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सत्यमेव जयते!

पति तलाक लेना चाहता और पत्नी नहीं तो क्या किया जाना चाहिए?

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क्या सहमति से तलाक़ लिया जा सकता है? पति पत्नी के बीच यदि बन नहीं रही है तो सहमति से तलाक लेने की प्रक्रिया अपनाई जा सकती है। सहमति से तलाक लेने के लिए पहले दोनों ही पक्षों को कोर्ट में एक याचिका दायर करनी होती है। फिर दूसरे चरण में कोर्ट द्वारा दोनों पक्षों के अलग-अलग बयान लिए जाते हैं और दस्तखत की औपचारिकता होती है। तीसरे चरण में कोर्ट दोनों को 6 महीने का वक्त देता है ताकि वह अपने फैसले को लेकर दोबारा सोच सकें। और फिर यदि दोनों ही पक्ष तलाक के फैसले पर कायम रहते हैं तो 6 महीने के बाद कोर्ट द्वारा उनके फैसले के अनुरूप उन्हें तलाक़ की अनुमति दे दी जाती है। क्या केवल लड़का तलाक ले सकता है? आपसी समझौते के आधार पर तलाक लेने की कुछ शर्तें होती हैं। यदि पति और पत्नी शादी के बाद 1 साल या उससे ज्यादा समय से अलग रह रहे हो और दोनों में पारस्परिक रूप से तलाक़ लेने को सहमत हैं। एक दूसरे के साथ रहने पर कोई भी राजी नहीं है या दोनों पक्षों में सुलह की कोई स्थिति नजर नहीं आती है तो ऐसे में सहमति के आधार पर तलाक के लिए आवेदन करने का हक होता है। इसे मैचुअल कंसेंट डायवोर्स कहा जाता है यानी आपसी सहमति से तल

विवाह पंजीकरण प्रमाण पत्र के क्या फायेदें हैं और कैसे बनेगा जानिए पूरी प्रक्रिया!

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विवाह करने के बाद इसे क़ानूनी रूप देने के लिए विवाह का पंजीकरण करवाना अनिवार्य कर दिया गया है ।  विवाह प्रमाण पत्र की आवश्यकता विभिन्न प्रकार के सरकारी सुविधाओं को प्राप्त करने के  लिए उपयोग की जाती है ।  आज इस लेख में विवाह पंजीकरण से जुड़े तमाम प्रश्नों के जवाब अधिवक्ता आशुतोष कुमार के माध्यम से दी प्रस्तुत की जा रही है- विवाह पंजीकरण किस प्रकार का दस्तावेज़ है? विवाह पंजीकरण दस्तावेज लोक दस्तावेज है या निजी दस्तावेज?  विवाह पंजीकरण दस्तावेज विवाह का एक प्रमाण पत्र जो एक निजी दस्तावेज है। यह एक प्रमाण पत्र के तौर पर होता हैं। यह पूर्णतया निजी है। इस पत्र के माध्यम से यह पता चलता है की किसी पुरुष या महिला का क़ानूनी रूप से कौन पति अथवा पत्नी है। विवाह पंजीकरण पत्र का क्या उपयोग है? विवाह पंजीकरण पत्र का उपयोग किसी व्यक्ति के विवाहित होने का प्रमाण पत्र हैं। इस प्रमाण की आवश्यकता सरकारी नौकरियों में अनुकंपा के आधार पर नौकरी का दावा करने के दौरान होती है। पति या पत्नी की संपत्ति अथवा अधिकार के दावे के तौर पर प्रयोग करने के लिए आवश्यकता होती है। इसके अतिरिक्त बैंक में संयुक्त खाता खोलने के ल

बालिग लड़की का नाबालिग लड़के से शादी करने पर अपराध क्यों नहीं है? और क्या नाबालिग लड़की अपनी मर्ज़ी से शादी कर सकती है?

