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सत्यमेव जयते!

यह व्यवस्था लागु हुई तो फर्जी वोट नहीं डाले जा सकेंगे!

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चुनाव सुधार संबंधी विधेयक को लोकसभा से मिली मंजूरी  विपक्षी सदस्यों के भारी विरोध के बीच लोकसभा में निर्वाचन विधि (संशोधन) विधेयक 2021 को मंजूरी प्रदान कर दी। इसमें मतदाता सूची में दोहराव और फर्जी मतदान रोकने के लिए मतदान पहचान प्रणाली कार्ड और सूची को आधार कार्ड से जोड़ने का प्रस्ताव किया गया है। इस विधेयक के माध्यम से जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 और जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 में संशोधन किए जाने की बात कही गई है। निचले सदन में कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, एआईएमआईएम, आरएसपी, बसपा जैसे दलों ने इस विधेयक को पेश किए जाने का विरोध किया। इस विधेयक के संसोधन की ज़रुरत क्यों पड़ी? आम चुनावों में एक व्यक्ति दो या दो से अधिक जगह वोट डाल देता था जिससे चुनाव के निष्पक्ष होने की सम्भावना लगभग ख़तम सी हो जाती है इसी समस्या से निजात के लिए निर्वाचन विधि (संशोधन) विधेयक 2021 सामान्य सुधार के साथ पेश किया गया है विपक्षी दलों का विरोध कांग्रेस ने विधेयक को विचार के लिए संसद की स्थाई समिति को भेजने की मांग की। विपक्षी दलों ने इसे उच्चतम न्यायालय के फैसले के खिलाफ तथा संविधान प्रदत्त मौलिक अधिकारों एवं निज

Facebook, Twitter, Whatsapp जैसे प्लैटफॉर्मों की मनमानी रोकने को बने क़ानून!!

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आज दुनिया भर में सोशल मीडिया का बोलबाला है। दुनिया में सोशल मीडिया का जन्म 20वीं सदी के अंत में हुआ और देखते-देखते 21वीं सदी की शुरुआत में बिना किसी अभिभावक (पैरेंटल कण्ट्रोल) वाला एक बड़ा जनसंचार माध्यम बन गया। जिसपर सरकार, न्यायपालिका जैसी किसी संस्था का कोई नियंत्रण नहीं। अखबार, पत्रिका आदि जैसे पारंपरिक प्रिंट मीडिया प्लैटफॉर्म की में एक ‘संपादक’ होता है जो तय करता है कि क्या चीज प्रकाशित की जाए और क्या नहीं लेकिन सोशल मीडिया में कोई ‘संपादक’ नहीं होता, इसलिए जिसका जो मन आता है पोस्ट कर देता है। वहीँ 'संपादक' परंपरागत रूप से न सिर्फ निगरानी रखते हैं, बल्कि अपने प्लैटफॉर्म पर किसी शख्स द्वारा लिखी बातों के लिए कानूनी तौर पर जिम्मेदार भी होते हैं। अब बिना संपादक के सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म पर प्रकाशित बातों के लिए ऐसे प्लैटफॉर्मों की कोई कानूनी जिम्मेदारी नहीं होने की अवधारणा को मजबूत करने के लिए कुछ कानूनी बदलाव किए गए। उदाहरण के लिए यूएस कम्युनिकेशंस डिसेंसी एक्ट (US Communications Decency Act 1996) 1996 की धारा 230 यूजर्स द्वारा अपलोड किए गए कंटेंट की कानूनी जिम्मेदारी से स

सूर्यास्त सूर्यास्त के बाद बिना अनुमति भी किए जा सकते हैं पोस्टमार्टम!

