सत्यमेव जयते!

Today's News

लीगल एडवाइस | तलाक लेने से पहले अपना हक़ भी जान लें | Divorce and Rights of a woman

तलाक लेने से पहले अपना हक़ भी जान लें।

तलाक लेने का फैसला किया है तो जान ले अपने हक़ भी 

"मीनाक्षी 40 साल की उम्र में अपने पति से अलग हो गई थी जबकि 50 साल की उम्र में उन्हें तलाक मिला था। अलग होते वक्त उनके पास केवल 1700 रुपए थे और सारी संपत्ति और सारा निवेश पति के नाम पर ही था। ऐसे में मीनाक्षी ने अपने पति से गुजारा भत्ता भी नहीं मांगा और 40 लाख की संपत्ति और सेविंग्स से भी हाथ धो बैठीं।"

 इसी तरह से एक केस और था जिसमें 32 साल की सीमा ने अपने पति से तलाक के वक्त 24 लाख का घाटा उठाया और अब तक फाइनेंसियल परेशानियों से जूझ रही हैं।

www.judicialguru.in

आज देश भर में तमाम लड़कियां तलाक के बाद सिर्फ इसलिए पहले फाइनैंशली परेशान रहती हैं क्योंकि उन्हें ना तो अपने वित्तीय अधिकारों के बारे में पता होता है और ना ही उन्हें अपने ही लीगल राइट्स के बारे में जानकारी होती है।
ये हम सभी जानते हैं की ज़िन्दगी चलाने के लिए अपने हक़ की संपत्ति आपकी होगी तभी आप आगे की जिंदगी आसानी से जी पाएंगी।

लीगल एक्सपर्ट्स के मुताबिक कई महिलाएं सिर्फ इसलिए संपत्ति पर अपना दावा नहीं कर पाती हैं क्योंकि उन्हें पता ही नहीं होता कि कौन सी संपत्ति उनकी है और कौन सी नहीं। संपत्ति का बंटवारा कैसे करना है। किस-किस प्रॉपर्टी के बारे में बात करना है।

तो इन्हीं बातो को ध्यान में रखते हुए आज यहां हम ऐसे ही मुद्दों पर बात कर रहे हैं।
लड़कियों को तलाक की स्थिति में अपने हक़ के बारे में पता होगा तभी वे मजबूत बन सकेंगी।  हिंदू लड़कियों को शादी के बाद कुछ खास अधिकार मिलते हैं। लेकिन हम यहां कुछ ऐसे अधिकारों के बारे में भी बता रहे हैं जो सभी धर्म की लड़कियों को मिलता है।


शादी में आपके अधिकार


शादी से पहले ही अपने पार्टनर से साफ बात कर लें कि दोनों मिलकर फाइनेंस को मैनेज करेंगे।

स्त्रीधन पर केवल आपका ही हक़ है


सभी चल और अचल संपत्ति या गिफ्ट्स जो की लड़की को शादी से पहले शादी के दौरान या शादी के बाद मिलते हैं। वह स्त्री धन है। फिर चाहे वह गिफ्ट किसी भी ओर से मिले हों।

हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम 1956 की धारा 14 के मुताबिक ऐसी सभी संपत्ति और गिफ़्ट पर सिर्फ लड़की का ही अधिकार है। इसका पूर्ण मकसद वित्तीय सुरक्षा प्रदान करना होता है। यह केवल हिंदू महिलाओं के लिए हैं।

पति के घर में रहने का अधिकार


पत्नी को पति के घर में रहने का अधिकार है। जरूरी नहीं है कि यह घर पति का ही हो या उनके माता-पिता का या पूर्वजों का किराए का या ऑफिस द्वारा दिया गया घर भी हो  तो भी क़ानूनन पत्नी का अधिकार है अपने पति के घर रहने का। इस अधिकार को चुनौती नहीं दी सकती है।

