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सत्यमेव जयते!

तलाक लेने में कितना खर्च आयेगा और यह खर्च कौन देगा? तलाक लेने से पहले यह कानून जान लें!

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तलाक में कितना खर्चा आता है? तलाक लेने की प्रक्रिया और इस पर खर्च होने वाली धनराशि क्या होगी इस पर कोई विशेषज्ञ राय दे पाना लगभग असंभव है। इसके वास्तविक खर्च का अनुमान लगाने से पूर्व कुछ ऐसे तथ्य हैं जिसपर चर्चा करना आवश्यक है  हालांकि फिर भी इस जटिल सवाल का जवाब देना असंभव है कि तलाक लेने का या देने का वास्तविक खर्च क्या होगा। इस निर्णय से पहले यहां कुछ कारक हैं जो तलाक की कुल लागत को प्रभावित करते हैं पहले इसे जान लें। आपसी सहमति के तहत तलाक लेने में एक विवादास्पद तलाक से कम खर्च होगा। विस्थापित (अलगाव) दंपत्ति का रिश्ता एक प्रमुख कारक होता है। ऐसे रिश्ते में  दंपत्ति  जितना अधिक मुख्य मुद्दों पर असहमत होता है, उतना अधिक महंगा तलाक होगा, लेकिन  बिना बच्चों या वयस्क (बालिग) बच्चों वाले दम्पति का तलाक नाबालिग बच्चों के साथ तलाक से अधिक महंगा होगा। सामुदायिक संपत्ति के विभाजन की असहमति तलाक की लागत में वृद्धि करेगी। निर्वाह (जीवन यापन) धन शामिल तलाक अधिक महंगा है। तलाक की कानूनी लागत का आकलन करना। वकील का शुल्क: एक वकील घंटे के हिसाब से या किए गये कानूनी कार्य के लिए एक मुश्

गाड़ी पर पुरानी नंबर प्लेट है तो इसे जल्द बदलवा लें नहीं तो देना होगा भारी जुर्माना

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अगर आपकी गाड़ी में पुरानी नंबर प्लेट लगी है तो अब समय आ गया है इसे जल्द से जल्द बदलवाने का जिससे आप भारी जुर्माने और सज़ा से बच सकें। नए नियम के अनुसार ऐसे सभी वाहन जिनका रजिस्ट्रेशन 1 अप्रैल 2019 से पहले हुआ है और वाहन पर पुरानी नंबर प्लेट लगी है तो सरकार ने ऐसे वाहनों के प्लेट को बदलवाने के लिए आदेश दे दिया है। सभी वाहन मालिकों को नोटिस जारी करते हुए कहा है कि जल्द से जल्द अपने वाहन में लगी पुरानी नंबर प्लेट को उच्च सुरक्षा पंजीकरण प्लेट (HSRP) में बदलवा लें। सभी वाहनों में उच्च सुरक्षा पंजीकरण प्लेट व कलर कोडेड स्टिकर लगाना अनिवार्य कर दिया है। सरकार ने कहा है कि जल्द ही ऐसे वाहनों की चेकिंग शुरू की जयेगी और जिन वाहनों में आदेश का उलंघन पाया जाएगा उनसे मोटर वाहन अधिनियम 1989 और CMV 1989 एक्ट के तहत कार्यवाही कर जुर्माना वसूला जाएगा। क्या होता है HSRP? उच्च सुरक्षा पंजीकरण प्लेट यानी HSRP एक क्रोमियम आधारित प्लेट होती है जिसपर एक मुहर लगी होती है। इस मुहर में वाहन से जुड़े पंजीकरण के तथ्य दर्ज होते हैं जो वाहन चेकिंग के दौरान वाहन से जुड़ी जानकारी जुटाने में मदद करते हैं। क्या होता है कल

अकाउंट में पैसा होने पर भी क्यों चेक बाउंस हो जाता है? कैसे बचें इस अपराध से

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चेक बाउंस होने पर  चैक  देने वाले व्यक्ति पर अथवा चेक लेने के बाद  चैक  में हेर फेर करने वाले को  चैक  से जुड़े अपराध के लिए सजा हो सकती है। लेकिन कौन-कौन से कारण से यह सजा हो सकती है इसे विस्तार से समझिये। कारण:  खाते में पर्याप्त धन की कमी होने  आदि के कारण चैक की बाउंस हो जाना  - जहां किसी व्यक्ति द्वारा किसी खाते में किसी भी व्यक्ति को किसी भी ऋण या अन्य दायित्व के पूरे या आंशिक रूप में , भुगतान के लिए उस खाते द्वारा किसी भी राशि का भुगतान करने के लिए उसके द्वारा जारी किसी भी चेक को बैंक द्वारा भुगतान न किए जाने पर वापस किया जाता है , या तो उस खाते के क्रेडिट में पड़ी धन राशि चेक का सम्मान करने के लिए अपर्याप्त है या उस बैंक से किए गए समझौते के अनुसार भुगतान की गई राशि अधिक है , ऐसे व्यक्ति द्वारा इस अधिनियम के किसी भी अन्य प्रावधान के प्रति पूर्वाग्रह के बिना , एक अपराध करना माना जाएगा।  इस अपराध के लिए कारावास जो दो साल तक हो सकता है के साथ दंडित किया जा सकता है  या जुर्माने से जो चेक की राशि से दो गुना तक हो सकता है , या दोनों के साथ हो सकता है। लेकिन इस धारा में निहित कुछ भी

