अंतर धार्मिक विवाह करने के लिए किसकी अनुमति ज़रूरी है? क्या कोर्ट मैरिज रजिस्ट्रार विवाह पंजीकरण करने से इनकार कर सकता है? जानिए प्राविधान

अभी तक आप गुप चुप तरीके से अपने निजी मकान या फ्लैट में किसी भी किराये दार रख लेते थे और मोटी रकम वसूल कर मुनाफ़ा कमाते थे।
मगर अब ऐसा नहीं हो सकेगा अब किरायेदार रखने से पहले सरकार से अनुमति लेनी होगी और बताना होगा की कब तक के लिए किरायेदार रख रहें हैं।
अब उत्तर प्रदेश के किसी भी शहर में बिना लिखित एग्रीमेंट के किराएदार नहीं रखे जा सकेंगे। अब किराएदार रखने के लिए रेंट अथॉरिटी से अनुमति लेनी होगी। रेंट अथॉरिटी हर किराएदार को एक यूनिक आईडेंटिफिकेशन नंबर जारी करेगा।
इस नए प्रावधान से रेंट एग्रीमेंट में फर्जीवाड़ा नहीं हो सकेगा। इस आदेश को लागू करने के लिए एक ट्रिब्यूनल की व्यवस्था की जाएगी। यह ट्रिब्यूनल लागू करने के लिए रेंट अथॉरिटी डीएम जिले का नियुक्त करेंगे। इस ट्रिब्यूनल में डिप्टी कलेक्टर के स्तर का ऑफिसर होगा। रेंट अथॉरिटी के फैसले से असहमत होने पर कोर्ट में अपील की जा सकेगी। सरकार की अनुमति से डीएम स्तर के अधिकारी को इसकी रिपोर्ट करेंगे।
सरकार हाईकोर्ट की सहमति से हर जिले में कम से कम एडीजे(ADJ) स्तर के कोर्ट अधिसूचित कर सकेगी। अध्यादेश लागू होने के 3 माह के भीतर को किराएदार की सूचना के लिए एक ऐप सिस्टम विकसित करना होगा जिसमें ऑनलाइन पोर्टल विकसित किया जाएगा। इसमें प्रावधान होगा किराएदार और मकान मालिक की जरूरी सूचनाएं दर्ज की जाएंगी।
कड़े होंगे नियम
मकानमालिक और किराएदार के बीच क्या तालमेल होगा?
नए नियम के अनुसार किसी मकान मालिक को यदि अपने मकान में किरायादार रखना है तो किराएदार रखने के 2 महीने के अंदर मकान-मालिक और किराएदार दोनों को संयुक्त रूप से रेंट अथॉरिटी की यह जानकारी देनी होगी।
यह आदेश लागू होने के पहले जिन मकान मालिकों ने किराएदार रखा है उन्हें भी इस कानून के अंतर्गत लाया गया है।
क्या होंगे फायेदे?
तीन महीने के अंदर जानकारी अथॉरिटी को देनी होगी लेकिन जिन मकान मालिकों ने 12 महीने से कम के समय के लिए किराएदार रखा है उन्हें रेंट अथॉरिटी को जानकारी देने की आवश्यकता नहीं होगी किराएदार और मकान मालिक के बीच कुछ एग्रीमेंट शर्तों के आधार पर तय होंगे।
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