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सत्यमेव जयते!

क्या कोई महिला घरेलू हिंसा करने की दोषी हो सकती है? क्या महिला के खिलाफ मुकदमा दायर किया जा सक्ता है? :हाईकोर्ट

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क्या कोई महिला घरेलू हिंसा करने की दोषी हो सकती है? क्या महिला के खिलाफ मुकदमा दायर किया जा सक्ता है? कानून कैसे काम करता है इस बात पर समय-समय पर विचार होते रहते हैं। ऐसा ही एक वाक्या दिल्ली में सामने आया जहाँ पति ने पत्नी के खिलाफ लगाया घरेलू हिंसा का आरोप लगाया और मुकदमा दायर किया। मामला जब कोर्ट में पहुंचा तब और भी दिलचस्प बात देखने मिली। मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस जसमीत सिंह हंसने लगे और बड़ी हैरानी से पूछा "ये क्या है?" क्या ट्रायल कोर्ट के न्यायाधीश ने अपना दिमाग नहीं लगाया? घरेलू हिंसा रोकथाम अधिनियम 2005 के तहत किसी महिला को आरोपी बनाया जा सकता है क्या? मामला कुछ इस तरह है कि जस्टिस जसमीत सिंह दिल्ली की एक महिला की अपील पर सुनवाई कर रहे थे। महिला ने निचली अदालत कड़कड़डूमा कोर्ट के एक फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। इस मामलें में निचली अदालत ने उसे घरेलू हिंसा के आरोप में समन जारी किया गया था। जहाँ इस प्रश्न पर चर्चा हुई कि- क्या है घरेलू हिंसा कानून? इसमें कोई महिला आरोपी क्यों नहीं बनाई जा सकती? क्या घरेलू हिंसा कानून पुरुष विरोधी है?  पति ने पत्नी के खिलाफ

IPC | PCSJ Model Question paper with Answer in Hindi | भारतीय दंड संहिता महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर 2022

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  प्रश्न1- भारतीय दंड संहिता प्रवत हुई- 6 अक्टूबर 1860 से 6 दिसंबर 1860 से 1 जनवरी 1861 से 1 जनवरी 1862 से उत्तर- 1 जनवरी 1862 से प्रश्न2- निम्नलिखित में से सही कथन को इंगित कीजिए- अपराध अनिवार्यता एक अनैतिक कृत्य है अपराध एक अवैधानिक कृत्य है अपराध अनिवार्यता एक समाज विरोधी कृत्य है अपराध अनिवार्यता एक धर्म विरोधी कृत्य है उत्तर- अपराध एक अवैधानिक कृत्य है प्रश्न3-  एक अपकार जिसमें पैरवी शासन या उसके अधीनस्थ व्यक्तियों द्वारा की जाती हो ।   यह कथन है- पैटर्न का ऑस्टिन का कीटन का इस्टीफेन का उत्तर- ऑस्टिन का प्रश्न4- अपराधिक विधि के प्रति कृतयात्मक दृष्टिकोण को उजागर किया है- भारत के विधि आयोग ने भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने इंग्लैंड की वुल्फडेन समिति ने संयुक्त राज्य अमेरिका के सर्वोच्च ने उत्तर- इंग्लैंड की वुल्फडेन समिति ने प्रश्न5- अपराधिक दायित्व के दो अति महत्वपूर्ण तत्व है- आशय एवं कार्य आशय एवं क्षति क्षति एवं दोष सिद्ध तैयारी एवं दंड उत्तर- आशय एवं कार्य प्रश्न6-निम्नलिखित में से कौन सा अपूर्ण अपराध है- लोक न्यूसेंस आपराधिक प्रयत्न विधि विरुद्ध जमाव बलवा उत्तर- आपराधिक प्रयत्न

