Posts

सत्यमेव जयते!

1 सितंबर बैंक, PF, GSTR से जुड़े नियम के लिए तैयार रहें अब जेब और ढीली करनी होगी

Image
आज, 1 सितंबर से बहुत कुछ बदल गया है। आज ही Financial Year (FY) 2022 की दूसरी तिमाही भी शुरू हो जाएगी। इस तारीख को Bank ग्राहकों को सेविंग खातों में Financial Year (FY) 2022 की दूसरी तिमाही का ब्‍याज भी मिलेगा। इसके अलावा GSTN ने कुछ नियम सख्‍त कर दिए हैं। वहीं LPG सिलेंडर के रेट की समीक्षा भी होगी। त्‍योहारी सीजन को देखते हुए Indian Railways कुछ नई स्‍पेशल ट्रेनों या पूजा स्‍पेशल की शुरुआत कर सकता है ताकि यात्रियों को घर आने में दिक्‍कत न झेलनी पड़े। EPFO ने भी PF खाते को लेकर नियम बदले हैं। आइए जानते हैं 1 सितंबर को कौन से बदलाव होंगे और हमारी जेब पर कितना असर पड़ेगा। GST रिटर्न दो महीने से नहीं भरा तो होगी मुश्किल! GSTN ने कहा है कि जिन कारोबारियों ने बीते दो महीनों में GSTR-3B रिटर्न दाखिल नहीं किया है, वे 1 सितंबर से बाहर भेजी जाने वाली आपूर्ति का ब्‍योरा GSTR-1 में नहीं भर पाएंगे। जहां कंपनियां किसी महीने का GSTR-1 उसके अगले महीने के 11 वें दिन तक दाखिल करती हैं, GSTR-3B को अगले महीने के 20-24वें दिन के बीच क्रमबद्ध तरीके से दाखिल किया जाता है। व्यवसायिक इकाइयां GSTR-3B के जरिए कर

अपना केस कोर्ट में ख़ुद कैसे लड़ें? क्या करना होगा इसके लिए ?

Image
Consumer Protection Act 1986 यदि आपने कोई इलेक्ट्रॉनिक/नान-इलेक्ट्रॉनिक सामान खरीदा है या किसी कंपनी से थोक में माल लिया है या डीलर से कोई कॉरपोरेट डील की है या फिर किसी सर्विस प्रोवाइडर से कोई सेवा ली है और आप उससे संतुष्ट नहीं हैं लेकिन आपकी शिकायत पर कंपनी, डीलर, सर्विस प्रोवाइडर ध्यान नहीं दे रहे हैं और अब आप उसके खिलाफ कानूनी कार्यवाही करना चाहते हैं तो आपको कंज्यूमर कोर्ट के बारे में जरूर पता होना चाहिए तो आइए इसे विस्तार से समझते हैं। कंजूमर कौन है? जब आप कोई भी वस्तु खरीदते हैं या कोई सेवा जैसे रेल, इंटरनेट आदि लेते हैं तो प्रोडक्ट खरीदते ही आप कंज्यूमर बन जाते हैं। कंज्यूमर को उपभोक्ता, ग्राहक, उपयोगकर्ता, कस्टमर आदि नामों से भी जाना जाता है। अब यदि किसी दुकान, शोरूम, कंपनी से कोई सामान ख़रीदें और वह खराब निकल जाए तो आपको ऐसे कम्पनी, दुकान, या शोरूम के खिलाफ मुकद्दमा करना है तो आप फोरम में कर सकते हैं। यदि आपने किसी कंपनी से कोई वस्तु खरीदी है या डीलर से कोई डील की है और उसकी सर्विस से नाख़ुश हैं या फिर उसमें कोई ऐसी खामी है जो आप के अनुरूप नहीं है या उसकी शर्तों के अनुसार न