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बाल विवाह कुप्रथा क्यों है? बाल विवाह से होने वाली हानियां कौन-कौन सी हैं? भारत जैसे देश में लड़कियों के विवाह के लिए लड़कियों की मर्ज़ी और सहमति की परवाह नहीं की जाती है। लगभग 93% लड़कियों का विवाह उनकी मर्ज़ी के बिना ही किये जाते हैं। कई राज्यों में लड़कियों का विवाह बचपन में ही कर दिया जाता है। जल्दी शादी होने से लड़कियों पर बच्चे पैदा करने का दबाव भी दिया जाने लगता है। कम उम्र में माँ बनने पर लड़कियों को कई तरह से शारीरिक कष्ट झेलने पडतें है। इन्हीं कारणों से भारत में बाल विवाह निषेध किया गया है। बाल विवाह में असली दोषी कौन होता है? बाल विवाह करवाने वाले परिजन, पुरुष-महिला, रिश्तेदार, बालिग पति इत्यादि। बाल विवाह निषेध अधिनियम में बालिग अथवा नाबालिग लड़की को दोषी नहीं माना गया है। बालिग लड़का नाबालिग लड़की से शादी करता है तो क्या होगा? यदि बालिग लड़का जिसकी उम्र 18 वर्ष या इससे अधिक हो और नाबालिग लड़की जिसकी उम्र 18 वर्ष से कम हो से शादी करता है तो बाल विवाह अधिनयम के अंतर्गत दंडनीय अपराध है। वास्तव में बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 की धारा 9 में बाल विवाह करने वाले बालिग पुरुष के लिए सजा क

जानिए दाखिल खारिज़ क्यों ज़रूरी है और नहीं होने पर क्या नुकसान हो सकतें हैं?

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ऑनलाइन आवेदन दाखिल-खारिज करते समय आवश्यक कागजात क्या है? यदि आप दाखिल-खारिज के लिए ऑनलाइन आवेदन करना चाहते हैं तो इसके लिए आपको ज़मीन के सम्बन्ध जानकारियों को ऑनलाइन आवेदन करते समय भरना होगा। जैसे ज़मीन का बैनामा किस तिथि को कराया गया था। किस निबंधन कार्यालय में कराया गया था। किस क्रम संख्या व प्रपत्र पर आपका बैनामा दर्ज है। इसके बाद आप जरूरी जानकारी ऑनलाइन फॉर्म में भरने के बाद सबमिट कर देंगे। लेकिन याद रखें अगर उत्तर प्रदेश में दाखिल-खारिज का आवेदन करना चाहते हैं तो 2012 के बाद कराए गए बैनामों का ही दाखिल खारिज ऑनलाइन संभव है। इसके पहले के दाखिल खारिज कराने के लिए आपको संबंधित तहसील में जाकर आवेदन करना होगा। ज़मीन खरीदने के कितने दिन बाद दाखिल-खारिज करवाना होता है? अमूमन दाखिल खारिज कराने की प्रक्रिया बैनामा के तुरंत बाद कराई जा सकती है। लेकिन दाखिल खारिज होने में लगभग 45 दिन का समय लग जाता है। यह संबंधित कार्यालयों में अलग-अलग हो सकते हैं। क्योंकि दाखिल-खारिज की प्रक्रिया में लेखपाल व राजस्व निरीक्षक के रिपोर्ट दाखिल होने के बाद ही नामांतरण का आदेश किया जाता है। इसलिए इस प्रक्रिया

फिल्म 'जय भीम' विवाद में हुई इन्साफ की मांग, मामला कोर्ट पहुंचा!

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जय भीम विवाद: वन्नियार संगम ने फिल्म निर्माता के खिलाफ आपराधिक मानहानि की शिकायत दर्ज कराई; कहा- बोलने की स्वतंत्रता की आड़ में समुदाय का अपमान नहीं कर सकते फिल्म 'जय भीम' के खिलाफ़ मानहानि की शिकायत दर्ज करवाई 'जय भीम' फिल्म के खिलाफ़ क्या शिकायत दर्ज़ की गई। 'जय भीम' फिल्म को लेकर विवाद उत्पन्न हो गया। इस विवाद का सहारा लेकर वन्नियार संगम के अध्यक्ष ने 'जय भीम' फिल्म निर्माताओं के खिलाफ कथिततौर पर वन्नियारों का अपमान करने तथा उनके समुदाय को गलत तरीके से बड़े पर्दे पर चित्रित करने के लिए मानहानि की शिकायत दर्ज कराई है। शिकायत पत्र में यह आरोप लगाया गया है कि समाज के हाशिए (आखरी पायदान) के वर्गों के सामाजिक सशक्तिकरण के लिए संघर्ष करने वाले समुदाय के भ्रामक चित्रण ने समुदायों के बीच कलह और असामंजस्य को उकसाया है। 'जय भीम' फिल्म इन धाराओं के अंतर्गत वाद दर्ज़ करवाया गया न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वितीय, के समक्ष शिकायत दर्ज करवाई गई है। इस शिकायत पत्र के माध्यम से आईपीसी की धारा 153 (दंगा भड़काने के इरादे से उकसाना), 499 (मानहानि), 500 (मानहानि की सजा), 503

सोशल मीडिया पर प्रोफाइल है तो साइबर अपराध भी जान लीजिये, और अपने बच्चों को इससे बचाएं!

