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सत्यमेव जयते!

बहू के गहने रखना क्रूरता नहीं, यह घरेलु हिंसा या उत्पीड़न का हिस्सा नहीं हो सकता

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एक सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सुरक्षा के लिए बहू के गहनों को अपने पास रखना भारतीय दंड संहिता की धारा 498A (दहेज प्रताड़ना) के तहत क्रूरता नहीं माना जा सकता।  सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस इंदिरा बनर्जी की अगुवाई वाली बेंच ने यह भी कहा है कि अपने बालिग़ भाई को नियंत्रित न कर पाना, अलग रहना और टकराव से बचने के लिए भाभी से तालमेल बनाए रखने की सलाह देना भी दहेज प्रताड़ना की श्रेणी में नहीं आता है। यह टिप्पणियां सुप्रीम कोर्ट ने वैवाहिक विवाद के एक मामले में पति की ओर से दाखिल की गई याचिका पर सुनवाई के दौरान की। शीर्ष अदालत में यह याचिका पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर की गई है। वैवाहिक विवाद के इस मामले में महिला के पति ने पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की थी कि वह यूनाइटेड स्टेट में नौकरी करता है और वापस जाना चाहता है ताकि अपना जीवन यापन कर सके। हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता को बिना पूर्व अनुमति के देश छोड़कर जाने की इजाजत देने से इनकार कर दिया था। क्योंकि वह दहेज प्रताड़ना और आईपीसी (IPC) की अन्य धाराओं के तहत आरोपित है। पति पर लगाए गए आरोपों में महिला ने कहा

मायके के दखल से लड़कियों के नहीं बन पा रहे हैं अपने घर

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मायके के दखल से लड़कियों के नहीं बन पा रहे हैं अपने घर भोपाल की जिला विधिक सेवा प्राधिकरण में काउंसलिंग के दौरान अभी तक हजारों प्रकरणों में यह तथ्य सामने आए हैं कि शादी के बाद भी मायके वाले अपनी लड़की के लगातार संपर्क में रहते हैं। दिन भर में कई बार बात करते हैं। हर छोटी-बड़ी बातों में मां का हस्तक्षेप होने से शादी होकर नए घर में आई लड़की अपने पति और ससुराल पक्ष के साथ रिश्ता ही नहीं बना पाती। मायके वालों के दखल के कारण पहले से ही वह ससुराल को अलग तरीके से देखती है। शादी के कई महीनों बाद भी वह अपनी मां को मायके से दिन भर जुड़ी रहती है। उनके ही निर्देश पर वह काम करती है। जिसके कारण हजारों घर बसने के पहले ही बिखरने लगते हैं। पति-पत्नी के बीच तलाक की नौबत आ जाती है। कुटुंब न्यायालय में काउंसलिंग के दौरान तलाक के लिए 50 फ़ीसदी से अधिक मामलों में मायके वालों के लगातार नियमित हस्तक्षेप के कारण रिश्ते टूटने की बात कही गई है। हर छोटी बड़ी बातें में मायके के लोग हस्तक्षेप करते हैं। मोबाइल पर ज्यादा बात के कारण मायके और ससुराल के बीच झूला झूलती लड़की मोबाइल फोन रिश्तो को बनने के पहले ही बिगाड़

क्या मुस्लिम लड़की खुद की इच्छा से शादी करने के लिए स्वतंत्र है?

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लड़का लड़की राजी तो परिवार को दखल देने का कोई हक नहीं पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में 17 साल की मुस्लिम लड़की और हिंदू युवक की शादी को लेकर टिप्पणी की है। कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि यौवन हासिल करने के बाद मुस्लिम लड़की किसी से भी शादी करने के लिए स्वतंत्र है। दरअसल लड़की ने अपने परिवार की इच्छा के खिलाफ जाते हुए हिंदू युवक से शादी रचाई थी। इस पर कोर्ट ने मुस्लिम पर्सनल ला का जिक्र करते हुए कहा कि अगर लड़का लड़की दोनों राजी हैं तो परिवार वालों को इसमें दखल देने का कोई हक नहीं है। कोर्ट ने पुलिस को प्रेमी जोड़े की सुरक्षा का आदेश दियाहै। जस्टिस हरनरेश सिंह गिल ने कहा कानून साफ है कि किसी मुस्लिम लड़की की शादी मुस्लिम पर्सनल ला के जरिए होती है। सर दिनशाह फरदुंजी मुल्ला की किताब प्रिंसिपल ऑफ मोहम्मडन लॉ के आर्टिकल 195 के मुताबिक याचिकाकर्ता नंबर 1 (17 साल की मुस्लिम लड़की) अपनी पसंद के लड़के के साथ शादी के लिए योग्य है वही याचिकाकर्ता नंबर 2 (उसका पार्टनर) ने बयान दिया कि वह करीब 33 साल का है। याचिकाकर्ता नम्बर 1 (मुस्लिम लड़की) शादी करने लायक उम्र की है। कोर्ट अपनी आंखें बंद नहीं कर सकता कि