अब से कोई भी पुलिसकर्मी मोबाइल से सिर्फ फोटो खींचकर चालान नहीं कर पाएगा

Image
केंद्रीय परिवहन मंत्रालय ने ट्रैफिक नियमों में बदलाव कर दिया है। इसके बजाये चालान करने के लिए अब उन्हें इलेक्‍ट्रॉनिक रिकॉर्ड की जरूरत पड़ेगी इसके साथ ही इस चालान को, 15 दिनों के भीतर भेजना होगा। केंद्रीय परिवहन मंत्रालय ने ट्रैफिक के नए नियम (New Notification) जारी कर दिया है। इस नए नियम के मुताबिक राज्‍यों की एजेंसियों को ट्रैफिक रूल्स के उल्लंघन से जुड़े अपराध होने के 15 दिनों के अंदर दोषी को नोटिस भेजना होगा, और इसके अलावा चालान के निपटान तक इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड को रखना होगा। मतलब साफ है ट्रैफिक रूल्स तोड़ने पर अब पुलिसकर्मी सिर्फ फोटो खींचकर आपके पास चालान नहीं भेज पाएंगे। अब चालान करने के लिए उन्हें इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड या ठोस कारण व सबूत की जरूरत पड़ेगी। MoRTH ने नोटिस जारी कर यह जानकारी दी सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) ने इलेक्ट्रॉनिक मॉनिटरिंग और सड़क सुरक्षा के प्रवर्तन के लिए संशोधित मोटर वाहन अधिनियम 1989 (Amended Motor Vehicles Act 1989) के तहत एक नोटिफिकेशन जारी किया है। इसमें चालान जारी करने के लिए प्रयोग किये जाने वाले इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का यूज किए जाने की ब

क्या सरकार लोगों की जासूसी कर रही है या कुछ वास्तव में छिपा रही है?

Image
सुप्रीम कोर्ट में पेगासस जासूसी मामले की सुनवाई हुई और मामले ने एक अलग मोड़ ले लिया है। सुप्रीम कोर्ट ने इस दौरान केंद्र सरकार से पूछा है कि क्या वह इस मामले में विस्तार से हलफनामा दायर करना चाहती है। इस पर केंद्र सरकार ने अपने जवाब में कहा कि मामले में छिपाने के लिए कुछ नहीं है सब कुछ स्पष्ट है। केंद्र ने अपने हलफनामे में याचिकाकर्ताओं (अपीलकर्ताओं) की ओर से जासूसी के आरोपों को नकार दिया है और कहा है कि याचिका विचार योग्य है ही नहीं। वहीँ आईटी(IT) मंत्री के रुख को भी बताया कि सदन में सभी आरोपों को नकारा गया था और जवाब दयार किया गया था। याचिकाकर्ताओं ने कहा कि कि इस मामले में जो भी सवाल उठाए गए हैं केंद्र सरकार उसके जवाब से बच रही है। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता राम और शशि कुमार के वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि इस मामले में केंद्र सरकार हलफनामा दायर कर यह बताएं कि क्या जासूसी के लिए पेगासस का इस्तेमाल नहीं किया तो हमारी दलील अलग होगी। केंद्र सरकार ने जो हलफनामा दायर किया है उसमें यह नहीं कहा कि सरकार या उसकी एजेंसी ने एक स्पाइवेयर का इस्तेमाल किया है या नहीं। तब केंद्र सरकार की ओर से सॉलिस

क्यों लोग लड़की को बदनाम करने लगते है जब वो "न" कहती है? क्या करे एक लड़की अगर उसके साथ कुछ ऐसा हो की!

Image
आज के दौर में एक पुरुष का कई महिला से सम्बन्ध होगा या किसी महिला का कई पुरुष से सम्बन्ध होना आम होता जा रहा है। पति-पत्नी, दोस्त, गर्लफ्रेंड-बॉयफ्रेंड या डेट कर रहे कपल्स आजकल फोन पर बात करते समय एक दूसरे से कब अतरंग बातें करने लगते हैं इसका पता उन्हें भी नहीं चलता। बातचीत के दौरान वीडियो, फोटो शेयर करना एक सामान्य बात है। इसमें कोई नई बात नहीं है और न ही कुछ गलत। लेकिन कई बार लड़की या लड़का अपने अंतरंग संबंधों (सेक्स) के दौरान अपने शारीरिक संबंध बनाने के दौरान खींचे गए फोटोस या वीडियोस या एक दूसरे को शेयर करते हैं। जिसमें न्यूड फोटो, सेक्स वीडियो टेप, कॉल रिकॉर्डिंग जैसे तमाम चीज़े शेयर होती हैं। यह फोटो रिवेंज पोर्न के रूप में आजकल एक दूसरे से प्रतिशोध (बदला) लेने का कारण भी बनते जा रहे हैं। अक्सर करके प्रेमी युगल एक दूसरे को अपनी प्राइवेट फोटो शेयर करते हैं लेकिन जब रिश्ता टूटता है तो यही फोटो जो पक्ष रिवेंज (बदला) लेना चाहता है उसके द्वारा दुरपयोग किआ जाता है। वह पक्ष इन फोटो का उपयोग करके दूसरे पार्टनर को बदनाम करने का प्रयास करता है। क्या है रिवेंज पोर्न ? जब कोई प्रेमी (लड़क