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साइबर क्राइम क्या है भाग 2: कौन से काम साइबर अपराध माने जाते हैं सूचना एवं प्रौद्योगिकी के इस युग में सारा विश्व सायबर अपराध से जुझ रहा है। भारत में भी उन सभी कामों को सायबर अपराध बनाया गया है जो इलेक्ट्रॉनिक मध्यम से किये गये हों और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 में उन्हें अपराध के रूप में उल्लेखित किया गया है। आज इस लेख में अपराधों का एक सामान्य वर्गीकरण प्रस्तुत किया जा रहा है जिन्हें सारे विश्व में सायबर अपराध का नाम दिया है। साइबर अपराध कितने प्रकार के होतें हैं:- व्यक्तियों के खिलाफ अपराध। सभी प्रकार की संपत्ति (बैंक, सेविंग्स आदि) के खिलाफ साइबर अपराध, और राज्य या समाज के खिलाफ साइबर अपराध। साइबर अपराधों को इन तीन श्रेणियों में बांटा जा सकता है। व्यक्ति के खिलाफ अपराध  व्यक्ति (यदि महिला के सम्बन्ध में) के खिलाफ साइबर अपराधों में ई-मेल, मैसेज,  मिसकाल आदि के माध्यम से उत्पीड़न शामिल है। जिसमें किसी लड़की या लड़के का पीछा करना, मानहानि (बेज्ज़ती), या उसके कंप्यूटर सिस्टम तक अनधिकृत पहुंच, अश्लील एक्सपोजर(प्राइवेट फोटो), ई-मेल स्पूफिंग, धोखाधड़ी, या सेक्सी विडियो और अश्लील साहित्

जब पति बिना किसी कारण के पत्नी को छोड़ दें तब एक महिला के पास क्या क़ानूनी अधिकार हैं?

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जब पति बिना किसी कारण के पत्नी को छोड़ दें तब एक महिला के पास क्या क़ानूनी अधिकार बचते हैं? क्या वह महिला पति के घर वापस जा सकती है? क्या वह तलाक़ से बचने के लिए आवेदन कर सकती है? क्या उसे सम्पत्ति में हिस्सा या भरण पोषण मिलेगा? इस बारे में कानून क्या कहता है। कानून में इस सम्बन्ध में क्या प्रावधान है। इन सभी बातों पर आज हम चर्चा करेंगे।  भारत में विवाह एक पवित्र संस्था है। भारतीय कानून के तहत विवाह को पवित्र माना गया है और एक पुरुष और महिला जब विवाहित होते हैं तो उन्हें कानूनन ही अलग किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त नहीं हिंदू विवाह अधिनियम 1955 के अंतर्गत विवाह को एक संस्कार है। जिसे समाप्त नहीं किया जा सकता है।  प्राचीन काल से विवाह को एक संस्कार माना जाता रहा है। वर्तमान परिस्थितियों में विवाह के स्वरूप में परिवर्तन ज़रूर आए हैं। समाज के परिवेश में रहन सहन में परिवर्तन आए हैं। यहाँ तक कि विवाह करने के तरीके में भी परिवर्तन आए हैं लेकिन इससे विवाह की पवित्रता कम नहीं होती।  कभी-कभी परिस्थिति ऐसी होती है कि जब पति बिना किसी कारण से पत्नी को घर से निकाल देता है या छोड़ देता है या विवाहेत्त

शादी के कितने दिन बाद तलाक़ ले सकते हैं?

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मैरिज काउंसलर और तलाक के मामलों के जानकार वकीलों के मुताबिक पिछले दो सालों के दौरान तलाक की अर्जियां काफी बढ़ीं। भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में यह चलन बढ़ता नजर आया। इसको देखते हुए भारत के पड़ोसी देश चीन ने तलाक का नया कानून लागू कर दिया। चीन के नए क़ानून के तहत तुरंत तलाक नहीं मिलेगा बल्कि दंपती को अब तलाक के लिए 30 दिन का इंतजार करना होगा।  ताकि वे आवेग में आकर फैसले न लें और उन्हें पुनर्विचार का मौका मिल सके। भारत में सामान्यतया यह समय 6 महीने का है। यह कूलिंग ऑफ पीरियड तलाक़ के फैसलों पर विचार के लिए दिया जा है। मगर उच्चतम न्यायालय के कुछ फैसलों के मुताबिक अदालत इस बारे में स्वंय विवेकाधिकार से फैसला ले सकती है।  कूलिंग ऑफ पीरियड क्या है? तलाक की अर्ज़ी देने वाले कपल्स को तलाक के फैसले पर पुर्नविचार के लिए कोर्ट द्वारा कुछ समय दिया जाता है यह समय कूलिंग ऑफ पीरियड के नाम से जाना जाता है। इस पीरियड के दौरान जब कपल्स ठन्डे दिमाग से पुनः विचार करते हैं तो 36% प्रतिशत मामलों में कपल्स तलाक़ का विचार त्याग देते हैं जिससे टूटते परिवारों को बचाने का प्रयास किया जाता है। क्या कामयाब होता यह

एमएलसी को मिलती हैं विधानसभा सदस्यों के जीतनी सुविधाएँ फिर भी शिक्षक खाली हाथ?