पति-पत्नी के बीच शारीरिक संबंध न होना बन सकता है तलाक की वजह: हाईकोर्ट

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बिलासपुर हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। हाईकोर्ट ने एक युवक की तलाक याचिका स्वीकार करते हुए कहा कि पति-पत्नी के बीच शारीरिक संबंध होना एक स्वस्थ्य वैवाहिक जीवन का अहम हिस्सा है। शारीरिक संबंध नहीं बनाने वाले पति-पत्नियों के व्यवहार को क्रूरता के बराबर कोर्ट ने कहा कि पति-पत्नी में शारीरिक संबंध होना एक स्वस्थ वैवाहिक जीवन का अहम हिस्सा है। इसे नज़रंदाज़ नहीं किया जा सकता। विवाह के बाद पति या पत्नी में किसी के भी द्वारा शारीरिक संबंध से इनकार करना क्रूरता की श्रेणी में आता है। 'पति सुंदर नहीं है, कहकर, मायके चली गई थी पत्नी' हाईकोर्ट ने कहा-पति-पत्नी के मध्य शारीरिक संबंध बनाने से इनकार करना क्रूरता के बराबर जस्टिस पी सैम कोशी और जस्टिस पीपी साहू की बेंच ने कहा कि मामले के अनुसार अगस्त 2010 से पति-पत्नी के रूप में दोनों के बीच कोई संबंध नहीं है, जो निष्कर्ष निकलाने के लिए पर्याप्त है की उनके बीच कोई शारीरिक संबंध नहीं हैं। यदि एक पति या पत्नी दोनों में से कोई भी शारीरिक संबंध बनाने से इनकार करता है तो यह क्रूरता के बराबर है। यह तलाक लेने के लिए पर्याप्त कारण हो सकता है

मुकदमों की नई लिस्टिंग व्यवस्था से हाईकोर्ट के वकीलों में परेशान!

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मुकदमों की नई लिस्टिंग व्यवस्था से हाईकोर्ट के वकीलों में आक्रोश केस की जानकारी न मिलने से हो रही परेशानी प्रयागराज इलाहाबाद हाईकोर्ट में मुकदमों की लिस्टिंग एवं सूचना तकनीकी व्यवस्था की खामियों को लेकर वकीलों में आक्रोश है। अधिवक्ताओं ने बार एसोसिएशन के पदाधिकारियों से कहा है कि मुख्य न्यायाधीश से मिलकर समस्या का निस्तारण कराया जाये। क्या परेशानी हो रही है इससे? इस आदेश की वजह से केंद्र सरकार के साथ ही तमाम विपक्षी वकीलों को केस की जानकारी नहीं मिल पा रही है और इससे सम्बंधित सुनवाई टल रही है या एक पक्षीय आदेश पारित हो रहे हैं। कोर्ट में नए दाखिल मुकदमे 20 से 25 दिन बाद सूचीबद्ध हो रहे हैं और सुनवाई न हो पाने पर पांच दिन बाद दोबारा सूची पर लिस्ट किया जा रहा है। इस आदेश से सुनवाई लेट होने के साथ ही  वकीलों को वादकारियों से फजीहत भी झेलनी पड़ रही है। हाईकोर्ट में मुकदमे लिस्टिंग पर नहीं हैं और स्टेटस में रिकॉर्ड नहीं है। अधिवक्ता आशुतोष कुमार ने महानिबंधक से तकनीकी व्यवस्था में तत्काल सुधार की मांग की।  थानों में मोबाइल पाबंदी का वकीलों ने दिया करारा जवाब नई दिल्ली के कड़कड़डूमा कोर्ट परिस

किसी खाते से रुपए गायब हो जाएं तो बैंक जिम्मेदार होगा, ग्राहक नहीं : राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग

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राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग हैकर्स किसी के खाते से रुपए गायब कर दें तो बैंक जिम्मेदार होगा, ग्राहक नहीं अगर किसी व्यक्ति के बैंक खाते से किसी हैकर द्वारा या किसी अन्य कारण से पैसे निकाल कर धोखाधड़ी की जाती है। और इसमें ग्राहक की लापरवाही नहीं है। ऐसे मामले में बैंक प्रबंधन जिम्मेदार है। राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने इस संदर्भ में एक अहम फैसला सुनाया है। आयोग के जज सी विश्वनाथ ने क्रेडिट कार्ड की हैकिंग की वजह से एक एनआरआई महिला से हुई धोखाधड़ी के मामले में बैंक प्रबंधन को जिम्मेदार ठहराया है। आयोग ने एचडीएफसी बैंक द्वारा दायर याचिका को खारिज करते हुए आदेश दिया है कि पीड़ित महिला को 6110 अमेरिकी डॉलर तकरीबन 4.46 लाख 12% ब्याज के साथ वापस लौटाए। आयोग ने बैंक प्रबंधन को निर्देश दिया है कि वह पीड़िता को मानसिक प्रताड़ना के मुआवजे के तौर पर ₹40000 और केस खर्च के ₹5000 भी दे। आयोग के जज सी विश्वनाथ ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा है कि बैंक ऐसा कोई सबूत पेश नहीं कर पाया कि पीड़ित महिला का क्रेडिट कार्ड किसी अन्य ने चोरी कर लिया था। महिला का दावा है कि उसके खाते से पैसे किसी हैकर ने निकाले