किसी खाते से रुपए गायब हो जाएं तो बैंक जिम्मेदार होगा, ग्राहक नहीं : राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग

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राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग हैकर्स किसी के खाते से रुपए गायब कर दें तो बैंक जिम्मेदार होगा, ग्राहक नहीं अगर किसी व्यक्ति के बैंक खाते से किसी हैकर द्वारा या किसी अन्य कारण से पैसे निकाल कर धोखाधड़ी की जाती है। और इसमें ग्राहक की लापरवाही नहीं है। ऐसे मामले में बैंक प्रबंधन जिम्मेदार है। राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने इस संदर्भ में एक अहम फैसला सुनाया है। आयोग के जज सी विश्वनाथ ने क्रेडिट कार्ड की हैकिंग की वजह से एक एनआरआई महिला से हुई धोखाधड़ी के मामले में बैंक प्रबंधन को जिम्मेदार ठहराया है। आयोग ने एचडीएफसी बैंक द्वारा दायर याचिका को खारिज करते हुए आदेश दिया है कि पीड़ित महिला को 6110 अमेरिकी डॉलर तकरीबन 4.46 लाख 12% ब्याज के साथ वापस लौटाए। आयोग ने बैंक प्रबंधन को निर्देश दिया है कि वह पीड़िता को मानसिक प्रताड़ना के मुआवजे के तौर पर ₹40000 और केस खर्च के ₹5000 भी दे। आयोग के जज सी विश्वनाथ ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा है कि बैंक ऐसा कोई सबूत पेश नहीं कर पाया कि पीड़ित महिला का क्रेडिट कार्ड किसी अन्य ने चोरी कर लिया था। महिला का दावा है कि उसके खाते से पैसे किसी हैकर ने निकाले

मुस्लिम में निकाह एक कॉन्ट्रैक्ट है, हिंदू विवाह के तरह संस्कार नहीं- कर्नाटक हाईकोर्ट

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कर्नाटक हाईकोर्ट (Karnataka High Court ) ने एक मामले की सुनवाई के दौरान माना है कि मुस्लिम निकाह (Muslim Marriage) अर्थ के कई रंगों के साथ एक अनुबंध है! यह हिंदू विवाह (Hindu Marriage) से पूरी तरह अलग है और यह हिंदू विवाह की तरह एक संस्कार नहीं है.  हिंदू विवाह की संरचना भिन्न है यह विवाह विच्छेद से उत्पन्न होने वाले कुछ अधिकारों और दायित्वों से पीछे नहीं धकेलता है. क्या है पूरा मामला? दरअसल, यह मामला बेंगलुरु (कर्नाटक) के भुवनेश्वरी नगर में एज़ाज़ुर रहमान (52) नाम के एक शख्स की ओर से दाखिल की गई एक याचिका से संबंधित है. इस मामले में 12 अगस्त 2011 को बेंगलुरु की फैमिली कोर्ट के अतिरिक्त प्रधान न्यायाधीश द्वारा पारित आदेश को रद्द करने की याचना की गई थी. रहमान ने शादी के कुछ महीनों बाद ही 25 नवंबर 1991 को 5000 रुपये की ‘मेहर’ से तलाक बोलकर अपनी पत्नी सायरा बानो को तलाक दे दिया था. तलाक के बाद रहमान ने दूसरी शादी की और एक बच्चे के पिता बना. इस बीच बानो ने 24 अगस्त 2002 को भरण-पोषण के लिए दीवानी न्यायालय में वाद दायर किया. जहां फैमिली कोर्ट ने आदेश दिया कि पीड़िता केस फाइल होने की तारीख से

BS4 वाहनों को एक बार फिर रजिस्ट्रेशन का मौका मिला, सुप्रीम कोर्ट ने दी राहत, और अब व्हाट्सएप से कीजिये ओला-उबर की बुकिंग

