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सत्यमेव जयते!

क्या एक विवाहित बेटी अपने पिता की संपत्ति में हिस्से का दावा कर सकती है? सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, पैतृक संपत्ति में बेटियों का होगा इतना अधिकार?

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Ancestral Property-पैतृक संपत्ति में बेटियों को कितना अधिकार मिलेगा यह बहुत ही कंट्रोव्र्शियल प्रश्न रहा है। आज पैतृक संपत्ति से जुड़ा सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला सामने आया। सुप्रीम कोर्ट ने बताया कि पैतृक संपत्ति में बेटियों का क्या और कितना अधिकार होगा। पिता की पैतृक संपत्ति में बेटी को कितना हिस्सा मिलता है? शीर्ष अदालत ने महिलाओं के हक में फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पिता की पैतृक संपत्ति में बेटी को भी बेटे के बराबर हक दिया जाना चाहिए। इसमें किसी प्रकार का संशय नहीं होना चाहिए थोड़ा सा भी नहीं। सम्पति में बेटों के सामान बराबर का हिस्सा बेटी को दिया जाना चाहिए। क्या शादी के बाद बेटी का पिता की संपत्ति पर अधिकार समाप्त हो जाता है? देश की सर्वोच्च अदालत कहा कि बेटी जन्म के साथ ही पिता की संपत्ति में बराबर की हिस्सेदार हो जाती है। सर्वोच्च अदालत की तीन जजों की पीठ ने स्पष्ट करते हुए कहा कि भले ही पिता की मृत्यु हिंदू उत्तराधिकार (संशोधन) कानून, 2005 लागू होने से पहले हो गई हो, फिर भी बेटियों को माता-पिता की संपत्ति पर पूर्ण अधिकार मिलेगा। हिंदू उत्तराधिकार (संशोधन) कानून, 2005

Cyber Crime की शिकायत दर्ज कराने के लिए क्या जानकारी देनी होगी? साइबर अपराध (Cyber Crime) पोर्टल पर शिकायत कैसे करें?

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डिजिटल क्रांति आने के साथ ही साइबर अपराध (Cyber Crime) भी बढ़ गये हैं। इसलिए केंद्र सरकार की पहल द्वारा आप पोर्टल पर पीड़ितों और शिकायतकर्ताओं को साइबर अपराध (Cyber Crime) की शिकायतों की ऑनलाइन रिपोर्ट करने की सुविधा प्रदान की जाती है। इस पोर्टल पर आप कई तरह के साइबर अपराधों (Cyber Crime) की शिकायत कर सकते हैं। पोर्टल पर शिकायत दर्ज़ करने से पहले आपको  इन बातों का पता होना चाहिए। साइबर अपराध (Cyber Crime) पोर्टल का उद्देश्य क्या है? साइबर अपराध (Cyber Crime) पोर्टल पर किस प्रकार की शिकायत दर्ज़ करवाई जा सकती है? Cyber Crime की शिकायत दर्ज कराने के लिए क्या जानकारी देनी होगी? साइबर अपराध (Cyber Crime) पोर्टल पर शिकायत कैसे करें? मैं अन्य साइबर अपराधों के बारे में शिकायत कैसे दर्ज कर सकता हूं? साइबर अपराध (Cyber Crime) पोर्टल पर किसी घटना या शिकायत की रिपोर्ट दर्ज़ कराते समय किस राज्य का चयन करना होगा? साइबर अपराध (Cyber Crime) पोर्टल का उद्देश्य क्या है? इस पोर्टल पर पीड़ितों और शिकायतकर्ताओं को साइबर अपराध (Cyber Crime) की शिकायतों की ऑनलाइन रिपोर्ट करने की सुविधा प्रदान की जाती है। यह भार

