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भारत के लिए जरूरी नहीं है लॉकडाउन? | भारत सरकार का यह फैसला देश की अर्थव्यवस्था को बर्बाद कर देगी?


चीन के वुहान प्रांत से शुरू हुई एक विश्वव्यापी महामारी कोरोना ने देखते-देखते विश्व के सभी देशों को अपने चपेट में ले लिया। आज यह महामारी विश्व की किसी भी देश से अछूती नहीं है। मौत का आंकड़ा दिन-ब-दिन बढ़ता ही जा रहा है।

आज विश्वभर में लगभग 910352 से अधिक कोरोना से संक्रमित व्यक्ति हो चुके हैं और अब तक कुल 45500 से अधिक मौतें हो चुकी हैं। अमेरिका जैसे संपन्न देश भी में भी कोरोना के लगभग 199860 लोगो को इस महामारी से पीड़ित हैं। आज विश्व के बड़े से बड़े देश कोरोना जैसी महामारी के आगे घुटने टेकते नजर आ रहे हैं। ईरान, इटली जैसे देशों का आंकड़ा यह बताने के लिए काफी है कि महामारी किस कदर मौत का तांडव कर रही है। लगभग 8 करोड़ की आबादी वाले देशों में 13000 से अधिक मौतें हो चुकी हैं। ऐसे में भारत जैसे विशाल जनसँख्या वाले देश के लिए यह किसी चुनौती से कम नहीं है। वर्तमान समय में देश की आबादी लगभग 130 करोड़ से अधिक है। इतने विशाल जनसंख्या वाले देश में इस महामारी के क्या परिणाम हो सकता है इसका अंदाज़ा सहज लगाया जा सकता है। इसका अनुमान हम आसानी से लगा सकते हैं।


लेकिन भारत में यह संक्रमण पूरी तरह से कंट्रोल में है।
भारत ने विश्व के लिए एक ऐसी मिसाल कायम की जो विश्व के बड़े-बड़े देश न कर सके।
मेडिकल सुविधाओं में अग्रणी देश भी कोरोना संक्रमण से होने मौत का सिलसिला नहीं रोक सके। जबकि भारत जैसे विशाल जनसंख्या वाले देश में कोरोना को लगभग कंट्रोल कर लिया गया है।
भारत में  कैसे मुमकिन हुआ यह

इतनी बड़ी आबादी वाले देश में सभी नागरिकों को एक साथ अच्छी मेडिकल सुविधाएं दे पाना संभव नहीं है। हालाँकि सरकार का प्रयास सभी राज्यों के सभी नगरों, जिलों, कस्बों व गांव तक प्रत्येक व्यक्ति को मेडिकल सुविधा पहुंचाने का लक्ष्य है। किंतु इस बीमारी का विकराल रूप देखते हुए सरकार ने सम्पूर्ण देश को 21 दिनों तक बंद रखने का ऐलान किया। भारत सरकार के दूरदर्शिता की सोंच व त्वरित फैसले से यह संभव हो सका।
भारत सरकार ने यदि फैसला लेने में देरी की होती तो देश में मौत आंकड़ा कुछ और हो सकता था।
जिन देशों में समय से लॉकडाउन नहीं लागू किया गया वंहा कोरोना के संक्रमण से मौत का सिलसिला थम नहीं रहा है।  सभी मेडिकल सुविधाएँ धरी की धरी रह गई हैं।
इस आधार पर यह कहा जा सकता है की कोरोना के संक्रमण को रोकने का शायद यही एकमात्र रास्ता है। शायद इस प्रयास से संपूर्ण देश में इस बीमारी को रोका जा सकता है।
यदि भारत में संक्रमित रोगियों की संख्या की तुलना अन्य देशों से की जाए तो यह अपने आप मे एक मिसाल है।
भारत मे अब तक कुल 1890 संक्रमित मरीज़ हैं जिसमे से 144 लोग ठीक हो कर घर जा चुके हैं और 50 लोंगो की मृत्यु हुई। यह प्रसन्ता का विषय नहीं है किंतु संतोष का जरूर है कि 130 करोड़ से अधिक की आबादी वाले देश में संक्रमण को सीमित कर दिया गया।
वहीं ईरान और इटली जैसे देश जिनकी आबादी 10 करोड़ से भी कम है आज 13000 से अधिक की मौत हो चुकी है और 1 लाख से भी अधिक लोग संक्रमित हैं।
लेकिन भारत में कुछ व्यक्तियों व समूहों की नासमझी और गलती की वजह से यह संक्रमण का चक्र रुक नहीं रह है।

देश विरोधी व मानव सभ्यता को नष्ट करने के इरादे से एक वर्ग विशेष देश में संक्रमण को कम नही होने दे रहा है। ग्रह मंत्रालय और सुरक्षा एजेंसियों के बार-बार चेताने के बावजूद लोग सुरक्षा उपायों का पालन नहीं कर रहे है। देश में रातों रात 300 से अधिक संक्रमित रोगियों का मिलना अपने आप मे एक सवाल है कि आखिर क्यों न समझना चाहते हैं ये लोग।
ऐसे में यदि पुलिस सख्ती करती है तो किसी को पुलिस पर सवाल उठाने का कोई अधिकार नहीं।