कब एक निःसंतान सौतेली माँ दत्तक बच्चों से भरण-पोषण पाने का हकदार रखती है?- पढ़िए अधिवक्ता आशुतोष कुमार का लेख

Image
हिंदू दत्तक ग्रहण एवं पोषण अधिनियम के अंतर्गत एक बच्चे तथा वृद्ध माता-पिता की पोषण पाने का अधिकार प्राप्त है और विशुद्ध हिंदू विधि के अंतर्गत क्या अधिकार प्राप्त है। वृद्ध माता-पिता तथा संतान के भरण पोषण का अधिकार- हिंदू दत्तक ग्रहण एवं भरण पोषण अधिनियम की धारा 20 के अंतर्गत वृद्ध माता-पिता तथा संतानों को भरण पोषण का अधिकार प्रदान किया गया है। यह धारा उप बंधित करती है कि- इस धारा के उपबन्धों के अधीन रहते हुए यह है कि कोई हिंदू अपने जीवनकाल के दौरान धर्मज या अधर्मज अवयस्कों और वृद्धों तथा शिथिलांग माता-पिता का भरण पोषण करने के लिए बाध्य है। जबकि कोई धर्मज अथवा अधर्मज अवयस्क रहे वह अपने पिता या माता से भरण-पोषण पाने के लिए दावा कर सकेगा। किसी व्यक्ति को अपने वृद्ध शिथिलांग माता-पिता का या किसी पुत्री का, जो अविवाहिता हो भरण-पोषण करने की बाध्यता का विस्तार वहां तक होगा जहां तक कि माता-पिता या अविवाहित पुत्री, यथा स्थिति स्वयं अपने उपार्जनों या अन्य संपत्ति से अपना भरण-पोषण करने में असमर्थ हो। स्पष्टीकरण- इस धारा में "माता" के अंतर्गत नि: संतान सौतेली मां भी ती है। इस प्रकार

कोर्ट किस अधिकार से एक IAS को कोर्ट में हाज़िर होने को आदेश दे सकता है?

Image
 न्यायालय में उपस्थित बाध्य करने हेतु प्रावधान  दंड प्रक्रिया संहिता (IPC) की धारा 61 से धारा 90 के अंतर्गत किसी व्यक्ति को न्यायालय में उपस्थित होने के लिए मजबूर करने के लिए कई तरीके बताये गये हैं- समन वारंट समन के बदले में वारंट भागे हुए व्यक्ति की उद्घोषणा (अख़बार या अन्य किसी प्रचलित सूचना के साधन से) संपत्ति की कुर्की बंधक-प्रतिभूतियों सहित अथवा रहित (सिक्योरिटी जब्त करके) समन:- धारा 61 के अनुसार न्यायालय द्वारा इस संहिता के अधीन जारी किया गया  प्रत्येक समन लिखित रूप से हो और दो प्रतियों में, उच्च न्यायालय (हाई कोर्ट) के पीठासीन अधिकारी द्वारा या अन्य अधिकारी द्वारा जिसे न्यायालय नियम के द्वारा समय-समय पर निर्दिष्ट करें, हस्ताक्षरित होगा और उस पर न्यायालय की मुहर लगी हो। समन की तामील के लिए धारा 62 में कहा गया है कि प्रत्येक समन की तामील (रिसीविंग) पुलिस अधिकारी द्वारा ऐसे नियमों के अधीन जो राज्य सरकार के किसी अधिकारी द्वारा या अन्य लोक सेवक द्वारा दी जाएगी। यदि सम्भव हो तो, समन जिसके लिए जारी हुआ है उसे ही दो प्रतियों में से किसी एक को रिसीव कराके व्यक्तिगत रूप से दी जाए। प्रत्य

क्या किसी को गिरफ्तार करते समय डंडा चला सकती है पुलिस?