IPC | PCS J | APO | AIBE Model Question Paper With Answer in Hindi

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  प्रश्न1-निम्नलिखित में से कौन सा वाद आपराधिक प्रयत्न से संबंधित है? आर बनाम लिपमैन क्वीन बनाम टॉल्सन मुंबई राज्य बनाम के एम नानावती महाराष्ट्र राज्य बनाम मोहम्मद याकूब उत्तर- महाराष्ट्र राज्य बनाम मोहम्मद याकूब प्रश्न2 नीचे दिए गए कथनों में से असत्य कथन इंगित कीजिए-  अपराध करने की प्रयत्न सदैव दंडनीय होता है अपराध करने की तैयारी अपवादित मामलों में दंडनीय है निगमों को अपराधों के लिए दायित्वधीन नहीं ठहराया जा सकता आपराधिक कार्य तथा आपराधिक मन: स्थिति में पारस्परिक संबंध होना आवश्यक है उत्तर- निगमों को अपराधों के लिए दायित्वाधीन नहीं ठहराया जा सकता प्रश्न3- जारकर्म अपराध नहीं होता यदि उसके लिए- महिला की सम्मति है महिला के पति की सम्मति है महिला के परिवार के सदस्य की सहमति है जारकर्मी की पत्नी की सहमति है उत्तर- महिला के पति की सम्मति है प्रश्न4- निम्नलिखित में से कौन सा वाद आपराधिक प्रयत्न से संबंधित है? वरिंद्र कुमार घोष बनाम किंग एंपरर श्रीनिवासमल बनाम किंग एंपरर अभयनंद मिश्रा बनाम बिहार राज्य के. एम. नानावती बनाम मुंबई राज्य उत्तर- अभयनंद मिश्रा बनाम बिहार राज्य प्रश्न5- एक महिला आत्

तो अब किससे पास कितनी ज़मीन है पता चल सकेगा यूनीक लैंड कोड से, जानिए कैसे?

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कहाँ पर कितनी ज़मीन है किसके नाम है? और कौन उसका मालिक है यह सभी जानकारी जुटाने के लिए प्रदेश सरकार ने जियो टैगिंग अभियान की शुरुआत कर दी है । राजस्व से जुड़े विवादों की गुंजाइश कम करने और बड़ी अवस्थापना परियोजनाओं के लिए शीघ्रता और आसानी से भूमि चिह्नित करने के लिए प्रदेश सरकार प्रत्येक गाटे की जियो टैगिंग कराएगी। यह संभव होगा केंद्र सरकार की प्रधानमंत्री गतिशक्ति योजना के तहत। ज़मीनों का आधार नंबर बनाने की तैयारी! हर गाटे (खसरा) को यूनीक लैंड पार्सल आइडेंटिफिकेशन नंबर (अलपिन) दिया जाएगा। यह 14 अंकों का एल्फा न्यूमरिक कोड होगा। इसे यूनीक लैंड पार्सल आइडेंटिफिकेशन नंबर कहा जायेगा। यूनीक लैंड कोड से क्या फायदा होगा? वर्तमान में प्रदेश में लगभग 7.5 करोड़ गाटे हैं। यूनीक लैंड कोड से ज़मीन की पूरी जानकारी कंप्यूटर पर पता चल सकेगी। जिससे तय समय में ज़मीनों की भौगोलिक स्थिति का शीघ्रता से पता चल सकेगा। हर गाटे की भौगोलिक स्थिति का पता होने से बड़ी सरकारी व औद्योगिक परियोजनाओं के लिए ज़मीन आसानी से चिह्नित हो सकेगी। प्रदेश में हर गाटे की जियो टैगिंग राजस्व विवादों का अंत होगा  इस योजना में गांवों

मुस्लिम में निकाह एक कॉन्ट्रैक्ट है, हिंदू विवाह के तरह संस्कार नहीं- कर्नाटक हाईकोर्ट

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कर्नाटक हाईकोर्ट (Karnataka High Court ) ने एक मामले की सुनवाई के दौरान माना है कि मुस्लिम निकाह (Muslim Marriage) अर्थ के कई रंगों के साथ एक अनुबंध है! यह हिंदू विवाह (Hindu Marriage) से पूरी तरह अलग है और यह हिंदू विवाह की तरह एक संस्कार नहीं है.  हिंदू विवाह की संरचना भिन्न है यह विवाह विच्छेद से उत्पन्न होने वाले कुछ अधिकारों और दायित्वों से पीछे नहीं धकेलता है. क्या है पूरा मामला? दरअसल, यह मामला बेंगलुरु (कर्नाटक) के भुवनेश्वरी नगर में एज़ाज़ुर रहमान (52) नाम के एक शख्स की ओर से दाखिल की गई एक याचिका से संबंधित है. इस मामले में 12 अगस्त 2011 को बेंगलुरु की फैमिली कोर्ट के अतिरिक्त प्रधान न्यायाधीश द्वारा पारित आदेश को रद्द करने की याचना की गई थी. रहमान ने शादी के कुछ महीनों बाद ही 25 नवंबर 1991 को 5000 रुपये की ‘मेहर’ से तलाक बोलकर अपनी पत्नी सायरा बानो को तलाक दे दिया था. तलाक के बाद रहमान ने दूसरी शादी की और एक बच्चे के पिता बना. इस बीच बानो ने 24 अगस्त 2002 को भरण-पोषण के लिए दीवानी न्यायालय में वाद दायर किया. जहां फैमिली कोर्ट ने आदेश दिया कि पीड़िता केस फाइल होने की तारीख से

प्राइवेट नौकरी में पूरा वेतन देना 'कानून' से नहीं 'मालिक मर्ज़ी' से तय होता है?

