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सत्यमेव जयते!

14 से 20 वर्ष की लड़कियां हैं इनके निशाने पर!

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कंपनियां जब अपने प्रोडक्ट मार्केट में लांच करती हैं प्रोडक्ट की लाइफ भी तय होती है। इसके अतिरिक्त सुरक्षा कवच अर्थात एंटीवायरस सॉफ्टवेयर बनाया जाता है जो इसे अवांछित खतरों से बचाता है। कितुं अब जो एंटीवायरस बन रहे हैं वो आज के जमाने के हैं। इस वजह से पुराने खतरों के बारे में इनमें पूर्ण जानकारी नहीं होती है। जिसकी वजह से कई सेंधमार इसकी सुरक्षा को चुनौती दे रहे हैं। लेकिन अगर माइक्रोसॉफ्ट कोई ओएस (आपरेटिंग सिस्टम) प्लेटफार्म बनाता है तो हैकर इसमें आसानी से सेंध नहीं लगा पाते हैं। क्योंकि इसमें एंटीवायरस भी कुछ नहीं कर सकते हैं। सुरक्षा के इस प्रश्न पर कई कंपनियां सभी डिवाइस के अलग-अलग प्लेटफार्म पर काम कर रही हैं? कंपनियों ने अपनी जरूरत के हिसाब से प्लेटफार्म बनाए हैं। इसलिए इतने सारे प्लेटफार्म के लिए एंट्री एंटीवायरस बनाना मुश्किल है। स्मार्ट होम अप्लायंसेज के लिए इंटरनेशनल एक्सपो का आयोजन करने वाली चीन की कंपनियों के जनरल मैनेजर ने कहा कि यह बिल्कुल भी सच नहीं है कि इलेक्ट्रोनिक उत्पादों की सुरक्षा को लेकर कुछ नहीं हो रहा है। स्मार्ट प्रोडक्ट बनाने वाली लगभग सभी कंपनियां पहले उत्पाद

भारतीय दंड संहिता | IPC | PCSJ Model Question Paper with Answer in Hindi

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प्रश्न1-भारतीय दंड संहिता प्रवृत हुई- 6 अक्टूबर 1807 6 दिसंबर 1860 1 जनवरी 1861 1 जनवरी 1862 उत्तर- 1 जनवरी 1862 प्रश्न2- निम्नलिखित अपराधों में से कौन सा कठोर दायित्व का अपराध है- उपहति हमला द्विविवाह चोरी उत्तर-  द्विविवाह प्रश्न3-आपराधिक विधि के प्रति कृत्यात्मक दृष्टिकोण को उजागर किया है- भारत के विधि आयोग ने भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने इंग्लैंड की वुल्फडेन समिति ने संयुक्त राज्य अमेरिका के सर्वोच्च न्यायालय ने उत्तर- इंग्लैंड की वुल्फडेन समिति ने प्रश्न4- भारतीय दंड संहिता की धारा 34 के लागू होने के लिए निम्नलिखित में से कौन-सी आवश्यक शर्त नहीं है?  आपराधिक कृत्य सामान्य आशय को अग्रसर करते हुए किया गया आपराधिक कृत्य कई व्यक्तियों द्वारा किया गया हो अपराध गठित करने वाले कार्य में किसी न किसी रूप में सभी व्यक्तियों द्वारा भागीदारी आपराधिक कृत्य सामान्य उद्देश्य को अग्रसर करने में किया गया हो उत्तर- आपराधिक कृत्य सामान्य उद्देश्य को अग्रसर करने में किया गया हो प्रश्न5- निम्नलिखित में से कौन-सामान्यता अपराध का आवश्यक तत्व नहीं है? आपराधिक कृत्य दुराशय हेतु मानव उत्तर- हेतु प्रश्न6- ग

नाम शोहरत दौलत फिर हवालात ऐसी है आईएस अधिकारीयों की ज़िन्दगी कुछ ऐसी ही है?

