एक कर्मचारी को कर्मचारी राज्य बीमा अधिनियम 1948 के अंतर्गत क्या-क्या लाभ प्राप्त होते हैं यह कर्मचारी को पता होना चाहिए।
कर्मचारियों को प्राप्त हित लाभ
कर्मचारी राज्य बीमा अधिनियम की धारा 46 से 73 तक कर्मचारियों को उपलब्ध हित लाभों से संबंधित उपबंध है। इस अधिनियम के अनुसार कर्मचारियों को निम्नलिखित प्रकार के लाभ हित प्राप्त होते हैं-
बीमारी लाभ
धारा 46 के अनुसार कोई व्यक्ति किसी लाभ की अवधि में बीमारी घटित होने तथा उसके संबंध में ऐसा अंशदान कम से कम संबंधित अंशदान अवधि के आधे दिनों के लिए दिया गया हो तो व्यक्ति बीमारी लाभ का हकदार माना जा सकता है।
जो व्यक्ति धारा 47 के अनुसार बीमारी लाभ के दावे का अधिकार रखता है वह इस अधिनियम तथा विनियम के उपबंधओं के अनुसार अपनी बीमारी की अवधि के लिए उक्त लाभ प्राप्त करने का अधिकार रखता है।
यह बीमारी के प्रथम 2 दिनों के लाभ के लिए अधिकारी न होगा, उस स्थिति में छोड़कर जबकि आने वाली बीमारी का दौर 15 दिन की अपेक्षा अधिक नहीं, अवधि का अंतर देकर आया है, जिस बीमारी के दौर के लिए बीमारी लाभ का भुगतान पहले हो चुका है।
धारा 49 के अनुसार किसी व्यक्ति को बीमारी का लाभ किसी दो लगातार लाभ अवधि में 56 दिन की अपेक्षा अधिक अवधि के लिए भुगतान न किया जाएगा। अर्थात एक व्यक्ति जो बीमारी के लाभ का दावा करने का हकदार है, आरंभिक दो दिन की प्रतीक्षा की अवधि के लिए दावा करने का अधिकारी न होगा।
धारा 64 के अनुसार बीमारी हित लाभ पाने वालों की कुछ शर्तों को मानना पड़ेगा जो निम्नलिखित हैं-
- ऐसा व्यक्ति इस अधिनियम में व्यवस्थित अस्पताल, डिस्पेंसरी, क्लीनिक या अन्य संस्थाओं में चिकित्सा उपचार के अधीन रहेगा और मेडिकल ऑफिसर द्वारा दिए गए निर्देश का पालन करेगा।
- चिकित्सा अवधि में ऐसा कोई कार्य नहीं करेगा जिससे उसके अच्छे होने में कोई व्यवधान पैदा हो।
- जब तक इस अधिनियम के अंतर्गत चिकित्सा अधिकारी द्वारा उसे अनुमति न दे दी जाए वह उस जगह को नहीं छोड़ेगा जहां उसका इलाज चल रहा है।
- वह अपने आपको ऐसे व्यक्तियों द्वारा जांच कराए जाने हेतु समर्पित करेगा जो चिकित्सा अधिकारी के रूप में नियुक्त है।
मातृत्व लाभ
अधिनियम की धारा 50 के अंतर्गत मातृत्व अथवा प्रसूति लाभ का उपबंध है इस धारा के अनुसार-
- कोई बीमाकृत स्त्री प्रसूति अवस्था के लिए जो किसी हितलाभ अवधि में घटित हो या घटित होने की आशा हो, प्रसूति हित लाभ प्राप्त करने के लिए हकदार होगी यदि उससे संबंधित अंशदान, संगत अंशदान अवधि के कम से कम आधे दिनों के लिए देय थे।
- कोई बीमाकृत स्त्री जो हित लाभ का दावा करने की आहर्ता रखती है, उन सभी दिनों के लिए जिनको वह 12 सप्ताह की अवधि के दौरान पारिश्रमिक के लिए कार्य नहीं करती जिसमें 6 से अनधिक उसकी प्रसूति काल की प्रत्याशी तारीख से पूर्वगामी होंगे, पहली अनुसूची में उल्लिखित दैनिक दरों पर इसे प्राप्त करने का हकदार होगी।