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सरकार की बंधक नहीं है कोर्ट सुप्रीम कोर्ट ने प्रवासी मजदूरों के मसले पर सुनवाई करते हुए कहा है कि अदालत (कोर्ट संस्था) सरकार का बंधक नहीं है। कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा है कि क्या प्रवासी मजदूरों को घर भेजने का कोई प्रस्ताव लाइन में है। कोर्ट ने सरकार को 1 हफ्ते का समय दिया है इस वक्त में सरकार को कोर्ट में जवाब दाखिल करना होगा। एक याचिकाकर्ता द्वारा कोर्ट में गुहार लगाई गई है कि अगर प्रवासी मजदूरों का कोरोना टेस्ट नेगेटिव आता है तो उनके घर भेजने का इंतजाम किया जाए। यह व्यवस्था सरकार की ओर से होना चाहिए ताकि प्रवासी मजदूरों को किसी प्रकार की असुविधा ना हो याचिकाकर्ता के वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि सरकार का जो विचार है उस पर आंख मूंद कर भरोसा नहीं किया जाना चाहिए। इससे मजदूरों का मौलिक अधिकार प्रभावित हो रहा है। इस पर जस्टिस कौल ने कहा, अगर आपको हमारे ऊपर भी भरोसा नहीं है तो फिर हम आपकी बात पर क्यों सुनवाई करें। आप कहते हैं कि आप 30 साल से ज्यादा समय से सुप्रीम कोर्ट से जुड़े हैं तो क्या आपको यह लगता है कि कोर्ट सरकार के यहां बंधक है। इस पर प्रशांत भूषण ने कहा कि हमें कोर्ट पर पूरा भ

फ्लिपकार्ट (FIlpkart) और अमेजॉन (Amazon) की जाँच ज़रूरी : सुप्रीम कोर्ट

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सुप्रीम कोर्ट ने अमेजॉन (Amazon) और फ्लिपकार्ट (Filpkart) के खिलाफ प्रतिस्पर्धा कानून के तहत सीसीआई की जांच में दखल देने से मना कर दिया है। दोनों कंपनियों को जवाब देने के लिए 4 हफ्ते की मोहलत मिली है। इसके बाद कंपटीशन कमीशन ऑफ इंडिया (सीसीआई- CCI) अमेजॉन (Amazon) और फ्लिपकार्ट (Filpkart) के खिलाफ अपनी जांच शुरू कर सकता है।  चीफ जस्टिस एन वी रमना (N.V. Ramanna) की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय बेंच ने कहा कि जांच को चुनौती देना आपराधिक कानून के तहत प्राथमिकी दर्ज (FIR) करने से पहले नोटिस चाहने जैसा है। बेंच ने ई-कॉमर्स कंपनियों को सीसीआई (CCI) की जांच में सहयोग करने के लिए कहा। बेंच ने कहा हम उम्मीद करते हैं कि amazon और Flipcart जैसे बड़े संगठन पूछताछ के लिए खुद आगे आएंगे। ऐसी संस्थाओं को पेश होना होगा और जांच भी करवानी होगी। क्या था मामला? इसके अलावा अमेजॉन (Amazon) और फ्लिपकार्ट (Filpkart) ने सुप्रीम कोर्ट में सीसीआई (CCI) के उस आदेश पर भी रोक लगाने की मांग की थी जिसमें दोनों कंपनियों को करीब 32 सवालों के जवाब मांगे गए थे। इनमें टॉप 100 सेलर्स और टॉप सेलिंग प्रोडक्ट्स के नाम शामिल थे। क

RTI में कौन सी धारा हमारे काम की है? RTI कैसे काम करता है?