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केंद्र सरकार ने पर्याप्त सुविधाओं वाले अस्पतालों को सूर्यास्त के बाद भी पोस्टमार्टम करने की इजाजत दे दी है। वह सिर्फ उन मामलों में ही ऐसा नहीं हो सकेगा जहां पर हत्या, आत्महत्या, रेप, क्षत-विक्षत शव या संदिग्ध मौत का मामला हो। बल्कि सभी प्रकार के पोस्टमार्टम पर लागु होगा केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने बदला नियम इस बारे में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडवीया ने हिंदी में ट्वीट करके लिखा अंग्रेजों के जमाने का एक नियम आज खत्म कर दिया गया। पोस्टमार्टम अब 24 घंटे किया जा सकेगा। जिन भी अस्पतालों में रात्रि के समय पोस्टमार्टम करने की सुविधा हो वह ऐसा कर सकेंगे। काम का बोझ कम होगा केंद्र सरकार कोई कई स्रोतों से ऐसा फीडबैक मिल रहा था कि अगर पोस्टमार्टम से जुड़ी यह बंदिश हटा दी जाए तो काम का बोझ कम होगा और पोस्टमार्टम जैसी जांच के काम में तेजी आएगी। इस नियम से जहां मृतक के दोस्तों व रिश्तेदारों का शव के लिए इंतजार कम होगा, वही इसका एक मकसद ऑर्गन डोनेशन और ट्रांसप्लांट के काम को आसान बनाना भी है। क्योंकि इससे दोनों ही काम में कम समय में अंग को मृतक के शरीर से निकालना जरूरी होता है। ऐसे में तेज

जाति जनगणना का डाटा सार्वजनिक नहीं किया जा सकता: सुप्रीम कोर्ट

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सुप्रीम कोर्ट ने जाति जनगणना का डाटा जारी करने की अर्जी ठुकराई सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार की जनगणना का डाटा मुहैया कराने वाली अर्जी को खारिज कर दिया है। महाराष्ट्र सरकार ने कहा था कि 2011 की जनगणना में जो सामाजिक, आर्थिक और जाति जनगणना एसईसीसी का डाटा है वह मुहैया कराया जाए ताकि नगर निगम चुनाव में ओबीसी को आरक्षण दिया जा सके। जस्टिस ए.एम. खानविलकर और जस्टिस सी.टी. रवि कुमार की पीठ ने कहा कि केंद्र सरकार के हलफनामे में कहा गया है कि एसईसीसी 2011 का डाटा सटीक नहीं है और अनुपयोगी है। केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ से कहा कि डाटा बिल्कुल विश्वसनीय नहीं है, क्योंकि इसमें कई खामियां पाई गई हैं। केंद्र सरकार ने कहा था कि एसईसीसी का जो डाटा है और जो जनगणना की गई थी। वह पिछड़े वर्गों की गणना के लिए नहीं थी। ऐसे में कास्ट का डाटा सटीक नहीं है और उसमें खामियां हैं। महाराष्ट्र की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता शेखर नफड़े ने पीठ से कहा कि केंद्र सुप्रीम कोर्ट के सामने यह दावा नहीं कर सकता कि डाटा गलतियों से भरा है क्योंकि सरकार ने एक संसदीय समिति को बताया था कि यह 98.87 % त्रुटि रहि

क्या सूचना अधिकार अधिनियम 2005 के दायरे में रहकर बीस वर्ष के बाद प्रतिबंधित सूचनाओं को प्राप्त किया जा सकता है?

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जानिए किन परिस्थितियों में सूचना अधिकार अधिनियम 2005 बीस वर्ष के बाद प्रतिबंधित सूचनाओं को प्रदान करने की आज्ञा देता है? know, Under what circumstances after the expiry of 20 years Right to Information Act, 2005 allows to give restricted information's? धारा 8 की उपधारा 3 का कहना है कि धारा 8 की उपधारा (1) के खंड (क), (ग) और (झ) के उपबंध के अधीन रहते हुए किसी ऐसी घटना, वर्णन या विषय से संबंधित कोई सूचना जो उस तारीख से जिसका धारा 6 के अधीन कोई अनुरोध किया जाता है, 20 वर्ष पूर्व घटित हुई थी या हुआ था, उस धारा के अधीन अनुरोध करने वाले किसी व्यक्ति को उपलब्ध कराई जाएगी। परंतु यह कि जहां उस तारीख के बारे में, जिससे 20 वर्ष की उक्त अवधि को गिना जाता है, कोई प्रश्न पैदा होता है, वहां इस अधिनियम में उसके लिए उपबंधित सामान्य अपीलों के अधीन रहते हुए केंद्र सरकार का निर्णय अंतिम होगा। 20 वर्ष से अधिक पुरानी सूचना (More Than 20 years Old Information) धारा 8 की उपधारा (3) में वर्णित प्रावधान धारा 8 की उपधारा (2) में दी गई व्यवस्था को पुनः परिभाषित करते हैं। जहां उपधारा (2) इस अधिनियम में दी ग

अंतरधार्मिक या अंतरजातिय विवाह करने के लिए परिवार, समाज या सरकार में से किसी की अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं है : इलाहाबाद हाईकोर्ट

