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कानून के विद्वान ही कानून के उलंघन में दोषी पाए जा रहे हैं?

वकीलों पर कितने केस इसकी जांच होनी चाहिए: हाई कोर्ट

हाई कोर्ट की लखनऊ पीठ ने जिला जज लखनऊ से पूछा है कि वकीलों के खिलाफ कितने आपराधिक मुकदमे विचाराधीन है और उन मुकदमों का क्या स्टेटस है इसकी सम्पूर्ण जानकारी होनी चाहिए। कोर्ट ने पुलिस कमिश्नर लखनऊ को भी वकीलों के खिलाफ दर्ज आपराधिक मुकदमों की जानकारी देने का आदेश दिया है। मामले की अगली सुनवाई दिसंबर में होगी।

जस्टिस राकेश श्रीवास्तव व जस्टिस शमीम अहमद की बेंच ने यह आदेश अधिवक्ता पीयूष श्रीवास्तव की ओर से दाखिल एक याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया है। आरोप है कि याची अधिवक्ता व उसके साथियों पर निचली अदालत में एक मुकदमे की पैरवी करने पर अधिवक्ताओं ने हमला कर दिया था।

पुराने केस भी खुले

मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने संज्ञान लिया है कि वर्ष 2017 में तत्कालीन सीजीएम लखनऊ संध्या श्रीवास्तव के साथ भी कुछ अधिवक्ताओं ने अभद्रता की थी। कोर्ट ने कहा कि यह बहुत ही खेद जनक स्थिति है कि इस मामले में वर्ष 2017 में ही आरोप पत्र दाखिल हो चुका, लेकिन अब तक आरोप तय नहीं हो सके।

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कोर्ट ने जनपद न्यायाधीश को यह भी बताने को कहा है कि क्या इस मामले में तत्कालीन सीजीएम अदालत ने की अवमानना का कोई संदेश भेजा था। वही सुनवाई के दौरान कोर्ट में मौजूद रहे डीएसपी पश्चिम सोमेन वर्मा ने एक पूरक शपथपत्र दाखिल करते हुए बताया कि याची के मामले में शामिल अधिवक्ताओं ने एलडीए द्वारा निर्मित 1 कम्युनिटी सेंटर को भी गिरा दिया था।

वह 4 अक्टूबर 2021 को उनके खिलाफ एफआईआर (FIR) भी दर्ज की गई, लेकिन आज तक कोई भी गिरफ्तार गिरफ्तारी नहीं की जा सकी है। एक महिला द्वारा एससी-एसटी एक्ट (SC/ST Act) के तहत दर्ज कार्रवाई की गई और FIR में भी कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। यही नहीं कुछ अधिवक्ताओं ने कुशीनगर से आए पुलिसकर्मियों के साथ भी अभद्रता की थी। कोर्ट ने इन सभी मामलों में हुए कार्यवाही का ब्यौरा तलब किया है।

Comments

Anonymous said…
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