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किसी कम्पनी का नाम या उत्पाद की नक़ल करने से कैसे रोका जा सकता है? क्या है क़ानूनी उपाय!

व्यापार चिन्ह के उल्लंघन से आप क्या समझते हैं? इसके उल्लंघन के आवश्यक तत्व क्या है? व्यापार चिन्ह के उल्लंघन के फलस्वरुप वादी को क्या उपचार उपलब्ध है? वादी को ऐसे बाद में क्या सिद्ध करना चाहिए तथा प्रतिवादी को क्या बचाव लेने चाहिए?


व्यापार चिन्ह के उल्लंघन का अर्थ ( Meaning of the Infringement of Trade Mark)

व्यापार चिन्ह से तात्पर्य ऐसे चिन्ह से है, जो यह प्रकट करता है कि कथित माल किसी व्यक्ति विशेष द्वारा निर्मित हुआ है। यह एक प्रकार का प्रतीक होता है जो उस माल से संलग्न होता है। जिससे उसी प्रकार के दूसरे माल से उसे अलग पहचाना जा सकता है। ट्रेडमार्कस एक्ट 1999 के प्रावधानों के अनुसार व्यापार चिन्ह किसी भी रीति, प्रतीक, नाम, हस्ताक्षर, चिन्ह या उनके मिश्रण द्वारा प्रकट किया जा सकता है।

व्यापार चिन्ह के उल्लंघन का अर्थ यह है कि इसके समान अथवा मिलता-जुलता ऐसा चिन्ह बनाना जिससे ग्राहकों को यह भ्रम हो कि यह माल उसी संस्थान द्वारा बनाया गया है। जो इस व्यापार चिन्ह के स्वामी हैं। इस विषय में जनता के भ्रम का स्पष्ट आधार होना चाहिए कि केवल संभावना मात्र से कोई दावा नहीं लाया जा सकता। असली व नकली चिन्ह में पूर्ण समानता होना आवश्यक नहीं है। दावा सिद्ध करने के लिए वे इतने मिलते जुलते होने चाहिए कि नकली को देखकर असली का भ्रम हो जाए।

जब कोई व्यक्ति अपने माल पर कोई निशान या चिन्ह लगाता है तो वह उसका व्यापार चिन्ह माना जाता है और वह उस व्यक्ति की निजी संपत्ति हो जाती है। इसमें चिन्ह, ब्रांड, लेबिल, टिकट, नाम, हस्ताक्षर, शब्द, अंक, नंबर कोई चित्र या इसी प्रकार का कोई मिश्रण आदि शामिल रहते हैं। यदि कोई व्यक्ति ऐसे चिन्ह का प्रयोग करता है जिसमें क्रेता माल को असली निर्माता समझकर खरीदे तो उस चिन्ह का उल्लंघन समझा जाता है। यदि किसी व्यापारी के ट्रेडमार्क को कोई दूसरा व्यक्ति है यह दिखाने के लिए इस्तेमाल करता है जिससे उसका माल वादी के माल के रूप में माना जाए तो वह उस व्यापारी के ट्रेडमार्क का उल्लंघन करता है। दूसरे शब्दों में किसी व्यक्ति को अपने माल को दूसरे के माल के रूप में प्रदर्शित करने का अधिकार नहीं है।

स्मरणीय है कि व्यापार चिन्ह पर इंग्लैंड और भारत की विधियां एक समान है। इंग्लैंड में सन 1938 का एक्ट तथा भारत में 1958 के ट्रेडमार्क एक्ट के अंतर्गत ट्रेडमार्क का स्वामी अपना ट्रेडमार्क पंजीकृत करा सकता है और पंजीकरण के फलस्वरुप पंजीकृत ट्रेडमार्क उस व्यक्ति की अमूर्त संपत्ति हो जाती है और उसके उल्लंघन होने पर वह कार्यवाही कर सकता है। व्यापार चिन्ह की कार्यवाही करने के लिए दोनों चिन्ह की वास्तविक भौतिक समानता का होना आवश्यक नहीं है।

व्यापार चिन्ह के उल्लंघन के आवश्यक तत्व ( Essentials of the Infringement of Trade Mark )

ट्रेडमार्क के उल्लंघन की कार्यवाही में वादी को निम्नलिखित बातें सिद्ध करना आवश्यक है-