- यदि बीमाकृत स्त्री प्रसूति काल के दौरान में या प्रसूति काल के तुरंत अनुगामी 6 सप्ताह की अवधि के दौरान में मर जाती है जिस (प्रसुति) के लिए प्रसूति हित लाभ प्राप्त करने का हकदार है, और वह अपने पीछे बच्चा छोड़ जाती है तो उसे प्रसूति लाभ उस समय अवधि के लिए दिया जाएगा परंतु यदि वह बच्चा कथित अवधि के दौरान मर जाता है, तब बच्चे की मृत्यु के दिन तक उस दिन को शामिल करते हुए दिनों के लिए बीमाकृत व्यक्ति द्वारा नामित व्यक्ति को ऐसे तरीके से, जैसा कि विनियमों में निर्दिष्ट हो और यदि ऐसा कोई नामजद व्यक्ति नहीं है तो उसके विधिक प्रतिनिधि को अदा किया जाएगा।
- यदि किसी भी बीमाकृत स्त्री का वैध गर्भपात हुआ हो तो वह स्त्री गर्भपात लाभ प्राप्त करने की हकदार होगी। वैध गर्भपात से तात्पर्य उस गर्भपात से है जो भारतीय दंड संहिता के अंतर्गत प्रसंगेय अपराध नहीं है। इसके लिए उसे प्रमाण पत्र देना होगा।
- बच्चे के समय पूर्व जन्म प्रसव जनित बीमारी की दशा में भी प्रमाण पत्र देकर स्त्री हित लाभ पाने की हकदार होगी।
नि: शक्तता लाभ अधिनियम की धारा 51 के अनुसार-
- इस अधिनियम के अंतर्गत अपंगता या अयोग्यता लाभ निम्न व्यक्तियों को प्रदान किया जाएगा
- ऐसे ऐसे व्यक्ति को जिसे अस्थाई अयोग्यता हो, ऐसी अयोग्यता की अवधि में अपंगता लाभ अदा किया जाएगा।
- स्थाई आंशिक अयोग्यता से ग्रस्त व्यक्ति को जीवन पर्यंत नि: शक्तता लाभ देय होगा तथा
- स्थाई पूर्ण अयोग्यता वाले व्यक्ति को भी जीवन पर्यंत ऐसा लाभ दिया जाएगा।
- उपरोक्त अयोग्यताओं को छोड़कर अन्य कोई अयोग्यता होने पर निर्दिष्ट नियमों के अनुसार ऐसा अयोग्यता लाभ देय होगा।
- बीमा युक्त व्यक्ति को होने वाली दुर्घटना विपरीत सिद्ध न होने पर नियोजन की काल अवधि में हुई मानी जाएगी।
- नियोजन काल में हुए व्यवसायिक रोग से ग्रसित कर्मकार को नि: शक्तता लाभ देय होगा।
- नियोजक के परिवहन में यात्रा करते समय अथवा नियोजक की प्रत्यक्ष या विवक्षित सहमति से यात्रा करते समय घटित कर दुर्घटना के लिए भी कर्मकार अयोग्य तालाब का हकदार होगा।
यदि राज्य केंद्रीय सरकार अधिनियम की तृतीय अनुसूची में निर्दिष्ट किसी नियोजन में वृद्धि करती है तो ऐसा नियोजन ऐसी अनुसूची का अंग माना जाएगा और उससे संबंधित बीमारी भी पेशेवर रोग समझी जाएगी। निगम 3 महीने की पूर्व सूचना देकर अधिसूचित आयोजनों में वृद्धि कर सकता है और इस प्रकार तृतीय अनुसूची में निर्दिष्ट नियोजनों में विस्तार किया जा सकेगा। वृद्धि की गई श्रृंखला में पेशेवर रोगी का भी उल्लेख कर दिया जाएगा जो इस अधिनियम के प्रयोजन के लिए मान्य होंगे। उक्त पेशेवर रोग के लिए भी अधिनियम के प्रावधान इस प्रकार लागू होंगे, मानो वे स्वयं उसके द्वारा पास किए गए हो। कोई कर्मचारी पेशेवर रोग के लिए तभी लाभ का दावेदार हो सकेगा, जब यह सिद्ध कर दे कि-
