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पहली माहवारी से पहले लड़कियों की शादी कितना उचित है?
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जब एक लड़का और एक लड़की बिना विवाह के बंधन में बंधे साथ रहते हैं और पति-पत्नी की तरह अपना जीवन व्यतीत करते हैं। जिसमें लड़की और लड़का दोनों अपनी मर्जी से बिना शादी किये साथ में रहना तय करते हैं तो लिव इन रिलेशनशिप कहा जाता है।
भारत में यह अभी चलन में नहीं है शायद यही वजह है की एक दो मामलों में देखने में आता है कि जिसमें समाज स्वीकार कर लेता है लेकिन अधिकतर मामलों में समाज इन्हें स्वीकार नहीं कर पाता है और ऐसे मामले कोर्ट तक पहुंच रहे हैं।
हाल ही में कोर्ट ने इस पर टिप्पणी करते हुए कहा है कि यह एक व्यक्ति का मौलिक अधिकार है जो उसे संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीवन व व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार के रूप में प्राप्त है। यह अपराध नहीं है और उसमें कोई हस्तक्षेप नहीं कर सकता है। मगर सवाल यह है की जब समाज में इन सब चीजों को स्वीकार्यता नहीं है तो ऐसे में ऐसे कपल को क्या अधिकार प्राप्त होंगे।
भारत में लिव इन रिलेशनशिप को लेकर कोई विशेष कानून नहीं है लेकिन यदि लड़का और लड़की बालिग हों और वो आपसी सहमति से साथ रहना चाहते हैं तो उन्हें कोई रोक नहीं सकता है। अगर लड़का और लड़की के बीच सेक्स संबंध बनते हैं तो इसे रेप नहीं माना जाएगा। घरेलू हिंसा अधिनियम में उसे घरेलू हिंसा से सुरक्षा प्राप्त है।
अगर महिला पुरुष के कमाई पर निर्भर है तो अलग होने की दशा में महिला को मेंटेनेंस का अधिकार प्राप्त होगा। इसके अलावा अगर दोनों से बच्चा होता है तो उस बच्चे के वैध माना जाएगा उसको सभी प्रकार के अधिकार प्राप्त होंगे। ऐसे मामले में अक्सर सामाजिक दबाव की स्थिति होती है तो फिर समाज को किस तरह से इन मामलों को देखना चाहिए।
आदमी और औरत के रिश्ते को मर्यादा में रखने के लिए विवाह संस्था बनाई गई परंपराओं में यह भी था कि पहली माहवारी से पहले लड़कियों की शादी कर देनी चाहिए जो बाल विवाह कहा जाता था।
मगर वक्त के साथ बाल विवाह की परंपराएं बदली क्योंकि लोगों को समझाने लगा कि शादी के लिए एक उम्र और समझ होना अति आवश्यक है। आगे इन सब चीजों के बारे में सोचते हुए समाज चलता है। जब अरेंज मैरिज होती है तो लड़का और लड़की दोनों में तमाम बुराइयां होती हैं जो आगे चलकर कहीं ना कहीं टकराव का कारण बनता है।
आदि काल में प्रचलित सभ्यताओं में से एक आदिवासी प्राचीन सभ्यता के उदाहरण में दुष्यंत और शकुंतला का संबंध है। संभवता यह विश्व के प्रथम लिव इन रिलेशनशिप कपल थे। आज भी आदिवासी समाज में यह प्रथा है कि शादी से पहले वह लड़का और लड़की साथ रहते हैं, एक दूसरे को समझते और यदि आपस में नहीं बनती है तो अलग हो जाते हैं।
लिव-इन का फायदा यह है कि दोनों एक दूसरे को विवाह पूर्व समझते हैं और उसी आधार पर फैसला लेते हैं।
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