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बीएस 4 वाहनों के रजिस्ट्रेशन को मंजूरी सुप्रीम कोर्ट ने बीएस 4 वाहनों के रजिस्ट्रेशन की इजाजत दे दी है। लेकिन ये अनुमति केवल उन BS4 वाहनों को दी गई है जो ई-वाहन पोर्टल पर अपलोड हो चुकी है और 31 मार्च 2020 के 8 तारीख से पहले स्थाई या अस्थाई रजिस्ट्रेशन हो चुका है, उन गाड़ियों को ही यह मंजूरी दी गई है। सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी से कहा है कि वह रिकॉर्ड को सही तरह से स्क्रुटनी करें, जिससे यह सुनिश्चित हो सके की बिक्री 31 मार्च 2020 पहले से हुआ हो और कट ऑफ डेट से पहले वाहन की बिक्री का रजिस्ट्रेशन या टेंपरेरी रजिस्ट्रेशन हुआ हो। अब व्हाट्सएप से भी बुक हो ऊबर अब राजधानी के लोग व्हाट्सएप के जरिए भी ऊबर की गाड़ी बुक कर सकेंगे। उबर और व्हाट्सएप में गुरुवार को यह साझेदारी का ऐलान किया। उबर के आधिकारिक चैट बॉट के जरिए यह सुविधा मिलेगी। ऊबर एशिया पेसिफिक की सीनियर डायरेक्टर बिजनेस डेवलपमेंट नंदनी माहेश्वरी ने कहा कि कंपनी लोगों के लिए उबर यात्रा बेहद आसान बनाना चाहती है इसी के तहत व्हाट्सएप से साझेदारी की गई है। पायलट प्रोजेक्ट के तहत इसकी शुरुआत लखनऊ से की जा रही है। इस सुविधा के तहत

देसी पीओ या अंग्रेजीं अब दाम में इतने का होगा इज़ाफा!

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देशी ठेकों सहित दुकानों के लाइसेंस होंगे रिन्यू राज्य सरकार 2022-23 की नई आबकारी नीति में शराब और बीयर की फुटकर दुकानों को राहत देने जा रही है। आबकारी विभाग ने अगले साल के लिए नई नीति का जो प्लान (क़ानून) तैयार किया है, उसमें अंग्रेजी और देसी शराब के साथ बीयर की दुकानों के लाइसेंस फिर से रिनुअल करने का प्रस्ताव है। कारोबारियों को मिलेगी थोड़ी राहत विभाग नें कारोबारियों का कुछ लाभांश बढ़ाएं जाने पर विचार किया गया है। देसी और अंग्रेजी शराब का कोटा बढ़ाने के साथ ही सरकार ने लाइसेंस रिन्यूअल फीस में वृद्धि कर आबकारी राजस्व बढ़ाने का भी रास्ता निकाला है। जल्दी मसौदे को अंतिम रूप देकर उसे मंजूरी के लिए कैबिनेट में पेश किया जाएगा। बढ़ सकते हैं मार्जिन मनी   पिछले 2 सालों में प्रदेश का आबकारी राजस्व भले ही बढ़ा हो, लेकिन यह 2 साल शराब के कारोबारियों पर भारी पड़े हैं। घाटे से उबरने के लिए शराब कारोबारी लगातार मार्जिन मनी बढ़ाए जाने की मांग करते आ रहे हैं। यूपी लिकर सेलर वेलफेयर एसोसिएशन के कोषाध्यक्ष जायसवाल के मुताबिक अभी यूपी में फुटकर दुकानदारों के लिए देसी शराब पर 15 से 16 फ़ीसदी अंग्रेजी शराब

ट्रिपल तलाक़ अभी ख़तम नहीं हुआ, असली मुसीबत तो अब शुरू हुई!

