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Showing posts from May, 2020
सत्यमेव जयते! Join Us on YouTube

बिना विवाह किये भी साथ रह सकते हैं | Live in Relationship | Law and Rights | Fundamental Rights

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बिना विवाह किये भी साथ रह सकते हैं। जानिए क्या है इस संबंध में कानून।  क्या होते हैं एक कपल के अधिकार। आज के दौर में Live in Relationship रहना एक आम बात हो गई है। शादी के भारी भरकम खर्चो से बचने के लिए और समय न होने की वजह से कपल अपनी मर्ज़ी से Live in Relationship में रहना पसंद करने लगे हैं। क्या है लिव इन रिलेशनशिप जब एक लड़की (बालिग-जिसने 18 वर्ष की आयु  पूरी कर ली हो ) और एक बालिग लड़का बिना शादी के बंधन में बंधे एक दूसरे के साथ एक घर में पति-पत्नी के तरह रहते हैं, तो इसे लिव इन रिलेशनशिप कहा जाता है। भारत सहित विश्व के कई देशों में लिव इन रिलेशनशिप को कानूनी मान्यता प्राप्त है। इसका मतलब यह है कि एक लड़का और लड़की बिना शादी के बंधन में बंधे अपनी मर्जी से एक दूसरे के साथ पति पत्नी के रूप में रहना चाहते हैं तो उन्हें कानूनन यह अधिकार प्राप्त है। विमेन प्रोटक्शन एक्ट 2005 के तहत एक महिला को अपनी मर्जी से अपना जीवन जीने का अधिकार है और इसी अधिकार के तहत इस महिला को लिव इन रिलेशनशिप में रहने का अधिकार मिल ...

बेरोज़गार हो चुके कर्मचारियों को भत्ता देगी सरकार!

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बेरोज़गार हो चुके कर्मचारियों को भत्ता देगी सरकार! केंद्र सरकार ने राज्य कर्मचारी बीमा निगम के तहत अटल बीमित व्यक्ति कल्याण योजना के लिए शुरुआत की है इस योजना के तहत नौकरी जाने की स्थिति में भारत सरकार ऐसे व्यक्ति को हर महीने 2 साल तक आर्थिक मदद देगी। आज कोरोना की वजह से देश की आर्थिक हालत काफी खराब हो चुकी है। हालत यह हो गई है कि कई कंपनियों ने अपने कर्मचारियों के वेतन में कटौती करना शुरू कर दी है या फिर कर्मचारियों की छटनीं करना शुरू कर दी है। कंपनियों ने कर्मचारियों को काम से निकालना शुरू कर दिया है। ऐसे में एक बड़ी संख्या में लोग बेरोजगार हो रहे हैं। लोगों के सामने नौकरी और आजीविका का संकट आ पड़ा है। महामारी के कारण उपजे इस संकट से उबारने के लिए केंद्र सरकार ने एक ऐसी स्कीम शुरुआत की थी जो आज के समय में बेरोजगार होने की स्थिति में कर्मचारियों के काम आ रही है। इस स्कीम के तहत कोरोना संकटकाल से बेरोजगार होने वाले व्यक्ति को 24 महीने यानी पूरे 2 साल तक पैसे मिलते रहेंगे। अटल बीमित कल्याण योजना के तहत जो व्यक्ति राज्य कर्मचारी बीमा निगम के तहत बीम...

कब कोई महिला अपनी कोख किराये पर दे सकती है? | Surrogacy Regulation Bill

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कब कोई महिला अपनी कोख किराये पर दे सकती है ?  सेरोगेसी से जुड़े क्या होते है एक महिला के अधिकार।  किराये की कोख से जन्मे बच्चे पर किसका अधिकार होगा ? आम तौर पर हमें इन कानून के बारे में नहीं पता होता है। तो जानते है इसके सम्बन्ध में कानून से जुड़े प्रश्नों का हल।  यह आम धारणा है की  आम तौर पर किराये की कोख का इस्तेमाल भारतीय ही कर सकते है। क्या होती है "सरोगेसी" ? जब कोई महिला खुद माँ ना बनकर अपने एक्स को किसी और महिला के गर्भ में प्रत्यारोपित करवा कर अपने बच्चे को उस महिला के गर्भ से जन्म देती है या यूं कह लीजिए कि उस महिला के लिए कोई दूसरी महिला गर्भवती होती है और बच्चे को जन्म देती है तो उसे सरोगेसी (Surrogacy) कहा जाता है। इसे आम भाषा  किराए की कोख के नाम से भी जानते हैं। क्यों पड़ती है इसको ? सरोगेसी (Surrogacy) या किराये की कोख़ की जरूरत उन कपल को पड़ती है जो लोग किसी शारीरिक कमी के चलते बच्चा पैदा नहीं कर सकते हैं। जब किसी शादीशुदा जोड़े को मेडिकल इसकी जरूरत होती है तो केवल वही लोग इसका फायदा उठा सकते हैं। कै...