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सामाजिक आर्थिक व सामाजिक बदलाव के दौर से गुजर रहा  इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि किसी को धर्म परिवर्तन के लिए सरकारी अनुमति लेने को बाध्य नहीं किया जा सकता है। अंतर धार्मिक विवाह करने वाले 17 जोड़ों मायरा और वैष्णवी, विलास सिरसीकर, जीनत अमान और स्नेहा सोटी आदि की याचिकाओं को स्वीकार करते हुए न्यायमूर्ति सुनील कुमार ने यह टिप्पणी की। कोर्ट ने कहा कि हमारा समाज आर्थिक और सामाजिक बदलाव के दौर से गुजर रहा है। कानून की सख्त व्याख्या संविधान की भावना को निरर्थक करेगी।  अनुच्छेद 21  में जीवन व निजता की स्वतंत्रता की गारंटी दी गई है। नागरिकों को यह अधिकार है कि वह अपनी और परिवार की निजता की सुरक्षा करें। ऐसे में  अंतर धार्मिक विवाह करने के लिए परिवार समाज या सरकार किसी की अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं है।  दो बालिग व्यक्तियों का जोड़ा यदि विवाह के लिए सहमत है तो ऐसी शादी को वैध माना जाएगा और पंजीकरण अधिकारी उनके विवाह का पंजीकरण करने से इनकार नहीं कर सकते हैं। न ही धर्म परिवर्तन के लिए किसी को सरकारी अनुमति लेने को बाध्य किया जा सकता है। प्रत्येक व्यक्ति को अपना जीवनसाथी चुनने का अधिकार है। यह

संविधान संशोधन बिल का कौन दल करेगा समर्थन?

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संविधान संशोधन बिल को मायावती का समर्थन लोकसभा में अन्य पिछड़ा वर्ग से संबंधित संविधान 127 वां संशोधन विधेयक 2021 का बसपा प्रमुख मायावती ने समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि संसद में पेश संविधान संशोधन बिल का बसपा समर्थन करती है, लेकिन केंद्र केवल खानापूर्ति न करें बल्कि सरकारी नौकरियों में ओबीसी के खाली पदों को भरने का ठोस काम भी करें। मायावती ने ट्वीट किया ओबीसी वर्ग बहुजन समाज का का अभिन्न अंग है, जिसके हित व कल्याण के लिए बाबा साहेब ने संविधान में धारा 340 की व्यवस्था की व उस पर सही से अमल नहीं होने पर देश के प्रथम कानून मंत्री पद से इस्तीफा भी दे दिया था। इसी सोच के तहत राज्य सरकारों द्वारा ओबीसी की पहचान करने व इनकी सूची बनाने संबंधी पर संविधान संशोधन बिल का बसपा समर्थन करती है। राज्यों को मिलेगा ओबीसी सूची तैयार करने का अधिकार ओबीसी से संबंधित संविधान 127 वां संशोधन विधेयक 2021 के लोकसभा से पास होने पर केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि सामाजिक न्याय से जुड़े मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक और ऐतिहासिक फैसला किया है। संविधान के 127 वां संशो

हिंदू मैरिज एक्ट 1955 के अधीन विवाह कब शून्य (Void marriage) होता है, ऐसा होने पर पति पत्नी का एक दूसरे पर कोई अधिकार नहीं रहता!

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हिन्दू विधि भाग  6 :  जानिए हिंदू मैरिज एक्ट के अधीन विवाह कब शून्य ( Void marriage)  होता है हिंदू विवाह अधिनियम  1955  के अंतर्गत विवाह को संस्कार तथा संविदा दोनों का मिश्रित रूप दिया गया है। प्राचीन शास्त्रीय विधि के अधीन हिंदू विवाह संस्कार है और उसमे तलाक जैसी कोई व्यवस्था नहीं थी। इस हेतु कुछ प्रावधान आधुनिक हिंदू विवाह अधिनियम  1955  में भी सम्मिलित किए गए हैं, यदि हिंदू विवाह को एक संविदा के स्वरूप में देखा जाए तो एक संविदा के भांति ही इस विवाह में शून्य विवाह (Void marriage) और शून्यकरणीय विवाह (Void marriage) का समावेश किया गया है। हिंदू विवाह अधिनियम   1955 की धारा 11 शून्य विवाह से संबंधित है। धारा 11  उन विवाहों का उल्लेख कर रही है जो विवाह इस अधिनियम के अंतर्गत शून्य होते हैं, अर्थात वह विवाह प्रारंभ से ही कोई वजूद नहीं रखते हैं तथा उस विवाह के अधीन विवाह के पक्षकार पति पत्नी नहीं होते। शून्य विवाह वह विवाह है जिसे मौजूद ही नहीं माना जाता है। शून्य विवाह का अर्थ है कि वह विवाह जिसका कोई अस्तित्व ही न हो अर्थात अस्तित्वहीन विवाह है। किसी भी वैध विवाह के संपन्न होने के बाद

