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Showing posts from December, 2023
सत्यमेव जयते! Join Us on YouTube

तलाक़ के लिए कौन कौन से क़ानूनी रास्ते होते हैं?

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कई पति पत्नी यह जानना चाहते हैं कि- तलाक लेने में कितना खर्च आता है? तलाक कितने महीने में मिलता है? जल्दी से जल्दी तलाक कैसे ले? तलाक लेने का सबसे आसान सस्ता तरीका क्या है? शादी के कितने दिन बाद तलाक ले सकते हैं पति पत्नी? तलाक़ लेने के कितने आधार होते हैं  तलाक़ के लिए कौन कौन से क़ानूनी रास्ते होते हैं?      आज कल नई-नई शादी होते ही पति पत्नी में कुछ ऐसे विवाद जन्म ले लेते हैं की बात तलाक़ तक पहुच जाती है ऐसे में अब तलाक़ लेना है तो कैसे लें इसी प्रश्न पर चर्चा करेंगे  तलाक़ होता क्या है?      तलाक की प्रक्रिया विवाहित जोड़े के बीच शादी खत्म करने की एक न्यायिक प्रक्रिया है। यह नियमों, कानूनों और वैधानिक प्रक्रियाओं के अनुसार आयोजित की जाती है और विवाहित जोड़े को आपसी विचार-विमर्श के बाद दोनों को अलग रहने की अनुमति देती है। तलाक की प्रक्रिया भारतीय सामाजिक, नैतिक और कानूनी परंपराओं के अनुसार विभिन्न रूपों में प्रदर्शित हो सकती है। तलाक़ के कई प्रकार होते हैं। यहां विभिन्न तलाक की प्रक्रियाओं का उल्लेख किया गया है- संयुक्त तलाक:      संयुक...

पॉक्सो क्या है? पॉक्सो एक्ट में बच्चों और नाबालिगों के प्रति कौन सी हरकतों और बातों को यौन अपराध माना जाता है?

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पॉक्सो (POCSO) अधिनियम 2012 में संशोधन की तैयारी हो चुकी है       केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बच्चों के खिलाफ यौन अपराध सम्बंधित दंड को और अधिक कठोर बनाने के लिए बाल यौन अपराध संरक्षण (Protection of Children from Sexual Offences-POCSO) अधिनियम, 2012 में आवश्यक संशोधन को मंज़ूरी दे दी। आइये जानते हैं की केद्र सरकार क्या क्या बदलाव करने जा रही है इस कानून में । पॉक्सो क्या है?      पॉक्सो एक केंद्रीय कानून है जो यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण करने के लिए बनाया गया है इसी अधिनियम का संक्षिप्त नाम (शार्ट फॉर्म) Protection of Children Against Sexual Offence Act – POCSO (प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन अगेंस्ट सेक्सुअल ऑफेंस) है। इसे यौन अपराधों के खिलाफ बच्चों की सुरक्षा संबंधी कानून के तौर पर भी जाना जाता है। पॉक्सो अधिनियम, 2012 क्यों लागू किया गया था?      पॉक्सो अधिनियम, 2012 को बच्चों के हित और सुरक्षा का ध्यान रखते हुए बच्चों को यौन अपराध (सेक्सुअल क्राइम), यौन उत्‍पीड़न (सेक्सुअल हैरश्मेंट)  तथा पोर्नोग्राफी से सुरक्षा प्रदान करने के लिये लाग...

क्या धारा 498A का दुष्प्रभाव पड़ रहा है समाज़ पर? क्या इस आधार पर तलाक़ लिया जा सकता है?