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बीते 40 माह में तकरीबन 1300 से अधिक सरकारी नुमाइंदे जेल पहुच चुके हैं। बाबू से लेकर कलक्टर तक जेल की हवा खा रहे हैं। कोई घूस लेते रंगे हाथो पकड़ा गया तो किसी के घर नोटों का अम्बार मिला। दुनिया भर को शिष्टाचार की नसीहत देने वाले आज खुद सलाखों के पीछे हैं। बावजूद इसके इन्हें घूस लेने से कोई परहेज़ नहीं है। पापा कहतें है बड़ा नाम करेगा! आमतौर पर सिविल सेवा की तैयारी करने वाले विद्यार्थी शुरू से ही मेधावी होते हैं। वे इंटर व स्नातक स्तर से ही फर्स्ट क्लास मार्क्स लाते दिख जायंगे। वहीँ कुछ छात्र-छात्राएं स्नातक के बाद अपनी मेहनत के बल पर अपनी किस्मत बदलते हैं। आम ज़िन्दगी से दूर रहकर पढाई करने वाले अभ्यर्थी सरकारी नौकरी पा कर अपने माता पिता अपने परिवार खानदान व गुरुजनों का नाम रोशन करते हैं। लोगों को उनकी सफलता में अपनी सफलता दिखने लगती है। लोग उनके साथ खुद को भी गौरवान्वित महसूस करने लगते हैं। लेकिन पद प्रतिष्ठा पाने के बाद समय बिताने के साथ इनमें से कई भ्रष्टाचार की राह पर अपना कदम बढ़ा लेते हैं। फिर शुरू होता बदनामी की गर्त में जाने का दौर। देश में भ्रष्टाचार कम होने की बजाये बढ़ता ही जा रहा

क्या रेलवे को सर्विस चार्ज वसूलने का अधिकार है?

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किसी भी होटल, रेस्टोरेंट, ढाबा पर खाना खाने पर होटल मालिक अतिरिक्त सर्विस चार्ज अलग से नहीं वसूल कर सकते हैं।  यह बात सेंट्रल कंज्यूमर प्रोटक्शन अथॉरिटी ने कही। होटल या किसी अन्य प्रतिष्ठान के खाने के बिल में सभी प्रकार के बिल पहले से ही जुड़े रहते हैं। इसलिए होटल मालिक बिल के साथ सर्विस चार्ज वसूलने की मनमानी नहीं कर सकते हैं। ग्राहक द्वारा जितना खाना आर्डर किया गया है उतने का बिल चुकाने के लिए ग्राहक बाध्य है।  इसके अलावा वेटर को टिप देना अथवा अन्य किसी प्रकार का भुगतान ग्राहक की स्वेच्छा पर निर्भर करता है। इसके लिए रेस्टोरेंट मालिक जबरदस्ती नहीं कर सकते हैं। क्या है सरकार का आदेश? सेंट्रल कंज्यूमर प्रोटक्शन अथॉरिटी ने ग्राहकों की हित की रक्षा के लिए गाइडलाइन जारी की है। इसमें कहा गया है कि कोई भी होटल, रेस्टोरेंट, ढाबा किसी भी बिल के अतिरिक्त किसी प्रकार का सर्विस चार्ज अलग से वसूल नहीं कर सकता है। सेंट्रल कंज्यूमर प्रोटक्शन अथॉरिटी ने स्पस्ट किया है कि खाने-पीने की चीजों में पहले से ही सरकार द्वारा जारी टैक्स बिल में शामिल होता है। यानी कि सभी टैक्स जुड़ने के बाद ही बिल जनरेट होता है

क्या एक विदेशी नागरिक घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत 'पीड़ित व्यक्ति' हो सकता है? जानिए, क्या है भारत में इसके लिए प्रावधान!

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राजस्थान हाईकोर्ट (जोधपुर बेंच) ने एक महत्वपूर्ण अवलोकन में माना है कि 2005 के घरेलू हिंसा अधिनियम की धारा 2 (ए) के अनुसार, 'पीड़ित व्यक्ति' की परिभाषा में एक विदेशी नागरिक सहित कोई भी महिला शामिल होगी, जो घरेलू हिंसा के अधीन हैं। घरेलू हिंसा के मामले में महिला के पास क्या अधिकार हैं?  कोर्ट ने कहा, ऐसी महिला 2005 के अधिनियम की धारा 12 के तहत सुरक्षा पाने की हकदार है। इस सम्बन्ध में महिला मजिस्ट्रेट को आवेदन कर सुरक्षा की मांग कर सकती है। जस्टिस विनीत कुमार माथुर की खंडपीठ ने कहा कि घरेलू हिंसा अधिनियम के सामान्यतः इस बात का पता चलता है कि अधिनियम के तहत संरक्षण उन व्यक्तियों को दिया जाता है जो अस्थायी रूप से भारत के निवासी हैं, जो 2005 के अधिनियम की धारा 2(ए) के अनुसार पीड़ित व्यक्ति की परिभाषा के अंतर्गत आते हैं। किस मामलें में कोर्ट ने घरेलू हिंसा रोकथाम अधिनियम की व्याख्या की? एक कनाडाई नागरिक कैथरीन नीएड्डू ने घरेलू हिंसा से महिलाओं के संरक्षण अधिनियम की धारा 12 के तहत अपने पति रोबर्टो निएड्डू के खिलाफ शिकायत दर्ज की थी। याचिकाकर्ता ने अदालत के समक्ष पत्नी की शिकायत के

बालिग लड़की का नाबालिग लड़के से शादी करने पर अपराध क्यों नहीं है? और क्या नाबालिग लड़की अपनी मर्ज़ी से शादी कर सकती है?