Image
दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 46 के अनुसार, किसी व्यक्ति की गिरफ्तारी उसको बिना छुए नहीं की जा सकती अथवा शरीर को किसी स्थान विशेष पर रोक कर की जाती है। यदि अपराधी अपने आप आत्मसमर्पण कर दे तो उसे पकड़ने ले लिए बल प्रयोग करना आवश्यक नहीं है। Read More:  लड़कियों के लिए पुनर्वास या नारी निकेतन के लिए क्या है प्रावधान गिरफ्तारी के लिए बल प्रयोग करना कब आवश्यक है? केवल उतना बल प्रयोग किया जा सकता जितने से गिरफ्तारी हो सके। यदि कोई व्यक्ति गिरफ्तारी का विरोध करता है या बचने का प्रयास करता है अथवा भागता है तो उसे गिरफ्तार करने के लिए पुलिस समस्त साधनों का प्रयोग कर सकती है जिसके अंतर्गत व्यापक अर्थों में सभी साधनों के अलावा अन्य लोगों की सहायता भी लेनी पड़ सकती है। गिरफ्तारी करने में मृत्यु सिर्फ उन व्यक्तियों को दी जाती है जिन्होंने मृत्युदंड या आजीवन कारावास से बचकर भाग निकलने की कोशिश की हो या फिर किसी को किसी प्रकार की भयंकर हानि पहुंचाना चाहते हों। पुलिस द्वारा गिरफ्तारी के कई तरीके हैं पुलिस अधिकारी द्वारा बिना वारंट के गिरफ्तार करने की समर्थता पुलिस द्वारा या मजिस्ट्रेट द्वारा वारंट प्र

लड़कियों के लिए पुनर्वास या नारी निकेतन के लिए क्या है प्रावधान

Image
यदि आप नशा मुक्ति केंद्र खोलने का विचार कर रहे हैं या नारी निकेतन या ऐसा कोई संस्थान जो मनोविकृति को सुधारने का कार्य करता है तो उस राज्य के मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकरण में पंजीकरण करवाना अनिवार्य है। कैसे होता है? यह पंजीकरण क्या है? क्या होता है मानसिक विकार? जब कोई व्यक्ति ऐसा व्यवहार करने लगे जो सामान्य व्यवहार से अलग हो या मंदबुद्धि जिसे हम लोग आम भाषा में पागल कहते हैं, मानसिक पीड़ित है जिसे मानसिक विकार भी कहा जाता है । ऐसे व्यक्ति सामान्यता अजीब व्यवहार करते हैं या किसी आदत के शिकार होते हैं। उदाहरण के तौर पर कोई व्यक्ति किसी आदत का सनकी हो सकता है, कोई हद से ज्यादा गुस्सैल हो सकता है, कोई नशे का आदी हो सकता है, या कोई ऐसा जिसे हम पागल कहते हैं। यह सभी मानसिक रोगी होते हैं। मानसिक रोगी दो प्रकार के होते हैं। कोई भी व्यक्ति किन्ही दो प्रकार के कारण से मानसिक रोगी हो सकता है। पहला जन्मजात अर्थात जन्म से ही बुद्धि क्षमता का कम होना मतलब कम बुद्धि क्षमता के साथ जन्म लेने वाले बच्चे। दूसरा किसी घटना से ग्रसित जैसे उनके जीवन में ऐसी कोई घटना घटी हो या एक्सीडेंट हुआ हो जिससे उसके मन प

अब गर्ल्स PG में कौन हो सकेगा किरायेदार, तय करेगी सरकार

Image
अभी तक आप गुप चुप तरीके से अपने निजी मकान या फ्लैट में किसी भी किराये दार रख लेते थे और मोटी रकम वसूल कर मुनाफ़ा कमाते थे। मगर अब ऐसा नहीं हो सकेगा अब किरायेदार रखने से पहले सरकार से अनुमति लेनी होगी और बताना होगा की कब तक के लिए किरायेदार रख रहें हैं। अब उत्तर प्रदेश के किसी भी शहर में बिना लिखित एग्रीमेंट के किराएदार नहीं रखे जा सकेंगे। अब किराएदार रखने के लिए रेंट अथॉरिटी से अनुमति लेनी होगी। रेंट अथॉरिटी हर किराएदार को एक यूनिक आईडेंटिफिकेशन नंबर जारी करेगा। इस नए प्रावधान से रेंट एग्रीमेंट में फर्जीवाड़ा नहीं हो सकेगा। इस आदेश को लागू करने के लिए एक ट्रिब्यूनल की व्यवस्था की जाएगी। यह ट्रिब्यूनल लागू करने के लिए रेंट अथॉरिटी डीएम जिले का नियुक्त करेंगे। इस ट्रिब्यूनल में डिप्टी कलेक्टर के स्तर का ऑफिसर होगा। रेंट अथॉरिटी के फैसले से असहमत होने पर कोर्ट में अपील की जा सकेगी। सरकार की अनुमति से डीएम स्तर के अधिकारी को इसकी रिपोर्ट करेंगे। सरकार हाईकोर्ट की सहमति से हर जिले में कम से कम एडीजे(ADJ) स्तर के कोर्ट अधिसूचित कर सकेगी। अध्यादेश लागू होने के 3 माह के भीतर को किराएदार की सूचन

