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Court Order | महिलाओं के मस्जिद जाने पर पाबंदी नहीं!

महिलाओं के मस्जिद जाने पर पाबंदी नहीं!

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट में साफ किया है कि मस्जिदों में महिलाओं के प्रवेश को लेकर कोई पाबंदी नहीं है। वह नमाज के लिए मस्जिद में जाने के लिए स्वतंत्र हैं हालांकि बोर्ड ने यह भी जोड़ा है कि महिलाओं के लिए जमात के साथ नमाज यानी समूह प्रार्थना या सामूहिक प्रार्थना में शामिल होना अनिवार्य नहीं है।

बोर्ड ने यह हलफनामा दो मुस्लिम महिलाओं की ओर से दायर याचिका के जवाब में दिया है जो मस्जिद में प्रवेश कर सबके साथ नमाज नमाज अदा करना चाहती हैं। सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड को नोटिस जारी कर याचिका में उठाए गए मुद्दों पर जवाब देने को कहा था। मामले को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के लिए 9 जजों को रेफर किया था। 

25 अक्टूबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और अन्य प्रतिवादियों से जवाब दाखिल करने को कहा था। जिसमें कहा गया था कि मुस्लिम महिलाओं को देश भर की तमाम मस्जिदों में प्रवेश दिया जाए। बाद में सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश के मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने मामले को लार्जर बेंच को रेफर कर दिया और साथ ही मस्जिद में मुस्लिम महिलाओं के प्रवेश से जुड़े मामले को जोड़ दिया। याचिका के अनुसार, अभी भारत में जमात-ए-इस्लामी संगठन के तहत आने वाली मस्जिदों में महिलाएं प्रवेश कर सकती हैं, लेकिन सुन्नी समेत अन्य पंथो की मस्जिदों में पाबंदी है।


याचिकाकर्ता ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद- 14, 15, 21 और 25 के मद्दे नजर मामले को देखा जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अर्जी में कहा गया है कि मुस्लिम महिलाओं को मस्जिद में जाने पर रोक अवैध और गैर संवैधानिक है। और यह समानता, जीवन और धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन है। अर्जी में कहा गया है कि कुरान और हदीस में लिंग के आधार पर कोई भेदभाव नहीं है। इस तरह की रोक महिलाओं की गरिमा के खिलाफ है।

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