सत्यमेव जयते!

Today's News

भारत में बने प्रोडक्ट सरकार के लिए नहीं है सरकार केवल अमेरिकन प्रोडक्ट ही खरीदेगी

लॉकडाउन के बाद देश की आर्थिक हालात देखते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आत्मनिर्भर का स्लोगल दिया और साथ ही देश के लोगो से अपील की, कि वे मेक इन इंडिया प्रोडक्ट को खरीदें, लेकिन यह सुझाव राज्य की सरकारों को रास नहीं आया। ऐसे राज्य जहां खुद BJP की ही सरकार है वहां भी अधिकारी अपनी चहेती कंपनियों को मलाई खिलाने के चक्कर में है।

मेक इन इंडिया का दावा करने में सरकारें पीछे नहीं रही मगर  मेक इंडिया का दम भरते ही इसकी हवा निकाल दी गई।

बात कुछ इस तरह है कि उत्तर प्रदेश में मेक इंडिया के तहत सस्ते टिकाऊ और उपयोगी मेडिकल उपकरण भारतीय कंपनियां बना तो सकती हैं लेकिन उन्हें भारत में बेच नहीं सकती हैं। जिलों के सीएमओ (CMO) देसी कंपनियों से सामान खरीदने को तैयार नहीं है। कारण यह है कि उनका मानना है कि जब तक कोई भी कंपनी यूएसएफडीए (US FDA) से रजिस्ट्रेशन नहीं करवाती तब तक (CMO) इन कंपनियों के बने उत्पाद को नहीं खरीदेंगे।इसका अर्थ यह हुआ कि कंपनियों को पहले अमेरिका जाकर यूएसएफडीए (US FDA) से रजिस्ट्रेशन की औपचारिकताएं करनी होंगी उसके बाद ही CMO इन देसी कम्पनियों के उत्पाद खरीदेंगे।

उत्तर प्रदेश के मेडिकल हेल्थ एंड फैमिली वेलफेयर विभाग को सौंपी गई नियमावली में बदलाव कर इसमें US FDA रजिस्ट्रेशन की आवश्यक शर्तों की अनिवार्यता को समाप्त कर दिया गया था लेकिन मेडिकल विभाग के अधिकारी अपनी चहेती कंपनियों से मेडिकल उपकरण को दुगने दाम पर खरीदने के लिए इस नियम का इस्तेमाल हथियार के तौर पर कर रहें हैं।

UP Medical Departrment

इस प्रकार कोरोना काल के दौरान मेडिकल उपकरण खरीदने में हुए खरीद-फरोख्त में बहुत बड़ी गड़बड़ी पकड़ी गई थी।

ताजा मामले में सेमी ऑटोमेटिक बायोकेमेस्ट्री एनालाइजर की खरीद का है। मेडिकल हेल्थ एंड फैमिली वेलफेयर को भेजी गई शिकायत के मुताबिक कई जिलों में हेल्थकेअर प्रोडक्ट खरीदने में बड़ी गड़बड़ी को पकड़ा गया। जेम पोर्टल के जरिए हुई यह खरीद में चौंकाने वाली बात यह है कि मेक इन इंडिया के तहत भारतीय कंपनिया यह उपकरण ₹77000 की दर से दे रही थी जबकि अफसरों ने यही उपकरण डेढ़ लाख की दर से खरीदा।

भारतीय कंपनियों को बाहर करने के लिए अफसरों ने अपने स्तर से मानक तय कर लिए हैं। सूत्रों के मुताबिक केवल उन्हीं कंपनियों से खरीद होगी जिनके पास अमेरिका की US FDA का रजिस्ट्रेशन होगा। इसके बाद एक झटके में सभी भारतीय कंपनियां दौड़ से बाहर हो गई। अब तक मशीनें खरीदी करने वाले प्रतापगढ़, हरदोई, आगरा, मेरठ, अलीगढ, देवरिया और अंबेडकर नगर से जिलों के नाम आ रहे हैं। जहां पर शिकायत दर्ज कराई गई है।

क्या है नियम

भारत सरकार के कॉमर्स एंड इंडस्ट्री मंत्रालय की तरफ से पिछले साल 20 जून को जारी आदेश के मुताबिक अगर भारतीय कंपनियां आईसीएमआर भारतीय कंपनियां सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन और ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया के मानकों को पूरा करती हैं तो अन्य किसी भी संस्था से रजिस्ट्रेशन की शर्त अनिवार्य नहीं है।

क्या है अभी की स्थिति?

वर्तमान में कई भारतीय कम्पनियां सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन के मानकों पर खरी हैं। उनके पास ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया का लाइसेंस भी है बावजूद इसके यूपी का स्वास्थ्य महकमा इन एजेंसियों के मानक और लाइसेंस को अहमियत देने को तैयार नहीं है। साथ ही केंद्र सरकार और राज्य सरकार की गाइडलाइन के अनुसार सरकारी खरीद में मेक इन इंडिया की कंपनी को तवज्जो दी जानी है लेकिन बावजूद इसके अधिकारी अमेरिका के लाइसेंस पर भरोसा जता रहे हैं।

Comments

ख़बरें सिर्फ़ आपके लिए!

तलाक लेने में कितना खर्च आयेगा और यह खर्च कौन देगा? तलाक लेने से पहले यह कानून जान लें!

पति तलाक लेना चाहता और पत्नी नहीं तो क्या किया जाना चाहिए?

अब चेक बाउंस के मामले में जेल जाना तय है! लेकिन बच भी सकते हैं अगर यह क़ानूनी तरीका अपनाया तो!

तलाक़ के बाद बच्चे पर ज्यादा अधिकार किसका होगा माँ का या पिता का?

जानिए, पॉक्सो एक्ट (POCSO) कब लगता है? लड़कियों को परेशान करने पर कौन सी धारा लगती है?

बालिग लड़की का नाबालिग लड़के से शादी करने पर अपराध क्यों नहीं है? और क्या नाबालिग लड़की अपनी मर्ज़ी से शादी कर सकती है?

जमानत क्या है और किसी व्यक्ति की जमानत कैसे ले सकते हैं?

जानिए दाखिल खारिज़ क्यों ज़रूरी है और नहीं होने पर क्या नुकसान हो सकतें हैं?

लीगल खबरें आपके लिए!