Posts

Showing posts with the label talaak
सत्यमेव जयते!

क्या कोई महिला घरेलू हिंसा करने की दोषी हो सकती है? क्या महिला के खिलाफ मुकदमा दायर किया जा सक्ता है? :हाईकोर्ट

Image
क्या कोई महिला घरेलू हिंसा करने की दोषी हो सकती है? क्या महिला के खिलाफ मुकदमा दायर किया जा सक्ता है? कानून कैसे काम करता है इस बात पर समय-समय पर विचार होते रहते हैं। ऐसा ही एक वाक्या दिल्ली में सामने आया जहाँ पति ने पत्नी के खिलाफ लगाया घरेलू हिंसा का आरोप लगाया और मुकदमा दायर किया। मामला जब कोर्ट में पहुंचा तब और भी दिलचस्प बात देखने मिली। मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस जसमीत सिंह हंसने लगे और बड़ी हैरानी से पूछा "ये क्या है?" क्या ट्रायल कोर्ट के न्यायाधीश ने अपना दिमाग नहीं लगाया? घरेलू हिंसा रोकथाम अधिनियम 2005 के तहत किसी महिला को आरोपी बनाया जा सकता है क्या? मामला कुछ इस तरह है कि जस्टिस जसमीत सिंह दिल्ली की एक महिला की अपील पर सुनवाई कर रहे थे। महिला ने निचली अदालत कड़कड़डूमा कोर्ट के एक फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। इस मामलें में निचली अदालत ने उसे घरेलू हिंसा के आरोप में समन जारी किया गया था। जहाँ इस प्रश्न पर चर्चा हुई कि- क्या है घरेलू हिंसा कानून? इसमें कोई महिला आरोपी क्यों नहीं बनाई जा सकती? क्या घरेलू हिंसा कानून पुरुष विरोधी है?  पति ने पत्नी के खिलाफ

जानिए, अगर पति तलाक चाहता है और पत्नी नहीं चाहती तो क्या करें? क्या तलाक के बाद पति पत्नी साथ रह सकते हैं? पत्नी मायके से नहीं आए तो क्या करें?

Image
तलाक़ लेने से पहले इससे जुड़े प्रावधान, पति पत्नी के अधिकार और क़ानून जान लेना बेहतर होता है। आज इस लेख में ऐसे ही प्रश्नों के जवाब जानिए जानेमाने अधिवक्ता आशुतोष कुमार से। क्या तलाक के बाद पति पत्नी साथ रह सकते हैं? भारतीय कानून के अनुसार तलाक पति और पत्नी दोनों की रजामंदी से ही हो सकता है। लेकिन जब एक पक्ष तलाक़ लेने पर अड़ा हो और दूसरा पक्ष दोबारा साथ भी नहीं रहने चाहता तो ऐसे में क़ानूनी समस्या पैदा हो जाती है। इस मामले में कोर्ट किसी पक्ष को मजबूर नहीं कर सकता। ऐसे में तलाक़ लेने की प्रक्रिया के लिए किसी अनुभवी वकील से ही मामले की सहायता लेना अच्छा होता है। पति पत्नी के झगड़े में कौन सी धारा लगती है? अगर पत्नी दहेज प्रताड़ना का आरोप लगाते हुए तथा भारतीय दण्ड सहिंता (आईपीसी) धारा 498A के तहत झूठा केस करती है तो पति दण्ड प्रक्रिया सहिंता (सीआरपीसी) की धारा 227 के तहत अपनी पत्नी के खिलाफ शिकायत दर्ज करा सकता है कि उसकी पत्नी ने उसके खिलाफ झूठा केस किया है। लेकिन यह बात उसे कोर्ट में साबित करनी होगी की उसके द्वारा लगाये गए आरोप का आधार क्या है। क्या पति पत्नी से गुजारा भत्ता ले सकता है? हा

पति तलाक लेना चाहता और पत्नी नहीं तो क्या किया जाना चाहिए?