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बाल विवाह कुप्रथा क्यों है? बाल विवाह से होने वाली हानियां कौन-कौन सी हैं? भारत जैसे देश में लड़कियों के विवाह के लिए लड़कियों की मर्ज़ी और सहमति की परवाह नहीं की जाती है। लगभग 93% लड़कियों का विवाह उनकी मर्ज़ी के बिना ही किये जाते हैं। कई राज्यों में लड़कियों का विवाह बचपन में ही कर दिया जाता है। जल्दी शादी होने से लड़कियों पर बच्चे पैदा करने का दबाव भी दिया जाने लगता है। कम उम्र में माँ बनने पर लड़कियों को कई तरह से शारीरिक कष्ट झेलने पडतें है। इन्हीं कारणों से भारत में बाल विवाह निषेध किया गया है। बाल विवाह में असली दोषी कौन होता है? बाल विवाह करवाने वाले परिजन, पुरुष-महिला, रिश्तेदार, बालिग पति इत्यादि। बाल विवाह निषेध अधिनियम में बालिग अथवा नाबालिग लड़की को दोषी नहीं माना गया है। बालिग लड़का नाबालिग लड़की से शादी करता है तो क्या होगा? यदि बालिग लड़का जिसकी उम्र 18 वर्ष या इससे अधिक हो और नाबालिग लड़की जिसकी उम्र 18 वर्ष से कम हो से शादी करता है तो बाल विवाह अधिनयम के अंतर्गत दंडनीय अपराध है। वास्तव में बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 की धारा 9 में बाल विवाह करने वाले बालिग पुरुष के लिए सजा क

जानिए दाखिल खारिज़ क्यों ज़रूरी है और नहीं होने पर क्या नुकसान हो सकतें हैं?

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ऑनलाइन आवेदन दाखिल-खारिज करते समय आवश्यक कागजात क्या है? यदि आप दाखिल-खारिज के लिए ऑनलाइन आवेदन करना चाहते हैं तो इसके लिए आपको ज़मीन के सम्बन्ध जानकारियों को ऑनलाइन आवेदन करते समय भरना होगा। जैसे ज़मीन का बैनामा किस तिथि को कराया गया था। किस निबंधन कार्यालय में कराया गया था। किस क्रम संख्या व प्रपत्र पर आपका बैनामा दर्ज है। इसके बाद आप जरूरी जानकारी ऑनलाइन फॉर्म में भरने के बाद सबमिट कर देंगे। लेकिन याद रखें अगर उत्तर प्रदेश में दाखिल-खारिज का आवेदन करना चाहते हैं तो 2012 के बाद कराए गए बैनामों का ही दाखिल खारिज ऑनलाइन संभव है। इसके पहले के दाखिल खारिज कराने के लिए आपको संबंधित तहसील में जाकर आवेदन करना होगा। ज़मीन खरीदने के कितने दिन बाद दाखिल-खारिज करवाना होता है? अमूमन दाखिल खारिज कराने की प्रक्रिया बैनामा के तुरंत बाद कराई जा सकती है। लेकिन दाखिल खारिज होने में लगभग 45 दिन का समय लग जाता है। यह संबंधित कार्यालयों में अलग-अलग हो सकते हैं। क्योंकि दाखिल-खारिज की प्रक्रिया में लेखपाल व राजस्व निरीक्षक के रिपोर्ट दाखिल होने के बाद ही नामांतरण का आदेश किया जाता है। इसलिए इस प्रक्रिया

फिल्म 'जय भीम' विवाद में हुई इन्साफ की मांग, मामला कोर्ट पहुंचा!