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Right to Information RTI यानि Right to Information हमारे लिए एक मज़बूत हथियार की तरह है, जिससे हम अपने अधिकारों या न्याय के लिए मौजूदा प्रावधानों की सटीक जानकारी प्राप्त कर सकते है। आज RTI हमारी के ज़रूरत बन गया है ऐसे में RTI से कैसे किसी विषय की जानकारी प्राप्त की जा सकती है तह जानना बहुत ज़रूरी हो गया है लेकिन क्या आप जानते है की RTI की कौन सी धारा हमारे काम की है? RTI में कौन सी धारा हमारे काम की है- धारा 61-  आरटीआई का आवेदन लिखने की धारा है धारा 63-  अगर आपका आवेदन गलत विभाग में चला गया है तो वह विभाग इसको 63 धारा के अंतर्गत सही-सही विभाग में 5 दिन के अंदर भेज देगा।  धारा 75-  इस धारा के अनुसार बीपीएल कार्ड वालों को कोई आरटीआई शुल्क नहीं देना होगा।  धारा 76-  इस धारा के अनुसार अगर आरटीआई का जवाब 30 दिन में नहीं आता है तो सूचना नि:शुल्क दी जाएगी।   धारा 18 -अगर कोई अधिकारी जवाब नहीं देता तो उसकी शिकायत सूचना अधिकारी को दी जाए।   धारा 8-  इसके अनुसार वह सूचना आरटीआई में नहीं दी जाएगी जो देश की अखंडता और सुरक्षा के लिए खतरा हो या विवाद की आंतरिक जांच को प्रभावित करती हो।  धारा 19-  अ

अब गाड़ी के पेपर नहीं होने पर पुलिस कागज़ दिखाने के लिए कहे तो ये करें, चालान नहीं होगा!

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अब वाहन मालिक ट्रैफिक पुलिस या परिवहन विभाग को डिजी-लॉकर (DigiLocker) या फिर एम-परिवहन (m-Parivahan) मोबाइल ऐप में के माध्यम से डिजिटली रखे गए डॉक्यूमेंट्स को दिखा सकते हैं जो उसी तरह मान्य होगा जो जैसे ओरिजिनल पेपर। केंद्र सरकार इस फैसले से देशभर के करोड़ों वाहन चालकों को राहत मिली है सरकार के फैसले के बाद अब देश की राजधानी दिल्ली-एनसीआर (Delhi-NCR) समेत पूरे देश में ड्राइविंग लाइसेंस (DL) और रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट (RC) यात्रा के दौरान अपने साथ रखने की जरूरत नहीं पड़ेगी। इससे पहले इस कानूनी मान्यता प्राप्त नहीं थी, वहीं अब गाड़ी के साथ ओरिजिनल पेपर रखने की झंझट खत्म देशभर में कहीं भी आप अपने डॉक्यमेंट्स को डिजिटली दिखा सकेंगे और ये उसी तरह मान्य होंगे जिस तरह आम ड्राइविंग लाइसेंस होता है। अब इस नियम को मिली कानूनी मान्यता केंद्रीय परिवहन व राजमार्ग मंत्रालय की ओर से एक आदेश जरी किया गया। इस आदेश में कहा गया है कि अब सभी राज्यों में m-Parivahan ऐप और DigiLocker में सेव किए गए डॉक्यूमेंट्स को वैलिड माने जाएंगे। इस बदलाव को अब कानूनी मान्यता दे दी गई है जो इस आदेश के साथ ही लागू होगा। सरक

जमानत के आदेश के बाद कैदी को रिहा करने में देरी कानून व्यवस्था का मज़ाक है: सुप्रीम कोर्ट

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यदि किसी कैदी की जमानत अर्ज़ी स्वीकार हो गई है और वह अभी भी जेल में बंद है तो सरकार, प्रशासन की क्या भूमिका बनती है? ऐसे मामलों में जिसमें विचाराधीन कैदियों को जमानत का आदेश अदालत से पारित होने जाने के बावजूद उनकी रिहाई में देरी हो रही है जिसपर सुप्रीम कोर्ट ने गंभीर चिंता जताई है। सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ (SC Judge DY Chandrachud) ने स्पष्ट किया है, "जमानत का आदेश जेलों तक पहुचने में हो रही देरी उचित नहीं है। इस पर आवशयक कार्यवाही होना सुनिश्चित किया जाये। जमानत का आदेश जेलों तक पहुचने में हो रही देरी पर जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा की यह 'बहुत गंभीर कमी' है और कहा है कि इसे 'युद्धस्तर' पर दूर करने की आवशयकता है, उन्होंने ने कहा की हर विचाराधीन कैदी की 'मानव स्वतंत्रता' होती है और इसे नकारा नहीं जा सकता एक कैदी के अधिकारों को नज़रंदाज़ नहीं किया जा सकता। हाल में हुए एक वाक्ये जिसमें अभिनेता शाहरुख खान (Shahrukh Khan) के बेटे आर्यन खान (Aryan Khan) को ड्रग्स केस (Drugs Case) में बेल मिलने के बावजूद एक अतिरिक्त दिन जेल में बिताना पड़ा इसी मुद्दे

कर्मचारी द्वारा की गई झूठी घोषणा उसे नौकरी से निकालने के लिए काफ़ी है? : सुप्रीम कोर्ट