- पेशेवर रोग द्वारा वह ग्रसित हुआ है।
- रोग का मुख्य कारण क्षति है।
- वह रोग उसके निर्योग्यता में परिणामित हुआ है।
- शारीरिक क्षति ऐसी है जो नियोजन काल में उत्पन्न हुई है।
- क्षति का कारण दुर्घटना है जिसकी उत्पत्ति कार्य अवधि में हुई है।
आश्रित लाभ
अधिनियम की धारा 46(4) के अनुसार आश्रित लाभ ऐसे छतिग्रस्त कर्मचारी के आश्रितों को देय होता है जो ऐसी अजीविकाजन्य के कारण जाता है और उसे इस अधिनियम के अंतर्गत प्रतिकर पाने का अधिकार है। जबकि बीमाकृत व्यक्ति उपयुक्त आश्रितों को छोड़े बिना मर जाता है तो प्रथम सूची के उपबंधों के अनुसार आश्रित लाभ तथा अन्य आश्रितों को प्रदान कर दिया जाएगा।
चिकित्सा लाभ
अधिनियम की धारा 56 के अंतर्गत चिकित्सा लाभ निम्नलिखित प्रकार से दिया जा सकता है-
- अस्पताल, औषधालय, क्लीनिक या अन्य संस्था में उपस्थिति के रूप में या बाहरी रोगों से उपचार के रूप में, या
- बीमाकृत व्यक्ति के घर उसे देखने के द्वारा या
- अस्पताल या अन्य संस्था में भर्ती हुए रोगी के रूप में।
कोई व्यक्ति चिकित्सा लाभ के लिए किसी भी ऐसे सप्ताह में हकदार हो सकता है-
- जिसके लिए उसके द्वारा अंशदान देय हैं या
- जिससे वह बीमारी विषयक लाभ का दावा करने का हकदार हो जाता है या कोई स्त्री कर्मचारी प्रसूति लाभ का दावा कर सकने योग्य हो जाती है या
- जिसमें वह ऐसे निर्योग्यता लाभ को पाने का अधिकारी हो जाता है जबकि विनियमों के अंतर्गत उसे चिकित्सा लाभ करने के अयोग्य नहीं बना देता।
ऐसा व्यक्ति जिसे इस अधिनियम के अंतर्गत अंशदान देय नहीं रह जाता है ऐसी अवधि के लिए चिकित्सा लाभ प्राप्त करने के लिए अनुज्ञात किया जा सकता है और वह लाभ उसे उस रूप में प्रदान किया जा सकता है जैसा विनियमों में इस हेतु निहित किया जाए।
कोई बीमाकृत व्यक्ति और उसका परिवार निम्नलिखित रुप में चिकित्सा लाभ प्राप्त करने का अधिकारी होगा-
- ऐसे प्रकार का चिकित्सा लाभ की जैसा राज्य सरकार या निगम द्वारा उपबंधित हो।
- ऐसे चिकित्सा लाभ जो राज्य सरकार या निगम द्वारा उपबंधित हो।
- ऐसा चिकित्सीय उपचार जैसा किसी ऐसे औषधालय, अस्पताल अथवा क्लीनिक या अन्य संस्था द्वारा किया जाता है जिसके लिए वह बीमाकृत व्यक्ति या उसका परिवार आवंटित किया गया हो।
- ऐसे लाभ जिनका उपबंध विनियमों के अंतर्गत किया गया हो।
- निगम से किन्हीं ऐसे खर्चे की किसी प्रतिपूर्ति का दावा जो किसी चिकित्सीय उपचार के संबंध में हो, उस समय तक अनुज्ञात नहीं है, तब तक विनियमों में उस हेतु अनुमति दी गई हो।
