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जानिए- भारतीय दंड सहिंता की धारा 5 से 18 तक में किन अपराधों का वर्णन है?

भारतीय दंड सहिंता की धारा 5 से 18 तक में किन अपराधों का वर्णन है? जानिए अधिवक्ता आशुतोष कुमार के इस लेख में-

भारतीय दंड सहिंता की धारा 5

धारा 5- कुछ विधियों पर इस अधिनियम द्वारा प्रभाव न डाला जाना- इस अधिनियम में की कोई बात भारत सरकार की सेवा के अफसरों, सैनिकों, नौसैनिकों या वायु सैनिकों द्वारा विद्रोह और अभित्योजन को दंडित करने वाले किसी अधिनियम के उपबंधों या किसी विशेष या स्थानीय विधि के उपबंधुों, पर प्रभाव नहीं डालेगी।

भारतीय दंड सहिंता की धारा 6

धारा 6- स्पष्टीकरण संहिता में की परिभाषाओं का अपरवादों के अध्यधीन समझा जाना- इस संहिता में सर्वत्र अपराध की हर परिभाषा, हर दंड उपबंध और, हर ऐसी परिभाषा या दंड उपबंध का हर दृष्टांत, “साधारण अपवाद” शीर्षक वाले अध्याय में अंतरविष्ट अपवादों के अध्यधीन समझा जाएगा, चाहे उन अपवादों को ऐसी परिभाषा, उपबंध या दृष्टांत में दोहराया न गया हो।

दृष्टांत

  • (क) इस संहिता की वे धाराएं, जिनमें अपराधों की परिभाषाएं अंतरबिष्ट है, यह अभिव्यक्त नहीं करती कि 7 वर्ष से कम आयु का शिशु ऐसे अपराध नहीं कर सकता, किंतु परिभाषाएं उस साधारण अपवाद के अध्यधीन समझी जानी है जिसमें यह उपबंधित है कि कोई बात, जो 7 वर्ष से कम आयु के शिशु द्वारा की जाती है, अपराध नहीं है।
  • (ख) ‘क’ एक पुलिस ऑफिसर, वारंट के बिना, य को, जिसने हत्या की है, पकड़ लेता है।  यहां का सदोष अवरोध के अपराध का दोषी नहीं है, क्योंकि वह य को, पकड़ने के लिए विधि द्वारा अवद्द था, और इसलिए यह मामला उस साधारण अपवाद के अंतर्गत आ जाता है, जिसमें यह उपबंधित है “कि कोई बात अपराध नहीं है जो किसी ऐसे व्यक्ति द्वारा की जाए उसे करने के लिए विधि द्वारा अवद्द हो”

भारतीय दंड सहिंता की धारा 7

धारा 7 एक बार स्पष्टीकृत पद का भाव- हर पद, जिसका स्पष्टीकरण इस संहिता के किसी भाग में किया गया है, इस संहिता के हर भाग में स्पष्टीकरण के अनुरूप ही प्रयोग किया गया है।

भारतीय दंड सहिंता की धारा 8

धारा 8 लिंग- पुल्लिंग वाचक शब्द जहां प्रयोग किए गए हैं, वे हर व्यक्ति के बारे में लागू है, चाहे नर हो या नारी।

भारतीय दंड सहिंता की धारा 9

धारा 9 वचन- जब तक की संदर्भ से तत्प्रतिकुल प्रतीत न हो, एकवचन घोतक शब्दों के अंतर्गत बहुवचन आता है, और बहुवचन घोतक शब्दों के अंतर्गत एक वचन आता है।

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भारतीय दंड सहिंता की धारा 10

धारा 10 “पुरुष” “स्त्री”- “पुरुष” शब्द किसी भी आयु के मानव नर का घोतक है; “स्त्री” शब्द किसी भी आयु की मानव नारी का घोतक है।

भारतीय दंड सहिंता की धारा 11

धारा 11 व्यक्ति- कोई भी कंपनी या संगम, या व्यक्ति निकाय चाहे वह निगमित हो या नहीं, “व्यक्ति” शब्द के अंतर्गत आता है।

भारतीय दंड सहिंता की धारा 12

धारा 12 “लोक”- लोक का कोई भी वर्ग या कोई भी समुदाय “लोक” शब्द के अंतर्गत आता है।

भारतीय दंड सहिंता की धारा 13

धारा 13 “क्वीन” की परिभाषा- [विधि अनुकूलन आदेश, 1950 द्वारा निरसित]

भारतीय दंड सहिंता की धारा 14

धारा 14 “सरकार का सेवक”- “सरकार का सेवक” शब्द सरकार के प्राधिकार के द्वारा या अधीन, भारत के भीतर उस रूप में बने रहने दिए गए, नियुक्त किए गए, या नियोजित किए गए किसी भी ऑफिसर या सेवक के घोतक है।

भारतीय दंड सहिंता की धारा 15

धारा 15 “ब्रिटिश इंडिया” की परिभाषा- [विधि अनुकूलन आदेश, 1937 द्वारा निरसित]

भारतीय दंड सहिंता की धारा 16

धारा 16 “गवर्नमेंट ऑफ इंडिया” की परिभाषा- [विधि अनुकूलन आदेश, 1937 द्वारा निरसित]

भारतीय दंड सहिंता की धारा 17

धारा 17 “सरकार”- “सरकार” शब्द केंद्रीय सरकार या किसी राज्य की सरकार का घोतक है।

भारतीय दंड सहिंता की धारा 18

धारा 18 “भारत”- “भारत” से जम्मू कश्मीर राज्य के सिवाय भारत का राज्य क्षेत्र अभिप्रेत है।

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