अंतर धार्मिक विवाह करने के लिए किसकी अनुमति ज़रूरी है? क्या कोर्ट मैरिज रजिस्ट्रार विवाह पंजीकरण करने से इनकार कर सकता है? जानिए प्राविधान

हिंदू दत्तक ग्रहण एवं पोषण अधिनियम के अंतर्गत एक बच्चे तथा वृद्ध माता-पिता की पोषण पाने का अधिकार प्राप्त है और विशुद्ध हिंदू विधि के अंतर्गत क्या अधिकार प्राप्त है।
वृद्ध माता-पिता तथा संतान के भरण पोषण का अधिकार-
हिंदू दत्तक ग्रहण एवं भरण पोषण अधिनियम की धारा 20 के अंतर्गत वृद्ध माता-पिता तथा संतानों को भरण पोषण का अधिकार प्रदान किया गया है। यह धारा उप बंधित करती है कि-
बलीराम बनाम मुखिया कौर के वाद में-
पंजाब उच्च न्यायालय ने यह निर्णय दिया कि अविवाहिता पुत्री अपने पिता से वयस्क हो जाने के बाद भी भरण-पोषण पाने की अधिकारिणी है। हिंदू धर्म के अनुसार प्रत्येक पिता का यह कर्तव्य तथा दायित्व है कि वह अपनी अविवाहिता पुत्री को न केवल दैनिक खर्चों को संभाले वरन उसके विवाह के लिए एक उचित खर्चे की व्यवस्था करें।
धारा 20 (3) में वर्णित सीमा के अंदर माता या पिता का यह कर्तव्य है कि वयस्क हो जाने पर भी वह अविवाहिता पुत्री का भरण पोषण करें।
पूर्व में हिंदू विधि में धर्मज अविवाहित पुत्री को भरण पोषण का अधिकार प्राप्त था। पिता के मर जाने पर वह उसकी संपत्ति से भरण पोषण प्राप्त करने की अधिकारी हो जाती थी किंतु इस प्रकार का अधिकार जारज पुत्री को प्राप्त नहीं था।
वर्तमान विधि में औरस तथा जारज दोनों प्रकार की पुत्रियां माता-पिता से भरण पोषण प्राप्त करने की अधिकारिणी है। पूर्व हिंदी विधि के अंतर्गत वृद्ध माता-पिता के भरण पोषण का दायित्व पुत्र पर था, परंतु वर्तमान विधि के अंतर्गत यह दायित्व पुत्री पर भी डाला गया है कि निर्बल एवं वृद्ध माता-पिता का भरण पोषण करें। माता-पिता में संतान रहित सौतेली मां सम्मिलित होती है।
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