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हर महीने तीन तलाक के 116 मामले दर्ज हो रहे हैं उत्तर प्रदेश में हर महीने तीन तलाक के करीब 116 मामले दर्ज हो रहे हैं। ज्ञात हो कि 19 सितंबर 2018 को मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण अध्यादेश आने के बाद यूपी में इसके तहत सबसे पहला मुकदमा बिजनौर के कोतवाली देहात में दर्ज हुआ था। डीजीपी मुख्यालय के आंकड़ों के अनुसार 38 महीनों में यूपी में 4433 मुकदमे दर्ज हो चुके हैं। सबसे अधिक मामले मेरठ और बरेली के 78% मामले मेरठ और बरेली जोन में है चौकाने वाली बात यह है कि इन मुकदमों के करीब 78% मामले अकेले वेस्ट यूपी के मेरठ और बरेली जोन में दर्ज करवाए गए हैं। 19 सितंबर 2018 को मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण अध्यादेश लागू होने के बाद दूसरा अध्यादेश 21 फरवरी 2019 को आया। 31 अगस्त 2019 को यह अधिनियम पारित हुआ। ट्रिपल तलाक को लेकर यूपी में सबसे ज्यादा 1566 मुकदमे मेरठ जोन में दर्ज हुए हैं। इसके बाद दूसरे नंबर पर बरेली जोन में 1356 मामले दर्ज हुए। जोन वार दर्ज मामलों की संख्या- लखनऊ जोन में 339, आगरा जोन में 407, कानपुर जोन में 84, प्रयागराज में 132, गोरखपुर में 210 और वाराणसी में 132 मामले दर्ज करवाए

अब सात साल का अनुभव रखने वाले वकील सीधे जज नहीं बन सकेंगे?

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न्यायिक अधिकारी को एचजेएस (HJS) की सीधी भर्ती में शामिल होने का अधिकार नहीं हाईकोर्ट इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि उच्च न्यायिक सेवा सीधी भर्ती एचजेएस (HJS) में 7 साल के वकालत के अनुभव के आधार पर न्यायिक अधिकारियों को आवेदन का अधिकार नहीं है। वे केवल पदोन्नति से एचजेएस (HJS) में भर्ती हो सकते हैं। मध्य प्रदेश न्यायिक सेवा के शशांक सिंह ने दाखिल की थी याचिका कोर्ट में अधिवक्ता व जज के रूप में 7 साल के अनुभव के आधार पर सीधी भर्ती में शामिल करने की मांग में दाखिल याचिका खारिज कर दी है। यह आदेश न्यायमूर्ति प्रितिंकर दिवाकर और न्यायमूर्ति आशुतोष श्रीवास्तव ने मध्य प्रदेश न्यायिक सेवा के शशांक सिंह व चार अन्य की याचिका पर दिया है। वकालत के अनुभव पर सीधी भर्ती में चयनित नहीं किया जा सकता कोर्ट ने कहा कि सिविल जज सीनियर डिवीजन को प्रोन्नति से एचजेएस पद मिलता है, जबकि 7 साल की वकालत व 35 से 45 वर्ष की आयु के वकीलों की सीधी भर्ती की जाती है। नियमावली संविधान के अनुच्छेद 233 सहित अनुच्छेद 309 से प्रदत्त अधिकारियों का प्रयोग करते हुए बनाई गई है। नियम 5 में स्पष्ट है क

अब 60% नंबर लाने पर ही मिलेगी स्कॉलरशिप आवेदन करने से पहले जान लें नया आदेश!

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अब 60% से कम अंक वालों को छात्रवृत्ति व शुल्क प्रतिपूर्ति नहीं  छात्रवृत्ति और शुल्क प्रतिपूर्ति योजना का लाभ पाने के लिए अब सामान्य वर्ग के विद्यार्थियों को कम से कम 60% अंक लाने होंगे। तमाम स्थितियों को देखते हुए समाज कल्याण विभाग छात्रवृत्ति और शुल्क प्रतिपूर्ति योजना की नियमावली में बदलाव करने जा रहा है। निदेशालय ने अहर्ता का प्रतिशत बढ़ाने समेत अन्य सिफारिशों संबंधी प्रस्ताव शासन को भेज दिया है। जहां से अंतिम फैसला लिया जाएगा। सामान्य वर्ग के विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति और शुल्क प्रतिपूर्ति के लिए कम मिले बजट की वजह से पात्रता कम से कम हो इसलिए यह प्रतिशत बढ़ाया जा रहा है। बीते साल सामान्य वर्ग के विद्यार्थियों के लिए करीब 850 करोड़ रुपए इस पर भी विभाग सामान्य वर्ग के विद्यार्थियों को पात्रता के बावजूद स्कॉलरशिप नहीं दे पाया था। इस बार यह बजट घटकर केवल ₹500 ही रह गया है। ऐसे में जाहिर है कि बीते साल से भी कम संख्या में विद्यार्थियों को स्कॉलरशिप और शुल्क प्रतिपूर्ति दी जा सकेगी। ऐसे में बदलाव लाजमि माना जा रहा है। इससे होगा यह की स्कॉलरशिप और शुल्क प्रतिपूर्ति के लिए अहर्ता का प्

क्या संपत्ति का पावर ऑफ अटॉर्नी सम्पति को मालिक की बिना जानकारी के बेच सकता है?