शादी के बाद शादी का प्रमाण पत्र कैसे बनेगा? यहाँ पूरी जानकारी दी गई है!

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विवाह के बाद विवाह रजिस्ट्रेशन करवाना आपकी भविष्य सुरक्षा के लिहाज़ से भी जरूरी हो चुका है। लेकिन विवाह के बाद रजिस्ट्रेशन के लिए कैसे आवेदन करें और क्या-क्या जरूरी प्रपत्र जरूरी होंगे इसकी जानकारी होना आवश्यक है। आज हम यहाँ आपको फॉर्म भरने से लेकर रजिस्ट्रेशन करवाने तक का पूरा प्रोसेस्स बता रहें है जिससे आप का काम आसान हो जायेगा। विवाह रजिस्ट्रेशन के लिए आधार की भूमिका सबसे अहम् है। आपको आधार कार्ड नंबर के साथ यह सहमति देनी होगी की "आधार अधिनियम 2016 के अनुसार हम (पति एवं पत्नी) अपनी आधार संख्या एवं आधार विवरण यू०आई०डी०ए०आई० प्रमाणीकरण द्वारा विवाह पंजीकरण मे उपयोग करने हेतु अपनी सहमति देते हैं।" "I give my consent to use my Aadhaar number and Aadhaar information by UIDAI Authentication for the purpose of marriage registration as per Aadhaar Act 2016." क्या विवाह के दोनों पक्षकार(पति एवं पत्नी) के आधार के साथ उनके मोबाइल संबद्ध/जुड़े हैं। यदि हाँ तो आप इसका आवेदन ऑनलाइन भी कर सकते हैं यदि नहीं तो आपको संबधित कार्यालय में संपर्क करना होगा। नोट:- विवाह पंजीकरण हेतु “ह

सेवानिवृत्ति के समय मौजूद नियमों पर ही पेंशन निर्धारित की जानी चाहिए : सुप्रीम कोर्ट

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माननीय सुप्रीम कोर्ट ने याचिका संख्या (CIVIL APPEAL NO.6994/2021) को निस्तारित करते हुए 1/12/2021 को अपने आदेश में कहा है कि सेवानिवृत्ति के समय मौजूद नियमों पर ही पेंशन निर्धारित की जाएगी: सुप्रीम कोर्ट   क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने? सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सेवानिवृत्ति पर किसी कर्मचारी को देय पेंशन सेवानिवृत्ति के समय मौजूद नियमों पर निर्धारित की जाएगी। न्यायालय ने यह भी कहा कि कानून नियोक्ता को समान रूप से स्थित व्यक्तियों के संबंध में नियमों को अलग तरीके से लागू करने की अनुमति नहीं देता है।  यह जो मामला है इसमें जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस बीवी नागरत्ना की पीठ (केरल उच्च न्यायालय की डिवीजन बेंच) द्वारा पारित 29 अगस्त, 2019 के एक आदेश के खिलाफ एक सिविल अपील पर विचार कर रही थी। एक अपील जिसे माननीय उच्च न्यायालय ने खारिज कर दिया था। दूसरी अपील में क्या कहा गया? अपील की अनुमति देते हुए केरल पीठ ने डॉ जी सदाशिवन नायर बनाम कोचीन विज्ञान और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, इसके रजिस्ट्रार द्वारा प्रतिनिधित्व, और अन्य में कहा, "जबकि हम कानून की स्थापित स्थिति को स्वीकार करते हैं कि पेंश

Advocate's Day: अधिवक्ता आन्तरिक क़ानून व्यवस्था एवं न्यायपालिका की गरिमा को जीवित रखने के लिए शौर्य का परिचय देतें है: चीफ जस्टिस एनवी रमना