पति से गुजारा भत्ता लेने का अधिकार


यदि पत्नी कुछ काम नहीं कर रही हो तो वह पति से गुजारा भत्ता ले सकती है। इसके लिए वह कोर्ट भी जा सकती है। यहां तक कि तलाक की प्रक्रिया के दौरान और उसके बाद भी तो गुजारा भत्ता लेने की अधिकारी है। तलाक के बाद भी पत्नी पति से गुजरा भत्ता का दावा कर सकती है।


बच्चों के गुजारे-भत्ते का खर्च, घर का ख़र्च


अगर पत्नी किसी रोजगार में नहीं है तो पति को बच्चों के लिए वित्तीय सहायता देनी ही पड़ती है।
www.judicialguru.in


कमिटेड रिलेशनशिप का अधिकार


अगर बिना तलाक के पति का अवैध रूप से किसी और महिला से संबंध है तो उस पर एडल्ट्री का केस बनता है। हालाँकि इसे कोर्ट द्वारा अमान्य घोषित किया जा चुका है फिर भी पत्नी को पति के विरुद्ध यह वाद दायर करने का अधिकार है।


सम्मान से रहने का अधिकार


क्रिमिनल प्रोसीजर कोड (Cr.P.C.) की धारा 125 के तहत महिलाओं को उसकी लाइफ स्टाइल के साथ जिंदगी बिताने का हक है जो कि उसका पति जी रहा है। अगर शादी से पहले आप काम कर रहे हैं तो किसी के कहने से शादी के बाद नौकरी ना छोड़े। यहां तक कि अगर बच्चे होने की स्थिति में आपको नौकरी छोड़ने को कहा जाए तो भी घर से काम करने की कोशिश करें।


अलग रखें अपना बैंक अकाउंट


चाहे आप वर्किंग हो या नहीं अपना बैंक अकाउंट है जिसमें आप अपने सारे इनकम और बजट सेव कर सके और घर के खर्चे के लिए ज्वाइंट अकाउंट रखें।


निवेश और संपत्ति में भी हो हिस्सेदारी


सभी प्रकार के निवेश में खुद को भी हिस्सेदार बनाएं। अगर घर जैसी कोई संपत्ति खरीद रहे हैं तो उसमें जॉइंट ऑनर बने निवेश में भी जॉइंट होल्डर बने साथ ही इनसे जुड़े डाक्यूमेंट्स भी अपने पास रखें।

लाइफ और हेल्थ इंश्योरेंस


अगर पति से संबंध ठीक नहीं चल रहे हैं तो अपना हेल्थ और लाइफ इंश्योरेंस जरूर करवाएं ताकि किसी भी बड़ी बीमारी की स्थिति में आपको पति की मदद काम आता है ना होना पड़े।


तलाक में लगता है कितना समय


अगर आपसी सहमति से तलाक ले रहे हैं तो 6 महीने में मैं इसकी इजाजत मिल जाती है लेकिन शादी के 1 साल पूरा होने से पहले इसकी अर्जी नहीं डाली जा सकती साथ ही दोनों को 6 महीने तक अलग भी रहना पड़ता है कुछ मामलों में कोर्ट यह कॉलिंग ऑफ पीरियड से छूट भी दे सकता है ऐसे में आपसी सहमति से तलाक में 18 से 24 महीने लगते हैं कोर्ट केस लड़का तलाक लेने से ज्यादा समय लगता है इसमें 3 से 5 साल तक लग सकते हैं क्योंकि इनमें कई तकनीकी पहलुओं से निपटना पड़ता है।

www.judicialguru.in

कितनी लगती है कोर्ट की लागत

इसमें कोर्ट की फीस काफी कम होती है जो महज ₹15 होती है। लेकिन वकील की फीस अच्छी खासी हो सकती है। महिलाएं ऐसे मामले में लीगल फाइनेंसर और वकील की मुफ्त सहायता पा सकते हैं। महिलाएं अपने पति से मुकदमें का पूरा खर्चा भी मांग सकती हैं।

