Today's News
कानून से जुड़ी ख़बर!
- क्या संपत्ति का पावर ऑफ अटॉर्नी सम्पति को मालिक की बिना जानकारी के बेच सकता है?
- बिना विवाह किये भी साथ रह सकते हैं। जानिए क्या है इस संबंध में कानून। क्या होते हैं एक कपल के अधिकार।
- महिला सम्मान की पैरवी करने वाले देश में मैरिटल रेप अपराध नहीं!
- तो अब किससे पास कितनी ज़मीन है पता चल सकेगा यूनीक लैंड कोड से, जानिए कैसे?
- जमानत क्या है और किसी व्यक्ति की जमानत कैसे ले सकते हैं?
- पोर्न देखकर किशोर ने किया 3 साल की बच्ची से रेप!
- शादी के बाद शादी का प्रमाण पत्र कैसे बनेगा? यहाँ पूरी जानकारी दी गई है!
- वसीयत करने से पहले संपत्ति धारक की मृत्यु हो जाने पर संपत्ति पर किसका अधिकार होगा है?
- हिन्दू धर्म में न दूसरी शादी की जा सकती है ना पहली से तलाक़ होगा
- क्या एक विवाहित बेटी अपने पिता की संपत्ति में हिस्से का दावा कर सकती है? सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, पैतृक संपत्ति में बेटियों का होगा इतना अधिकार?
- Cyber Crime की शिकायत दर्ज कराने के लिए क्या जानकारी देनी होगी? साइबर अपराध (Cyber Crime) पोर्टल पर शिकायत कैसे करें?
- जानिए, अगर पति तलाक चाहता है और पत्नी नहीं चाहती तो क्या करें? क्या तलाक के बाद पति पत्नी साथ रह सकते हैं? पत्नी मायके से नहीं आए तो क्या करें?
- जानिए, कोर्ट मैरिज की फीस कितनी है? कोर्ट मैरिज में के लिए आवेदन कहाँ करना होता है? कोर्ट मैरिज में कितने दिन लगते हैं?
- क्या आपके मन में भी हैं ये सवाल कि गाड़ी कौन सी खरीदें? पुरानी गाड़ी खरीदने से पहले क्या देखना चाहिए? कार खरीदना है तो कैसे खरीदें?
अंतरधार्मिक या अंतरजातिय विवाह करने के लिए परिवार, समाज या सरकार में से किसी की अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं है : इलाहाबाद हाईकोर्ट
- Get link
- Other Apps
सामाजिक आर्थिक व सामाजिक बदलाव के दौर से गुजर रहा
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि किसी को धर्म परिवर्तन के लिए सरकारी अनुमति लेने को बाध्य नहीं किया जा सकता है। अंतर धार्मिक विवाह करने वाले 17 जोड़ों मायरा और वैष्णवी, विलास सिरसीकर, जीनत अमान और स्नेहा सोटी आदि की याचिकाओं को स्वीकार करते हुए न्यायमूर्ति सुनील कुमार ने यह टिप्पणी की।
कोर्ट ने कहा कि हमारा समाज आर्थिक और सामाजिक बदलाव के दौर से गुजर रहा है। कानून की सख्त व्याख्या संविधान की भावना को निरर्थक करेगी। अनुच्छेद 21 में जीवन व निजता की स्वतंत्रता की गारंटी दी गई है। नागरिकों को यह अधिकार है कि वह अपनी और परिवार की निजता की सुरक्षा करें। ऐसे में अंतर धार्मिक विवाह करने के लिए परिवार समाज या सरकार किसी की अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं है। दो बालिग व्यक्तियों का जोड़ा यदि विवाह के लिए सहमत है तो ऐसी शादी को वैध माना जाएगा और पंजीकरण अधिकारी उनके विवाह का पंजीकरण करने से इनकार नहीं कर सकते हैं। न ही धर्म परिवर्तन के लिए किसी को सरकारी अनुमति लेने को बाध्य किया जा सकता है। प्रत्येक व्यक्ति को अपना जीवनसाथी चुनने का अधिकार है। यह मान्यताओं और विश्वास का विषय नहीं है।
17 जोड़ों के विवाह नहीं हो रहे थे पंजीकृत
हाई कोर्ट में याचिका दाखिल करने वाले सभी 17 जोड़ों का मामला अंतर धार्मिक विवाह का था। इनमें से कुछ ने हिंदू से इस्लाम स्वीकार किया तो कुछ ने इस्लाम से हिंदू धर्म। याची वैष्णवी ने इस्लाम धर्म स्वीकार कर महाराष्ट्र में एक मुस्लिम लड़के से विवाह किया। उसने उत्तर प्रदेश के बिजनौर में विवाह पंजीकरण के लिए अर्जी दी थी। इस प्रकार जीनत अमान ने हिंदू लड़के से कानपुर के आर्य समाज मंदिर में विवाह किया।