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सामान्यतः जनता को लगता है कि परिषद सदस्यों के पास उनकी बात रखने का अधिकार नहीं है क्योंकि उन्होंने सोधे तौर पर न ही उन्हें चुना है और ना ही वोट दिया है। लेकिन आपको बता दें  कि क़ानूनन ऐसा नहीं है । इनके पास वे सारे अधिकार हैं, जो विधानसभा सदस्यों के पास होते हैं। आपके लिए सवाल लगा सकते हैं, आपके मुद्दे को सदन में उठा सकते हैं। आपकी सड़कें बनवा सकते है। इलाज में मदद कर सकते हैं। इन सभी कामों के लिए इन्हें पर्याप्त सुविधाएं भी दी जाती हैं। भले ही सीधे न चुना  हो आपने, फिर भी एमएलसी आपके लिए जवाबदेह होतें हैं। विधानपरिषद के प्रतिनिधि निर्वाचन के बाद शपथ ग्रहण कर आधिकारिक तौर पर विधान परिषद सदस्य बन जाते हैं। हालांकि, औपचारिकताएं पूरी होने के बाद ये उच्च सदन के सदस्य भी बन सकते। आइए जानते हैं कि आपके विधान परिषद सदस्यों को मिलने वाली सुविधाएं और उनके अधिकार  एमएलसी को कितने रुपये और क्या सुविधाएँ मिलती हैं? एक एमएलसी को वेतन के तौर पर ₹30,000 हर महीने मिलते हैं। इसके अतरिक्त दैनिक भत्ता ₹2000 । निर्वाचन क्षेत्र भत्ता ₹50,000 प्रतिमाह।  सचिवीय भत्ता, ₹20,000 प्रतिमाह कार्यालय व्यय के लि

अब किश्तों में कीजिये बकाया बिजली के बिल का पेमेंट, मिलेगी 100 परसेंट छूट!

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अगर आपका बिजली का बिल बकाया है या बिजली चोरी के जुर्म ने आप पर पेनाल्टी लगी है और इस भारी भरकम बिल को आप एक साथ जमा करने के स्थिति में नहीं हैं तो इस योजना के माध्यम से अब आप अपना सभी भुगतान अब कर सकेंगे। क्या OTS योजना का मकसद? इस योजना का मकसद सभी प्रकार के बिलों के भुगतान के लिए अनुरोध है योजना का व्यापक प्रचार-प्रसार कराते हुए योजना को प्रभावी ढंग से लागू की जाये, जिससे अधिकतम राजस्व प्राप्त हो सके। OTS योजना क्या है? सभी प्रकार के बिजली के बिलों (LMV1, LMV5 तथा 5 किलो वाट कनेक्शन) के लेट फ़ीस माफ़ी योजना है। जिसे एकमुश्त समाधान योजना के नाम से लागू किया गया है। इस योजना में लेट फीस को पूरी तरह समाप्त किया जायेगा और उपभोक्ता को बकाया बिल एक बार में जमा करने का अवसर दिया जायेगा। इस योजना में ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों के विद्युत उपभोक्ताओं के बकाये पर सरचार्ज में छूट प्रदान करती है जो सी प्रकार है: एल० एम० वी०-1 (समस्त विद्युत भार) - रू० एक लाख तक - अधिकतम 6 किश्तों में भुगतान एल० एम० वी०-2 (05 कि० वा० विद्युत भार तक) - रू० एक लाख से अधिक - अधिकतम 12 किश्तों में भुगतान एम० एम० वी०-5