क्या होगा अगर लॉकडाउन हटा दिया जाए


वर्तमान समय देखते हुए यदि आज भारत से लॉकडाउन को हटा दिया जाए तो इसमें कोई दो राय नहीं है कि चारों तरफ मौत का तांडव होगा और लाशें बिछी भी नजर आएंगी ।
सम्पूर्ण मानव सभ्यता समाप्ति की ओर अग्रसित हो जाएगी।  कुछ लोग अभी भी इसकी भयवाहिता को समझ नहीं पा रहे हैं । इसे मजाक समझ रहे हैं। ऐसी महामारी को एक साधारण संक्रामक बीमारी समझ रहे हैं।
अमेरिका इटली और ईरान जैसे देश इस महामारी से पूरी तरह से तबाह हो गए हैं।
आज वहां पर मौत का तांडव है। हर तरफ लाशें नज़र आ रही हैं। लाशों को दफनाने के लिए जगह कम पड़ गई है। सरकार ने उन सब को सामूहिक रूप से दफ़नाने का आदेश तक दे दिए हैं।
यदि भारत में आज लॉकडाउन पालन न करें या हटा दिया जाए तो इसका संक्रमण गांव, कस्बे तक प्रत्येक व्यक्ति तक पहुंच जाएगा। तब इतनी बड़ी आबादी वाले देश में मौत का आंकड़ा किस कदर होगा इसका अंदाजा भी हम नहीं लगा सकते हैं।

अर्थव्यवस्था को बर्बाद कर देगा लॉकडाउन

निसंदेह इस लॉकडाउन से भारत की अर्थव्यवस्था पर एक बड़ा प्रभाव पड़ेगा। सैकड़ों नौकरियां जाएंगी, लोगों का व्यवसाय ठप हो जाएगा। आज भारत में सैकड़ों मजदूर पलायन करने के लिए मजबूर हैं।  ऐसे लोग जिनका पूरी तरह से व्यवसाय ठप हो गया कमाई ठप हो गई, काम धंधा बंद हो गया है। देश में वित्तीय आपातकाल जैसी अवस्थाएं हो जाएंगी। सरकारी खजाना भी खाली हो जायेगा।
लेकिन प्रश्न यह है कि अर्थव्वस्था तो तब बचा पाएंगे जब हम सब जीवित रहेंगे।
मानव की प्रवत्ति रही है जब तक मौत नज़दीक नहीं अति तब तक सद् बुद्धि भी नहीं आती है। अभी जो लोग कोरोना के संक्रमण से बचे हुए है उनमे से कुछ लोगो को शायद यही लग रहा है की मानव जाति अभी खतरे में नहीं है।

कोरोना जैसी महामारी ने आज 205 देशों को अपनी चपेट में ले लिया है। लोग मर रहे है। पूरा का पूरा गांव, शहर सब तबाह हो रहा है। यदि हम सब भी कोरोना के संक्रमण से ग्रसित हो गए तो अर्थव्यवस्था बचा कर भी हम क्या कर लेंगे। अर्थव्यवस्था भी तभी रहेगी जब हम जिंदा होंगे। अर्थव्यवस्था के लिए जिंदा रहना जरूरी है
एक जिंदगी अर्थव्यवस्था पुनः बना सकती हैं लेकिन अर्थव्यवस्था किसी को जिंदगी नहीं दे सकती है।

भारत के दानवीर भारत के साथ

इतिहास गवाह है, हमारे परिवार में जब-जब वित्तीय संकट आया तब-तब परिवार के हर छोटे-बड़े सदस्यों ने अपने गुल्लक से परिवार के मुखिया का सहयोग किया। आज भी भारत जैसे देश में ऐसे दान वीरों की कोई कमी नहीं है। आज देश का हर नागरिक यह बात सोचता है। भले ही वह प्रधानमंत्री राहत कोष में मात्र ₹1 दान करता हो, लेकिन वह भारत के पक्ष में सोचता है। भारत के साथ खड़ा होता है।

भारत पर जब-जब बड़ी विपत्ति आई तब-तब भारत के लोग भारत के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलें हैं और दिल खोलकर दान भी किया।  भारत की अर्थ व्यवस्था को फिर वही मजबूती देने में सहयोग किया। आज भी यह सिलसिला चल पड़ा है। सैकड़ों लोग लाखों रुपए दान कर रहे हैं।

भारत को कभी वित्तीय आपातकाल जैसी स्थिति का सामना नहीं करना पड़ेगा। भारत के बैंक मजबूत बनेंगे। भारत की अर्थव्यवस्था फिर मजबूत बनेगी। आज हम सभी को देश को ऐसे विशाल महामारी से उबारने के लिए लिए सहयोग देना होगा।

:जान है तो जहान है। 

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