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कोर्ट किस अधिकार से एक IAS को कोर्ट में हाज़िर होने को आदेश दे सकता है?

 न्यायालय में उपस्थित बाध्य करने हेतु प्रावधान 

दंड प्रक्रिया संहिता (IPC) की धारा 61 से धारा 90 के अंतर्गत किसी व्यक्ति को न्यायालय में उपस्थित होने के लिए मजबूर करने के लिए कई तरीके बताये गये हैं-

  • समन
  • वारंट
  • समन के बदले में वारंट
  • भागे हुए व्यक्ति की उद्घोषणा (अख़बार या अन्य किसी प्रचलित सूचना के साधन से)
  • संपत्ति की कुर्की
  • बंधक-प्रतिभूतियों सहित अथवा रहित (सिक्योरिटी जब्त करके)

समन:-

Court Order


धारा 61
के अनुसार न्यायालय द्वारा इस संहिता के अधीन जारी किया गया 

  1. प्रत्येक समन लिखित रूप से हो और दो प्रतियों में, उच्च न्यायालय (हाई कोर्ट) के पीठासीन अधिकारी द्वारा या अन्य अधिकारी द्वारा जिसे न्यायालय नियम के द्वारा समय-समय पर निर्दिष्ट करें, हस्ताक्षरित होगा और उस पर न्यायालय की मुहर लगी हो।
  2. समन की तामील के लिए धारा 62 में कहा गया है कि प्रत्येक समन की तामील (रिसीविंग) पुलिस अधिकारी द्वारा ऐसे नियमों के अधीन जो राज्य सरकार के किसी अधिकारी द्वारा या अन्य लोक सेवक द्वारा दी जाएगी।
  3. यदि सम्भव हो तो, समन जिसके लिए जारी हुआ है उसे ही दो प्रतियों में से किसी एक को रिसीव कराके व्यक्तिगत रूप से दी जाए।
  4. प्रत्येक व्यक्ति जिसे समन तामील (रिसीव) कराया जाये तो रिसीव कराने वाले अधिकारी से ऐसी अपेक्षा की जाती है तो दूसरी प्रति पर उसके हस्ताक्षर कराएगा जिसे समन रिसीव कराया है।
सरकारी निगमित निकाय अथवा सोसाइटी के लिए समन की तामील:-
धारा 63 के अनुसार-
  1. किसी निगम (संस्था) पर समन की तामील निगम के सचिव, स्थानीय प्रबंधक या अन्य किसी तैनात अधिकारी को रिसीव कराके की जा सकती है या
  2. भारत में निगम के मुख्य अधिकारी के पते पर रजिस्टर्ड डाक द्वारा की जा सकती है इस दशा में समन रिसीव समझी जाएगी।
समन किए गए व्यक्तियों के ना मिलने पर धारा 64 के अनुसार यह होगा की:-
  1. जब समन किया गया व्यक्ति तत्परता बरतने में भी ना मिले तो वहाँ समन को दो प्रतियों में से किसी एक को उसके घर अथवा साथ रहने वाले किसी वयस्क सदस्य के पास उस व्यक्ति के लिए छोड़ कर की जा सकती है।
  2. तामील करने वाले अधिकारी एक रसीद को हस्ताक्षर करवा कर अपने पास रखेगा और दूसरी प्रति का भाग उसको सौंप देगा जो उस घर का मुखिया होगा।
स्पस्टीकरण- सेवक, इस धारा के अर्थ में कुटुम्ब का सदस्य नहीं है

तामील ना होने की दशा में-

धारा 65 के अंतर्गत यह उपबंध है की धारा 62, धारा 63 या धारा 64 में उपबंधित रूप में तामील के लिए तत्परता बरतने पर भी ना किया जा सके तो तामील करने वाले अधिकारी समन को दो प्रतियों में एक उसके घर पर जहाँ वह निवास करता रहा हो अथवा जहाँ मामूली तौर पर निवास करता है के दरवाजे या अन्य किसी भाग में लगाएगा जहाँ इसे पढ़ा जा सके और न्यायालय ऐसी जांच करने के पश्चात जैसा वह ठीक समझे या तो घोषित कर सकता है।

सरकारी कर्मचारी पर समन की तामील-

धारा 66 के अनुसार, जहां समन किया गया व्यक्ति सरकारी सेवा में है वहां समन जारी करने वाले न्यायालय मामूली तौर पर ऐसा समन दो प्रतियों में उसके कार्यालय के प्रधान को भेजेगा जहाँ वह व्यक्ति सेवक है तब वह प्रधान धारा 62 में लिखित किसी प्रकार से समन तामील कराएगा अपेक्षित कथन सहित उस पर हस्ताक्षर करके न्यायालय को लौटा देगा

स्थानीय अधिकारिता के बाहर समन की तामील-

जब न्यायालय यह चाहता है कि उसके द्वारा जारी किए गए समन की तामील उसकी स्थानीय अधिकारिता के बाहर किसी स्थान पर की जाए तो मामूली तौर पर ऐसा समन दो प्रतियों में उस मजिस्ट्रेट को भेजेगा जिसकी स्थानीय अधिकारिता के अन्दर उसकी तामील की जानी है या समन किया गया व्यक्ति निवास करता है।

समन की तामील का सबूत-

धारा 68 के अनुसार जब न्यायालय द्वारा जारी किए गए समन की तामील जब-

  • उसके स्थानीय अधिकारिता से बाहर की गई है और जिसने समन तामील करवाई है वह अधिकारी मामले की सुनवाई के समय कोर्ट उपस्थित नहीं है।
  • वह मजिस्ट्रेट जिसको समन तामील के लिए भेजा गया था और समन तामील हो गया था।
  • समन की दूसरी प्रति जो हस्ताक्षरित कराकर प्रस्तुत करनी थी प्रस्तुत की गई हो
  • धारा 62, धारा 63, धारा 64 में उपबंधित किसी भी प्रकार से तामील की हुई मानी जाएगी और साक्ष्य में ग्राही होगी जब तक प्रतिकूल साबित न किया जाये।

साक्षी का डाक द्वारा समन की तामील-

इस अध्याय में पूर्ववर्ती धाराओं को किसी भी बात के होते हुए साक्षी के लिए समन जारी करने वाला न्यायालय, समन जारी करने के अतिरिक्त उसके साथ-साथ आदेश दे सकता है उस समन की एक प्रति तामील किये जाने वाले व्यक्ति को उस स्थान या पते पर जहां मामूली तौर पर निवास करता है या कारोबार करता है डाक द्वारा की जाए।

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