दस्तावेजों के बारे में जानकारी रखें

अगर आप तलाक लेने की सोच रही हैं और अपने मौजूदा जरूरी दस्तावेज का प्रयोग करना चाहते हैं तो आप ऐसा नहीं कर पाएंगे क्योंकि वह आपके पति के पास है इसलिए आपको अपने अकाउंट नंबर के साथ सभी से भी अकाउंट, डीमेट अकाउंट, पीएफ, पीपीएफ, क्रेडिट कार्ड, म्यूच्यूअल फंड्स, पॉलिसी और टैक्स डीटेल्स की जानकारी होनी चाहिए।

तलाक के बारे में तुरंत ना बताएं


अगर आपकी शादी मुश्किल में है और आप अपने पति के साथ अलग होने का मन बना चुके हैं तो इसके बारे में तुरंत पति को ना बताएं। इससे आपको आर्थिक तौर पर परेशानी उठानी पड़ सकती है। तलाक के लिए जिन जरूरी दस्तावेजों की आपको जरूरत है हो सकता है वह भी आपको आसानी से ना मिल पाए।

यह मुश्किल है कि एक बार में ही फैमिली की आर्थिक स्थिति के बारे में तुरंत जानकारी मिल जाए। इसलिए आपको इस बारे में पता होना चाहिए कि परिवार की कमाई क्या है कहां से पैसा आता-जाता है और आपकी शादी के दौरान कहां-कहां पैसा निवेश किया गया। इनसे अलग होने से पहले आपको वित्तीय समस्याओं से नहीं जूझना पड़ेगा।

फाइनेंशियल प्लानर और वकील की मदद

यदि आपको इस बात का आइडिया नहीं है कि तलाक लेने का प्रोसेस क्या है और इसमें कितना खर्च होगा तो आपको सबसे पहले एक फाइनेंशियल प्लानर और एक वकील की मदद लेनी चाहिए। वकील आपको बताएगा कि तलाक के मामले के लिए आपको किन डॉक्यूमेंट की जरूरत होगी और कौन से सबूत आप के केस को मजबूत बना सकते हैं। इस तरह के मामलों में पैसों की बहुत अहमियत होती है। ऐसे में किस चीज पर कितना खर्च होगा और कितना आगे आपके लिए जरूरी है।

आपके और आपके बच्चे के लिए आपको कितने पैसे की हर महीने के हिसाब से जरूरत होगी। इसका एक पूरा खाका आप का प्लानर तैयार कर देगा। सभी प्रूफ जमा करें। आपको कोर्ट में जो दस्तावेज जमा करने हैं। उसकी एक लिस्ट तैयार करें। यह लिस्ट आपके प्लानर और वकील की काफी मदद करेगी। इसमें एड्रेस प्रूफ, मैरिज सर्टिफिकेट, सैलरी स्टेटमेंट, मैरिज फोटोज, बैंक स्टेटमेंट, और टैक्स संबंधित जानकारी शामिल है।
इन दस्तावेजों के ना होने से ही तलाक में देरी होती है और परेशानी का सामना करना पड़ता है।


आप अपनी संपत्ति और देनदारीओं की सूची पर्ची या मालिकाना हक के डॉक्यूमेंट को भी जमा करें। इसके बाद उनकी मार्केट वैल्यू को लिखें। संपत्ति के बाजार मूल्य पता लगने के बाद फिर पति और पत्नी दोनों के सम्पत्ति का मूल्यांकन करें। याद रखें अगर तलाक आपसी सहमति से होता है तो दोनों की सहमति से संपत्ति का बंटवारा तय किया जाता है।

स्त्रीधन आपकी संपत्ति है


शादी से पहले शादी समारोह के दौरान और बच्चे के जन्म पर आपको बहुत सारी चीजें गिफ्ट में मिलते हैं। जो एक महिला अलग होने के बाद भी स्त्रीधन पर अपना हक रखती है। इसमें सभी तरह की चल-अचल संपत्ति, गिफ्ट और पैसा शामिल है। आपके लिए सबसे अच्छा विकल्प यह है कि आप अपने माता-पिता के साथ या अपने वर्तमान निवास से दूर किसी सुरक्षित जगह पर अपनी चीजों को रखें। एक्सपर्ट्स के मुताबिक पत्नी और उसके नाम पर स्वामित्व वाली सभी संपत्तियां भी उसकी रहेंगी लेकिन अगर पति ने इसकी खरीद में योगदान दिया है तो वह मुकदमा दायर कर सकता है और उस पर अपना मालिकाना हक जता सकता है।

