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सत्यमेव जयते!

उदंड वकीलों को हड़ताल करने से रोकें, कानून से खिलवाड़ बर्दास्त करने लायक नही है

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वकीलों द्वारा हड़तालों और अदालत के बहिष्कार को रोकने के लिए नियम बनाने का प्रस्ताव, बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने सुप्रीम कोर्ट को बताया बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि वह वकीलों द्वारा हड़तालों और अदालत के बहिष्कार को रोकने के लिए नियम बनाने के प्रस्ताव की इच्छुक है और उल्लंघन करने वाली बार एसोसिएशनों और सोशल मीडिया के माध्यम से इस तरह की हड़ताल को बढ़ावा देने वाले अधिवक्ताओं के खिलाफ कार्रवाई करने का प्रस्ताव कर रहा है। न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एमआर शाह की पीठ को बीसीआई (BCI) के अध्यक्ष वरिष्ठ अधिवक्ता मनन कुमार मिश्रा ने बताया कि उसने इस संबंध में सभी बार काउंसिल के साथ बैठक बुलाई है। बीसीआई (BCI) के अध्यक्ष वरिष्ठ अधिवक्ता मनन कुमार मिश्रा ने पीठ से कहा, "हमने बीसीआई के साथ सभी बार काउंसिल की बैठक बुलाई है। हम हड़ताल और बहिष्कार को रोकने के लिए नियम बनाने का प्रस्ताव करते हैं और बार एसोसिएशन के सदस्यों को उचित औचित्य के बिना हड़ताल पर जाने के लिए दंडित करने के लिए नियम बन रहे हैं।" पिछली बार पीठ ने वकीलों की हड़ताल के मुद्दे से निपटने

प्राइवेट नौकरी करने वाली गर्भवती महिला Maternity Benefit ऐसे पा सकती हैं!

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मातृत्व लाभ का दावा तथा अदायगी की अधिसूचना (Claim of maternity benefit and notification of payment) मातृत्व हित लाभ अधिनियम की धारा 6 के अंतर्गत मातृत्व हित (Maternity Benefit) लाभ के दावे (claim) तथा उसकी अदायगी (payment) की अधिसूचना के संबंध में उपबंध है। कोई स्त्री जो एक संस्थापन में नियोजित (काम करती हो) है तथा इस अधिनियम के अंतर्गत मातृत्व हित लाभ प्राप्त करने का अधिकार रखती है, और इसके लिए वह अपने नियोजक को निर्धारित प्रारूप में सूचना लिखित रूप से दे सकती है। इस सूचना द्वारा वह यह विहित कर सकती है कि नियोजक मातृत्व लाभ की या अन्य कोई धनराशि उसे या उस नोटिस में नामांकित किसी व्यक्ति को करें तथा नोटिस में यह उपबंधित भी कर सकती है कि मातृत्व हित लाभ प्राप्त करने की अवधि के दौरान वह किसी अन्य संस्थापन में कार्य नहीं करेगी। किसी गर्भवती स्त्री के मामले में नोटिस में उस अतिथि का उल्लेख किया जाएगा जिस तिथि से मातृत्व लाभ के लिए वह स्त्री कर्मकार अपने कार्य से अनुपस्थित रहेगी, किंतु यह तिथि उसके प्रसव के प्रत्याशित दिन के 6 सप्ताह से पूर्व तिथि नहीं होगी। कोई ऐसी स्त्री, जिसने कि उस स

महिला सम्मान की पैरवी करने वाले देश में मैरिटल रेप अपराध नहीं!

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एक लड़की (उम्र लगभग 23 वर्ष) की 2017 में शादी हुई। शादी के बाद कुछ दिन तक सब ठीक चलता रहा, लेकिन इसके बाद पति-पत्नी के बीच अनबन शुरू हो गई। पत्नी का आरोप है कि पति दहेज की मांग करते हुए उसके साथ मारपीट और गाली-गलौज करने लगा जो देखते-देखते आम होता गया। यहां तक की पति ने कई बार पत्नी की मर्जी के विरुद्ध जबरन शारीरिक संबंध (सेक्स) भी बनाता था। यही नहीं पति ने उस लड़की के साथ अप्राकृतिक सम्बन्ध भी बनाये। इन सब प्रताड़ना से तंग आकर एक ऱोज पत्नी ससुराल छोड़ अपने मायके चली गई। इसके बाद पत्नी ने अपने पति के खिलाफ रेप, अप्राकृतिक संबंध और दहेज प्रताड़ना का केस कर दिया। मामला कोर्ट पहुंचा तो निचली अदालत ने पति को तीनों मामलों में दोषी पाया, लेकिन जब मामला हाईकोर्ट पहुंचा तो हाईकोर्ट ने पति को रेप के आरोप से बरी कर दिया। यह कोई पहला वाक्या नहीं है और ना ही ऐसा पहली बार हुआ है कि जब पति को पत्नी के साथ रेप के आरोप से बरी किया गया हो। बता दें कि भारतीय कानून में पति-पत्नी के बीच इस तरह के मैरिटल रेप (बिना मर्ज़ी सम्बन्ध या जबरन सेक्स) की धारा 375 से अलग रखा गया है आखिर ये मैरिटल रेप होता क्या है? मै

