा है। इस पर जस्टिस कौल ने कहा, अगर आपको हमारे ऊपर भी भरोसा नहीं है तो फिर हम आपकी बात पर क्यों सुनवाई करें। आप कहते हैं कि आप 30 साल से ज्यादा समय से सुप्रीम कोर्ट से जुड़े हैं तो क्या आपको यह लगता है कि कोर्ट सरकार के यहां बंधक है। इस पर प्रशांत भूषण ने कहा कि हमें कोर्ट पर पूरा भ

अब ऑनलाइन कर सकेंगे रेलवे वैगेन की बुकिंग और छूट का भी फायदा मिलेगा!

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रेल क़ानून अब ऑनलाइन बुक होगा माल और साथ ही कई चार्ज माफ किए गए रेल मंत्रालय ने माल ढुलाई को प्रोत्साहन देने के लिए कई रियायतें देने की घोषणा की है। इससे निर्यात में मदद के साथ अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। वहीं रेलवे ने व्यापारियों को मालगोदाम या पार्सल घर जाने की जगह ऑनलाइन बुकिंग की सुविधा दे दी है व माल भाड़ा ऑनलाइन जमा करने के बाद डिलीवरी लेने के लिए रेलवे रसीद की अनिवार्यता अभी फिलहाल खत्म हो गई है। अभी क्या नियम है? रेलवे में माल गाड़ियों से भेजे जाने वाले माल को उतारने में देरी होने पर और वैगनो के खड़े रहने पर व्यापारियों से कई तरह का जुर्माना लेने का नियम है। हालांकि लॉकडाउन की वजह से मई तक व्यापारियों को इनमें से कोई चार्ज नहीं देना पड़ेगा। माल भाड़ा, लौह अयस्क, इस्पात, नमक के वैगन बुक करवाने के लिए इलेक्ट्रॉनिक आरआर को मान्यता दे दी गई है। जिसमें अभी तक उसकी मैनुअल कॉपी जरूरी थी। इससे माल भेजने की व्यवस्था सरल, तेज और पारदर्शी हो गई है। कंटेनर यातायात की मियाद बढ़ी रेलवे ने कंटेनर यातायात प्रोत्साहित करने के लिए नीतिगत उपाय लागू करने का निर्णय लिया है। गैर पारंपरि

श्रमिकों को दो किस्तों में ₹2000 भरण-पोषण भत्ता देगी सरकार!

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योगी आदित्यनाथ सरकार असंगठित क्षेत्र के पंजीकृत मजदूरों को 1000-1000 रुपए के दो किस्तों में भरण-पोषण भत्ता देगी। श्रम विभाग ने इस बारे में शासनादेश जारी कर दिया है। भत्ते की यह राशि असंगठित क्षेत्र के उन सभी मजदूरों को मिलेगी जो 31 दिसंबर तक उत्तर प्रदेश असंगठित कर्मकार सामाजिक सुरक्षा बोर्ड में पंजीकृत होंगे। दो माह के लिए मजदूरों को भत्ते की पहली किस्त के तौर पर ₹1000 जनवरी में देने की तैयारी की जा रही है। यह राशि उत्तर प्रदेश असंगठित कर्मकार व सामाजिक सुरक्षा बोर्ड के माध्यम से दी जाएगी। योगी सरकार ने विधानमंडल के शीतकालीन सत्र के दौरान पेश किए गए चालू वित्तीय वर्ष के दूसरे अनुपूरक बजट में असंगठित क्षेत्र के मजदूरों को ₹2000 भरण-पोषण भत्ता देने के लिए 4000 करोड़ रुपए की व्यवस्था की गई है। उत्तर प्रदेश असंगठित कर्मकार सामाजिक सुरक्षा बोर्ड में अब तक लगभग ढाई करोड़ मजदूर पंजीकृत हो चुके हैं। मजदूरों के बैंक खातों में यह रकम सीधे भेजी जाएगी। शासनादेश के जरिए बोर्ड के सचिव को लाभान्वित होने वाले मजदूरों को आधार से लिंक करने का निर्देश दिया गया है। जिन असंगठित कामगारों को बोर्ड की ओर किसा

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