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चेक बाउंसिंग के मामले में पक्षकार मुकदमों के किसी भी स्तर पर समझौता कर सकते हैं।
यह कहते हुए हाईकोर्ट में ₹200000 के चेक बाउंसिंग के एक केस में समझौते के आधार पर आरोपित की दोष सिद्धि व 1 साल की सजा को खारिज कर दिया। आरोपित 14 दिसंबर 2020 से जेल में सजा काट रहा था।
यह आदेश जस्टिस सीडी सिंह की बेंच ने ऋषि मोहन श्रीवास्तव की अर्जी पर पारित किया। अपने आदेश में कोर्ट ने यह भी कहा कि भले ही हाईकोर्ट ने पहले एक रिवीजन याचिका खारिज कर दी थी, किंतु न्याय हित में सीआरपीसी (CrPC) की धारा 482 के तहत अर्जी को सुना जा सकता है। इस मामलों मामले में पक्षकारों को तकनीकी आधार पर यहां न सुनकर सुप्रीम कोर्ट भेजने का कोई औचित्य नहीं है।
व्यापार के सिलसिले में दिया गया चेक हो गया था बाउंस
ऋषि श्रीवास्तव ने व्यापार के सिलसिले में अभय सिंह को एक एक लाख की दो चेक दी थी। चेक बैंक में लगाने पर बाउंस हो गई। इसके बाद 2016 में अभय ने अदालत में एनआई (NI) एक्ट की धारा 138 के तहत मुकदमा कर दिया। विचारण अदालत ने ऋषि को 29 नवंबर 2019 को 1 साल की सजा सुनाते हुए ₹300000 हर्जाना भी लगा दिया था। ऋषि ने अयोध्या की सत्र अदालत में अपील की, लेकिन वह 14 दिसंबर 2020 को खारिज हो गई। फिर उन्होंने हाईकोर्ट में अपराधिक रिवीजन दायर किया, लेकिन हाईकोर्ट ने भी मेरिट पर सुनवाई करके उसे 18 दिसंबर 2020 को खारिज कर दिया। इस बीच ऋषि 14 दिसंबर 2020 से लगातार जेल में थे। जब उन्हें कोई रास्ता नहीं दिखा तो उन्होंने अभय को रुपए देकर समझौता कर लिया। इसके बाद उन्होंने हाईकोर्ट में सीआरपीसी की धारा 482 के तहत याचिका पेश की।
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सरकारी वकील बोले, याचिका कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग
याची की ओर से दलील दी गई कि एनआई (NI) एक्ट के तहत किसी भी स्तर पर समझौता किया जा सकता है, इसलिए सजा को समझौते के मद्देनजर खारिज किया जाए। सरकारी वकील ने याची की दलील को कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग बताते हुए उसका विरोध किया। हालांकि मामले की परिस्थितियों व सुप्रीम कोर्ट की नजीरों के आधार पर जस्टिस श्री सिंह ने कहा कि एन आई एक्ट के तहत समझौता किसी भी स्तर पर किया जा सकता है। इस मामले में पक्षकारों ने समझौता कर लिया हैं। यह कहते हुए कोर्ट ने याचिका को मंजूर कर दिया और याची को सुनाई गई सजा व जुर्माने को खत्म कर दिया। कोर्ट ने विपक्षी राज्य सरकार को ₹5000 का हर्जाना भी दिलवाया।
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