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Lockdown | क्या होता है लॉकडाउन? | क्या होता है यदि कोई व्यक्ति इसका उल्लंघन करता है?

क्या होता है लॉकडाउन?

लॉकडाउन एक ऐसी इमरजेंसी व्यवस्था होती है।
  • लॉकडाउन द्वारा किसी भी सार्वजनिक स्थान पर अधिक भीड़ को इकट्ठा होने से रोका जाता है।
  • यह व्यवस्था संपूर्ण देश, कुछ राज्य या कुछ जिलों या फिर किसी एक मोहल्ले में लगाई जाती है।
  • आपदा, महामारी या दंगा आदि के समय भीड़ को काबू करने के उदेश्य से केंद्र सरकार, या राज्य सरकार या स्थानीय प्रशासन इस व्यवस्था को लागू कर सकता है।
  • इस व्यवस्था में एक बड़ी आबादी को महामारी या आपदा से बचाव के लिए लोगों को घरों में रहने के लिए कहा जाता है तथा उन्हें घर से बाहर निकलने पर पूर्णतयः मनाही होती है।
  • सभी स्कूल, कॉलेज, सरकारी व प्राइवेट संस्थान व दुकानें, बाजार, फैक्ट्रियां, सर्वजनिक स्थल, पर्यटन स्थल, परिवहन इत्यादि बंद करने का आदेश जारी किया जाता है।
लेकिन इस समय कुछ जरूरी व जीवन सेवाएं खुली रहती हैं-
जैसे
  • अस्पताल, बैंक, मेडिकल स्टोर, किराना की दुकान खुले रहते हैं.
  • मीडिया, फायर डिपार्टमेंट, हेल्थ इंस्फ्रास्ट्रचर, बिजली, पानी, साफ़-सफाई की सेवाएं निरंतर रहती हैं।  
  • खाने पीने की वस्तुएं अनाज, दूध, ब्रेड, बिस्किट की दुकानें खुले रहते हैं। 
  • लोगों को केवल आवश्यक वस्तुओं लेने के लिए बाहर जाने की अनुमति होती है। 
क्या होता है यदि कोई व्यक्ति इसका उल्लंघन करता है?

भारत में लॉकडाउन का यदि कोई व्यक्ति उलन्घन करता है तो पुलिस उस व्यक्ति पर भारतीय दंड सहिंता (IPC) 1860 की धारा 188 के तहत कार्यवाही करती है।

धारा 188 के तहत मानव जीवन स्वास्थ्य पर संकट लाने वाले व्यक्ति को बलवा दंगा करने वाले व्यक्ति को किसी भी तरह से आया की कारावास की सजा दी जा सकती है 6 माह तक जेल हो सकती है या फिर जुर्माना हो सकता है।

नोट -धारा 188 के तहत यह जरूरी नहीं है कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति को नुकसान करने के इरादे से निकला हो आज्ञा की अवज्ञा ही व्यक्ति का अपराध होता है। 

क्या है दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) 1973 की धारा 144 ?

दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) 1973 धारा 144 डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट, सब डिविजनल मजिस्ट्रेट या किसी अन्य कार्यकारिणी मजिस्ट्रेट को राज्य सरकार की ओर से विशेष स्थानीय क्षेत्र में एक व्यक्ति अथवा आम जनता को विशेष गतिविधि से दूर रखने या अपने कब्जे या प्रबंधन के किसी संपत्ति को इस संबंध में आदेश जारी करने की शक्ति होती है।

धारा 144 लागू होने का आदेश कब दिया जा सकता है ?
  • किसी व्यक्ति को कानूनी रूप से नियोजित करने में बाधा या परेशानी या चोट आने की आशंका हो 
  • मानव जीवन को स्वास्थ्य सुरक्षा पर संकट हो। 
  • अशांति, दंगा या उत्पीड़न की आशंका हो तब ऐसे व्यक्ति या समूह या आम जनता के खिलाफ यह पारित किया जा सकता है।
प्रत्येक राज्य के सन्दर्भ में धारा 144 दंड प्रक्रिया संहिता 1973 लागू हो सकती है जिसमें सामान्यता निम्न आदेश जारी किये जाते हैं।  
  • पुलिस सार्वजनिक स्वास्थ्य व सार्वजनिक सुरक्षा और सार्वजनिक व्यवस्था को बनाए रखने के लिए निषेधात्मक आदेश जारी करती है। 
  • प्रदर्शनों, जुलूस, विरोध प्रदर्शनों आदि के लिए किसी भी प्रकार की सभा निषिद्ध कर दी जाती है। 
  • किसी भी सामाजिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक, धार्मिक, शैक्षणिक, खेल, संगोष्ठी, सम्मेलन के आयोजन अनुमति नहीं दी जाती है। 
  • साप्ताहिक बाजार (सब्जियों फलों आवश्यक वस्तुओं को छोड़कर) रद्द कर दिए जाते हैं। 
  • निजी टूर ऑपरेटर द्वारा संचालित निर्देशित समूह पर्यटन स्थल बंद दिए जाते हैं।
  • किसी स्थल पर दो से अधिक व्यक्तियों के इक्कठा होने पर मनाही।  
भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 188 में प्रावधान किया गया है कि

किसी लोकसेवक या अधिकारी द्वारा दिए गए आदेश का उल्लंघन करने पर उल्लंघन करने वाले व्यक्ति को दंड का प्रावधान है।
धारा 188 के तहत आदेश का उलंघन करने वाले व्यक्ति के खिलाफ मुकदमा चलता है।

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