भारत सरकार के विरुद्ध युद्ध करने पर होगी मृत्युदण्ड की सज़ा | सुप्रीम कोर्ट

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भारतीय दण्ड संहिता में मृत्युदण्ड व्यक्ति को न्यायिक प्रक्रिया के फलस्वरूप किसी जघन्य अपराध को करने के लिए प्राण का दण्ड देना मृत्युदण्ड कहलाता है। जघन्य अपराधियों को फाँसी की सजा दिया जाना मृत्युदण्ड का एक स्वरूप है और निरोधात्मक दण्ड के रूप में मृत्युदण्ड सबसे कठोरतम दण्ड माना गया है क्योंकि इसके परिणामस्वरूप समाज से अपराधी का अस्तित्व ही समाप्त हो जाता है। प्रायः सभी देशों में मृत्युदण्ड सदियों से प्रचलित है। भारत में भी आदिकाल से मृत्युदण्ड विभिन्न रूपों में प्रचलित था। अवांछित समाज विरोधी तत्वों को समूल नष्ट करने का यह एक प्रभावकारी उपाय माना जाता रहा है। मृत्युदण्ड  का अर्थ- फेयर चाइल्ड के अनुसार - “ किसी अपराध के लिये अपराधी को मृत्यु की सजा दिया जाना मृत्यु दण्ड या प्राणदण्ड कहलाता है। ” सी-एम- अब्राहम के अनुसार- “ सामाजिक नीति के अनुरूप अत्यधिक गंभीर अपराध के मामलों में दोषी व्यक्ति को मौत के घाट उतार देना मृत्युदण्ड कहलाता है। ” भारतीय दण्ड संहिता , 1860 के अंतर्गत निम्नलिखित अपराधों के लिये मृत्युदण्ड का प्रावधान है- भारत सरकार के विरु

कैसे मिटेगा भ्रष्टाचार | क्या है इस सम्बन्ध में कानून (Corruption)

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भ्रष्टाचार ( Corruption)  व निवारण से संबंधित कानून वर्तमान में भ्रष्टाचार  ( Corruption)  सर्वत्र और सर्वशक्तिमान हो गया है , मानों भगवान की जगह ले रहा हो। जहाँ देखो उधर ही  भ्रष्टाचार   ( Corruption)  व्याप्त है। कालांतर में ऐसे कई बड़े घोटाले रहे हैं जो चर्चा में रहे। जिनमे से कुछ निम्न हैं  चारा घोटाला मामले में न्यायालय की टिप्पणी ‘ भ्रष्टाचार ’ ( Corruption)   शब्द दो शब्दों ‘ भ्रष्ट ’ और  ‘ आचरण ’ से बना हुआ है। अर्थात् भ्रष्ट आचरण ही भ्रष्टाचार है । भ्रष्टाचार  ( Corruption) आज एक ज्वलंत समस्या है। सम्पूर्ण विश्व इस समस्या से त्रस्त है। जनसाधारण में अब यह धारणा बन चुकी है कि सरकारी , गैर-सरकारी एवं स्वैच्छिक संगठनों में कुछ बिना लिए-दिए काम नहीं बनता। उपहारस्वरूप आज रिश्वत को सुविधा शुल्क का नाम दे दिया गया है। लोग अपना काम निकलवाने के लिए लोकसेवकों को भ्रष्ट आचरण करने के लिए उत्प्रेरित करते हैं और इसका शिकार आज वह आदमी बन रहा है , जिसके पास देने को कुछ भी नहीं है। वर्तमान समय में भ्रष्टाचार एक ज्वलंत मुद्दा बना हुआ है। बाबा रामदेव , अन्ना हजारे , स्वामी अग्निवेश त

शिक्षा से क्यों वंचित है गरीबों के बच्चे | क्या है शिक्षा का अधिकार (Right To Education)