लॉक डाउन के कारण हुए नुकसान की भरपाई के लिए प्रवासी मजदूरों को मिलेगा मुआवजा ?

लॉकडाउन के कारण हुए नुकसान की भरपाई के लिए  प्रवासी मजदूरों को मिलेगा मुआवजा ? देशभर में लॉकडाउन लागू होने के कारण बहुत से प्रवासी मजदूर व गरीब जो अपने राज्य से बाहर जाकर नौकरी कर रहे थे। वह लोग अपने घर वापस लौट रहे हैं। ऐसे में वापस लौटने के दौरान अधिकांश की रस्ते में ही मृत्यु हो गई, सैकड़ों घायल हुए, बहुत से परिवार समाप्त हो गए। दुःख की इस घड़ी में अब तक की सरकारी मदद ना काफी है। इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल की गई। जिसमें राष्ट्रीय लॉकडाउन के कारण अपने घरों को वापस लौट रहे प्रवासी मजदूरों की मौत होने पर या उनके घायल होने पर उनके परिवार को मुआवजा मिल सके। इस संबंध में एक याचिका सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई। याचिका में याचिकाकर्ता ने कोर्ट से अपील की और कहा की इस संबंध में सम्बन्धित राज्यों के अधिकारियों को उचित आदेश देने के निर्देश का अनुरोध किया गया। यह याचिका सुप्रीम कोर्ट के वकील दीपक कंसल ने दायर की है, और शीर्ष अदालत से  कहा की वे राज्यों के उत्तरदाताओं व संबंधित अधिकारी, विभाग के सरकारों को निर्देश दिया जाए कि वे ...

मास्क लगाइये आप लखनऊ में हैं, मास्क न पहनने पर लगेगा ₹1000 का जुर्माना!

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मास्क लगाइये आप लखनऊ में हैं, मास्क न पहनने पर लगेगा ₹1000 का जुर्माना! अब थूकने पर भी लगेगा जुर्माना। कोरोना संकट से पूरी दुनिया जूझ रही है ऐसे में अपने अपने स्तर से ऐतिहात बरतना बेहद जरूरी है। कोराना संकट काल के दौरान कोई शख्स यदि लॉकडाउन का उल्लंघन करता है, सड़क पर थूकता है या दोपहिया वाहन पर दो लोग चलते पाए गए तो अब सरकार ऐसे दोषियों से जुर्माना वसूलेगी। उत्तर प्रदेश सरकार ने इस संबंध में आदेश जारी कर दिया है। अब यदि आप बगैर मास्क या बगैर मुंह ढकें घर से बाहर निकलते हैं तो पहली और दूसरी बार पकड़े जाने पर ₹100 का जुर्माना लगेगा, जबकि अगर तीसरी बार ऐसा करते पकड़े गए तो ₹500 का जुर्माना लगेगा। स्कूटी या मोटरसाइकिल पर दो सवारी चलती दिखी तो जुर्माने के साथ लाइसेंस भी निरस्त किया जा सकता है। लेकिन इस नियम से उन लोगों को छूट होगी, जिन्हें गाड़ी चलाना नहीं आता। वह किसी के साथ ऑफिस या किसी अन्य जरूरी काम से जा रहे हों तो। हालांकि इसके लिए मजिस्ट्रेट से अनुमति लेनी होगी। पीछे बैठने वाले व्यक्ति के लिए हेल...