गुजारा-भत्ता मांगने का एक मौका मिलता है


यदि आपके पास आय का कोई जरिया नहीं है और आपका पति आपको पैसा देने से इंकार कर देता है। तो आप मेंटेनेंस के लिए तलाक होने से पहले कोर्ट को दरवाजा खटखटा सकते हैं।

याद रहे की गुजारा भत्ता मांगने के लिए आपके पास एक ही मौका होता है। इसके लिए आपको दूसरा अवसर नहीं मिलता। इसलिए गुजारा भत्ता की डिमांड के लिए आंकड़े और आकलन को ध्यान से तैयार करें।
इसके लिए आपका फाइनैंशल प्लानर आपकी मदद कर सकता है। ऐसे में महीने के हिसाब से खर्चा लेने से बेहतर है कि आप एकमुश्त राशि का विकल्प चुनें। क्योंकि यह कर मुक्त होती है।

बच्चे का भविष्य पहले तय कर लें

तलाक से पहले आपको यह देखना होगा कि आपके बच्चे का अच्छा भविष्य कैसे निर्धारित किया जा सकता है। इसके लिए जब तक वह 18 साल तक का नहीं हो जाता तब तक के लिए आप बच्चे के प्रति दिन का खर्चा जिसमें शिक्षा, मेडिकल खर्चे आदि उसके बारे में विचार करें।
यदि आपको इसके लिए एकमुश्त राशि दे दी जाती है तो यह आपके बच्चे की पढ़ाई के साथ उसके शादी-ब्याह के खर्चे में भी आपके काम आ सकती है।

इसके साथ ही अगर तलाक कई विवादों से भरा हुआ है तो आपको बच्चों के भविष्य के लिए जो राशि दी जाती है उससे अलग आप बच्चे के रोजमर्रा के खर्चे और खुद की जरूरत का अलग से आकलन करें। जिससे तय हो सके कि आपके बच्चे का पालन-पोषण ठीक से हो पायेगा की नहीं।

आपसे कौन से दस्तावेज की मांग कर सकता है कोर्ट
  • पति और पत्नी का एड्रेस प्रूफ 
  • पति और पत्नी का पेशा और 
  • इनकम मैरिज सर्टिफिकेट 
  • फैमिली बैकग्राउंड की जानकारी
  • शादी के फोटोग्राफ
  • पति-पत्नी के एक साल से अलग रहने का सबूत
  • इनकम टैक्स स्टेटमेंट
  • संपत्ति और निवेश के दस्तावेज
आप दोनों के अन्य जरूरी दस्तावेज भी मांगे जा सकते हैं

Comments

ख़बरें सिर्फ़ आपके लिए!

तलाक लेने में कितना खर्च आयेगा और यह खर्च कौन देगा? तलाक लेने से पहले यह कानून जान लें!

पति तलाक लेना चाहता और पत्नी नहीं तो क्या किया जाना चाहिए?

अब चेक बाउंस के मामले में जेल जाना तय है! लेकिन बच भी सकते हैं अगर यह क़ानूनी तरीका अपनाया तो!

तलाक़ के बाद बच्चे पर ज्यादा अधिकार किसका होगा माँ का या पिता का?

जानिए, पॉक्सो एक्ट (POCSO) कब लगता है? लड़कियों को परेशान करने पर कौन सी धारा लगती है?

बालिग लड़की का नाबालिग लड़के से शादी करने पर अपराध क्यों नहीं है? और क्या नाबालिग लड़की अपनी मर्ज़ी से शादी कर सकती है?

जमानत क्या है और किसी व्यक्ति की जमानत कैसे ले सकते हैं?

जानिए दाखिल खारिज़ क्यों ज़रूरी है और नहीं होने पर क्या नुकसान हो सकतें हैं?

लीगल खबरें आपके लिए!