1 सितंबर बैंक, PF, GSTR से जुड़े नियम के लिए तैयार रहें अब जेब और ढीली करनी होगी

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आज, 1 सितंबर से बहुत कुछ बदल गया है। आज ही Financial Year (FY) 2022 की दूसरी तिमाही भी शुरू हो जाएगी। इस तारीख को Bank ग्राहकों को सेविंग खातों में Financial Year (FY) 2022 की दूसरी तिमाही का ब्‍याज भी मिलेगा। इसके अलावा GSTN ने कुछ नियम सख्‍त कर दिए हैं। वहीं LPG सिलेंडर के रेट की समीक्षा भी होगी। त्‍योहारी सीजन को देखते हुए Indian Railways कुछ नई स्‍पेशल ट्रेनों या पूजा स्‍पेशल की शुरुआत कर सकता है ताकि यात्रियों को घर आने में दिक्‍कत न झेलनी पड़े। EPFO ने भी PF खाते को लेकर नियम बदले हैं। आइए जानते हैं 1 सितंबर को कौन से बदलाव होंगे और हमारी जेब पर कितना असर पड़ेगा। GST रिटर्न दो महीने से नहीं भरा तो होगी मुश्किल! GSTN ने कहा है कि जिन कारोबारियों ने बीते दो महीनों में GSTR-3B रिटर्न दाखिल नहीं किया है, वे 1 सितंबर से बाहर भेजी जाने वाली आपूर्ति का ब्‍योरा GSTR-1 में नहीं भर पाएंगे। जहां कंपनियां किसी महीने का GSTR-1 उसके अगले महीने के 11 वें दिन तक दाखिल करती हैं, GSTR-3B को अगले महीने के 20-24वें दिन के बीच क्रमबद्ध तरीके से दाखिल किया जाता है। व्यवसायिक इकाइयां GSTR-3B के जरिए कर

क्यों लोग लड़की को बदनाम करने लगते है जब वो "न" कहती है? क्या करे एक लड़की अगर उसके साथ कुछ ऐसा हो की!

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आज के दौर में एक पुरुष का कई महिला से सम्बन्ध होगा या किसी महिला का कई पुरुष से सम्बन्ध होना आम होता जा रहा है। पति-पत्नी, दोस्त, गर्लफ्रेंड-बॉयफ्रेंड या डेट कर रहे कपल्स आजकल फोन पर बात करते समय एक दूसरे से कब अतरंग बातें करने लगते हैं इसका पता उन्हें भी नहीं चलता। बातचीत के दौरान वीडियो, फोटो शेयर करना एक सामान्य बात है। इसमें कोई नई बात नहीं है और न ही कुछ गलत। लेकिन कई बार लड़की या लड़का अपने अंतरंग संबंधों (सेक्स) के दौरान अपने शारीरिक संबंध बनाने के दौरान खींचे गए फोटोस या वीडियोस या एक दूसरे को शेयर करते हैं। जिसमें न्यूड फोटो, सेक्स वीडियो टेप, कॉल रिकॉर्डिंग जैसे तमाम चीज़े शेयर होती हैं। यह फोटो रिवेंज पोर्न के रूप में आजकल एक दूसरे से प्रतिशोध (बदला) लेने का कारण भी बनते जा रहे हैं। अक्सर करके प्रेमी युगल एक दूसरे को अपनी प्राइवेट फोटो शेयर करते हैं लेकिन जब रिश्ता टूटता है तो यही फोटो जो पक्ष रिवेंज (बदला) लेना चाहता है उसके द्वारा दुरपयोग किआ जाता है। वह पक्ष इन फोटो का उपयोग करके दूसरे पार्टनर को बदनाम करने का प्रयास करता है। क्या है रिवेंज पोर्न ? जब कोई प्रेमी (लड़क