  • यह कि व्यापार चिन्ह असली था अर्थात उसे किसी अन्य व्यक्ति के व्यापार के व्यापार चिन्ह से नकल नहीं किया गया था।
  • यह कि जिस माल पर व्यापार चिन्ह प्रयोग किया गया था वह बिक्री की दशा में थी।
  • यह कि प्रतिवादी ने अपनी वस्तुओं को वादी की वस्तुओं के रूप में बेचने के इरादे से व्यापार चिन्ह की नकल की थी।
  • यह कि व्यापार चिन्ह से जनता को धोखा होने की संभावना है जिससे वे प्रतिवादी के माल को वादी का माल समझकर खरीदते हैं।

उपेंद्र ब्रह्मचारी बनाम यूनियन ड्रग कंपनी लिमिटेड (1926) Cal. 837 में उपेंद्र नाथ एक प्रसिद्ध डॉक्टर था। उसने 'काला बाजार' नामक बीमारी के इलाज की खोज की जो एक सफेद व पीले रंग का मिश्रण था। जिसे डॉ उपेंद्र नाथ ने यूरिया सिटवैमिन नाम दिया। यह वस्तु का वर्णात्मक नाम नहीं था और न ही इसका कोई अर्थ था। उसने प्रतिवादी के खिलाफ प्रतिषेधात्मक आदेश का वाद दायर किया कि प्रतिवादी इस नाम का प्रयोग न करें ताकि क्रेताओं को यह भ्रम न हो कि यह वादी का ही माल है।

करतार सिंह बनाम रामेश्वरी केला ए. आई. आर. 1995-

दिल्ली में वादी ने प्रतिवादी के विरुद्ध 'सूर्या' नाम के व्यापार चिन्ह के प्रयोग पर रोक लगाने के लिए न्यायालय से आदेश पारित करने के लिए निवेदन किया। वादी का कहना था कि प्रतिवादी का व्यापार नाम और व्यापार चिन्ह उसके व्यापार चिन्ह से मिलता- जुलता है। न्यायालय ने प्रतिपादी को 'सूर्य' नाम के व्यापार चिन्ह पर रोक लगाने से इनकार किया। क्योंकी प्रतिवादी के व्यापार चिन्ह वादी के व्यापार चिन्ह से भिन्न था। प्रतिवादी के व्यापार चिन्ह में 'सूर्य का पूरा गोला आकार बना था जिसके चारों ओर से किरणें निकलना दिखाया गया था और बीच में आंखें, नाक व मुंह बना हुआ था। जबकि वादी के व्यापार चिन्ह में 'सूर्य' आधे आकार का बना हुआ था। जिसके बाहर निकलती हुई लाइने बनी हुई थी। दोनों व्यापार चिन्ह एक दूसरे से भिन्न थे और विवेकशील व्यक्ति को इससे यह भ्रम या धोख  नहीं हो सकता था कि दोनों व्यापार चिन्ह एक तरह के हैं। अतः प्रतिवादी को व्यापार चिन्ह के प्रयोग करने से रोका नहीं जा सकता।

वादी को उपलब्ध अधिकार ( Rights Available to Plaintiff )

व्यापार जन्म के उल्लंघन में वादी को प्रतिवादी के विरुद्ध निम्नलिखित उपचार उपलब्ध हैं-

  • प्रतिवादी के विरुद्ध न्यायालय द्वारा निषेधाज्ञा प्राप्त कर सकता है। इसमें उसे सिद्ध करना चाहिए कि व्यापार चिन्ह के इस उल्लंघन से जनता को भ्रम में पड़ने की आशंका है।
  • वादी निषेधाज्ञा के अतिरिक्त हर्जाने का दावा भी ला सकता है। यह हर्जाना उस हानि की पूर्ति के लिए होगा जो इस दुष्कृति द्वारा वादी को उठानी पड़ी अथवा उस लाभ के लिए जो प्रतिवादी ने इस अनुचित कार्य द्वारा प्राप्त किया है।

प्रतिवादी को उपलब्ध बचाब ( Defenses Available to the Defendant ) 

प्रतिवादी व्यापार चिन्ह के उल्लंघन के वाद में निम्नलिखित बचाव पेश कर सकता है:-

  • वादी को इस व्यापार चिन्ह का कोई अधिकार नहीं है।
  • प्रतिवादी को भी इस चिन्ह के प्रयोग का सह-अधिकार प्राप्त है।
  • व्यापार चिन्ह का पंजीयन (Registration) नहीं हुआ है।
  • वास्तव में किसी अधिकार का उल्लंघन नहीं हुआ है।
  • वादी आपत्ति करने के अधिकार से वंचित हो गया है।
  • कथित कार्य में वादी की सहमति थी।

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