कैमरा करेगा लड़कियों की सुरक्षा, फोटो बताएगा परेशानी

Image
प्रदेश में महिलाओं के प्रति बढ़ते अपराधों को लगाम लगाने के लिए सरकार ने आधुनिक तकनीक को प्रयोग करने का फैसला किया है। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में महिलाओं की सुरक्षा के लिए 200 चौराहों पर कैमरे लगवाए जाएंगे। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से लैस कैमरा सड़क पर जब किसी महिला को कोई परेशानी दिक्कत होगी तो फोटो खींचकर तुरंत पुलिस कंट्रोल रूम 112 को भेज देगा। फोटो मिलते ही पास में मौजूद पुलिस की गाड़ी मदद के लिए महिला के पास पहुंच जाएगी। और क्या सुरक्षा करेगा कैमरा?  महिलाओं और लड़किओं की सुरक्षा के अलावा शहर में मूवमेंट्स के लिए 15 सहायक कैमरे लगवाए जाएंगे। चेहरे पर तनाव और को भाग लेगा कैमरा  स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत यानि शहर को स्मार्ट बनाने के लिए 200 चौराहों को चुना गया है। जहां पर महिलाओं को दिक्कत होती है इन कैमरों की खासियत होगी कि महिलाओं के चेहरे पर तनाव आते ही फोटो खींच कर पुलिस कंट्रोल रूम भेज देगा और पास ही मौजूद  पुलिस फ़ौरन उस महिला की सुरक्षा के लिए आ जाएगी। यह पता लग जाएगा किसी महिला को किसी प्रकार की कोई परेशानी है और वह है ऑटोमेटेकली 112 पुलिस कंट्रोल रूम को उसकी शिकायत भेज

पहली माहवारी से पहले लड़कियों की शादी कितना उचित है?

Image
जब एक लड़का और एक लड़की बिना विवाह के बंधन में बंधे साथ रहते हैं और पति-पत्नी की तरह अपना जीवन व्यतीत करते हैं। जिसमें लड़की और लड़का दोनों अपनी मर्जी से बिना शादी किये साथ में रहना तय करते हैं तो लिव इन रिलेशनशिप कहा जाता है। भारत में यह अभी चलन में नहीं है शायद यही वजह है की एक दो मामलों में देखने में आता है कि जिसमें समाज स्वीकार कर लेता है लेकिन अधिकतर मामलों में समाज इन्हें स्वीकार नहीं कर पाता है और ऐसे मामले कोर्ट तक पहुंच रहे हैं। हाल ही में कोर्ट ने इस पर टिप्पणी करते हुए कहा है कि यह एक व्यक्ति का मौलिक अधिकार है जो उसे संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीवन व व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार के रूप में प्राप्त है। यह अपराध नहीं है और उसमें कोई हस्तक्षेप नहीं कर सकता है। मगर सवाल यह है की जब समाज में इन सब चीजों को स्वीकार्यता नहीं है तो ऐसे में ऐसे कपल को क्या अधिकार प्राप्त होंगे।  भारत में लिव इन रिलेशनशिप को लेकर कोई विशेष कानून नहीं है लेकिन यदि लड़का और लड़की बालिग हों और वो आपसी सहमति से साथ रहना चाहते हैं तो उन्हें कोई रोक नहीं सकता है। अगर लड़का और लड़की के बीच सेक्स संबंध ब

अब सोना खरीदने पर देना होगा पैन नंबर!