बदल गया काला कोट! | मुकदमों की सुनवाई के दौरान अब गाउन नहीं पहनेंगे वकील।

बदल गया काला कोट! मुकदमों की सुनवाई के दौरान अब गाउन नहीं पहनेंगे वकील। काला कोट, काली पैंट, गले में व्हाइट बैंड और लम्बा सा काला गाउन मतलब वकील साहब आ रहे है! ये ड्रेस कोड से लोग पहचान जाते थे की वकील साहब आ रहे हैं, लेकिन अब शायद ये परिधान आपको देखने को नहीं मिलेंगे। सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले ने अंग्रेज़ो के जवानें से चले आ रहे इस ड्रेस कोड को समाप्त कर दिया है। कोरोना महामारी से आज पूरा विश्व जूझ रहा है, तो कहीं इस महामारी ने आज सम्पूर्ण विश्व को परम्परायें बदलने को मजबूर कर दिया। लोग हाइजेनिक हो चले, बार बार हाथ धुलने और सफाई पर विशेष ध्यान देना सीखा दिया। की पूजा पाठ की परम्परायें बदली तो कहीं अंतिम संस्कार की परम्परायें बदल गई। ऐसे में भारत के सर्वोच्च अदालत पर भी कोरोना अपना कमाल दिखा गया। कोरोना के चलते सुप्रीम कोर्ट में दशकों से चले आ रहे ड्रेस कोड को बदलने पर मजबूर कर दिया। न्यायपालिका के इतिहास में आज एक नया अध्याय जुड़ गया है। बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में जज काली पैंट, सफ़ेद शर्ट और न्यायिक नेक बैंड पहन कर सुनवाई की। अ...

उत्तर प्रदेश में अब 60% से कम अंक लाने वाले विद्यार्थियों को स्कॉलरशिप नहीं मिलेगी

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उत्तर प्रदेश में अब 60% से कम अंक लाने वाले विद्यार्थियों को स्कॉलरशिप नहीं मिलेगी उत्तर प्रदेश प्रशासन नियमावली में बदलाव करने का मसौदा तैयार कर लिया है। समाज कल्याण विभाग का बजट घटने के कारण विभाग ने इसका हल का प्रस्ताव तैयार कर लिया है। शासन को भेजे प्रस्ताव के अनुसार स्कॉलरशिप और शुल्क प्रतिपूर्ति योजना का लाभ पाने के लिए अब सामान्य वर्ग के विद्यार्थियों को वार्षिक परीक्षा में कम से कम 60% अंक लाने होंगे। वर्तमान स्थितियों को देखते हुए समाज कल्याण विभाग छात्रवृत्ति और शुल्क प्रतिपूर्ति की नियमावली में बदलाव करने जा रहा है। निदेशालय ने अहर्ता प्रतिशत बढ़ाने समेत अन्य सिफारिश संबंधी प्रस्ताव शासन को भेज दिया गया है। जहां से अंतिम फैसला होने के बाद सामान्य वर्ग के छात्रों को स्कॉलरशिप और शुल्क प्रतिपूर्ति लाभपने के लिए 60% अंक लाना अनिवार्य हो जायेगा। सूत्र बताते हैं कि शासन  की ओर से सामान्य वर्ग के विद्यार्थियों की छात्रवृत्ति तथा शुल्क प्रतिपूर्ति के लिए आवंटित बजट कम कम दिया। बजट कम होने की वजह से पात्रता कम ...

अब घर बैठे मिलेगी शराब सरकार ने दिया आदेश।

शराब की बिक्री को लेकर सरकार ने स्पष्ट निर्देश दिया और साथ कीमतों में भी बदलाव किया है। शराब बिक्री को लेकर सरकार का बड़ा फैसला। जाने पूरी रिपोर्ट उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को शराब की बिक्री पर स्पष्टता की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया। याचिका में लॉकडाउन में शराब की बिक्री के दौरान अदालत से सामाजिक दूरी को सुनिश्चित करने की मांग की गई थी। हालांकि अदालत ने राज्य सरकारों को शराब की होम डिलीवरी पर विचार करने को कहा है। याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि हम ऐसा कोई आदेश पारित नहीं करेंगे, लेकिन राज्यों को सामाजिक दूरियों के मापदंडों और तय मानकों को बनाए रखने के लिए शराब की अप्रत्यक्ष बिक्री या होम डिलीवरी पर विचार करना चाहिए। बता दें कि सरकार ने लॉकडाउन के तीसरे चरण में सरकार को 4 मई से शराब की दुकानें खोलने की इजाजत दे दी थी। हालांकि सरकार ने साफ कहा था कि शराब की दुकानों के बाहर सामाजिक दूरी का उचित पालन किया जाए। इसके बाद कई जगह लंबी-लंबी लाइनें देखने को मिलीं तो कई जगह अव्यवस्था दिखाई दी। राजधानी दि...