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प्रत्येक वर्ष 3 दिसम्बर का दिन अधिवक्ता दिवस (Advocate's Day) के रूप में मनाया जाता है अधिवक्ताओं के त्याग एवं कर्मठ कर्म की सराहना के लिए जाना जाने वाला यह दिवस प्रत्येक वर्ष भारत के प्रथम राष्ट्रपति एवं अधिवक्ता डॉक्टर राजेन्द्र प्रसाद के जयंती 3 दिसम्बर के दिन मनाया जाता है  कितना खास है अधिवक्ताओं का योगदान? अधिवक्ता आशुतोष कुमार 'आशू' नें कहा, क़ानून व्यवस्था को स्वस्थ रखने की जिम्मेदारी अधिवक्ताओं के कन्धों पर है। जिस प्रकार सेना देश की सीमा सुरक्षा तथा पुलिस आन्तरिक क़ानून व्यवस्था को मजबूत बनाये रकने के लिए शौर्य का परिचय देतें है। ठीक उसी प्रकार एक अधिवक्ता आन्तरिक क़ानून व्यवस्था एवं न्यायपालिका की गरिमा को जीवित रखने के लिए शौर्य का परिचय देतें है। अधिवक्ता दिवस (Advocate's Day) पर शुरू हुई अधिकारों को सरंक्षण देनें के लिए जुडिशल गुरु (Judicial Guru) संस्था की शुरुआत क़ानून व्यवस्था एवं अधिकारों की संरक्षा हेतु जुडिशल गुरु (Judicial Guru) संस्था की शुरुआत लखनऊ में 3 दिसम्बर सन् 2014 में अधिवक्ता दिवस (Advocate's Day) के मौके पर अधिवक्ता आशुतोष कुमार 'आशू

क्या बिना पैसा दिए सेल डीड मान्य है? : सुप्रीम कोर्ट

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सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अचल संपत्ति की बिक्री के लिए सेल डीड में बिक्री की कीमत ही अहम भूमिका होती है। संपत्ति की बिक्री में उसकी कीमत के पेमेंट के बिना सेल डीड एक्जिक्यूट करना कानून की नजर में निरस्त माना जाएगा। ऐसी किसी भी सेल डीड की कोई वैल्यू नहीं होती है, जिसमें संपत्ति की कीमत भुगतान न किया गया हो। बिना भुगतान यह डीड अमान्य है  कोर्ट ने कहा कि अगर किसी अचल संपत्ति (ज़मीन, मकान, या दुकान आदि) का सेल डीड एग्जीक्यूट किया जाता है और उसके तहत कीमत का भुगतान नहीं किया जाता है यह यह नहीं लिखा होता कि पार्ट पेमेंट भविष्य में किया जाएगा तो फिर ऐसे सेल डीड का कानून की नजर में कोई महत्व नहीं है। मौजूदा मामला पंजाब के रोपण का है केवल किशन ने अपनी संपत्ति के लिए पावर ऑफ अटार्नी सुदर्शन कुमार के फेवर में किया। पावर ऑफ अटार्नी 28 मार्च 1980 को सुदर्शन कुमार के फेवर में आई। इसके बाद सुदर्शन ने संपत्ति का एक हिस्सा अपने बेटे को 1981 में सेल डीड के जरिए 5500 में बेचा। बेटा नाबालिग था वहीँ बाकी हिस्सा अपनी पत्नी को 6875 में सेल डीड से बेचा। इसके बाद केवल किशन ने सुदर्शन और उनकी पत्नी और बच्चों के

37 साल बाद नहीं मिली डिप्टी कलेक्टर की नौकरी हार गये कानूनी लड़ाई!

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डिप्टी कलेक्टर के पद पर नियुक्ति के लिए कानूनी लड़ाई आखिरकार 37 साल के बाद सुप्रीम कोर्ट में खत्म हो गई। लेकिन जब यह लड़ाई खतम हुई तो सुप्रीम कोर्ट ने बताया कि मामले में कानूनी लड़ाई लड़ने वाला शख्स 2019 में ही रिटायर हो गया और अब ऐसे में उसे इस पद पर नियुक्ति नहीं दी जा सकती। इस तर्क को मानते हुए सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार की उस अपील को स्वीकार कर लिया जिसमें सरकार द्वारा इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी। कब का है मामला? इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 2014 में एक फैसला दिया। मामला कुछ इस प्रकार है कि चुन्नीलाल नाम के एक व्यक्ति को डिप्टी कलेक्टर के पद पर नियुक्त करने को कहा था। लाल डिप्टी ट्रांसपोर्ट कमिश्नर के तौर पर रिटायर हो चुके थे। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एमआर शाह की अगुवाई वाली बेंच ने इस बात पर गौर किया कि हाईकोर्ट का आदेश तक अमल में नहीं आ सकता क्योंकि चुन्नी लाल 2019 में रिटायर हो चुके हैं। ऐसे में उनकी नियुक्ति संभव नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने केस की मेरिट पर कहा कि 2 लोगों को एक पद पर नियुक्त करने के लिए नहीं कहा जा सकता ऐसे में हाईकोर्ट का आदेश खारिज किया जाता है। म