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धारा 498A: सामाजिक सुरक्षा या दुष्प्रभाव?     धारा 498A, जो भारतीय कानूनी प्रक्रिया में महिलाओं की सुरक्षा के लिए संशोधनों में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस पोस्ट में, हम धारा 498A के महत्व, विवाद और इसके प्रभाव के बारे में चर्चा करेंगे।      धारा 498A भारतीय दंड संहिता का एक अहम अंश है जो दहेज़ प्रथा, पत्नी हिंसा और दाम्पत्य अत्याचार के खिलाफ महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने का उद्देश्य रखता है। यह धारा आरोपी पक्ष के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की अनुमति देती है, जहां पति, ससुराल वालों और दामाद को जुर्माना लगा सकता है।      धारा 498A के अनुसार, यदि किसी पति या पति के परिवार के सदस्यों द्वारा पत्नी के प्रति उत्पीड़न, शारीरिक और मानसिक छेड़छाड़, या दहेज़ के लिए न्यूनतम मांग की जाती है, तो यह एक अपराध माना जाता है। इसका परिणामस्वरूप, आरोपी पक्ष के खिलाफ गिरफ्तारी और न्यायिक कार्रवाई की जा सकती है। हालांकि, धारा 498A को लेकर विवाद भी हैं। कुछ लोग इसे सामाजिक सुरक्षा का एक महत्वपूर्ण साधन मानते हैं, जो पत्नियों को उनके अधिकारों की सुरक्षा प्रदान करता ...

तलाक का मुख्या कारण है? जानिए इससे बचने के उपाए!

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तलाक, एक समाज में एक साथी से दूसरे साथी के साथ जुड़े रिश्ते को खत्म करने का प्रक्रियात्मक नाम है, और भारत में इसका आम होना चिंताजनक है। समाज में तलाक की दर बढ़ रही है और इससे उत्पन्न होने वाली समस्याएं सामाजिक और मानविकी दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं। इस लेख में, हम जानेंगे कि भारत में तलाक के कारण और परिणामों को समझने का प्रयास करेंगे और इस समस्या को हल करने के लिए कौन-कौन से कारगर समाधान हो सकते हैं। तलाक का कारण: सामाजिक परिवर्तन: भारतीय समाज में हो रहे विभिन्न सामाजिक परिवर्तनों के कारण तलाक की दर में वृद्धि हो रही है। व्यक्तिगत और पेशेवर जीवन में बदलाव, महिलाओं की शिक्षा, और समाज में महिलाओं के स्थान के परिवर्तन इसमें एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। वित्तीय और परिवारिक तनाव: वित्तीय और परिवारिक तनाव भी तलाक का कारण बन सकते हैं। आर्थिक मुद्दे, अच्छे संबंधों की कमी, या परिवार के संचार में कोई तनाव तलाक का कारण बन सकते हैं। अन्य समस्याएं: विभिन्न समस्याएं जैसे कि मानसिक समस्याएं, असमान सामाजिक स्थिति, बदलते समय के साथ बदलती रोजगार स्थिति, और सामाजिक प्रतिबद्धता के बीच अधिक समस्याएं तला...

क्यों काली लड़कियों को शादी करने में दिक्कत होती है? क्यों सांवली लड़कियां शादी के लिए होतीं रिजेक्ट, 10 रूढ़िवादी कारण

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भारत, एक विविधता से भरी भूमि है, जहां अनेक धर्म, भाषाएँ, और सांस्कृतिक विचारधाराएँ साथ में अपनाई जाती हैं। हमारा समाज रंग, जाति, और लैंगिकता के कारण विभाजित हो जाता है, और यह विभेद अक्सर लड़कियों पर अधिक प्रभाव डालता है। रंगभेद, जिसे चेहरे के रंग, जाति, और क्षेत्र के आधार पर किया जाता है, भारतीय लड़कियों के लिए एक अभिशाप बन गया है। रंगभेद का परिचय: भारत में रंगभेद एक घातक समस्या है जो समाज के विभिन्न वर्गों को अलग-अलग रूपों में बाँट देती है। चेहरे के रंग, जाति, और सामाजिक पृष्ठभूमि के आधार पर लोगों को अलग करने का कारण बनता है। यह विभाजन लड़कियों को विशेष रूप से प्रभावित करता है और उन्हें समाज में एक भूमिका में बंधने में मुश्किलें पैदा करता है। रंगभेद और लड़कियां: रंगभेद की सबसे बड़ी पीड़ा लड़कियों को होती है, जो इसे सामाजिक संरचना में स्थान बनाए रखता है। सफेद और काले रंग के बीच का विभेद लड़कियों को विद्या, रोजगार, और समाज में समानता की दिशा में बाधित करता है। इसके परिणामस्वरूप, अनेक लड़कियां अच्छी शिक्षा और सर्जनात्मक क्षमताओं का सही समावेश नहीं कर पाती हैं। रंगभेद के कारण लड़की की शाद...