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कर्मचारी द्वारा की गई झूठी घोषणा या आपराधिक मामले में भागीदारी को होना, उस कर्मचारी को नियुक्ति के हक से वंचित किया जा सकता है ऐसे में वह अधिकार के रूप में सेवा मे जारी नहीं रख सकता हैः सुप्रीम कोर्ट सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एक कर्मचारी जिसने किसी योग्यता अथवा सेवा से जुड़ी किसी प्रकार की झूठी घोषणा की है या एक आपराधिक मामले में संलिप्त होते हुए भी अपने भौतिक तथ्य को छुपाने का प्रयास करते पाया गया था, तो वह नियुक्ति के लिए या अधिकार के रूप में सेवा में बने रहने का हकदार नहीं होगा। जस्टिस एमआर शाह (MR Shah) और जस्टिस एएस बोपन्‍ना (AS Bopanna) की खंडपीठ ने कहा, "यदि जहां नियोक्ता को लगता है कि एक कर्मचारी जिसने शुरुआत में ही गलत बयान दिया और आवशयक भौतिक तथ्यों का खुलासा नहीं किया है या भौतिक तथ्यों को छुपाया है जबकि वह किसी आपराधिक कृत्य में संलिप्त था तो उसे सेवा में जारी रखने का कोई अधिकार नहीं हो सकता क्योंकि ऐसे कर्मचारी पर भविष्य में भी भरोसा नहीं किया जा सकता है, तब ऐसे परिस्थिति में नियोक्ता को ऐसे कर्मचारी को नौकरी पर रखने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है। ऐसे कर्मचारी को जार

कैसे होता है उपभोक्ताओं के अधिकारों का संरक्षण जानिए विस्तार से!

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उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 (1986 का 68) की धारा 30A द्वारा प्रदत शक्तियों के अभ्यास में, राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग केंद्र सरकार की मंजूरी के साथ निम्नलिखित नियम बनाता है: - 1. संक्षिप्त शीर्षक और प्रारंभ-  इन विनियमों को उपभोक्ता संरक्षण विनियम, 2005 के नाम से जाना जायेगा है। यह आधिकारिक राजपत्र में अपने प्रकाशन की तिथि से लागू होंगे। 2. परिभाषाएँ- इन नियमों में जब तक कि संदर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो (जो कहा गया है उसके अतिरिक्त, (i) "अधिनियम" का अर्थ है उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 (1986 का 68); (ii) "उपभोक्ता फोरम" का अर्थ है जिला फोरम। एक उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग धारा 9 के खंड (ख) के तहत एक राज्य में स्थापित (उसके बाद राज्य आयोग कहा जाता है) या राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग; (iii) "रजिस्ट्रार" का अर्थ है उपभोक्ता फोरम के मंत्री पद का प्रमुख और ऐसी शक्तियां और कार्य करना जो उपभोक्ता फोरम के अध्यक्ष द्वारा उसे प्रदान किए जाते हैं: (iv) "नियम" का अर्थ अधिनियम के अधीन बनाए गए नियमों से है;

Weekly Roundup : Law news | RBI ने SBI पर लगाया 1 करोड़ का जुर्माना!

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News : 1 आरबीआई (RBI) ने एसबीआई (SBI) और स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक पर लगाई पेनल्टी Judicialguru.in  : weekly roundup भारतीय रिजर्व बैंक ने सोमवार नियामक अनुपालन में कमियों के लिए देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक, भारतीय स्टेट बैंक पर 1 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया है। वहीं केंद्रीय बैंक ने प्राइवेट बैंक स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक पर भी 1.95 करोड रुपये का जुर्माना लगाया है। रिजर्व बैंक के बयान के मुताबिक स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक निर्धारित समय के अंदर साइबर सुरक्षा घटना की रिपोर्ट करने में विफल रहा है। साथ ही उसने अनाधिकृत इलेक्ट्रॉनिक लेनदेन वाली रकम को वापस खाताधारक के खाते में क्रेडिट भी नहीं किया। इसी लापरवाही के मद्देनजर आरबीआई ने बैंक पर यह पेनल्टी लगाई है। ------------------------------------------- News : 2 फ्यूल पर एक्सरसाइज में कटौती होगी  चुनावी माहौल के बीच आखिरकार पेट्रोल और डीजल के बढ़ते दामों से आम लोगों को कुछ राहत देने की कवायद शुरू हो गई है। पेट्रोलियम व वित्त मंत्री के बीच बातचीत का दौर शुरू हो चुका है कि किस तरह से पेट्रोल डीजल की बढ़ती कीमतों को कम किया जाए। सूत्रों के अनुसार प

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