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सत्यमेव जयते!

IPC Model Question Paper With Answer In Hindi For AIBE & Civil Judge 2023

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AIBE की परीक्षा में  IPC  से काफी प्रश्न पूछे जाते है। इसलिए यह सेक्शन बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है। परीक्षा में क्या पूछा जायेगा?  IPC के पुराने पेपर? IPC  | Model Question Paper With Answer In Hindi For AIBE & Civil Judge 2023 इन सभी सवालों के जवाब के लिए  IPC   के संभावित प्रश्नों का संकलन दिया जा रहा है जो आपके लिए बहुत उपयोगी साबित होगा।  IPC   के मॉडल पेपर और गत वर्ष के पेपर के लिए वेबसाइट को कर लें और हमारे YouTube चैनल @judicialguru को सब्सक्राइब करें। प्रश्न1-भारतीय दंड संहिता प्रवृत हुई- 6 अक्टूबर 1807 6 दिसंबर 1860 1 जनवरी 1861 1 जनवरी 1862 उत्तर- 1 जनवरी 1862 प्रश्न2- निम्नलिखित अपराधों में से कौन सा कठोर दायित्व का अपराध है- उपहति हमला द्विविवाह चोरी उत्तर-  द्विविवाह प्रश्न3-आपराधिक विधि के प्रति कृत्यात्मक दृष्टिकोण को उजागर किया है- भारत के विधि आयोग ने भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने इंग्लैंड की वुल्फडेन समिति ने संयुक्त राज्य अमेरिका के सर्वोच्च न्यायालय ने उत्तर- इंग्लैंड की वुल्फडेन समिति ने प्रश्न4- भारतीय दंड संहिता की धारा 34 के लागू होने के लिए निम्नलिखित में से

AIBE XVII (17) Sample Papers Download Previous Year 2022 in Hindi

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प्रश्न1- सुरक्षा परिषद के संगठन संबंधी उपबंध संयुक्त राष्ट्र चार्टर के किस अनुच्छेद में किए गए हैं? अनुच्छेद 24 अनुच्छेद 23 अनुच्छेद 33 अनुच्छेद 27 उत्तर- अनुच्छेद 23 प्रश्न2- सही उत्तर बताइए- सुरक्षा परिषद के अस्थाई सदस्यों का निर्वाचन होता है- महासभा द्वारा सुरक्षा परिषद द्वारा सुरक्षा परिषद की संस्तुति पर महासभा द्वारा महासचिव द्वारा उत्तर- महासभा द्वारा प्रश्न3- शांति को कोई खतरा, शांति भंग अथवा आक्रमण के कृत्य के अस्तित्व का निर्धारण किया जाएगा- सामान्य सभा द्वारा सुरक्षा परिषद द्वारा अंतरराष्ट्रीय न्यायालय द्वारा महासचिव द्वारा उत्तर- सुरक्षा परिषद द्वारा प्रश्न4- सुरक्षा परिषद में कितने सदस्य हैं? 5 9 10 15 उत्तर- 15 प्रश्न5- संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थाई सदस्य कितने राज्य हैं? 10 5 7 12 उत्तर- 5 प्रश्न6- सुरक्षा परिषद के अस्थाई सदस्यों की संख्या है- 5 8 10 15 उत्तर- 10 प्रश्न6- अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ का कौन सा अंग सर्वप्रथम उत्तरदाई है? महासभा सुरक्षा परिषद अंतरराष्ट्रीय न्यायालय सचिवालय उत्तर- सुरक्षा परिषद प्रश्न7- सुरक्षा परिषद के

Indian Evidence act 1872 questions and answers in Hindi 2022 | Solved Question Paper for PCS J

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भारतीय साक्ष्य अधिनियम पूछे जाने वाले वो महत्वपूर्ण प्रश्न जो PCSJ परीक्षा 2022 के लिए उपयोगी है! भारतीय  साक्ष्य अधिनियम    प्रश्न1- प्रलोभन, धमकी या वचन से पैदा हुए मन पर प्रभाव के दूर हो जाने के पश्चात की गई संस्वीकृति किस धारा के अंतर्गत सुसंगत है? धारा 28 में सुसंगत है धारा 24 में सुसंगत है धारा 29 में सुसंगत है धारा 30 में सुसंगत है उत्तर- धारा 28 में सुसंगत है प्रश्न2- गुप्त रखने के वचन के अधीन या उसे प्राप्त करने के लिए की गई प्रवचना के परिणाम स्वरूप इस बात की जानकारी दिए बिना की  संस्वीकृति   का साक्ष्य के रूप में उपयोग किया जाएगा यह किस धारा में सुसंगत है? धारा 24 में धारा 25 में धारा 27 व 28 में धारा 29 में उत्तर- धारा 29 में प्रश्न3- जब किसी अभियुक्त की संस्वीकृति IPC की धारा 164 में मौजूद रीति से रिकॉर्ड नहीं की गई है तथा वहाँ मजिस्ट्रेट का मौखिक साक्ष्य यह सिद्ध करने के लिए कि इस प्रकार से स्वीकृति की गई है की ग्राह्य नहीं है,  यह किस वाद में अभिनिर्धारित किया गया है? उत्तर प्रदेश राज्य बनाम सिंघाड़ा सिंह में राजस्थान राज्य बनाम रहमान में अमिनी बनाम केरल राज्य में धनंजय र

