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मोटर वाहन अधिनियम 1988 | गाड़ी बेचने से पहले ये काम ज़रूर कर लें

अगर अपने अपना निजी या कमर्शियल वाहन बेच दिया है। वाहन क्रेता को हैंड ओवर भी कर दिया है लेकिन रजिस्ट्रेशन के कागज में अभी भी आपका नाम दर्ज है तो आप ही गाड़ी के वास्तविक मालिक माने जाएंगे, तो यह समझ लीजिए कि आप लंबी कानूनी प्रक्रिया में फंस सकते हैं।

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सुप्रीम कोर्ट ने अभी हाल ही में दिए गए फैसले में कहा है कि यदि कोई व्यक्ति अपना वाहन बेचने के बाद वाहन रजिस्ट्रेशन पेपर में अपना नाम नहीं चेंज करवाता है तो गाड़ी का मालिक वही माना जायेगा। ऐसी स्थिति में किसी अनहोनी के समय उस पर ही कारवाही की जाएगी।

जिसका नाम रजिस्ट्रेशन कागज में वही मालिक माना जाएगा

भले ही क्रेता व विक्रेता दोनों पार्टियों ने कॉन्ट्रेक्ट पेपर बनावा लिया हो। यदि खरीददार ने वाहन को अपने कब्जे में ले लिया और वाहन का उपयोग शुरू कर दिया है तो दुर्घटना की स्थिति में विक्रेता ही जिम्मेदार होगा क्योंकि पंजीकृत मालिक के रूप में अभी विक्रेता ही है।
अदालत ने एक केस सुनवाई के वक्त कहा, जिसमें सुरेंद्र कुमार बुलावे बनाम द न्यू इंडिया इंश्योरेंस कंपनी का मुद्दा था। इस केस में याचिकाकर्ता सुरेन्द्र ने अपना एक ट्रक किसी अंसारी नाम के व्यक्ति को बेच दिया था अंसारी ने गाड़ी का कब्जा ले लिया व उपयोग करना भी शुरू कर दिया था लेकिन सुरेंद्र ने अब तक रजिस्ट्रेशन पेपर को अपडेट नहीं कराया था। अंसारी उसी ट्रक सामान लेकर जा रहा था तभी बीच रास्ते में एक गाय आ गई उसने गाय को बचाने का प्रयास किया लेकिन बचाव के दौरान ट्रक का संतुलन बिगड़ गया और ट्रक नजदीक से बह रही नदी में गिर गया। दुर्घटना के दिन रजिस्ट्रेशन के कागजात ट्रांसफर नहीं हुए थे।

कोर्ट ने अन्य प्रावधानों और मसालों के मालिक की परिभाषा दी और इसके बीच अंतर को देखा।

अदालत ने मोटर वाहन अधिनियम 1988 की धारा 230 की परिभाषा को देखा जो कि अधिनियम 1939 की धारा 219 में दी गई परिभाषा से विपरीत है। जिसे मोटर वाहन अधिनियम 1988 द्वारा स्थापित किया गया है।

वास्तव में कानून में वाहन मालिक का फर्क होता है।


नियम के तहत मालिक व्यक्ति है जिसके पास वाहन है किन्तु इस अधिनियम के तहत विधान मंडल ने विवेकपूर्ण तरीके से वाहन मालिक की परिभाषा को बदला दिया था।
जिसमें कहा गया है कि मालिक वह व्यक्ति है जिसके नाम पर मोटर वाहन पंजीकृत है इसलिए अब प्रावधान नए कानून के अनुसार ही लागू होंगे। अब से जब आप अपनी गाड़ी किसी व्यक्ति को बेचें तो इस बात का ख्याल जरूर रखें कि आपको रजिस्ट्रेशन पेपर पर ओनरशिप गाड़ी बेचने वाले दिन ही ट्रांसफर कराना है।

रजिस्ट्रेशन ट्रांसफर कराने के बाद ही आप किसी दूसरे व्यक्ति को गाड़ी का कब्जा दें।

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