किन परिस्थितियों में बेटियां संपत्ति की पात्र नहीं होती हैं? क्या पिता बेटे की अनुमति के बिना संपत्ति बेच सकता है?

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क्या आप जानती है कि- क्या कोई बेटी पिता की संपत्ति पर दावा कर सकती है? क्या पिता बेटी की सहमति के बिना संपत्ति बेच सकता है? किन परिस्थितियों में बेटियां संपत्ति की पात्र नहीं होती हैं? क्या पिता बेटे की अनुमति के बिना संपत्ति बेच सकता है? मम्मी-पापा की सम्पत्ति पर बेटी को क्या अधिकार मिलते हैं?  पैत्रक सम्पत्ति पर लड़की को क्या अधिकार होते है? पैत्रक सम्पत्ति पर लड़की के अधिकार मौजूदा कानूनों पर निर्भर करता है। यह कानून लड़की के अधिकारों और विधानों को संरक्षित करने के लिए निर्धारित किए गए हैं। लेकिन, फिर भी कुछ सामान्य अधिकार होते हैं जो आमतौर पर लड़की को पैत्रक सम्पत्ति पर अधिकार देते हैं: सम्पत्ति का अधिकार: यदि लड़की पैत्रक सम्पत्ति की कानूनी मालिक है, तो उसके पास सम्पत्ति के संपूर्ण अधिकार होते हैं। वह इसे खरीदने, बेचने, वसीयत करने, उस पर लोन लेने या उसे किसी भी तरीके से नियंत्रित करने का अधिकार रखती है। वसीयत का अधिकार: जब किसी संपत्ति के मुखिया की मालिक मर जाता है, तो उसकी पैत्रक सम्पत्ति के विभिन्न अंशों का वितरण करने के लिए वसीयत की जाती है। यदि लड़की को उस पैत्रक सम्पत्ति ...

FIR कैसे लिखी जाती है? FIR करने में कितना पैसा लगता है? FIR कब लिखी जाती है?

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आप भारतीय समाज में रहते हैं, तो आपने "एफआईआर" के बारे में जरूर सुना होगा। यह शब्द एक महत्वपूर्ण कानूनी प्रक्रिया की प्रतिष्ठिति को दर्शाता है, जिसे भारतीय दंड संहिता में व्यवस्थित किया गया है। एफआईआर का पूरा नाम होता है "प्राथमिकी रिपोर्ट" या "फर्स्ट इनफार्मेशन रिपोर्ट"। यह एक आपराधिक घटना की पहली सूचना होती है, जिसे पुलिस दफ्तर को प्रस्तुत किया जाता है। फ़ाइल आदेश अंग्रेजी में "First Information Report" (FIR) कहलाता है, लेकिन हिंदी में इसे "प्राथमिकी रिपोर्ट" के रूप में जाना जाता है। जब किसी अपराध का दुष्प्रभाव समाज पर पड़ने की संभावना होती है, तो लोग एफआईआर पंजीकरण द्वारा इसकी जानकारी पुलिस अधिकारियों को देते हैं। यह प्रक्रिया अपराध की जानकारी जमा करने और जांच की प्रारंभिक प्रक्रिया को शुरू करने का आधिकार पुलिस को देती है। एफआईआर पंजीकरण अपराधी की पहचान करने, उसकी गिरफ्तारी करने और उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने की शुरुआत होती है। यह एक महत्वपूर्ण दस्तावेज़ होता है जो समाज को सुरक्षित रखने और अपराध के खिलाफ लड़ाई में मदद करता है। ए...

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