अक्टूबर 2020 से देशभर में कई नियम बदल गये हैं, कानूनों में हो रहा है बदलाव

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1 अक्टूबर 2020 से देशभर में कई नियम बदल गये हैं वाहन से चलाने वालों और विदेश में पैसा भेजने वालों से लेकर गूगल पर मीटिंग करने वालों तक के लिए इन बदलावों को जानना जरूरी है। बहुत ऐसे बदलाव हुए हैं जो आपको सीधा प्रभावित करेंगे। इस सभी से जुड़े कानून में बदलाव के लिए केंद्र सरकार ने अनुमति दे दी है। क्या-क्या बदलाव देखने को मिलेगा अब आइये विस्तार से जानते हैं। 1) डिजिटल दस्तावेज अगर आप कार या बाइक चलाते हैं तो अब आपको डीएल, आरसी, फिटनेस सर्टिफिकेट, आदि की हार्ड कॉपी लेकर चलने की अब कोई जरूरत नहीं है। वाहन की चैकिंग के दौरान इसकी सॉफ्ट कॉपी दिखाएँ। अब ओरिजनल पेपर को आप अपने पास डिजिटल मोड में रख सकेंगे। अब हार्ड कॉपी को घर पर रखें और इसकी सॉफ्ट कॉपी को मोबाइल में। इसके रखरखाव के लिए एक सरकारी वेब पोर्टल का उपयोग किया जा सकेगा। 2) टीवी महंगा हो जाएगा टीवी बनाने में काम आने वाले ओपन सेल प्रोडक्ट के इंपोर्ट पर 5% सीमा शुल्क लगेगा जिसकी वजह से टीवी बनाने की लागत बढ़ेगी और इसका सीधा असर ग्राहक की जेब पर होगा।तो अब से प्लाज्म, LED सभी प्रकार की TV के दाम में 1500 से 3000 तक की बढ़ोतरी संभव है। 3) पै

अकाउंट में पैसा होने पर भी क्यों चेक बाउंस हो जाता है? कैसे बचें इस अपराध से

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चेक बाउंस होने पर  चैक  देने वाले व्यक्ति पर अथवा चेक लेने के बाद  चैक  में हेर फेर करने वाले को  चैक  से जुड़े अपराध के लिए सजा हो सकती है। लेकिन कौन-कौन से कारण से यह सजा हो सकती है इसे विस्तार से समझिये। कारण:  खाते में पर्याप्त धन की कमी होने  आदि के कारण चैक की बाउंस हो जाना  - जहां किसी व्यक्ति द्वारा किसी खाते में किसी भी व्यक्ति को किसी भी ऋण या अन्य दायित्व के पूरे या आंशिक रूप में , भुगतान के लिए उस खाते द्वारा किसी भी राशि का भुगतान करने के लिए उसके द्वारा जारी किसी भी चेक को बैंक द्वारा भुगतान न किए जाने पर वापस किया जाता है , या तो उस खाते के क्रेडिट में पड़ी धन राशि चेक का सम्मान करने के लिए अपर्याप्त है या उस बैंक से किए गए समझौते के अनुसार भुगतान की गई राशि अधिक है , ऐसे व्यक्ति द्वारा इस अधिनियम के किसी भी अन्य प्रावधान के प्रति पूर्वाग्रह के बिना , एक अपराध करना माना जाएगा।  इस अपराध के लिए कारावास जो दो साल तक हो सकता है के साथ दंडित किया जा सकता है  या जुर्माने से जो चेक की राशि से दो गुना तक हो सकता है , या दोनों के साथ हो सकता है। लेकिन इस धारा में निहित कुछ भी

