दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 46 के अनुसार, किसी व्यक्ति की गिरफ्तारी उसको बिना छुए नहीं की जा सकती अथवा शरीर को किसी स्थान विशेष पर रोक कर की जाती है।
यदि अपराधी अपने आप आत्मसमर्पण कर दे तो उसे पकड़ने ले लिए बल प्रयोग करना आवश्यक नहीं है।
गिरफ्तारी के लिए बल प्रयोग करना कब आवश्यक है?
केवल उतना बल प्रयोग किया जा सकता जितने से गिरफ्तारी हो सके। यदि कोई व्यक्ति गिरफ्तारी का विरोध करता है या बचने का प्रयास करता है अथवा भागता है तो उसे गिरफ्तार करने के लिए पुलिस समस्त साधनों का प्रयोग कर सकती है जिसके अंतर्गत व्यापक अर्थों में सभी साधनों के अलावा अन्य लोगों की सहायता भी लेनी पड़ सकती है।
गिरफ्तारी करने में मृत्यु सिर्फ उन व्यक्तियों को दी जाती है जिन्होंने मृत्युदंड या आजीवन कारावास से बचकर भाग निकलने की कोशिश की हो या फिर किसी को किसी प्रकार की भयंकर हानि पहुंचाना चाहते हों।
पुलिस द्वारा गिरफ्तारी के कई तरीके हैं
- पुलिस अधिकारी द्वारा बिना वारंट के गिरफ्तार करने की समर्थता
- पुलिस द्वारा या मजिस्ट्रेट द्वारा वारंट प्राप्त करने के बाद गिरफ्तार करना
- दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 41 में उन परिस्थितियों का वर्णन किया गया है जिसमें पुलिस अधिकारी बिना वारंट के किसी व्यक्ति को गिरफ्तार कर सकता है
- कोई भी ऐसा व्यक्ति जो किसी अपराधी के संग रह चुका हो
- या उसके बारे में कोई शिकायत हो जो विश्वसनीय सूचना प्राप्त हुई हो
- यदि उस व्यक्ति के पास गृह भेदन (चोरी करने के औजार) का कोई उपकरण पाया जाता है जिससे रखने का कोई तर्क संगत कारण नहीं है
- घोषित अपराधी
- कोई ऐसा व्यक्ति जिसके पास चोरी की वस्तु पाई जाए या कोई ऐसा कारण हो जिसके आधार पर उस पर संदेह किया जा सके
- ऐसा कोई व्यक्ति जो पुलिस अधिकारी को उसके कर्तव्य के पालन में बाधा उत्पन्न कर रहा हो या कैद से भागने की कोशिश कर रहा हो
- भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना का कोई भगोड़ा
- कोई ऐसा व्यक्ति जिसका संबंध किसी ऐसे अपराधी से रहा हो जिसका विरुद्ध किसी न्यायालय में परिवाद दायर किया गया हो
- कोई ऐसे किसी कार्य में शामिल हो जो भारत से बाहर किया गया है और यदि भारत में घटित होता है तो दंडनीय अपराध होता है जिसकी गिरफ्तारी आवश्यक हो जाती है
- कोई ऐसा दोष सिद्ध अभियुक्त जिसको छोड़ा गया हो परंतु धारा 356 की उप-धारा 5 के अनुसार किसी बनाए गए नियम को भंग करता हो
- ऐसा व्यक्ति जिसको गिरफ्तार करने के लिए लिखित या मौखिक रूप से कोई मांग की गई हो
- वह पुलिस स्टेशन का कोई भी इंचार्ज या अधिकारी धारा 109 और धारा 110 में बताए गए व्यक्तियों को इस संहिता में दी गई प्रक्रिया के अनुसार गिरफ्तार कर सकता है या करवा सकता है।
पुलिस अधिकारी का शक्तियों का प्रयोग करने का अधिकारपुलिस अधिकारी का आचरण अत्यंत जिम्मेदारी युक्त है इसलिए उसका आचरण पद के अनुरूप होना अपेक्षित है किसी मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के साथ अभद्र व्यवहार करना उस पर आपराधिक बल प्रयोग करना वह हमला करना उसे हथकड़ी लगाना कतई उचित नहीं है।
गिरफ्तार व्यक्ति के अधिकार
गिरफ्तार व्यक्ति के कुछ मूलभूत अधिकार होते हैं। इन अधिकारों की पूर्ति पुलिस का कर्तव्य है कि जब किसी व्यक्ति को गिरफ्तार किया जाता है तब उसको यह अधिकार दे कि वह अपनी गिरफ्तारी की सूचना अपने किसी परिजन को दे सके।
जब भी किसी व्यक्ति को गिरफ्तार किया जाये तो पुलिस अधिकारी उसे यह सुविधा व्यक्ति को सुविधाएं उपलब्ध कराएं।
धारा 42 के अनुसार पुलिस अधिकारी ऐसे व्यक्ति को भी गिरफ्तार कर सकता है जिसने पुलिस अधिकारी की उपस्थिति में कोई संगेय अपराध किया हो या कोई संगेय अपराध का दोषी है या फिर उसने पुलिस अधिकारी के घर का नाम पता मांगने पर मना किया हो या गलत नाम बता दिया हो।
यदि ऐसे व्यक्ति का सही नाम और पता 24 घंटे के अंदर नहीं पता चल पाता तो है तो उसने एक मजिस्ट्रेट के समक्ष प्रस्तुत किया जाता है।
Comments