मगर जिलाधिकारी से धर्म परिवर्तन की अनुमति न मिलने के कारण उसका विवाह पंजीकृत करने से इंकार कर दिया गया। मनाल खान ने हिंदू धर्म स्वीकार कर कानपुर में हिंदू से शादी की। शमा परवीन ने भी हिंदू लड़के से शादी की उसने गाजीपुर में विवाह पंजीकरण की अर्जी दी थी। गुलफंसा ने भी अमरोहा के राधा कृष्ण मंदिर में हिंदू से शादी की और पंजीकरण के लिए अर्जी दाखिल की। इसी प्रकार से एकता माधवानी ने हिंदू धर्म बदलकर मुस्लिम लड़के से शादी की। 34 वर्षीय सलमा ने सहारनपुर के आर्य समाज मंदिर में 25 वर्षीय हिंदू लड़के से शादी की।
प्रयागराज की नसीमा ने हिंदू लड़के से शिव मंदिर में विवाह किया और पंजीकरण के लिए अर्जी दाखिल की। इस प्रकार से सलमा ने अपने पति से तलाक लेकर आर्य समाज मंदिर मुजफ्फरनगर में हिंदू विधुर से शादी की। शाहजहांपुर की निशा ने हिंदू धर्म बदलकर मुस्लिम लड़के से शादी की। हिना बानो ने धर्म बदलकर हिंदू लड़के से मऊ में शादी की है। जबकि बेबी ने हिंदू धर्म छोड़कर मुस्लिम लड़के से निकाह किया। इनमें अनुमोदन न मिलने से अर्जियां निरस्त हो गई या पंजीकरण रोके रखा है।
अंतर धार्मिक विवाह पर रोक नहीं लगाता धर्मांतरण कानून
हाईकोर्ट ने 17 जोड़ों का विवाह पंजीकरण करने का निर्देश दिया
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि अवैध धर्म परिवर्तन कानून 2021 अंतर धार्मिक विवाह पर प्रतिबंध नहीं लगाता है। पंजीकरण निबंधक को यह अधिकार नहीं है कि वह राज्य सरकार के अधिकारियों द्वारा धर्मांतरण की मंजूरी प्राप्त न होने के कारण विभाग को पंजीकरण करने से इंकार करें। कोर्ट का कहना था कि जिला प्रशासन द्वारा धर्म परिवर्तन का अनुमोदन बाध्यकारी नहीं है। कोर्ट ने इसके साथ ही केंद्र सरकार से कहा है कि वह देश में समान नागरिक संहिता लागू करने के सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर विचार करें।
जस्टिस सुनीत कुमार ने अंतर धार्मिक विवाह करने वाले 17 जोड़ों की याचिकाओं को स्वीकार करते हुए जरूरत के मुताबिक सुरक्षा व संरक्षण देने और तत्कालीन के विवाह का पंजीकरण करने का भी निर्देश दिया। कोर्ट ने कहा कि किसी ने धोखाधड़ी की तो सिविल आपराधिक कार्रवाई करने का अधिकार उपलब्ध है। कोर्ट का कहना था कि विपरीत धर्मों के बालिक जोड़े की शादीशुदा जिंदगी स्वतंत्रता व निजता में सरकारी या किसी निजी व्यक्ति का हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं है।
हाईकोर्ट ने कहा लिव इन रिलेशन के खिलाफ नहीं है हम
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने लिव-इन रिलेशनशिप में रह रहे समलिंगी लड़कियों को पुलिस सुरक्षा देने का निर्देश दिया है। इस प्रकार का निर्देश देते हुए कोर्ट ने कहा कि वह लिव इन रिलेशनशिप के खिलाफ नहीं है। यह आदेश न्यायमूर्ति डॉक्टर केजे ठाकर व न्यायमूर्ति अजय त्यागी की खंडपीठ ने लिव-इन रिलेशनशिप में रह रही अंजू सिंह व उसके लिव-इन पार्टनर के सुरक्षा की मांग में दाखिल याचिका पर दिया है। याचिका दायर कर मांग की गई थी कि यह दोनों साथ साथ नही रह सकते यदि कोर्ट ने उन्हें सुरक्षा प्रदान नहीं की। उनका कहना था कि उनको उनके परिवार के लोगों द्वारा परेशान किया जाएगा और उन्हें शांति से जीवन यापन नहीं करने दिया जाएगा। यदि पुलिस सुरक्षा नहीं मिली याचिका में कहा गया था कि यह दोनों समलिंगी व बालिग हैं। और एक साथ लिव इन रिलेशनशिप में रहना चाहते हैं। कहा यह भी गया था कि उनके माता-पिता उन पर संबंध समाप्त करने को लेकर दबाव बना रहे हैं।
नोट : किसी प्रकार की क़ानूनी सलाह के लिए Telegram पर संपर्क करें!