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संपत्ति के लिए अटॉर्नी की शक्ति क्या है? संपत्ति का पावर ऑफ अटॉर्नी (पीओए) एक कानूनी दस्तावेज है जो वकील या एजेंट या किसी अन्य को कानूनी अधिकार देता है या यूँ कहें कि किसी और व्यक्ति को क़ानूनी अधिकार देने तरीका है जो मुख्य संपत्ति के लिए सौदा करने अवसर साझा करता है जब सम्पत्ति का मालिक स्वयं ऐसा नहीं कर सकता है। संपत्ति कानून अन्य कानूनों के सामान्य समूह में आता है और सामूहिक संपत्ति और व्यक्तिगत संपत्ति के लिए जिम्मेदारी के सभी भागों से संबंधित है। यह आवासीय और वाणिज्यिक संपत्ति से जुड़े लेनदेन से भी संबंधित हो सकता है। संपत्ति का मुख्तारनामा ( अटॉर्नी की शक्ति)  कैसे काम करता है? संपत्ति के अटॉर्नी की शक्ति, एक नियम के रूप में, प्रमुख के पास सभी संसाधन शामिल हैं, उदाहरण के लिए, अचल संपत्ति, वित्तीय खाते और स्टॉक सभी प्रकार की सम्पत्ति। शर्तें जिसमें क्या बनाया जा सकता है और क्या नहीं, का चुनने का अधिकार मालिक के पास होता है जो अनुबंध के समय पर किया जाता है। किसके लिए है लाभदयक? अचल संपत्ति में, संपत्ति के POA का उपयोग उन लोगों द्वारा किया जा सकता है जो घर,ज़मीन या अन्य किसी प्रकार की

वन नेशन वन अकाउंट की शुरुआत, अब देश भर में होगा एक बैंक अकाउंट!

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वन नेशन वन राशन के बाद अब वन अकाउंट की डिमांड देश भर में एक जैसी सेवा प्रदान करने के लिए राजधानी समेत आसपास के जिलों में वन नेशन वन राशन की व्यवस्था के बाद अब वन अकाउंट की बात होना शुरू हो गई है। अनाज बेचने के बाद किसान अपने मनमाफिक अकाउंट में रकम ट्रांसफर करवाना चाहते हैं। इसके लिए किसानों ने धान खरीद से जुड़े अधिकारियों को अपनी समस्याएं बताई और एक अकाउंट रजिस्टर करने की मांग भी उठाई है। राशन क्रय केंद्रों पर धान बिकने के बाद उसकी रकम सीधे किसान के खाते में ट्रांसफर हो रही है। रकम उन्हीं खातों में ट्रांसफर हो रहा है जो हाल ही में आधार कार्ड से लिंक हुआ है। अगर पुराने अकाउंट है पहले से आधार नंबर से लिंक है तो उन्हें ट्रांसफर नहीं हो रही है। लिहाजा किसान जिस अकाउंट में ट्रांसफर करवाना चाह रहें, उनमें ट्रांसफर नहीं हो पा रही है। बाराबंकी के राजकिशोर ने उच्च अधिकारियों को बताया कि हिमाचल में नौकरी करते थे। सेवानिवृत्त होने के बाद वापस आकर खेती कर रहे हैं। इस बार  उन्होंने क्रय केंद्र पर धान बेचा तो उसकी रकम उनके हिमाचल स्थित बैंक अकाउंट में ट्रांसफर हो गई। इसकी वजह से उन्हें पैसे निकालने

कोरोना काल में वित्तीय संकट झेल रहे वकीलों के लिए जगी उम्मींद की किरण!