अगर आप 18 वर्ष के हो गयें हैं तो मतदाता कार्ड ऐसे बनवाएं!

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ऐसे सभी भारतीय नागरिक जिनकी उम्र 18 वर्ष हो चुकी हो वे मतदाता पहचान पत्र बनवाने के योग्य हैं लेकिन इसकी क्या प्रक्रिया है कितना समय लगता है वोटर कार्ड बनवाने में इसकी पूरी जानकारी नीचे मौजूद है। यदि आपके में भी यह सवाल है कि- मतदाता वोटर कार्ड कैसे बनवाए? आवेदन कैसे करें? कितने दिन में कार्ड मिल जायेगा? तो इसके लिए यंहा दी गई यह जानकारी ध्यान से पढ़ें। मतदाता बनने के लिए के लिए योग्यता भारतीय नागरिक हो एवं भारत के किसी राज्य या प्रदेश के संबंधित निर्वाचन क्षेत्र में सामान्यता निवास कर रहा हो। 18 वर्ष की आयु पूरी कर चुका हो या 1 जनवरी 2022 को 18 वर्ष की आयु पूरी कर रहा हो। कौन सा फॉर्म भर कर मतदाता बना जा सकता है फार्म 6  निर्वाचक नामावली (सूची) में नाम को सम्मिलित कराने के लिए। फार्म 6ए  किसी प्रवासी निर्वाचक (जो भारत के बाहर निवास करता हो) द्वारा नामावली में नाम सम्मिलित करना कराने के लिए। फार्म 7  निर्वाचक नामावली से नाम विलोपित (हटवाने के लिए) करने के लिए।  फार्म 8  निर्वाचक नामावली में प्रविष्टियों (वोटर कार्ड सही करवाने के लिए) की शुद्धि कराने के लिए। फार्म 8 ए एक ही निर्वाचन क्षेत

उत्तर प्रदेश शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) पेपर लीक होने की आशंका में निरस्त कर दी गई है।

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UP TET का पेपर लीक, प्रदेशभर में परीक्षा रद्द, मेरठ STF ने 23 लोगों को उठाया, पूछताछ जारी एसटीएफ (STF) ने इस मामले में 23 लोगों को गिरफ्तार किया है सभी से पूछताछ की जा रही है। सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी संजय कुमार उपाध्याय ने बताया कि दोनों पालियों की परीक्षाएं निरस्त कर दी गई हैं  दोबारा कब होगी परीक्षा? सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी संजय कुमार उपाध्याय ने कहा कि एक महीने के भीतर दोबारा टीईटी परीक्षा कराई जाएगी। एप्लीकेंट्स को इसके लिए फीस दोबारा नहीं देनी पड़ेगी। यूपी टीईटी 2021 की परीक्षा दो पालियों में 2554 केंद्रों पर 28 नवंबर को प्रस्तावित थी। पहली में 12,91,628 और दूसरी पाली में 8,73,553 अभ्यर्थी शामिल होने थे। परीक्षा की तैयारी को लेकर गुरुवार को प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा ने समस्त मंडल के कमिश्नर और जनपदों के जिलाधिकारी, प्रशासनिक अफसर, पुलिस आयुक्त, एसएसपी और जिला विद्यालय निरीक्षक के साथ वीडियो कांफ्रेसिंग की थी। सुरक्षा में कोई कमी नहीं पहली बार परीक्षा केंद्रों पर लाइव सीसीटीवी के माध्यम से नजर रखने का प्लानिंग की गई थी। परीक्षा केंद्र के अंदर मोबाइल फोन तथा अन्य इलेक्ट

बच्चे को उसकी मर्ज़ी के बिना चूमना-लिपटना अपराध है!