मुस्लिम में निकाह एक कॉन्ट्रैक्ट है, हिंदू विवाह के तरह संस्कार नहीं- कर्नाटक हाईकोर्ट

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कर्नाटक हाईकोर्ट (Karnataka High Court ) ने एक मामले की सुनवाई के दौरान माना है कि मुस्लिम निकाह (Muslim Marriage) अर्थ के कई रंगों के साथ एक अनुबंध है! यह हिंदू विवाह (Hindu Marriage) से पूरी तरह अलग है और यह हिंदू विवाह की तरह एक संस्कार नहीं है.  हिंदू विवाह की संरचना भिन्न है यह विवाह विच्छेद से उत्पन्न होने वाले कुछ अधिकारों और दायित्वों से पीछे नहीं धकेलता है. क्या है पूरा मामला? दरअसल, यह मामला बेंगलुरु (कर्नाटक) के भुवनेश्वरी नगर में एज़ाज़ुर रहमान (52) नाम के एक शख्स की ओर से दाखिल की गई एक याचिका से संबंधित है. इस मामले में 12 अगस्त 2011 को बेंगलुरु की फैमिली कोर्ट के अतिरिक्त प्रधान न्यायाधीश द्वारा पारित आदेश को रद्द करने की याचना की गई थी. रहमान ने शादी के कुछ महीनों बाद ही 25 नवंबर 1991 को 5000 रुपये की ‘मेहर’ से तलाक बोलकर अपनी पत्नी सायरा बानो को तलाक दे दिया था. तलाक के बाद रहमान ने दूसरी शादी की और एक बच्चे के पिता बना. इस बीच बानो ने 24 अगस्त 2002 को भरण-पोषण के लिए दीवानी न्यायालय में वाद दायर किया. जहां फैमिली कोर्ट ने आदेश दिया कि पीड़िता केस फाइल होने की तारीख से

BS4 वाहनों को एक बार फिर रजिस्ट्रेशन का मौका मिला, सुप्रीम कोर्ट ने दी राहत, और अब व्हाट्सएप से कीजिये ओला-उबर की बुकिंग

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बीएस 4 वाहनों के रजिस्ट्रेशन को मंजूरी सुप्रीम कोर्ट ने बीएस 4 वाहनों के रजिस्ट्रेशन की इजाजत दे दी है। लेकिन ये अनुमति केवल उन BS4 वाहनों को दी गई है जो ई-वाहन पोर्टल पर अपलोड हो चुकी है और 31 मार्च 2020 के 8 तारीख से पहले स्थाई या अस्थाई रजिस्ट्रेशन हो चुका है, उन गाड़ियों को ही यह मंजूरी दी गई है। सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी से कहा है कि वह रिकॉर्ड को सही तरह से स्क्रुटनी करें, जिससे यह सुनिश्चित हो सके की बिक्री 31 मार्च 2020 पहले से हुआ हो और कट ऑफ डेट से पहले वाहन की बिक्री का रजिस्ट्रेशन या टेंपरेरी रजिस्ट्रेशन हुआ हो। अब व्हाट्सएप से भी बुक हो ऊबर अब राजधानी के लोग व्हाट्सएप के जरिए भी ऊबर की गाड़ी बुक कर सकेंगे। उबर और व्हाट्सएप में गुरुवार को यह साझेदारी का ऐलान किया। उबर के आधिकारिक चैट बॉट के जरिए यह सुविधा मिलेगी। ऊबर एशिया पेसिफिक की सीनियर डायरेक्टर बिजनेस डेवलपमेंट नंदनी माहेश्वरी ने कहा कि कंपनी लोगों के लिए उबर यात्रा बेहद आसान बनाना चाहती है इसी के तहत व्हाट्सएप से साझेदारी की गई है। पायलट प्रोजेक्ट के तहत इसकी शुरुआत लखनऊ से की जा रही है। इस सुविधा के तहत

घरों में बंद लोगों ने लडकियों को तंग करना नहीं छोड़ा? शिकायत हुई तो पता चला!