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जय भीम विवाद: वन्नियार संगम ने फिल्म निर्माता के खिलाफ आपराधिक मानहानि की शिकायत दर्ज कराई; कहा- बोलने की स्वतंत्रता की आड़ में समुदाय का अपमान नहीं कर सकते फिल्म 'जय भीम' के खिलाफ़ मानहानि की शिकायत दर्ज करवाई 'जय भीम' फिल्म के खिलाफ़ क्या शिकायत दर्ज़ की गई। 'जय भीम' फिल्म को लेकर विवाद उत्पन्न हो गया। इस विवाद का सहारा लेकर वन्नियार संगम के अध्यक्ष ने 'जय भीम' फिल्म निर्माताओं के खिलाफ कथिततौर पर वन्नियारों का अपमान करने तथा उनके समुदाय को गलत तरीके से बड़े पर्दे पर चित्रित करने के लिए मानहानि की शिकायत दर्ज कराई है। शिकायत पत्र में यह आरोप लगाया गया है कि समाज के हाशिए (आखरी पायदान) के वर्गों के सामाजिक सशक्तिकरण के लिए संघर्ष करने वाले समुदाय के भ्रामक चित्रण ने समुदायों के बीच कलह और असामंजस्य को उकसाया है। 'जय भीम' फिल्म इन धाराओं के अंतर्गत वाद दर्ज़ करवाया गया न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वितीय, के समक्ष शिकायत दर्ज करवाई गई है। इस शिकायत पत्र के माध्यम से आईपीसी की धारा 153 (दंगा भड़काने के इरादे से उकसाना), 499 (मानहानि), 500 (मानहानि की सजा), 503

क्या अनपढ़ आदमी FIR लिखवा सकता है?

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क्या होता है FIR? जब कोई अपराध घटित होता है तो अपराध करने वाले के खिलाफ़ या किसी घटना की सूचना या शिकायत पुलिस को देना या पुलिस के पास जाकर दर्ज करवाना FIR (एफआईआर) कहलाता है। FIR का मतलब है- फर्स्ट इनफॉरमेशन रिपोर्ट (First Information Report) जब किसी अपराध की सूचना पुलिस को दी जाती है तो उसे फर्स्ट इनफॉरमेशन रिपोर्ट यानि FIR कहा जाता है। FIR करवाने के कितना खर्चा आता है? FIR लिखवाने की प्रक्रिया पूरी तरह नि:शुल्क है। इसके लिए किसी प्रकार का कोई शुल्क नहीं देना होता है। किसी भी थाने में FIR के लिए शुल्क लेने का कोई प्रावधान नहीं है। क्या रिश्तेदारों के खिलाफ भी FIR करवाई जा सकती है? भारतीय कानून के अनुसार अपराधी को सगे संबधी या रिश्तेदार जैसे शब्दों से सुरक्षित नहीं किया गया है। अपराधी केवल अपराधी मात्र है। इसलिए प्रत्येक अपराध करने वाले के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज़ करवाई जा सकती है। फिर चाहे वह परिवार का सदस्य या रिश्तेदार ही क्यों ना हो। क्या पुलिस बिना FIR किसी को गिरफ्तार कर सकती है? एक संगीन अपराध या गंभीर अपराध वो है जिसमें बिना वारंट के पुलिस गिरफ्तार कर सकती है। गैर संगीन अपरा

तलाक़ के बाद बच्चे पर ज्यादा अधिकार किसका होगा माँ का या पिता का?

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तलाक़ के बाद बच्चे पर किसका अधिकार होगा? तलाक़ ले रहे दम्पति के बीच बच्चे की कस्टडी को लेकर अक्सर विवाद उत्पन्न हो जाता है। बच्चे की कस्टडी किसे मिलेगी किसे नहीं यह कई बातों पर निर्भर करता है। मसलन बच्चे की उम्र, लिंग, परिस्थिति आदि। इसके साथ ही यह निर्णय पूरी तरह कोर्ट पर निर्भर है कि बच्चे कि कस्टडी किसको दी जाये। बच्चे का पिता अमीर है इसलिए बच्चा उसी को मिलना चाहिए? माता-पिता की आय व बेहतर शिक्षा की उम्मींद ही कस्टडी देने का मापदंड नहीं हो सकता। चूँकि बच्चा कोई सामान नहीं है जो बिना उचित तर्क के किसी एक को सौंप दिया जाये। माता-पिता की आय तो क्या बच्चे की परवरिश अच्छी ही होगी। कस्टडी की समस्या को मानवीय तरीके से हल किया जाना चाहिएः हाईकोर्ट बिलासपुर में दाखिल एक याचिका की सुनवाई के दौरान छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के जस्टिस गौतम भादुड़ी और जस्टिस एनके चंद्रवंशी की बेंच ने बच्चे की कस्टडी को लेकर पेश किए गए मामले में एक महत्वपूर्ण टिप्पणी करते हुए कहा है कि "बच्चा कोई सामान नहीं है" बच्चे का कल्याण ही फैसले का आधार होना चाहिए। माता- पिता की इनकम अच्छी है और बच्चे की बेहतर शिक्षा की व्

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