स्कूल के ही सीनियर लड़कों ने किया जूनियर लड़की के साथ ये गन्दा काम।

बॉयजलॉकर रूम केस में खुआसा बॉयज लॉकर रूम के मामले में जांच कर रही साइबर सेल के सामने एक नया मोड़ आ गया है। पुलिस को अब तक की छानबीन में जो सुराग हाथ लगे है उसके अनुसार जिस लड़की के गैंग रेप की साजिस  रही थी उसमे लड़की ने खुद ही अपना नाम बदलकर सिद्धार्थ के नाम से एक फेक प्रोफाइल बनाकर स्नैपचैट पर लड़कों के बीच अफवाह फैलाई थी, और लड़के के मन परखने के लिए उसने खुद के गैंगरेप का जिक्र छेड़ा था। दरअसल लड़की उन लड़कों की रियलिटी चेक करना चाह रही थी, और यह बातचीत इंस्टाग्राम पर नहीं बल्कि स्नैपचैट पर हुई थी। साइबर सेल ने इस मामले में एक नाबालिग समेत दो को पकड़ लिया है।  पुलिस ने बताया कि सिद्धार्थ नाम से लड़की ने ही लड़के को अपने ही गैंगरेप की प्लानिंग सुझाव दिया था। जिस लड़के को मैसेज भेजे गए वह भी नाबालिक है। उसने सिद्धार्थ के सुझाव प्लान के में हिस्सा लेने से मना कर दिया और बातचीत भी बंद कर दी। उस लड़के ने चैट का स्क्रीनशॉट अपने दोस्तों के इंस्टाग्राम ग्रुप में भेज दिया जिससे वह लड़की भी शामिल थी। ये बात सिर्फ लड़की को ही पता थी...

आज से चलेंगी ट्रेनें लेकिन खास लोगों को ही मिलेगा मौका!

भारतीय रेलवे मंगलवार से फिर ट्रेन चलाने की शुरुआत करने जा रहा है। केंद्रीय रेल मंत्री पीयूष गोयल ने कहा है कि ट्रेनों की शुरुआत धीरे-धीरे चरणबद्ध तरीके से शुरू करेंगे।  शुरुआत में 15 जोड़ी ही ट्रेनें चलाई जाएंगी और यही ट्रेनें वापसी में भी आएंगी। ट्रेनों की बुकिंग आईआरसीटीसी की वेबसाइट पर सोमवार को शाम 4:00 बजे से शुरू की जाएंगी। यह सिर्फ एसी कोच की ट्रेने होंगी। केवल ऐसे लोगों को ट्रेनों में जाने की इजाजत होगी जिनमें कोरोना लक्षण नहीं होंगे। यात्रियों को मास्क लगाना जरूरी कर दिया गया है। सरकार ने यह भी कहा है कि केवल कंफर्म टिकट वाले ही ट्रेनों में जा सकेंगे। ट्रेन की यात्रा करने से पहले प्रत्येक यात्री की स्क्रीनिंग की जाएगी। 12 मई को नई दिल्ली से जिन जगहों के लिए ट्रेनिंग उसमें डिब्रूगढ़, अगरतला, हावड़ा, पटना, बिलासपुर, रांची, भुवनेश्वर, सिकंदराबाद, बेंगलुरु, चेन्नई, अहमदाबाद, जम्मूतवी शामिल है। ज्ञात हो की कोरोना वायरस की वजह से 24 मार्च से संपूर्ण भारत में ट्रेनों से यात्रा करना बंद था। 1 मई को रेलवे ने देश के ...

सुप्रीम कोर्ट ने चेक बाउंस मामलों में नोटिस दायर करने की अवधि बढ़ाई

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काम की खबर सुप्रीम कोर्ट ने चेक बाउंस मामलों में नोटिस दायर करने की अवधि बढ़ाई सुप्रीम कोर्ट ने लॉकडाउन के चलते चेक बाउंस मामले में नोटिस,सुनवाई और मुकदमा दायर करने की तय अवधि को अगले आदेश तक के लिए बढ़ा दिया है। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने बाकी सभी कानून से संबंधित मामलों में आदेश पारित कर तय अवधि को 23 मार्च को ही बढ़ा दिया था। सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश 15 मई से प्रभावी माना जाएगा। इसका अर्थ यह है कि लॉकडाउन के चलते अगर कोई व्यक्ति या वकील जिस भी किसी मामले में कोई कानूनी कार्रवाई करना चाहते हैं, और अब तक कोई कार्यवाही नहीं करवा सके हैं या सबूत पेश नहीं कर सकें है, तो उस मामले से संबंधित कानून में अथवा विवाद को लेकर नोटिस जारी करने, नोटिस जवाब देने, कोर्ट में कोई याचिका या मुकदमा दायर करने के लिए अब तक की जो समय सीमा तय थी उसे बढ़ा दी गई है। यह छूट लॉकडाउन के चलते दी गई। इसके तहत अब अगर कोई व्यक्ति या वकील अपने मामले में कोई कार्रवाई नहीं कर पाया था तो लॉकडाउन खत्म होने के बाद कार्यवाही का समय...

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