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शिक्षा का अधिकार (Right To Education) हाल ही में  उच्चतम न्यायालय  द्वारा शिक्षा के अधिकार के विषय में एक महत्वपूर्ण बात कही गई कि;  "शिक्षा का अधिकार एक जीने के अधिकार का एक आवश्यक मार्ग (अवयव) है;  उच्चतम न्यायालय" शिक्षा (Education) के बिना एक सभ्य , सुसंस्कृत एवं सम्माजनक जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती। शिक्षा  (Education)  हमारे जीवन का एक अनिवार्य अंग है। भारत में स्कूली शिक्षा को अनिवार्य किए जाने की माँग सर्वप्रथम 1917 में गोपाल कृष्ण गोखले ने की थी। 1937 में महात्मा गाँधी एवं डॉ- जाकिर हुसैन ने स्कूली शिक्षा  (Education)  को अनिवार्य किये जाने की आवश्यकता पर बल दिया। बाद में संविधान निर्माताओं ने शिक्षा को अनिवार्य किये जाने के प्रावधान को भाग 4 में स्थान दिया।  उन्नीकृष्णन बनाम आंध्रप्रदेश राज्य के वाद में 1993 में सर्वोच्च न्यायालय ने निर्णय दिया कि संविधान के खण्ड 4 के अनुच्छेद 45 के खण्ड 3 के अनुच्छेद 21 के साथ मिलकर पढ़ा जाना चाहिए। अनुच्छेद 45 में यह प्रावधान था कि राज्य 14 वर्ष तक के बालकों को अनिवार्य और निःशुल्क शिक्षा  (Educati

क्या है अनुसूचित जाति एवं जनजाति के शोषण विरुद्ध अधिकार | Rights of Scheduled Caste and Scheduled Tribe

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अनुसूचित जाति (S cheduled Caste)  एवं जनजाति (S cheduled Tribe)  अत्याचार और निवारण: "अत्याचार शब्द का मतलब उन अपराधों से है जो गैर अनुसूचित जाति एवं जनजाति के सदस्यों (सर्वण जाति) द्वारा   अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्ग के सदस्यों के विरूद्ध किये जाते हैं।"  अनुसूचित जाति  (S cheduled Caste)  एवं जनजाति  (S cheduled Tribe)  अत्याचार निवारण अधिनियम: वर्षों से भारत में एक वर्ग जिसे संविधान के माध्यम से अनुसूचित जाति  (Scheduled Caste)  एवं जनजाति  (S cheduled Tribe)  के रूप में अनुसूचित किया गया , शोषण , अत्याचार , अपमान , साधनहीनता , भूख , गरीबी व यातनाओं का शिकार होता रहा है। अनेक समाज सुधारकों ने समय-समय पर इस वर्ग के उत्थान के लिए प्रयास किए हैं , जिनमें डॉ- भीमराव अम्बेडकर तथा महात्मा ज्योतिबा फूले का योगदान उल्लेखनीय है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 366, 341 व 342 में अनुसूचित जाति  (Scheduled Caste)  एवं जनजाति  (S cheduled Tribe)  शब्द को परिभाषित किया गया है और उसकी व्याख्या की गई है जिसके अनुसार “ राष्ट्रपति किसी राज्य या संघ राज्यक्षेत्र के संबंध में औ

क्या है मानवाधिकार के हक़ और पुलिस का व्यवहार | Human Rights and Police

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मानवाधिकार और पुलिस " मानवाधिकार (Human Rights)  सभी मनुष्यों को प्राप्त वे अधिकार हैं, जो सम्मानजनक जीवन जीने हेतु आवश्यक हैं।" मानवाधिकार  (Human Rights)  मानव मात्र को प्राप्त ऐसे अधिकार हैं जो मनुष्य की गरिमा और स्वतंत्रतामय जीवन के लिये आवश्यक हैं। इन अधिकारों को प्रायः मौलिक अधिकार, नैसर्गिक अधिकार, जन्म से अधिकार आदि नामों से जाना जाता है। अनेक प्राचीन दस्तावेजों में ऐसी अनेक अवधारणायें मिलती हैं जिन्हें मानवाधिकारों के रूप में चिंहित किया जा सकता है। आधुनिक मानवाधिकार कानून तथा मानवाधिकार की अधिकांश अवधारणायें समसामयिक इतिहास से सम्बन्धित हैं। ‘द टवैल्व आर्टिकल्स ऑफ दि ब्लैक फॉरेस्ट’ (1525) को यूरोप में मानवाधिकारों का सर्वप्रथम दस्तावेज माना जाता है। यह जर्मनी के किसान विद्रोह स्वाबियन संघ के समक्ष उठायी गई किसानों की मांग का एक हिस्सा है। 1776 में संयुक्त राज्य अमेरिका 1789 में फ्रांस में दो प्रमुख क्रान्तियां घटी जिसके फलस्वरूप क्रमशः संयुक्त राज्य की स्वतंत्रता की घोषणा एवं फ्रांसीसी लोगों की मानव तथा नागरिकों के अधिकारों का अभिग्रहण हुआ। मानवाधिकार

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