जानिए- भारतीय दंड सहिंता की धारा 5 से 18 तक में किन अपराधों का वर्णन है?

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भारतीय दंड सहिंता की धारा 5 से 18 तक में किन अपराधों का वर्णन है? जानिए अधिवक्ता आशुतोष कुमार के इस लेख में- भारतीय दंड सहिंता की धारा 5 धारा 5-  कुछ विधियों पर इस अधिनियम द्वारा प्रभाव न डाला जाना- इस अधिनियम में की कोई बात भारत सरकार की सेवा के अफसरों, सैनिकों, नौसैनिकों या वायु सैनिकों द्वारा विद्रोह और अभित्योजन को दंडित करने वाले किसी अधिनियम के उपबंधों या किसी विशेष या स्थानीय विधि के उपबंधुों, पर प्रभाव नहीं डालेगी। भारतीय दंड सहिंता की धारा 6 धारा 6-  स्पष्टीकरण संहिता में की परिभाषाओं का अपरवादों के अध्यधीन समझा जाना- इस संहिता में सर्वत्र अपराध की हर परिभाषा, हर दंड उपबंध और, हर ऐसी परिभाषा या दंड उपबंध का हर दृष्टांत, “साधारण अपवाद” शीर्षक वाले अध्याय में अंतरविष्ट अपवादों के अध्यधीन समझा जाएगा, चाहे उन अपवादों को ऐसी परिभाषा, उपबंध या दृष्टांत में दोहराया न गया हो। दृष्टांत (क)  इस संहिता की वे धाराएं, जिनमें अपराधों की परिभाषाएं अंतरबिष्ट है, यह अभिव्यक्त नहीं करती कि 7 वर्ष से कम आयु का शिशु ऐसे अपराध नहीं कर सकता, किंतु परिभाषाएं उस साधारण अपवाद के अध्यधीन समझी जानी है ज

प्रेम विवाह करने वाले बालिग जोड़ों की शादीशुदा जिंदगी की स्वतंत्रता व निजता में किसी व्यक्ति को दखल देने का कोई अधिकार नहीं: हाई कोर्ट

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विवाह और धर्म परिवर्तन दो ऐसे मुद्दे हैं जो व्यक्ति का व्यक्तिगत मामला हो सकता है इसलिए इन दोनों मुद्दों पर अर्थात धर्म परिवर्तन और विवाह के लिए सरकारी अनुमति लेने को मजबूर नहीं कर सकते: हाई कोर्ट  कोर्ट मैरिज के लिए किससे अनुमति लें? इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि आज देश आर्थिक व सामाजिक बदलाव के दौर से गुजर रहा। ऐसे में सभी को स्वतंत्रता पूर्वक जीने का अधिकार भी है इसलिए किसी को धर्म परिवर्तन के लिए सरकारी अनुमति लेने को बाध्य नहीं किया जा सकता है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यह टिप्पणी अंतर-धार्मिक विवाह करने वाले 17 जोड़ों मायरा और वैष्णवी, विलास-सिरसीकर, जीनत अमान और स्नेहा आदि की याचिकाओं दी। कोर्ट ने कहा कि हमारा समाज आर्थिक और सामाजिक बदलाव के दौर से गुजर रहा है। कानून की सख्त व्याख्या संविधान की भावना को निरर्थक बना सकती है। भारतीय सविंधान के अनुच्छेद 21 में जीवन व निजता की स्वतंत्रता की गारंटी दी गई है। अनुच्छेद 21 नागरिकों को यह अधिकार देता है कि वह अपनी और परिवार की निजता की सुरक्षा करें। ऐसे में दो बालिग व्यक्तियों को अंतर धार्मिक विवाह करने के लिए परिवार समाज या सरकार किसी की

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