अधिनियम की धारा 58 के अनुसार सरकार इसके लिए उत्तरदाई है कि वह बीमाकृत व्यक्ति को चिकित्सीय उपचार प्रदान करें और जहां वह लाभ बीमाकृत व्यक्ति के परिवार तक विस्तारित है उनके परिवारों को भी दे। इस संबंध में राज्य सरकार का उपचार युक्तिसंगत होना चाहिए और उसमें चिकित्सा, सर्जरी और प्रसूति उपचार सम्मिलित होगा।
धारा 59 के अनुसार निगम राज्य सरकार से आज्ञा प्राप्त करके किसी राज्य में अस्पताल, औषधालय या अन्य चिकित्सीय एवं शल्यक सेवाएं स्थापित करें तथा बीमाकृत व्यक्ति और उसके परिवार को चिकित्सा लाभ प्रदान करें।
दाह संस्कार लाभ
अधिनियम की धारा 46 (6) के अनुसार दाहसंस्कार या अंत्येष्टि कर्म लाभ मृत व्यक्ति के परिवार के जेष्ठतम जीवित व्यक्ति को प्रदान किया जाता है या उस व्यक्ति को प्रदान किया जाता है जिसने मृतक की अंत्येष्टि कर्म में यथार्थ व्यय किया है। अंत्येष्टि कर्म विषय के लाभ के लिए अधिकतम ₹100 तक का लाभ प्रदान किया जा सकता है।
दाहसंस्कार लाभ का दावा बीमाकृत व्यक्ति की मृत्यु के 3 माह की अवधि के भीतर प्रस्तुत किया जाना चाहिए।
लाभ संबंधी नियम
- धारा 60 के अनुसार किसी भी लाभ को प्राप्त करने का अधिकार हस्तांतरण व कुर्की योग्य नहीं होगा।
- धारा 61 के अनुसार जहां कोई व्यक्ति इस अधिनियम में किसी तरह का लाभ पाने का अधिकारी है वहां तक किसी अन्य विधायन द्वारा प्रदत समापन लाभ नहीं पाएगा।
- धारा 62 के अनुसार यदि विनियमों द्वारा विहित न हो तो कोई भी व्यक्ति अधिनियम के अंतर्गत प्रदेय आवधिक लाभ के लिए एकमुश्त राशि कम करने का अधिकार नहीं रखेगा।
- धारा 63 के अनुसार कोई भी व्यक्ति एक साथ दोहरा लाभ प्राप्त नहीं कर सकेगा।
- कोई भी व्यक्ति एक साथ बीमारी लाभ व प्रसूति लाभ या बीमारी लाभ व निर्योग्यता लाभ या प्रसूति लाभ व अस्थाई निर्योग्यता लाभ प्राप्त नहीं करेगा। यदि वह दो लाभ पाने का अधिकारी है तो उसे एक लाभ को प्राथमिकता देनी होगी।
- यदि कोई व्यक्ति इस अधिनियम के अंतर्गत गलत ढंग से कोई लाभ या भुगतान प्राप्त कर लेता है तो उसे ऐसा लाभ लौटाना होगा।
- किसी व्यक्ति को और उसके द्वारा मनोनीत व्यक्ति की मृत्यु के दिन सहित लाभ देय होगा।
- कोई भी नियोजक कर्मकार की मजदूरी में अकारण कटौती नहीं करेगा।
- नियोजक कर्मकार को बीमारी या प्रसूति काल में सेवा- विमुक्त निरस्त या कम या अन्य प्रकार से दंडित नहीं कर सकता है।
- इस अधिनियम के अंतर्गत लाभ प्राप्त करने के लिए दावे लिखित में और विहित प्रारूप में ही किए जाएंगे जिस पर आवेदन कर्ता के हस्ताक्षर या निशानी अंगूठा होगा। आवेदन के साथ आवश्यक प्रपत्र साक्ष्य हेतु प्रस्तुत करने होंगे।
- यदि कोई कर्मचारी गलत सूचना देता है तो उसे दंडित किया जाएगा। दोषपूर्ण दावे की त्रुटि को दूर करने के लिए कर्मकार को उचित समय दिया जाएगा।
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