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मोबाइल व साइबर स्पेस में महिला अपराध बढ़े देश भर में लॉकडाउन के दौरान महिलाओं के खिलाफ सार्वजनिक जगहों पर होने वाले अपराध तो घटे हैं पर मोबाइल फोन व साइबर स्पेस में अश्लीलता और छेड़खानी की वारदात बढ़ गई है। विमिन पावर लाइन पर दर्ज़ आंकडे इसका सबूत है की लगभग 2,59,800 महिलाओं ने शिकायत दर्ज़ करवाई। शिकायतों की यह संख्या लॉकडाउन के पहले इसी अवधि के दौरान हुई शिकायतों से 41000 अधिक है। लॉकडाउन से पहले वीमिन पावर लाइन पर शिकायतों की संख्या 2.18 लाख थी। जो की गत वर्ष लॉकडाउन के दौरान शिकायतों की संख्या 41800 बढ़ गई है। एडीजी (कानून) ने बताया कि इनमें से कुछ केस पुराने हैं, जिनमें शिकायतकर्ताओं ने बताया कि उनके साथ फिर से मोबाइल पर अश्लीलता की गई। 1200 कॉल लॉकडाउन की वजह से हुए दिक्कत से संबंधित एडीजी विमिन पावर लाइन ने बताया कि वीमिन पावर लाइन पर कुल 2.61 लाख कॉले आई थी, जिनमें 1200 लॉकडाउन की दिक्कतों से संबंधित थी। कुछ कॉले यूपी के बाहर फंसे लोगों ने की थी और मदद मांगी थी। इन्हें संबंधित राज्यों की हेल्पलाइन नंबरों की जानकारी दी गई। कई कॉलें राशन और दवा की उपलब्धता से संबंधित थी। इन्हें संब

महिलाओं में वैक्सीन से होने वाली एलर्जी के 90% मामले पाए गये?

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देश के आखिरी छोर तक पहुंचाऐंगे वैक्सीन  पूरे देश में एक बार फिर कोरोना की वैक्सीन लगाने का पूर्वाभ्यास किया जाएगा। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने गुरुवार को देश के सभी राज्यों के स्वास्थ्य मंत्रियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बात कर इसकी तैयारियों की जानकारी हासिल की। हर्षवर्धन इस मौके पर तमिलनाडु में रहेंगे और टीकाकरण की तैयारी का जायजा लेंगे। उन्होंने बातचीत के दौरान स्वास्थ्य मंत्रियों से कहा कि वैक्सीनेशन से जुड़ा एक एक इंतजाम पुख्ता होना चाहिए ताकि किसी तरह की चूक न हो। बैठक में स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि कोविडशील्ड और कोवैक्सीन देशभर में उपलब्ध होने जा रही है। हमारी कोशिश इन वैक्सीन को देश के आखिरी छोर तक पहुंचाने की है। यूपी और हरियाणा को छोड़कर सभी राज्यों के हर जिले में टीकाकरण का ड्राई रन होगा। यह दोनों राज्य यह काम कर चुके हैं। दूसरे दौर के देशव्यापी ड्राइरन के तहत 33 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 736 जिलों में वैक्सीन लगाने का पूर्वाभ्यास किया जाएगा। हर्षवर्धन ने राज्यों के स्वास्थ्य मंत्रियों से आग्रह किया कि वह इस काम पर खुद भी नजर रखें और सरकार

किसी कारखाने को बंद होने पर बेरोजगार हुए कर्मचारियों को नौकरी देने की जिम्मेदारी किसकी? जैसा स्कूटर इन्डिया व फोर्ड मोटर के मामले में हुआ!