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वकीलों के सुरक्षा एवं सहायता के लिए गठित उत्तर प्रदेश बार काउंसिल ने कोरना काल से हुए नुक्सान और वर्तमान में विषम स्थिति में गुजर-बसर वकीलों की सहायता के लिए खुला ऐलान किया है कि जो राजनीतिक पार्टियाँ उत्तर प्रदेश में चुनाव लड़ने जा रही हैं यदि वे उत्तर प्रदेश बार काउंसिल की इन 8 मांगों पर विचार करेंगे व सहयोग के आश्वासन के साथ इसे अपने घोषणा पत्र में स्थान देंगें तो उत्तर प्रदेश के सभी अधिवक्ता उस पार्टी को साथ देंगें और चुनाव के उसके पक्ष में वोट दे सकते हैं। उत्तर प्रदेश बार काउंसिल ने इस आशय से यह बात प्रस्तुत की है कि कोरोना के दौरान वित्तीय समस्यायों का सामना कर रहे वकीलों की सहायता हो सके। कोरोना काल में यदि किसी वर्ग का सबसे ज्यादा नुक्सान हुआ तो वह अधिवक्ता ही हैं। नोबल प्रोफेशन की संज्ञा वाले इस पेशे में कोरोना के दौरान कोई कमाई नहीं हुई जिससे देश भर में अलग-अलग कोर्ट, तहसील और अन्य न्यायिक क्षेत्र में सेवा देने वाले वकील देखते देखते बेरोजगार हो गये। ऐसे में नये वकीलों को तो किसी प्रकार का कोइ काम ना मिला। वकीलों की सुध लेने वाला भी कोई नहीं था। इसी मुसीबत से वकीलों को उबारन

प्रॉपर्टी लेने के लिए किसी से सलाह लेने की क्या ज़रुरत है?

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एक संपत्ति सलाहकार से सुझाव लेने का क्या फायदा है? संपत्ति खरीदने या बेचने के लिए आमतौर पर बहुत अधिक कागजी कार्रवाई की आवश्यकता होती है और संपत्ति से जुड़ी कानून की वैधता और संपत्ति की हिस्ट्री के बारे में पता लगाना होता है। जो संपत्ति में निवेश करने से पहले बहुत ही आवश्यक है। यह प्रबंधन करने के लिए एक ज़रूरी कदम है, विशेष रूप से जब आपको एक उचित दर पर घर खरीदने या एक बड़ी रक़म के निवेश से शुरू होकर काम करना हो। विशेष रूप से यदि आप किसी अन्य शहर या राज्य में निवेश करने जा रहे हैं, तो नए सौदे के लिए बातचीत परेशान करने वाली या भ्रमित करने वाली हो सकती है इसलिए आजकल व्यक्ति घर खरीदने या बेचने की कानूनी प्रक्रियाओं के माध्यम से उनकी मदद लेते हैं  वहीँ दूसरी ओर लोग नियमित रूप से एक विशेषज्ञ संपत्ति सॉलिसिटर कॉर्क (an expert Property Solicitor Cork) को नियुक्त करते हैं। यह जानने के लिए यहां पढ़ें कि कैसे एक सम्पत्ति एवं निवेश सलाहकार को काम पर रखने से आपकी संपत्ति को खरीदने या बेचने में मदद मिल सकती है। कानूनी विशेषज्ञता और अनुभव एक सम्पत्ति एवं निवेश सलाहकार ऐसे व्यक्ति होता है जो वैध संपत्ति मा

प्राइवेट नौकरी में पूरा वेतन देना 'कानून' से नहीं 'मालिक मर्ज़ी' से तय होता है?

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सरकार की बंधक नहीं है कोर्ट सुप्रीम कोर्ट ने प्रवासी मजदूरों के मसले पर सुनवाई करते हुए कहा है कि अदालत (कोर्ट संस्था) सरकार का बंधक नहीं है। कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा है कि क्या प्रवासी मजदूरों को घर भेजने का कोई प्रस्ताव लाइन में है। कोर्ट ने सरकार को 1 हफ्ते का समय दिया है इस वक्त में सरकार को कोर्ट में जवाब दाखिल करना होगा। एक याचिकाकर्ता द्वारा कोर्ट में गुहार लगाई गई है कि अगर प्रवासी मजदूरों का कोरोना टेस्ट नेगेटिव आता है तो उनके घर भेजने का इंतजाम किया जाए। यह व्यवस्था सरकार की ओर से होना चाहिए ताकि प्रवासी मजदूरों को किसी प्रकार की असुविधा ना हो याचिकाकर्ता के वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि सरकार का जो विचार है उस पर आंख मूंद कर भरोसा नहीं किया जाना चाहिए। इससे मजदूरों का मौलिक अधिकार प्रभावित हो रहा है। इस पर जस्टिस कौल ने कहा, अगर आपको हमारे ऊपर भी भरोसा नहीं है तो फिर हम आपकी बात पर क्यों सुनवाई करें। आप कहते हैं कि आप 30 साल से ज्यादा समय से सुप्रीम कोर्ट से जुड़े हैं तो क्या आपको यह लगता है कि कोर्ट सरकार के यहां बंधक है। इस पर प्रशांत भूषण ने कहा कि हमें कोर्ट पर पूरा भ

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