Image
क्या सहमति से तलाक़ लिया जा सकता है? पति पत्नी के बीच यदि बन नहीं रही है तो सहमति से तलाक लेने की प्रक्रिया अपनाई जा सकती है। सहमति से तलाक लेने के लिए पहले दोनों ही पक्षों को कोर्ट में एक याचिका दायर करनी होती है। फिर दूसरे चरण में कोर्ट द्वारा दोनों पक्षों के अलग-अलग बयान लिए जाते हैं और दस्तखत की औपचारिकता होती है। तीसरे चरण में कोर्ट दोनों को 6 महीने का वक्त देता है ताकि वह अपने फैसले को लेकर दोबारा सोच सकें। और फिर यदि दोनों ही पक्ष तलाक के फैसले पर कायम रहते हैं तो 6 महीने के बाद कोर्ट द्वारा उनके फैसले के अनुरूप उन्हें तलाक़ की अनुमति दे दी जाती है। क्या केवल लड़का तलाक ले सकता है? आपसी समझौते के आधार पर तलाक लेने की कुछ शर्तें होती हैं। यदि पति और पत्नी शादी के बाद 1 साल या उससे ज्यादा समय से अलग रह रहे हो और दोनों में पारस्परिक रूप से तलाक़ लेने को सहमत हैं। एक दूसरे के साथ रहने पर कोई भी राजी नहीं है या दोनों पक्षों में सुलह की कोई स्थिति नजर नहीं आती है तो ऐसे में सहमति के आधार पर तलाक के लिए आवेदन करने का हक होता है। इसे मैचुअल कंसेंट डायवोर्स कहा जाता है यानी आपसी सहमति से तल

शादी के कितने दिन बाद तलाक़ ले सकते हैं?

Image
मैरिज काउंसलर और तलाक के मामलों के जानकार वकीलों के मुताबिक पिछले दो सालों के दौरान तलाक की अर्जियां काफी बढ़ीं। भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में यह चलन बढ़ता नजर आया। इसको देखते हुए भारत के पड़ोसी देश चीन ने तलाक का नया कानून लागू कर दिया। चीन के नए क़ानून के तहत तुरंत तलाक नहीं मिलेगा बल्कि दंपती को अब तलाक के लिए 30 दिन का इंतजार करना होगा।  ताकि वे आवेग में आकर फैसले न लें और उन्हें पुनर्विचार का मौका मिल सके। भारत में सामान्यतया यह समय 6 महीने का है। यह कूलिंग ऑफ पीरियड तलाक़ के फैसलों पर विचार के लिए दिया जा है। मगर उच्चतम न्यायालय के कुछ फैसलों के मुताबिक अदालत इस बारे में स्वंय विवेकाधिकार से फैसला ले सकती है।  कूलिंग ऑफ पीरियड क्या है? तलाक की अर्ज़ी देने वाले कपल्स को तलाक के फैसले पर पुर्नविचार के लिए कोर्ट द्वारा कुछ समय दिया जाता है यह समय कूलिंग ऑफ पीरियड के नाम से जाना जाता है। इस पीरियड के दौरान जब कपल्स ठन्डे दिमाग से पुनः विचार करते हैं तो 36% प्रतिशत मामलों में कपल्स तलाक़ का विचार त्याग देते हैं जिससे टूटते परिवारों को बचाने का प्रयास किया जाता है। क्या कामयाब होता यह

दूसरी पत्नी को पति की सम्पत्ति पर कितना हिस्सा मिलेगा?

Image
क्या दूसरी पत्नी को पति की सम्पत्ति पर पूरा अधिकार होगा दूसरी पत्नी को पति की सम्पत्ति पर कोई अधिकार नहीं होगा भले ही किसी व्यक्ति की कोई दूसरी पत्नी हो या उसके बच्चे भी हों। यदि पति ने संपत्ति स्वयं अर्जित की है तब उस व्यक्ति को संपत्ति पर केवल स्वयं का अधिकार होगा। वह संपत्ति को बेच सकता है दान भी दे सकता है या वसीयत भी कर सकता है। शादीशुदा महिला को अपने पति की अर्जित की गई संपत्ति पर कोई अधिकार तब तक नहीं होता जब तक उसका पति जीवित होता है या तलाक की अवस्था ना हो। पहली पत्नी से तलाक के बाद या पहली पत्नी की मृत्यु के बाद दूसरी शादी की है तो दूसरी शादी कानूनी मान्यता होने पर ही दूसरी पत्नी को अपने पति की पैतृक किया स्व अर्जित संपत्ति में पूरा अधिकार होगा। दूसरी पत्नी को पति की कितनी प्रॉपर्टी पर अधिकार मिलेगा दूसरी पत्नी का फिर से किसी और से शादी करने से पहले उसके पहले पति का निधन हो गया हो या उसके बच्चों का पिता बन गया हो तो उसके हिस्से में पहली पत्नी से हुए बच्चों की तरह समान अधिकार है। अगर दूसरी शादी कानूनी मान्यता नहीं है तो ना तो दूसरी पत्नी और ना ही उसके बच्चों को पैतृक संपत्ति म

लीगल खबरें आपके लिए!