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किसी उपक्रम को बंद करने की प्रक्रिया का उल्लेख कीजिए। उपक्रम को बंद करने की प्रक्रिया- धारा 25 (O) में उपबंधित प्रक्रिया का पालन उपक्रम के बंद करने के लिए नियोजक हेतु आवश्यक है। इसके अनुसार- 1- नियोजक, जो औद्योगिक उपक्रम को बंद करना चाहता है आशयित बंदी प्रभावी होने वाली तिथि से कम से कम 90 दिनों पूर्व बंदी के लिए अनुमति हेतु आशयित बंदी के कारणों का अभिकथन करते समुचित सरकार के पास आवेदन बंदी के लिए अनुमति प्राप्त करने के लिए देगा और विस्तृत विहित रीति से कर्मकारों के प्रतिनिधियों को भी ऐसे आवेदन की एक प्रतिलिपि प्रदान की जाएगी। परंतु इस उप धारा की कोई बात भवन, पुल, सड़कें, नहरे, बांध या अन्य निर्माण कार्य के लिए स्थापित उपक्रम पर लागू नहीं होगी। मेसर्स उड़ीसा टेक्सटाइल स्टील लिमिटेड बनाम उड़ीसा राज्य तथा उत्तर प्रदेश राज्य तथा इंडियन ऑक्सीजन लिमिटेड के निर्णय अनुसार जब समुचित सरकार उपक्रम बंद करने के लिए अनुमति देगी या इंकार करेगी तो वह लिखित होगी और उसमें कारणों का भी उल्लेख रहेगा। धारा 25 (O) का प्रावधान संविधानिक तथा वैध है।  जब भी किसी उपक्रम को बंद करना है तो साल के अंत में क्ल

अगर यह काम हुआ तो पुश्तैनी ज़मीन जायदाद से हाथ धोना पड़ सकता है!

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हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम 1956 के अनुसार उन व्यक्तियों का वर्णन कीजिए जो पैतृक संपत्ति पाने के अयोग्य हैं? अयोग्यता (Disqualification of Hindu) हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम 1956 की धारा 24 से लेकर 29 तक में कुछ आधारों का उल्लेख किया गया है। जिन पर कि एक व्यक्ति पत्रक संपत्ति पाने के अयोग्य है। ये निर्योग्यतायें निम्नलिखित हैं- पुनर्विवाह से उत्पन्न निर्योग्यता (धारा 24) हत्या का अपराध (धारा 25) धर्म परिवर्तन से उत्पन्न निर्योग्यता (धारा 26) पुनर्विवाह पुनर्विवाह से उत्पन्न निर्योग्यता धारा 24 के अंतर्गत इस निर्योग्यता के विषय में उल्लेख किया गया है। यह धारा उपबंधित करती है- "जो कोई दायद पूर्व मृत पुत्र की विधवा पूर्व मृत पुत्र के पुत्र की विधवा या भाई की विधवा के रूप में निर्वसीय से नातेदारी रखती है? यदि उत्तराधिकार के सूत्रपात होने की तिथि में पुन: विवाह कर लेती है। तो वह निर्वसीयत की संपत्ति ऐसी विधवा के रूप में उत्तराधिकार प्राप्त करने की हकदार नहीं होगी।" इस धारा से स्पष्ट है कि किसी व्यक्ति की विधवा पुनर्विवाह (Remarriage) कर लेने के पश्चात उसकी विधवा नहीं रह जाती और उस

किसी कम्पनी का नाम या उत्पाद की नक़ल करने से कैसे रोका जा सकता है? क्या है क़ानूनी उपाय!