Image
अब सोना खरीदने पर देना होगा पैन नंबर! वित्त मंत्रालय ने सोना, चांदी और कीमती रत्न की नकद खरीद के लिए प्रावधान में परिवर्तन कर दिया है। अब विक्रेता अपने ग्राहकों की केवाईसी (KYC) संबंधी जानकारी लेने के बाद ही सोना बेच सकेंगे। लेकिन यहाँ यह जानना आवश्यक है की यह कोई नया नियम नहीं है बल्कि यह नियम देश में पहले से लागू है। देश में पहले से ही ऊंचे स्तर की कीमत वाले रत्नों की खरीद ₹2 lakh से अधिक करने पर केवाईसी (KYC) का नियम लागू है। क्या है नियम? नियम के अनुसार यदि कोई ग्राहक ₹200000 से अधिक के आभूषण खरीदता है तो उस पर केवाईसी (KYC) का नियम लागू होता है, अर्थात उसे केवाईसी (KYC) फॉर्म को भरना होगा और पैन नंबर की जानकारी देनी होगी। क्यों है इस कानून की जरूरत? वर्तमान में मनी-लांड्रिंग रोधी कानून देश में लागू है और यह पिछले दो वर्षों से देश में जारी है। इस नियम के तहत यदि कोई व्यक्ति 10 लाख रुपए से अधिक के सोना या चांदी के आभूषण खरीदता है, तो केवाईसी (KYC) फॉर्म भरना जरूरी होता है। लेकिन अब इस प्रावधान की जरूरत तब पड़ी जब विश्व स्तर पर आतंकवादियों को फंडिंग के खिलाफ मोर्चा खोला गया है।

बैंक डूबा तो 2 करोड़ रुपये के बदले अब केवल 5 लाख मिलेंगे!

Image
डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कारपोरेशन के नए नियमों के मुताबिक बैंक में हुए कोई दुर्घटना अथवा बैंक के दिवालिया होने पर जमा सुरक्षित रकम जो पहले ₹1,00,000 तक की थी अब उसे बढ़ा दिया गया है। सरकार ने घोषणा की है कि अगर किसी कारणवश कोई बैंक डूब जाता है तो सरकार ग्राहक की कुल जमा रकम में से ₹5,00,000 तक वापस करने की गारंटी देगी यानी बैंक में आपकी कितनी भी रकम जमा हो आपको ₹5,00,000 से ज्यादा वापस नहीं मिल सकते। पहले यह गारंटी मात्र ₹1,00,000 की थी। दरअसल पिछले साल पंजाब एंड महाराष्ट्र बैंक का मामला सामने आने के बाद लोगों में इस बात को लेकर चिंता हो गई थी कि अगर उनकी उनका बैंक डूब जाता है तो बैंक में जमा उनकी रकम का क्या होगा। डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कारपोरेशन के नियमों के मुताबिक अब बैंक के ग्राहकों के ₹500000 की सुरक्षा की गारंटी मिलेगी। यह नियम सभी बैंकों पर लागू होगा। मिलने वाली रकम में मूलधन और ब्याज दोनों को शामिल किया जाता है। अलग-अलग ब्रांच का इस्तेमाल अपनी पूरी बचत कभी भी एक ही बैंक या उसके अलग-अलग ब्रांच में ना रखें। बैंक डूबने की स्थिति में एक बैंक के सभी अ

भारत में बने प्रोडक्ट सरकार के लिए नहीं है सरकार केवल अमेरिकन प्रोडक्ट ही खरीदेगी

Image
लॉकडाउन के बाद देश की आर्थिक हालात देखते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आत्मनिर्भर का स्लोगल दिया और साथ ही देश के लोगो से अपील की, कि वे मेक इन इंडिया प्रोडक्ट को खरीदें, लेकिन यह सुझाव राज्य की सरकारों को रास नहीं आया। ऐसे राज्य जहां खुद BJP की ही सरकार है वहां भी अधिकारी अपनी चहेती कंपनियों को मलाई खिलाने के चक्कर में है। मेक इन इंडिया का दावा करने में सरकारें पीछे नहीं रही मगर  मेक इंडिया का दम भरते ही इसकी हवा निकाल दी गई। बात कुछ इस तरह है कि उत्तर प्रदेश में मेक इंडिया के तहत सस्ते टिकाऊ और उपयोगी मेडिकल उपकरण भारतीय कंपनियां बना तो सकती हैं लेकिन उन्हें भारत में बेच नहीं सकती हैं। जिलों के सीएमओ (CMO) देसी कंपनियों से सामान खरीदने को तैयार नहीं है। कारण यह है कि उनका मानना है कि जब तक कोई भी कंपनी यूएसएफडीए (US FDA) से रजिस्ट्रेशन नहीं करवाती तब तक (CMO) इन कंपनियों के बने उत्पाद को नहीं खरीदेंगे।इसका अर्थ यह हुआ कि कंपनियों को पहले अमेरिका जाकर यूएसएफडीए (US FDA) से रजिस्ट्रेशन की औपचारिकताएं करनी होंगी उसके बाद ही CMO इन देसी कम्पनियों के उत्पाद खरीदेंगे। उत्तर प्रदेश के म

लीगल खबरें आपके लिए!