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कब कोई महिला अपनी कोख किराये पर दे सकती है? | Surrogacy Regulation Bill

कब कोई महिला अपनी कोख किराये पर दे सकती है ? सेरोगेसी से जुड़े क्या होते है एक महिला के अधिकार। किराये की कोख से जन्मे बच्चे पर किसका अधिकार होगा ? आम तौर पर हमें इन कानून के बारे में नहीं पता होता है। तो जानते है इसके सम्बन्ध में कानून से जुड़े प्रश्नों का हल। यह आम धारणा है की आम तौर पर किराये की कोख का इस्तेमाल भारतीय ही कर सकते है।


क्या होती है "सरोगेसी" ?

जब कोई महिला खुद माँ ना बनकर अपने एक्स को किसी और महिला के गर्भ में प्रत्यारोपित करवा कर अपने बच्चे को उस महिला के गर्भ से जन्म देती है या यूं कह लीजिए कि उस महिला के लिए कोई दूसरी महिला गर्भवती होती है और बच्चे को जन्म देती है तो उसे सरोगेसी (Surrogacy) कहा जाता है। इसे आम भाषा  किराए की कोख के नाम से भी जानते हैं।


क्यों पड़ती है इसको ?


सरोगेसी (Surrogacy) या किराये की कोख़ की जरूरत उन कपल को पड़ती है जो लोग किसी शारीरिक कमी के चलते बच्चा पैदा नहीं कर सकते हैं। जब किसी शादीशुदा जोड़े को मेडिकल इसकी जरूरत होती है तो केवल वही लोग इसका फायदा उठा सकते हैं।


कैसे होती है प्रक्रिया


यदि कोई महिला किसी बीमारी या शारीरिक अक्षमता के चलते मां नहीं बन सकती हो तो वह सरोगेसी (Surrogacy) सुविधा का लाभ ले सकती है। इस प्रक्रिया में सम्बंधित महिला के एग्स को सरोगेट महिला के गर्भ में प्रत्यारोपित कर दिया जाता है।

क्या है कानून ?




पार्लियामेंट द्वारा एक बिल पेश कर सेरोगेसी रेगुलेशन एक्ट को पारित किया गया और सेरोगेसी (Surrogacy) को कानूनी रूप दिया गया। इस कानून के तहत-
  • तलाकशुदा, विधवा महिंलाएं भी सरोगेट मदर बन सकती है। इससे पहले यह अधिकार केवल करीबी रिश्तेदरों को ही था।
  • विवाह के पश्चात यदि किसी दम्पति को इसकी जरूरत होती है तो इसे वे अपना सकते हैं।
  • कोई महिला तभी सेरोगेट (Surrogacy) मदर बन सकती है जब वह खुद एक बचे की माँ हो। 
  • भारत में महिला का भारतीय मूल का होना आवश्यक है।
  • सेरोगेसी (Surrogacy) रेगुलेशन बिल 2019 के अनुसार कोई भी महिला जिसकी उम्र 18 वर्ष से अधिक हो वह सेरोगेट मदर बन सकती है। पूर्व में इस प्रावधान के तहत 35 वर्ष से कम आयु की महिलाएं ही सेरोगेसी (Surrogacy) के लिए पात्र हो सकती थी किन्तु वर्ष 2019 में पारित संशोधित बिल के अनुसार अब  35 से 45 वर्ष की महिलाएं भी को भी यह अधिकार है कि वह सरोगेसी की अनुमति पा सकती हैं।

क्यों पड़ी कानून की जरूरत ?

सेरोगेसी (Surrogacy) को रेगुलेट करने के लिए इस कानून की जरूरत हुए जिससे इसके अंतर्गत आने वाले अधिकारों को सुरक्षित किया जा सके -
  • किराये पर कोख देने वाली महिला का शोषण रोका जा सके। 
  • सेरोगेसी (Surrogacy) का दुरूपयोग रोका जा सके 
  • सरोगेसी (Surrogacy) से जन्में बच्चे के अधिकारों को सुरक्षित किया जा सके।

सख्त है कानून

  • सेरोगेसी (Surrogacy) में पैसे का लेन-देन नहीं होता है।
  • इसमें केवल चिकित्सा व्यय और बीमा कवर शामिल होता है। हालाँकि कुछ देशो में यह व्यवसायिक है। 
  • सेरोगेसी (Surrogacy) का विकल्प केवल शादीशुदा दम्पति ही चुन सकते हैं। 
  • सेरोगेट होने के लिए महिला स्वेच्छा से ही इसे चुन सकती है।
  • किसी भी महिला के लिए ऐसा प्रचार प्रसार करना कि वह सेरोगेसी (Surrogacy) के लिए उपलब्ध है या ऐसा प्रचार करना की वह किराए के लिए उपलब्ध है। कानूनी अपराध है।
  • यदि कोई महिला सरोगेसी (Surrogacy) को एक व्यवसाय के रूप में अपनाती है पैसा कमाने के लिए अपनी कोख का इस्तेमाल करती है तो यह कानूनन अपराध है और इस अपराध के लिए उस महिला को 10 वर्ष की जेल या अथवा 10 लाख जा जुर्माना या फिर दोनों हो सकती है।
 Surrogacy Regulation Bill 2019

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