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शादी के पहले केवल मनोरंजन के लिए शारीरिक सम्बन्ध बनाने को आतुर ना रहें लड़कियां!
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जब तक कि उन्हें शादी का आश्वासन न दिया जाए, तब तक सिर्फ मनोरंजन के लिए भारत में अविवाहित लड़कियां कामुक गतिविधियों में लिप्त नहीं होतीं : मध्य प्रदेश हाईकोर्ट
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट (इंदौर खंडपीठ) ने हाल ही में कहा, "भारत एक रूढ़िवादी समाज है, यह अभी तक सभ्यता के उस स्तर (उन्नत या निम्न) तक नहीं पहुंचा है, जहां अविवाहित लड़कियां... लड़कों के साथ केवल मनोरंजन के लिए कामुक गतिविधियों (इंटरकोर्स) में शामिल हों, जब तक कि यह भविष्य में विवाह के किसी वादे/आश्वासन के साथ समर्थित न हो।"
जस्टिस सुबोध अभ्यंकर की खंडपीठ ने कहा कि एक लड़का, जो एक लड़की के साथ शारीरिक संबंध में प्रवेश करता है, उसे यह समझ होनी चाहिए कि उसके कार्यों के परिणाम हैं और वह इसका सामना करने के लिए तैयार रहे।
क्या है पूरा मामला?
आरोपी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 376, 376(2) (एन), 366 और बच्चों के यौन शोषण से रोकथाम अधिनियम की धारा 3, 4,5-1, 6 के तहत मामला दर्ज किया गया था। उस पर आरोप था कि उसने शादी के बहाने एक लड़की के साथ बलात्कार किया। कोर्ट के सामने, उसके वकील ने दलील दी गई कि लड़की कथित अपराध के समय बालिग थी और लड़का-लड़की दोनों सहमत थे।
उन्होंने आगे यह भी कहा कि लड़की के माता-पिता शादी का विरोध कर रहे थे क्योंकि दोनों के धर्म अलग-अलग हैं। आरोपी हिंदू है जबकि शिकायकर्ता मुस्लिम है।
दूसरी ओर, राज्य की ओर से यह दलील दी गई कि आरोपी ने शादी के बहाने पीड़िता के साथ अक्टूबर, 2018 से बार-बार बलात्कार किया और बाद में शादी से इनकार कर दिया। इसके बाद, जब उसने लड़की को बताया कि उसकी शादी किसी और से हो रही है, तो लड़की ने आत्महत्या का प्रयास किया, हालांकि वह बच गई।
पूरे मामले में कोर्ट ने क्या कहा?
जब मामला कोर्ट के सामने आया तब शुरुआत में, अदालत ने कहा कि आवेदक/आरोपी जमानत पर रिहा होने के लायक नहीं है क्योंकि जाहिर तौर पर उसने शिकयतकर्ता से शादी के बहाने शारीरिक संबंध बनाने के लिए कहा था, जबकि वह यह बखूबी जानता था कि दोनों अलग-अलग धर्मों से हैं।
कोर्ट ने आगे कहा कि उसने बलात्कार के अधिकांश मामलों में देखा है कि बचाव पक्ष का तर्क यही होता है कि शिकायतकर्ता की सहमति थी और ज्यादातर मामलों में आरोपी को संदेह का लाभ भी मिलता है।
कोर्ट ने इस बात पर जोर देते हुए कि भारत एक रूढ़िवादी समाज है, कहा, "...कुछ अपवादों को छोड़कर...(कहीं-कहीं ऐसा नहीं भी होता है) यह अभी तक सभ्यता के ऐसे स्तर (उन्नत या निम्न) तक नहीं पहुंचा है, जहां अविवाहित लड़कियां, अपने धर्म की परवाह किए बिना, केवल मनोरंजन के लिए लड़कों के साथ कामुक गतिविधियों (सेक्स) में लिप्त हों, जब तक कि यह भविष्य में विवाह के वादे/आश्वासन से समर्थित न और अपनी बात को साबित करने के लिए हर बार पीड़िता को आत्महत्या करने की कोशिश करना आवश्यक नहीं है, जैसा कि मौजूदा मामले में है।"
कोर्ट ने कहा, " ...यह लड़की है, जो हमेशा नुकसान के सिरे पर होती है क्योंकि वह लड़की है, जो गर्भवती होने का जोखिम उठाती है और अगर उसके रिश्ते का खुलासा होता है तो बदनामी भी उसी की होती है.." ऐसे में आज के परिवेश में भी लड़की को यह सोंच समझ कर फैसला करे
यह देखते हुए कि पीड़िता ने आत्महत्या की कोशिश की थी, जिससे स्पष्ट है कि वह रिश्ते के प्रति गंभीर थी, कोर्ट ने कहा कि यह नहीं कहा जा सकता है कि उसने केवल आनंद के लिए शारीरिक संबंध में प्रवेश किया। इसलिए, कोर्ट ने आरोपी की जमानत याचिका खारिज कर दी।
केस टाइटल - अभिषेक चौहान बनाम मध्य प्रदेश राज्य
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