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जानिए कंज्यूमर फोरम में शिकायत कैसे करें? उपभोक्ता की शिकायत कितने दिन में दर्ज करनी है।
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जब किसी व्यक्ति द्वारा किसी उत्पाद या सेवा का इस्तेमाल किया जाता है और वह व्यक्ति किसी स्तर पर जब सेवा अथवा उत्पाद से असंतुष्ट होता है तो उसके मन में अपने अधिकार के लिए आवाज उठाने की बात आती है। तब ऐसे में किसी व्यक्ति को इस सभी प्रश्नों का अर्थ मालूम होना अनिवार्य हो जाता है-
- कंज्यूमर का क्या अर्थ है?
- कस्टमर और कंज्यूमर में क्या अंतर होता है?
- कंज्यूमर फोरम में शिकायत कैसे करें?
- कंज्यूमर कोर्ट केस क्या है?
- उपभोक्ता की शिकायत कितने दिन में दर्ज करनी है
- जिला उपभोक्ता फोरम की सीमा क्या है?
- जिला फोरम क्या करता है?
Consumer forum या कंज्यूमर कोर्ट का क्या अर्थ है?
Consumer forum एक सरकारी न्यायालय जैसा है जो consumers के विवादों और शिकायतों के मामले को देखता है परखता है और फिर consumers को न्याय दिलाता है। Consumer forum सरकार द्वारा ही बनाया गया है, जिसका मुख्य उदेश्य है consumer के अधीकार यानि की Consumer Rights की रक्षा करना।
कंज्यूमर का क्या अर्थ है?
कंज्यूमर या उपभोक्ता उस व्यक्ति को कहते हैं, जो अलग-अलग वस्तुओं एवं सेवाओं का या तो उपभोग करता है अथवा उनको उपयोग में लाता है। वस्तुओं में उपभोक्ता वस्तुएं (जैसे गेहूं, आटा, नमक, चीनी, फल, पैकेट बंद खाद्य वस्तुएं, साबुन आदि) एवं स्थायी वस्तुएं (जैसे टेलीविजन, रेफरीजरेटर, मोबाइल, मिक्सर, साइकिल, कार आदि) सम्मिलित है।
कस्टमर और कंज्यूमर में क्या अंतर होता है?
कस्टमर: कोई भी व्यक्ति जो ग्राहक के रूप में किसी वस्तु, सेवा, उत्पाद या विचार को खरीदता है या प्राप्त करता है जिसके बदले में उसने भुगतान किया होता है।
कन्ज़्यूमर: कोई भी व्यक्ति जो उपभोक्ता के रूप में किसी वस्तु, सेवा या उत्पाद का उपभोग या इस्तेमाल करता है और उसके बदले में उसने शुल्क का भुगतान किया होता है।
कंज्यूमर फोरम में शिकायत कैसे करें?
किसी सेवा अथवा उत्पाद से असंतुष्ट होने पर ग्राहक कंज्यूमर फोरम के हेल्पलाइन नंबर 1800-11-4000 या 14404 पर कॉल करके शिकायत दर्ज़ करा सकते हैं। इसके अतिरिक्त 8130009809 पर SMS करके भी शिकायत की जा सकती है। भारत सरकार ने हाल ही में नेशनल कंज्यूमर हेल्पलाइन एप और उमंग एप पर भी इसकी सुविधा प्रदान करना शुरू कर दी है जहाँ से शिकायत की जा सकती है।
कंज्यूमर कोर्ट केस क्या है?
उपभोक्ता फोरम में कौन शिकायत दर्ज करा सकता है?
उपभोक्ता फोरम में सामान्यतः वे सभी ग्राहक अथवा कंज्यूमर अपनी शिकायत दर्ज़ करवा सकते हैं जो किसी सेवा या वास्तु का उपयोग करते हैं। उपभोक्ता फोरम में निम्न लोग शिकायत दर्ज़ करवा सकते हैं-
- पीड़ित कंस्यूमर
- कोई फर्म, भले ही यह रजिस्टर्ड न हो
- कोई भी व्यक्ति, भले ही वह खुद पीड़ित न हुआ हो
- संयुक्त हिंदू परिवार
- को-ऑपरेटिव सोसाइटी या लोगों को कोई भी समूह
- राज्य या केंद्र सरकारे
- कंस्यूमर की मृत्यु हो जाने की स्थिति में उसके कानूनी वारिस
उपभोक्ता की शिकायत कितने दिन में दर्ज करनी है
यह सिर्फ इतना है कि उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 13 (2) (बी) (ii) के तहत 15 दिनों (30 दिनों की अवधि के बाद) से अधिक समय के विस्तार के विवेक को कम कर दिया गया है और इसके परिणाम प्रदान किए गए हैं।
उपभोक्ता फोरम कंप्लेंट करने के बाद कितने दिन में निवारण होता है?
- कंज्यूमर कोर्ट में केस दायर करने के लिए सबसे पहले प्राथमिक सुनवाई होती है, जो शिकायत दर्ज करने के 21 दिनों के भीतर ही कर ली जाती है। कोर्ट में आप विवाद शुरू होने के 2 साल के अंदर शिकायत कर सकते हैं।
- उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अनुसार कंज्यूमर कोर्ट में शिकायत करने के लए तकनीकी रूप से कंज्यूमर होना जरूरी है।
उपभोक्ता कोर्ट में केस कैसे करें? How to file case in Consumer Court?
किसी उपभोक्ता द्वारा कोर्ट में शिकायत दर्ज कराने के लिए इस तरीके का इस्तेमाल कर सकते हैं
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत उपभोक्ताओं की शिकायतों को ऑनलाइन माध्यम से दर्ज कराने के लिए एनआईसी (NIC) द्वारा एक पोर्टल (https://consumerhelpline.gov.in/) विकसित किया गया है। इस वेबसाईट पर उपभोक्ता अपना नाम, नंबर और अन्य जानकारी डालकर अकाउंट बना सकते हैं और फिर अपनी शिकायतें दर्ज करा सकते हैं।
जिला स्तर पर उपभोक्ता मामलों की सुनवाई कौन करता है?
उपभोक्ता विवाद निवारण एजेंसियां जिला, राज्य एवं राष्ट्रीय स्तर पर स्थापित हैं।
ये क्रमशः जिला उपभोक्ता विवाद निवारण फोरम (DCDRF), राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (SCDRC) एवं राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (NCDRC) के नाम से जानी जाती हैं। इन्हीं वर्गीकरण के अनुसार इसमें मामलों की सुनवाई की जाती है।
जिला उपभोक्ता फोरम की सीमा क्या है?
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अनुसार शिकायत दर्ज की जा सकती है-
- जिला उपभोक्ता विवाद निवारण फोरम (DCDRF): यदि दावे का मूल्य ₹ 20 लाख तक है।
- राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (SCDRC): यदि दावे का मूल्य ₹ 20 लाख से अधिक है लेकिन ₹ एक करोड़ के भीतर है।
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