- Get link
- Other Apps
ख़बरें सिर्फ़ आपके लिए!
तलाक लेने में कितना खर्च आयेगा और यह खर्च कौन देगा? तलाक लेने से पहले यह कानून जान लें!
पति तलाक लेना चाहता और पत्नी नहीं तो क्या किया जाना चाहिए?
अब चेक बाउंस के मामले में जेल जाना तय है! लेकिन बच भी सकते हैं अगर यह क़ानूनी तरीका अपनाया तो!
तलाक़ के बाद बच्चे पर ज्यादा अधिकार किसका होगा माँ का या पिता का?
जानिए, पॉक्सो एक्ट (POCSO) कब लगता है? लड़कियों को परेशान करने पर कौन सी धारा लगती है?
बालिग लड़की का नाबालिग लड़के से शादी करने पर अपराध क्यों नहीं है? और क्या नाबालिग लड़की अपनी मर्ज़ी से शादी कर सकती है?
जमानत क्या है और किसी व्यक्ति की जमानत कैसे ले सकते हैं?
जानिए दाखिल खारिज़ क्यों ज़रूरी है और नहीं होने पर क्या नुकसान हो सकतें हैं?
नया आवेदन करें-
- आयुष्मान कार्ड के लिए आवेदन करें
- ई श्रम कार्ड के लिए आवेदन करें
- किसान क्रेडिट कार्ड के लिए आवेदन करें
- दाखिल ख़ारिज के लिए आवेदन करें
- निःशुल्क क़ानूनी सहायता के लिए संपर्क करें
- प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए आवेदन करें
- मातृत्व लाभ योजना के लिए आवेदन करें
- विवाह प्रमाण पत्र के लिए आवेदन करें
- सोसाइटी पंजीकरण के लिए आवेदन करें
- स्टार्ट-अप इंडिया के लिए आवेदन करें
लीगल खबरें आपके लिए!
- जानिए तलाक़ लेने में कितना ख़र्च होता है?
- क्या पत्नी का फ़ोन रिकॉर्ड करना क़ानूनी है?
- क्या बिना शादी किये लड़का लड़की साथ रह सकते हैं?
- तलाक़ लेने पर दूसरी बीवी को सम्पत्ति में कितना हिस्सा मिलेगा?
- मुस्लिम महिला के पास तलाक़ लेने के क्या अधिकार होतें हैं?
- क्या पति पत्नी के बीच शारीरिक सम्बन्ध ना होना तलाक़ की वजह बन सकता है?
- बिना वकील अपना मुक़दमा खुद कैसे लड़ें?
- क्या मैरिटल रेप तलाक़ की वजह हो सकता है?
- ट्रिपल तलाक में पत्नी के क्या अधिकार होते हैं?
- क्या शादी में मिले गहने पर सास का अधिकार होता है?
- क्या तीन तलाक़ के मामलें में घर वालों पर केस दर्ज़ करवाया जा सकता है?
- क्या है प्रेम विवाह करने वाले बालिग जोड़ों की शादीशुदा जिंदगी की स्वतंत्रता?
- कोर्ट मैरिज कैसे करें? कोर्ट मैरिज कितने दिन में हो जाती है? कोर्ट मैरिज के लिए कितने गवाह चाहिए?
- आईपीसी की धारा 496, 493, 495 क्या है? बगैर तलाक के किसी स्त्री की शादी करने पर क्या कहता है क़ानून?
Comments