सेक्स काम कानूनी. पुलिस हस्तक्षेप नहीं कर सकती, आपराधिक कार्रवाई कर सकती है: SC

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सुप्रीम कोर्ट ने एक केस की सुनवाई पर फैसला सुनाया है कि वेश्यावृत्ति एक कानूनी पेशा है और यौनकर्मियों के साथ सम्मान के साथ व्यवहार किया जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम आदेश में पुलिस से कहा कि सहमति जताने वाली यौनकर्मियों के खिलाफ न तो उन्हें दखल देना चाहिए और न ही आपराधिक कार्रवाई करनी चाहिए कोर्ट ने कहा कि वेश्यावृत्ति एक पेशा है और यौनकर्मी (सेक्स वर्कर्स) कानून के तहत सम्मान और समान सुरक्षा के हकदार हैं। न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने यौनकर्मियों के अधिकारों की रक्षा के लिए छह निर्देश जारी किए। बेंच ने कहा, "यौनकर्मी कानून के समान संरक्षण के हकदार हैं। आपराधिक कानून सभी मामलों में उम्र और सहमति के आधार पर समान रूप से लागू होना चाहिए। जब यह स्पष्ट हो जाए कि यौनकर्मी वयस्क है और सहमति से भाग ले रही है, तो पुलिस को हस्तक्षेप करने या कोई आपराधिक कार्रवाई करने से बचना चाहिए। यह कहने की आवश्यकता नहीं है कि पेशे के बावजूद, इस देश के प्रत्येक व्यक्ति को संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत सम्मानजनक जीवन का अधिकार है।" पीठ ने यह भी आदेश दिया कि यौनक

दूसरी पत्नी को पति की सम्पत्ति पर कितना हिस्सा मिलेगा?

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क्या दूसरी पत्नी को पति की सम्पत्ति पर पूरा अधिकार होगा दूसरी पत्नी को पति की सम्पत्ति पर कोई अधिकार नहीं होगा भले ही किसी व्यक्ति की कोई दूसरी पत्नी हो या उसके बच्चे भी हों। यदि पति ने संपत्ति स्वयं अर्जित की है तब उस व्यक्ति को संपत्ति पर केवल स्वयं का अधिकार होगा। वह संपत्ति को बेच सकता है दान भी दे सकता है या वसीयत भी कर सकता है। शादीशुदा महिला को अपने पति की अर्जित की गई संपत्ति पर कोई अधिकार तब तक नहीं होता जब तक उसका पति जीवित होता है या तलाक की अवस्था ना हो। पहली पत्नी से तलाक के बाद या पहली पत्नी की मृत्यु के बाद दूसरी शादी की है तो दूसरी शादी कानूनी मान्यता होने पर ही दूसरी पत्नी को अपने पति की पैतृक किया स्व अर्जित संपत्ति में पूरा अधिकार होगा। दूसरी पत्नी को पति की कितनी प्रॉपर्टी पर अधिकार मिलेगा दूसरी पत्नी का फिर से किसी और से शादी करने से पहले उसके पहले पति का निधन हो गया हो या उसके बच्चों का पिता बन गया हो तो उसके हिस्से में पहली पत्नी से हुए बच्चों की तरह समान अधिकार है। अगर दूसरी शादी कानूनी मान्यता नहीं है तो ना तो दूसरी पत्नी और ना ही उसके बच्चों को पैतृक संपत्ति म

बीते माह राशन कार्ड सरेंडर करने वालों से होगी राशन के बराबर धन की वसूली?

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वर्तमान में राशनकार्ड समर्पण/निरस्तीकरण के सम्बन्ध में मीडिया पर विभिन्न प्रकार की भ्रामक व तथ्यों से परे प्रसारित की जा रही खबरों की सचाई क्या है? क्यों किये जा रहे है राशन कार्ड निरस्त? वर्तमान में राशनकार्ड सत्यापन/निरस्तीकरण हेतु की जा रही कार्यवाही के सम्बन्ध में इलेक्ट्रॉनिक एवं प्रिन्ट मीडिया द्वारा तथ्यों से परे एवम् भ्रामक खबरे प्रकाशित/प्रसारित की जा रही हैं, जो कि आधारहीन एवम् सत्य से परे हैं। प्रकरण में सचाई तो यह है कि पात्र गृहस्थी राशनकार्डों की पात्रता/अपात्रता के सम्बन्ध में शासनादेश दिनांक 07 अक्टूबर, 2014 में विस्तृत मानक निर्धारित किए गए हैं। उक्त मानकों का पुनर्निर्धारण वर्तमान में नहीं किया गया है तथा पात्रता/अपात्रता की कोई नवीन शर्त नहीं निर्धारित की गयी है। क्या राशन कार्ड एक्ट में वसूली का प्रावधान है? राशन कार्ड एक्ट के अनुसार सरकारी योजनान्तर्गत आवंटित पक्का मकान, विद्युत कनेक्शन, एक मात्र शस्त्र लाइसेंस धारक, मोटर साइकिल स्वामी, मुर्गी पालन/गौ पालन होने के आधार पर किसी भी कार्डधारक को अपात्र घोषित नहीं किया जा सकता है। इसी प्रकार राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधि

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