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व्यापार चिन्ह के उल्लंघन से आप क्या समझते हैं? इसके उल्लंघन के आवश्यक तत्व क्या है? व्यापार चिन्ह के उल्लंघन के फलस्वरुप वादी को क्या उपचार उपलब्ध है? वादी को ऐसे बाद में क्या सिद्ध करना चाहिए तथा प्रतिवादी को क्या बचाव लेने चाहिए? व्यापार चिन्ह के उल्लंघन का अर्थ ( Meaning of the Infringement of Trade Mark) व्यापार चिन्ह से तात्पर्य ऐसे चिन्ह से है, जो यह प्रकट करता है कि कथित माल किसी व्यक्ति विशेष द्वारा निर्मित हुआ है। यह एक प्रकार का प्रतीक होता है जो उस माल से संलग्न होता है। जिससे उसी प्रकार के दूसरे माल से उसे अलग पहचाना जा सकता है। ट्रेडमार्कस एक्ट 1999 के प्रावधानों के अनुसार व्यापार चिन्ह किसी भी रीति, प्रतीक, नाम, हस्ताक्षर, चिन्ह या उनके मिश्रण द्वारा प्रकट किया जा सकता है। व्यापार चिन्ह के उल्लंघन का अर्थ यह है कि इसके समान अथवा मिलता-जुलता ऐसा चिन्ह बनाना जिससे ग्राहकों को यह भ्रम हो कि यह माल उसी संस्थान द्वारा बनाया गया है। जो इस व्यापार चिन्ह के स्वामी हैं। इस विषय में जनता के भ्रम का स्पष्ट आधार होना चाहिए कि केवल संभावना मात्र से कोई दावा नहीं लाया जा सकता। असली व न

कैसे होता है उपभोक्ताओं के अधिकारों का संरक्षण जानिए विस्तार से!

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उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 (1986 का 68) की धारा 30A द्वारा प्रदत शक्तियों के अभ्यास में, राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग केंद्र सरकार की मंजूरी के साथ निम्नलिखित नियम बनाता है: - 1. संक्षिप्त शीर्षक और प्रारंभ-  इन विनियमों को उपभोक्ता संरक्षण विनियम, 2005 के नाम से जाना जायेगा है। यह आधिकारिक राजपत्र में अपने प्रकाशन की तिथि से लागू होंगे। 2. परिभाषाएँ- इन नियमों में जब तक कि संदर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो (जो कहा गया है उसके अतिरिक्त, (i) "अधिनियम" का अर्थ है उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 (1986 का 68); (ii) "उपभोक्ता फोरम" का अर्थ है जिला फोरम। एक उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग धारा 9 के खंड (ख) के तहत एक राज्य में स्थापित (उसके बाद राज्य आयोग कहा जाता है) या राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग; (iii) "रजिस्ट्रार" का अर्थ है उपभोक्ता फोरम के मंत्री पद का प्रमुख और ऐसी शक्तियां और कार्य करना जो उपभोक्ता फोरम के अध्यक्ष द्वारा उसे प्रदान किए जाते हैं: (iv) "नियम" का अर्थ अधिनियम के अधीन बनाए गए नियमों से है;

अस्पताल की मनमानी से बचना है तो रोगी के क्या अधिकार होतें हैं पता होना चाहिए!

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जानिए रोगी के अधिकार हॉस्पिटल में हम सब का वास्ता पड़ता है। मगर क्या कभी आपने और उन अधिकारों को भी जानने की कोशिश की है, जो हॉस्पिटल और इलाज से जुड़े हुए हैं। हालांकि हमारे देश में पेशेंट राइट नाम का कोई अलग से कानून नहीं है जबकि बाहर के देशों में पेशेंट को लेकर कई कानून बने हैं। लेकिन उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम भी हमारे अधिकारों की सुरक्षा करने के लिए काफी है। इसमें यह प्रावधान है कि आप इलाज, दवा या हॉस्पिटल से जुड़ी कोई भी जानकारी सूचना के अधिकार के तहत ले सकते हैं। हॉस्पिटल्स की मनमानी को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने भी कई जजमेंट दिए हैं, जो मरीजों को सुरक्षा प्रदान करते हैं। सूचना का अधिकार  किसी भी मरीज के परिजन के लिए यह सबसे बड़ा हथियार है। इसके तहत सबसे पहले हमें डॉक्टर और अस्पताल से यह जानने का अधिकार होता है कि मरीज पर किस तरह का उपचार चल रहा है। अस्पताल की जांच में क्या निकल कर सामने आया है? हर टेस्ट की क्या कीमत है? दवाइयों का कोई सस्ता विकल्प है, तो वह क्या है? यह सारी जानकारी आप अस्पताल से ले मांग सकती हैं। या यूं कहें कि अपनी बीमारी चिकित्सा और दवाइयों के बारे में जानकारी

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