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एक 30 साल के शख्स द्वारा जिसका नाम अब्दुल रहमान एक बच्ची को चूमने पर कोर्ट नें 5 साल की कैद की सजा सुनाई! प्रोटक्शन आफ चिल्ड्रन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंसेस (पोक्सो एक्ट) के तहत मुंबई की एक अदालत ने एक अधेड़ शख्स को एक बच्ची को जबरन चूमने के जुर्म में 5 साल की कैद की सजा सुनाई है। दोषी की उम्र लगभग 30 वर्ष है। दोषी का नाम अब्दुल रहमान लोहार है। उसे आर्थर रोड जेल में रखा गया है। कोर्ट ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सजा सुनाई। रिपोर्ट के मुताबिक में बच्ची पड़ोस में रहने वाले एक शख्स के घर गई थी। बच्ची का पिता जब अपने काम से लौट रहा था तभी उसे उसकी बहन ने फोन किया और घटना के बारे में जानकारी दी। पिता जब घर पर पहुंचा तो उसने पूरे मामले की जानकारी अपनी पत्नी से मिली और बेटी ने उसे बताया कि आखिर क्या हुआ था। वहाँ रहने वाले लोगों ने बताया की उस दिन क्या हुआ था उत्पीड़न घटना की रिपोर्ट के मुताबिक शख्स की छोटी बेटियां चाल में स्थित कॉमन वॉशरूम का इस्तेमाल करने गई थी। वहां करीब 10 वर्षों में एक ही रूम में बना हुआ है। वहीं पर रहने वाले एक शख्स ने जब लड़कियां वॉशरूम पहुंचा के देखा तो वह भी वहाँ पहुँच ग

Weekly Roundup: कर्ज वापस मांगना आत्महत्या के लिए उकसाना नहीं, जमानत के बाद चार्जशीट होने से दोबारा गिरफ्तारी नहीं,

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News 1 कर्ज वापस मांगना आत्महत्या के लिए उकसाना नहीं मुंबई हाईकोर्ट की नागपुर पीठ ने फाइनेंस कंपनी के कर्मचारियों के खिलाफ दर्ज एफआईआर (FIR) रद्द कर दी है। कर्मचारी पर एक कर्जदार से कर्ज चुकाने की मांग करने पर आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप लगाया गया था। हाईकोर्ट ने कहा कि यह कर्मचारी की ड्यूटी का हिस्सा था। यह नहीं कहा जा सकता है कि उसने कर्जदार को जीवन खत्म करने के लिए उकसाया उसका मकसद कर्जदार को आत्महत्या के लिए उकसाने या प्रेरित करने का नहीं था। जस्टिस विनय देशपांडे और जस्टिस अनिल किलोर की बेंच ने कहा कि याचिकाकर्ता रोहित नलबाडे फाइनेंस कंपनी का कर्मचारी होने के नाते कर्जदार प्रमोद चौहान से बकाया कर्ज की वसूली करने की कोशिश करके सिर्फ अपनी ड्यूटी कर रहा था। इस संबंध में 8 अगस्त 2018 को महाराष्ट्र के वाशिम जिले में एफआईआर दर्ज कराई गई थी।  अभियोजन पक्ष ने हाईकोर्ट को बताया कि चौहान ने एक नया वाहन खरीदने के लिए 6.21 लाख रुपए का कर्ज लिया था। समझौते के मुताबिक इस कर्ज का भुगतान 4 साल में ₹17800 की मासिक किस्तों के जरिए किया जाना था। चौहान जब कर्ज नहीं चुका सके तो उन्होंने आत्महत्या क

बिल्डरों की मनमानी रोकने को हाई-कोर्ट का आदेश!

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हाई कोर्ट ने एक आदेश में स्पष्ट किया कि बिल्डरों को लगाना होगा प्रोजेक्ट के हर जरूरी जानकारी का बोर्ड बिल्डरों को मुसीबत से बचाएगा यह आदेश! अब से सभी बिल्डरों को अपनी साइट पर प्रोजेक्ट से जुड़ी हर जरूरी जानकारी वाला बोर्ड लगाना होगा। सिल्वर बिल्डटेक डेबलप की याचिका पर सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने आदेश दिया हैं। कोर्ट के आदेश पर एलडीए (LDA) ने सुझाव दिया था कि 8 बिंदुओं की जानकारी वाला बोर्ड लगाने और सात अन्य शर्तों का पालन होने से खरीदारों को भविष्य की परेशानियों से बचाया जा सकता है। इस पर जस्टिस अनिल कुमार और जस्टिस सौरभ लवानिया की बेंच ने एलडीए को इसके लिए चार सप्ताह में जरूरी निर्देश जारी करने को कहा है। LDA में प्रोजेक्ट को अवैध करार दिया कोर्ट में दाखिल याचिका में बताया गया है कि डेवलपर ने विजय खंड में प्लॉट नंबर ए-1/16 पर बहुमंजिला इमारत बनाकर लोगों को फ्लैट बेच दिए लेकिन बाद में 16 दिसंबर 2006 को एलडीए (LDA) के पदाधिकारी ने इसे अवैध निर्माण करार दिया था। इसके खिलाफ एलडीए चेयरमैन (LDA, Chairman) से अपील की गई लेकिन इसी बीच एलडीए (LDA) के पत्र  पर लेसे ने बिजली कनेक्शन भी काट दिया