भारत सरकार के विरुद्ध युद्ध करने पर होगी मृत्युदण्ड की सज़ा | सुप्रीम कोर्ट

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भारतीय दण्ड संहिता में मृत्युदण्ड व्यक्ति को न्यायिक प्रक्रिया के फलस्वरूप किसी जघन्य अपराध को करने के लिए प्राण का दण्ड देना मृत्युदण्ड कहलाता है। जघन्य अपराधियों को फाँसी की सजा दिया जाना मृत्युदण्ड का एक स्वरूप है और निरोधात्मक दण्ड के रूप में मृत्युदण्ड सबसे कठोरतम दण्ड माना गया है क्योंकि इसके परिणामस्वरूप समाज से अपराधी का अस्तित्व ही समाप्त हो जाता है। प्रायः सभी देशों में मृत्युदण्ड सदियों से प्रचलित है। भारत में भी आदिकाल से मृत्युदण्ड विभिन्न रूपों में प्रचलित था। अवांछित समाज विरोधी तत्वों को समूल नष्ट करने का यह एक प्रभावकारी उपाय माना जाता रहा है। मृत्युदण्ड  का अर्थ- फेयर चाइल्ड के अनुसार - “ किसी अपराध के लिये अपराधी को मृत्यु की सजा दिया जाना मृत्यु दण्ड या प्राणदण्ड कहलाता है। ” सी-एम- अब्राहम के अनुसार- “ सामाजिक नीति के अनुरूप अत्यधिक गंभीर अपराध के मामलों में दोषी व्यक्ति को मौत के घाट उतार देना मृत्युदण्ड कहलाता है। ” भारतीय दण्ड संहिता , 1860 के अंतर्गत निम्नलिखित अपराधों के लिये मृत्युदण्ड का प्रावधान है- भारत सरकार के विरु

शिक्षा से क्यों वंचित है गरीबों के बच्चे | क्या है शिक्षा का अधिकार (Right To Education)

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शिक्षा का अधिकार (Right To Education) हाल ही में  उच्चतम न्यायालय  द्वारा शिक्षा के अधिकार के विषय में एक महत्वपूर्ण बात कही गई कि;  "शिक्षा का अधिकार एक जीने के अधिकार का एक आवश्यक मार्ग (अवयव) है;  उच्चतम न्यायालय" शिक्षा (Education) के बिना एक सभ्य , सुसंस्कृत एवं सम्माजनक जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती। शिक्षा  (Education)  हमारे जीवन का एक अनिवार्य अंग है। भारत में स्कूली शिक्षा को अनिवार्य किए जाने की माँग सर्वप्रथम 1917 में गोपाल कृष्ण गोखले ने की थी। 1937 में महात्मा गाँधी एवं डॉ- जाकिर हुसैन ने स्कूली शिक्षा  (Education)  को अनिवार्य किये जाने की आवश्यकता पर बल दिया। बाद में संविधान निर्माताओं ने शिक्षा को अनिवार्य किये जाने के प्रावधान को भाग 4 में स्थान दिया।  उन्नीकृष्णन बनाम आंध्रप्रदेश राज्य के वाद में 1993 में सर्वोच्च न्यायालय ने निर्णय दिया कि संविधान के खण्ड 4 के अनुच्छेद 45 के खण्ड 3 के अनुच्छेद 21 के साथ मिलकर पढ़ा जाना चाहिए। अनुच्छेद 45 में यह प्रावधान था कि राज्य 14 वर्ष तक के बालकों को अनिवार्य और निःशुल्क शिक्षा  (Educati

लॉकडाउन में ज़िन्दगी | Lockdown की नज़र बंदी में हुआ जीना मुहाल!

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दिनांक 24 मार्च 2020 को रात 8 बजे देश के प्रधानमंत्री माननीय श्री नरेंद्र मोदी जी ने देश के नाम संबोधन किया। इस संबोधन में कोरोना वायरस से लड़ने के लिए जरूरी कदम उठाए जाने की घोषणा की। प्रधानमत्री जी ने घोषणा की है कि 25 मार्च 2020 रात 12 बजे से संपूर्ण भारत में  पूर्ण रूप से लॉकडाउन होना है। लॉकडाउन जिसे इमरजेंसी या कर्फ्यू के नाम से भी हम जानते हैं आज ही रात 12 बजे से लागू हो जाएगा। यह लॉक डाउन  21 दिनों का होगा।  इसके तहत किसी भी व्यक्ति को 21 दिनों तक अपने घर से निकलने की अनुमति नहीं होगी। किसी भी स्थान पर सार्वजनिक भीड़ लगाना या इक्कठा होना दंडनीय अपराध होगा। अत्यंत आवश्यक या जीवन रक्षा से जुड़ी कोई समस्या होने पर अस्पताल जाने की अनुमति होगी। पुलिस नर्स डॉक्टर सफाईकर्मी के अतिरिक्त किसी भी व्यक्ति को घर से बाहर निकलने  की अनुमति नहीं होगी।  ! कुछ लोगों  के लिए सवाल यह है कि 21 दिनों तक घर में करें तो करें क्या? देश में बहुत से लोगों की यही समस्या है कि आखिर 21 दिनों तक घरों में रहकर करेंगे क्या? समय कैसे कटेगा? किन्तु अगर सोंच सकारात्मक हो और कुछ करने का हौंसला हो तो इस इक्

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