अधिवक्ता के साथ बदसलूकी करने पर एक दरोगा व चार सिपाहियों सहित पांच पुलिससवालों को निलंबित किया गया!

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अधिवक्ता के साथ बदसलूकी करने के चलते एक दरोगा व चार सिपाहियों सहित पांच पुलिससवालों को निलंबित कर दिया क्या है पूरा मामला? मामला जार्जटाउन थाने का है जहां एक अधिवक्ता को अवैध रूप से बंदी गृह में रखने और बदसलूकी करने के चलते एक दारोगा और चार सिपाहियों सहित पांच पुलिससवालों को निलंबित कर दिया। मामला राज्य विधि अधिकारी और इलाहाबाद हाईकोर्ट के अधिवक्ता पंकज सिंह से जुड़ा है। पंकज सिंह को अवैध रूप से जार्जटाउन थाने में बंदी गृह में बैठाने और उनके साथ बदसलूकी करने से जुड़ा हुआ है। मामला तूल पकड़ता गया जिसके बाद सर्वश्रेष्ठ त्रिपाठी ने जार्जटाउन थाने के एक दारोगा और चार सिपाहियों सहित पांच पुलिससवालों को निलंबित कर दिया है। कौन है अधिवक्ता पंकज सिंह? अधिवक्ता पंकज सिंह टैगौर टाउन के शिवम विहार अपार्टमेंट में रहते हैं। पंकज सिंह बिल्डिंग सोसायटी के सचिव भी हैं। सिंह बताते हैं कि इसी अपार्टमेंट में संतराम यादव नाम के एक शख्स का एक फ्लैट है जिसमें काफी समय से ताला बंद है। लेकिन बीती 19 सितंबर को कुछ लड़के और लड़कियां उस फ्लैट में किराए पर रहने के लिए आए। कुछ दिन तक सब सामान्य था किन्तु एक दिन रात

राष्ट्रीयता क्या है? राष्ट्रीयता कैसे तय होती है? राष्ट्रीयता को प्राप्त करने तथा समाप्ति के कौन-कौन से तरीकों हैं? जानिए भारत सरकार के नियम

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राष्ट्रीयता क्या है?  राष्ट्रीयता  कैसे तय होती है? क्या राष्ट्रीयता का अंतर्राष्ट्रीय कानून से प्रभावित होती है? राष्ट्रीयता को प्राप्त करने तथा समाप्ति के कौन-कौन से तरीकों हैं? इन सभी सवालों के जवाब दे रहें हैं - विधि विशेषज्ञ अधिवक्ता आशुतोष कुमार What is Nationality? How is it ascertained? what is the importance of nationality under Inter national law? Discuss the modes of acquiring and losing Nationality? राष्ट्रीयता क्या है? (What is Nationality) राष्ट्रीयता वह गुण है जो किसी विशिष्ट जाति या राष्ट्र की सदस्यता से उत्पन्न होता है और जो किसी व्यक्ति की राजनीतिक स्थिति या उसका राज्य और नागरिक के बीच स्थापित निरंतर चलने वाला वैध संबंध है। राष्ट्रीयता के अर्थ के बारे में विभिन्न विद्वानों के मत निम्न प्रकार हैं- फेन्विक के अनुसार , "राष्ट्रीयता एक ऐसा बंधन है जो व्यक्ति को राज्य के साथ सम्बद्द करके उसे राज्य विशेष का सदस्य बनाता है और उसे राज्य के संरक्षण का अधिकार दिलाता है तथा उसका उत्तरदायित्व होता है कि वह राज्य द्वारा बनाए गए कानूनों का पालन करें"। केलसन के अनुसार, &

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